भारत की गली गली में घूमने-घुमाने वाले ऑटो-रिक्शा की कैसे हुई उत्पत्ति?

नगरीकरण- शहर व शक्ति
25-05-2019 10:30 AM
भारत की गली गली में घूमने-घुमाने वाले ऑटो-रिक्शा की कैसे हुई उत्पत्ति?

ऑटो रिक्शा (Auto Rikshaw) एक ऐसा वाहन है जो तीन पहियों के सहारे चलता है। इसका प्रयोग कई जगहों पर होता है। ऑटो रिक्शा को ऑटो, टेम्पो (Tempo), टुक-टुक (Tuk Tuk), रिक्शा आदि कई नामों से भी जाना जाता है। आज भारत में ये थ्री-व्हीलर (Three-wheeler) या तीन पहिया ऑटो आपको हर जगह नज़र आएंगे। सालों से ये थ्री-व्हीलर मेरठ ही नहीं बल्कि पूरे देश में स्थानीय लोगों की आवाजाही का प्रमुख साधन बने हुए हैं। परंतु क्या आप जानते हैं कि वास्तव में कार्ल बेंज़ (जर्मन इंजन डिज़ाइनर और ऑटोमोबाइल इंजीनियर / German Engine Designer and Automobile Engineer) ने दुनिया में पहली बार तीन पहियों वाले मोटर चालित वाहन के मॉडल (Model) विकसित किए थे। इनमें से एक, बेंज़ पेटेंट मोटरवेगन (Benz Patent Motorwagen), पहला सोद्देश्य निर्मित ऑटोमोबाइल माना जाता है। इसे 1885 में बनाया गया था।

आज दुनिया भर के कई देशों में, विशेष रूप से दक्षिण एशिया के कई विकासशील देशों में ऑटो रिक्शा शहरी परिवहन का एक सामान्य रूप है। भारत का बजाज ऑटो (पुणे) दुनिया का सबसे बड़ा ऑटो रिक्शा निर्माता है। भारत में बजाज के पास तीन पहिया वाहनों के बाजार का लगभग 80% हिस्सा है। दरअसल ऑटो रिक्शा पारंपरिक हाथ से खींचे जाने वाले रिक्शे का विकसित रूप है, जोकि मोटर चालित होता है। पारंपरिक हाथ रिक्शे मानव-चालित वाहन थे। रिक्शा मूल रूप से दो या तीन-पहियों वाला यात्रा का एक साधन था, जिसे आमतौर पर एक यात्री को ले जाने के लिये किसी व्यक्ति द्वारा खींचा जाता था, और रिक्शा शब्द का पहला ज्ञात उपयोग 1879 में हुआ था। ये हाथ से खींचे जाने वाले रिक्शे 19वीं शताब्दी में एशियाई शहरों के भीतर पुरुष मजदूरों के लिए रोजगार का एक प्रमुख स्रोत थे।

रिक्शा की उत्पत्ति जापानी शब्द ‘जिनरिकीशा’ (jinrikisha) से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘मानव द्वारा संचालित वाहन’ है। रिक्शा का आविष्कार जापान में लगभग 1869 में हुआ था। 1930 के दशक में ऑटो रिक्शा के जापानी निर्माताओं ने थाईलैंड को अपनी तिपहिया साइकिलों का निर्यात करना शुरू किया। 1960 के दशक के अंत तक, बैंकॉक ने वाहनों में गिरावट देखी, क्योंकि जापानी निर्माताओं ने उनके उत्पादन को जब्त कर लिया और बैंकॉक कारखानों को बंद करवा दिया। अब बैंकॉक में टुक-टुक यानी कि ऑटो रिक्शा ड्राइवरों को पुर्ज़े प्राप्त करने के लिए, समस्या का सामना करना पड़ा। परिणामस्‍वरूप जुम्रुश वुहंसरी नामक एक ड्राइवर ने अपने गैरेज (Garage) में एक टुक-टुक फैक्ट्री बनाने का फैसला किया।

वुहंसरी ने टुक-टुक की संरचना को बदल दिया: उसमें छत, उचित बैठने की जगह को जोड़ा और साथ ही रिक्‍शे के इंजन को मोटर चालित इंजन से बदल दिया। कुछ समय के भीतर-भीतर इसकी गुणवत्‍ता में विभिन्‍न सुधार किये गये और देखते ही देखते यह थाईलैण्‍ड की एक विशिष्‍ट पहचान बन गया। प्रारंभिक थाई टुक-टुक आज भी थाईलैंड में कई स्‍थानों पर देखा जा सकता है। थाईलैंड में अब छह टुक-टुक निर्माता हैं, जिनमें से कई ने भारत, श्रीलंका और सिंगापुर को वाहनों का निर्यात किया है। यह वाहन आज विश्‍व स्‍तर तक फैल गया है तथा बांग्लादेश, मिस्र, भारत, नाइजीरिया, पेरू, श्रीलंका और थाईलैंड जैसे देशों की लोकप्रिय पसंद बना हुआ है।

यदि भारत में ऑटो रिक्शा की बात की जाये तो बजाज ऑटो लिमिटेड (बच्छराज ट्रेडिंग कारपोरेशन) वह पहली कंपनी थी जिसने भारत में ऑटो रिक्शा को 1959 में पेश किया था। यह पियाजियो ऐप सी (Piaggio ape c) मॉडल से प्रेरित था जो खुद वेस्पा (Vespa) के डिज़ाइन पर आधारित था। बजाज ने इन्हें पियाजियो लाइसेंस के तहत निर्मित किया था। यह भी कहा जाता है कि पहला ओटॉ 1957 के अंत में बच्छराज ट्रेडिंग कॉरपोरेशन के द्वारा निर्मित किया गया था। 'ऑटोरिक्शा' शब्द को एन. के. फिरोदिया ने दिया। इस कंपनी को सरकार ने शुरुआत में एक साल में 1000 ऑटो बनाने का लाइसेंस दिया था। आजादी के बाद से फिरोदिया और बजाज 1970 तक साथ रहे थे किंतु उसके बाद वे अलग हो गये।

आज ऑटो की नवीनतम पीढ़ी संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) तथा विद्युत से चलती है। यह चार-स्ट्रोक इंजन (4-stroke engine) पहले की तुलना में कम प्रदूषणकारी हैं। बजाज ऑटो ने 2006-07 के पहले नौ महीनों में 2,37,198 वाहनों की बिक्री की, जबकि एक साल पहले इसी अवधि के दौरान इन्होनें 1,79,368 ऑटो की बिक्री की थी और इसी अवधि में ही कंपनी ने 55% या 1,01,512 ऑटो का निर्यात किया था। भारत निर्मित ऑटो आज ग्वाटेमाला, पेरू, मैक्सिको और मिस्र में भी देखने को मिलते हैं। भारतीयों की तुलना में, थाईलैंड के लोगों ने ऑटो का परिवर्तनात्मक उपयोग किया है। जापान में दर्शनीय स्थलों के पर्यटकों को बिना छत वाले टुक-टुक के माध्यम से घुमाया जाता था। जिससे वे खुली हवा का लुत्फ़ उठा पाते हैं।

संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Three-wheeler
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Auto_rickshaw
3. https://www.quora.com/Who-introduced-auto-rickshaws-in-India
4. http://www.anibn.com/2009/12/auto-rickshaw.html
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Rickshaw
6. http://www.asianoasisblog.com/the-history-of-the-tuk-tuk/

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