आइए समझें, भारत, शिपिंग कंटेनरों के उत्पादन को, हल्के में क्यों नहीं ले सकता

नगरीकरण- शहर व शक्ति
01-03-2025 09:30 AM
आइए समझें, भारत, शिपिंग कंटेनरों के उत्पादन को, हल्के में क्यों नहीं ले सकता

शिपिंग कंटेनर (Shipping Containers), बड़े और मज़बूत धातु के डिब्बे होते हैं, जिनका उपयोग, माल के परिवहन और भंडारण के लिए किया जाता है! इन्हें इस तरह से बनाया जाता है कि, वे भारी वजन सहने, क्रेन से उठाए जाने और जहाजों, ट्रेनों व ट्रकों द्वारा लंबी दूरी तक ले जाए जाने जैसी कठिन परिस्थितियों को झेल सकें। जानकार मान रहे हैं कि 2024 से 2034 के बीच वैश्विक शिपिंग कंटेनर बाज़ार 4.8% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) के साथ बढ़ेगा और 2034 तक इसका मूल्य US$ 14,549.7 मिलियन होने की संभावना है। इसलिए आज के इस लेख में हम शिपिंग कंटेनरों के बारे में विस्तार से बात करेंगे। इसके तहत, हम यह जानेंगे कि इनमें माल कैसे भेजा जाता है और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में किन-किन प्रकार के कंटेनरों का उपयोग किया जाता है। इसके बाद, हम 2025 में वैश्विक शिपिंग कंटेनर बाज़ार के आकार और इसके संभावित विकास पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा, हम भारत में वर्तमान कंटेनर उत्पादन परिदृश्य पर नजर डालेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि हमारे देश में शिपिंग कंटेनर उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता क्यों है। अंत में, हम भारत के कुछ प्रमुख शिपिंग कंटेनर निर्माताओं के बारे में भी जानेंगे।

40 फ़ीट (12 मीटर) का एक हाई-क्यूब कंटेनर (HIgh Cube Container) | चित्र स्रोत : Wikimedia

शिपिंग कंटेनर क्या हैं?

शिपिंग कंटेनर धातु के मज़बूत बक्से होते हैं, जिनका उपयोग सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए किया जाता है। ये आमतौर पर स्टील से बने होते हैं और लंबी दूरी की शिपिंग सहने के लिए बहुत मज़बूत होते हैं।

मानकीकृत कंटेनरों के कारण, शिपिंग और परिवहन उद्योग में बड़ा बदलाव देखा गया है। अब रेल, सड़क और जहाज़ के ज़रिए सामान आसानी से लाया-ले जाया जा सकता है, क्योंकि ये कंटेनर अलग-अलग परिवहन साधनों पर आसानी से फिट हो जाते हैं। इन कंटेनरों के मानकीकरण से शिपिंग प्रक्रिया तेज़ और सस्ती हो गई है। इससे हर साल लगभग 3 ट्रिलियन डॉलर के व्यापार के सुचारू परिवहन में मदद मिलती है!

चित्र स्रोत : Wikimedia

कंटेनर में माल कैसे भेजा जाता है ?

माल भेजने के लिए कंटेनर पैकिंग के दो मुख्य तरीके होते हैं:

  1.  फ़ुल कंटेनर लोड (full container load एफ़ सी एल) – जब पूरा कंटेनर एक ही ग्राहक का सामान लेकर जाता है।
  2. लेस-दैन-कंटेनर लोड (less than container load एल सी एल) – जब एक कंटेनर में कई लोगों का सामान एक साथ भेजा जाता है। इसे ब्रेक बल्क शिपमेंट भी कहा जाता है।

जो लोग, कम मात्रा में सामान मंगाना चाहते हैं और पूरा कंटेनर भरने की ज़रुरत नहीं होती, वे लेस-दैन-कंटेनर लोडशिपमेंट का विकल्प चुन सकते हैं। इसमें एक शिपिंग ब्रोकर या फ़्रेट फ़ॉरवर्डर (freight forwarder) आपके सामान को दूसरे लोगों के सामान के साथ मिलाकर एक पूरा कंटेनर बनाता है। हालांकि, लेस-दैन-कंटेनर लोड शिपमेंट में प्रति किलोग्राम लागत फुल कंटेनर लोड की तुलना में अधिक होती है, लेकिन कुल डिलीवरी खर्च कम हो सकता है। 

कंटेनरों में सामान कैसे पैक किया जाता है?

  • कंटेनर के अंदर माल की पैकिंग के लिए कई तरीके होते हैं:
  • पैलेट (या स्किड) – लकड़ी या प्लास्टिक के सपोर्ट, जो लोड को संभालने में मदद करते हैं।
  • सिकुड़कर लपेटे हुए पैकेज – प्लास्टिक से सुरक्षित किए गए पैकेट।
  • स्लिप शीट्स – प्लास्टिक की पतली चादरें, जो पैकेजिंग को टिकाऊ बनाती हैं।
  • क्रेट्स – लकड़ी या धातु के डिब्बे, जो भारी सामान सुरक्षित रखने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

इन सभी तरीकों से कंटेनर में माल सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से लोड और अनलोड किया जाता है।

रबर टायर वाली गैन्ट्री क्रेन (Gantry Crane) 40 फ़ीट (12 मीटर) का एक कंटेनर लोड कर रही है! | चित्र स्रोत : Wikimedia

आइए, अब अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में उपयोग किए जाने वाले कंटेनरों के प्रकार को समझने का प्रयास करते हैं: 

मानक ड्राई कार्गो कंटेनर (सामान्य प्रयोजन कंटेनर)

  • आकार: ये कंटेनर, आमतौर पर 20-फ़ीट (TEU) या 40-फ़ीट (FEU) के होते हैं।
  • विवरण: ये सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले कंटेनर हैं। इनका उपयोग उन वस्तुओं की शिपिंग के लिए किया जाता है, जिन्हें विशेष हैंडलिंग की आवश्यकता नहीं होती। ये पूरी तरह से बंद और मौसमरोधी होते हैं।
  • उपयोग: ये कंटेनर, इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा, मशीनरी, फर्नीचर और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों जैसी सूखी वस्तुओं के लिए उपयुक्त होते हैं।
  • विशेषताएँ: स्टील या एल्यूमीनियम से बने होते हैं और एक छोर पर दरवाज़े होते हैं।
चित्र स्रोत : Wikimedia

 रेफ़्रिजरेटेड कंटेनर ( रीफ़र कंटेनर)

  • आकार: 20-फ़ीट और 40-फ़ीट में उपलब्ध।
  • विवरण: इन कंटेनरों में   इकाइयाँ होती हैं, जो अंदर एक निश्चित तापमान बनाए रखती हैं।
  • उपयोग: मांस, फल,  , डेयरी उत्पाद,  फ़ार्मास्यूटिकल्स और रसायनों जैसे खराब होने वाले सामानों की शिपिंग में उपयोग होते हैं।
  • विशेषताएँ: तापमान नियंत्रण प्रणाली से लैस और इन्सुलेटेड दीवारों से सुरक्षित होते होते हैं।

डबल-डोर कंटेनर (Double Door Container)

  • आकार: 20-फ़ीट और 40-फ़ीट में उपलब्ध।
  • विवरण: इन कंटेनरों के दोनों सिरों पर दरवाज़े होते हैं, जिससे सामान लोड और अनलोड करना आसान हो जाता है।
  • उपयोग: ये ऐसे सामानों के लिए आदर्श होते हैं जिन्हें दोनों ओर से लोड करना आवश्यक हो, जैसे बड़े पैकेज या थोक में रखे गए उत्पाद।
  • विशेषताएँ: सीमित स्थान में लोडिंग और अनलोडिंग को सरल बनाता है।

पैलेट-वाइड कंटेनर (Pallet-Wide Containers)

  • आकार: 40-फ़ीट में उपलब्ध।
  • विवरण: ये कंटेनर मानक कंटेनरों की तुलना में चौड़े होते हैं और यूरोपीय पैलेट को समायोजित करने के लिए बनाए जाते हैं।
  • उपयोग: उन सामानों के लिए उपयुक्त जो विभिन्न पैलेट आकारों में भेजे जाते हैं और अधिक कुशल लोडिंग की आवश्यकता होती है।
  • विशेषताएँ: अतिरिक्त चौड़ाई होने के कारण आंतरिक स्थान का बेहतर उपयोग संभव होता है।

इन्सुलेटेड कंटेनर (Insulated Container)

  • आकार: 20-फ़ीट और 40-फ़ीट में उपलब्ध।
  • विवरण: ये कंटेनर, तापमान-संवेदनशील सामानों के लिए होते हैं, जिन्हें  रेफ़्रिजरेशन की ज़रुरत नहीं होती लेकिन अत्यधिक तापमान से बचाना आवश्यक होता है।
  • उपयोग:  फ़ार्मास्यूटिकल्स, कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य संवेदनशील वस्तुओं की शिपिंग में उपयोग होते हैं।
  • विशेषताएँ: तापमान स्थिर बनाए रखने के लिए इनमें इन्सुलेटेड दीवारें होती हैं।

कोल्ड ट्रीटमेंट कंटेनर (Cold Treatment Container)

  • आकार: 40-फ़ीट में उपलब्ध।
  • विवरण: ये कंटेनर, विशेष रूप से कृषि उत्पादों को कीटों और सूक्ष्मजीवों से बचाने के लिए बनाए जाते हैं।
  • उपयोग: इनका इस्तेमाल फलों, सब्जियों और अन्य कृषि उत्पादों की शिपिंग में किया जाता है।
  • विशेषताएँ: ये कंटेनर, ठंडे तापमान पर रखकर उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए तापमान नियंत्रण प्रणाली से लैस होते हैं।

हाल के वर्षों में शिपिंग कंटेनर बाज़ार तेजी के साथ बढ़ा है। 2024 में इसका मूल्य $11.46 बिलियन था, जिसका 2025 में बढ़कर $12.27 बिलियन होने की उम्मीद है। यह 7.0% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ेगा। इस विकास का मुख्य कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियों का विस्तार, बंदरगाहों का बुनियादी ढांचा विकास, औद्योगीकरण, कंटेनर मानकीकरण, आर्थिक प्रगति और इंटरमॉडल परिवहन में सुधार को माना जाता है।

जानकार मानते हैं आने वाले वर्षों में भी शिपिंग कंटेनर बाज़ार तेजी से बढ़ने की संभावना है। 2029 तक, यह 8.2% की वार्षिक वृद्धि दर के साथ बढ़कर $16.84 बिलियन तक पहुंच सकता है। इस बढ़त को बढ़ावा देने वाले कारकों में सांस्कृतिक और कलात्मक उपयोग, पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र, पॉप-अप खुदरा और आयोजन, आपदा राहत और आपातकालीन आवास, रसद और भंडारण समाधान शामिल हैं।

चित्र स्रोत : Wikimedia

भविष्य में मॉड्यूलर निर्माण, टिकाऊ निर्माण सामग्री, शहरीकरण और आवास की बढ़ती मांग, पॉप-अप स्टोर्स, आपदा राहत आवास और कस्टमाइज़ेशन एवं डिज़ाइन सौंदर्यशास्त्र जैसी प्रमुख प्रवृत्तियां बाज़ार को और विकसित करेंगी।

आइए अब भारत में कंटेनर उत्पादन की वर्तमान स्थिति को समझते हैं: 

भारत पूर्व-पश्चिम व्यापार मार्ग पर एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, लेकिन अपनी कंटेनर उत्पादन क्षमता सीमित होने के कारण हम वैश्विक व्यापार केंद्र बनने में पिछड़ रहे हैं रहे हैं। वर्तमान में, भारत हर साल केवल 10,000 से 30,000 कंटेनर बनाता है, जो व्यापार में अपेक्षित वृद्धि के लिए बहुत कम है। इसके विपरीत, चीन प्रति वर्ष 2.5 से 3 मिलियन कंटेनरों का उत्पादन करता है और इस क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर हावी है।

भारत में कंटेनर निर्माण लागत भी अधिक है। यहां एक कंटेनर बनाने में $3,500 से $4,800 तक खर्च आता है, जबकि चीन में यही लागत $2,500 से $3,500 के बीच होती है। इस वजह से, भारत को अधिकतर कंटेनर चीन से किराए पर लेने पड़ते हैं, जिससे व्यापार लागत बढ़ जाती है और भारत के बंदरगाहों की पूर्ण क्षमता का उपयोग करना मुश्किल हो जाता है।

चित्र स्रोत : Wikimedia

भारत को कंटेनर उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता क्यों है ?

भारत के प्रमुख बंदरगाह, जैसे वधावन और गैलाथिया खाड़ी, और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे जैसी पहल, बढ़ती कंटेनर क्षमता को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं। यदि भारत अपनी कंटेनर उत्पादन क्षमता नहीं बढ़ाता, तो इन परियोजनाओं का प्रदर्शन कमजोर रह सकता है। 2023 में भारत का कंटेनर हैंडलिंग बाज़ार वर्ष 11.4 मिलियन TEU था, जिसके 2028 तक 26.6 मिलियन TEU तक पहुंचने की उम्मीद है। लेकिन अगर पर्याप्त कंटेनर उपलब्ध नहीं होंगे, तो भारतीय बंदरगाह इस बढ़ी हुई मांग को संभालने में असमर्थ रहेंगे। ऐसे में, वैश्विक शिपिंग कंपनियां भारतीय बंदरगाहों की बजाय कोलंबो, दुबई और हांगकांग जैसे केंद्रों को प्राथमिकता देती रहेंगी।

इसलिए, भारत को अपने कंटेनर उत्पादन में तेज़ी लाने की ज़रुरत है, ताकि व्यापार लागत को कम किया जा सके और वैश्विक शिपिंग बाज़ार में भारत की स्थिति मज़बूत हो सके।

भारत में कई बड़ी कंपनियां, शिपिंग कंटेनर निर्माण के क्षेत्र में कार्यरत हैं। ये कंपनियां, उच्च गुणवत्ता वाले कंटेनर का निर्माण करती हैं और देश की लॉजिस्टिक्स व परिवहन उद्योग में अहम भूमिका निभाती हैं। इनमें शामिल हैं:

1. भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL): भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) की स्थापना, 1964 में हुई थी। यह भारत सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आता है और देश के सबसे बड़े सरकारी स्वामित्व वाले इंजीनियरिंग व विनिर्माण उद्यमों में से एक है। यह कंपनी, कार्गो कंटेनरों सहित विभिन्न उत्पादों के डिजाइन, निर्माण, परीक्षण और सर्विसिंग का कार्य करती है।

2. ब्रेथवेट एंड कंपनी लिमिटेड (Braithwaite & Co. Ltd): ब्रेथवेट एंड कंपनी लिमिटेड की स्थापना, 1931 में हुई थी और इसका मुख्यालय, कोलकाता में स्थित है। यह पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी है। यह विशेष स्टील प्राप्त करने के लिए भारतीय इस्पात प्राधिकरण (SAIL) के साथ मिलकर काम करती है। उच्च गुणवत्ता वाले कंटेनर निर्माण में इसे विशेषज्ञता प्राप्त है।

3. डी सी एम हुंडई लिमिटेड (DCM Hyundai Ltd): डी सी एम हुंडई लिमिटेड की स्थापना, 1993 में हुई थी। यह भारत के डी सी एम श्रीराम समूह और कोरिया के हुंडई समूह का एक संयुक्त उपक्रम है। इसका विनिर्माण संयंत्र, फ़रीदाबाद में स्थित है, जहां यह उन्नत तकनीक से शिपिंग कंटेनर, लोड कैरियर और कार्गो-हैंडलिंग यूनिट का निर्माण करता है।

4. एबी सी कंटेनर प्राइवेट लिमिटेड (AB Sea Container Private Limited): एबी सी कंटेनर प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना, 2007 में हुई थी। यह कंपनी, शिपिंग कंटेनर निर्माण के साथ-साथ लीजिंग, वेयरहाउसिंग और अन्य लॉजिस्टिक्स सेवाएं भी प्रदान करती है। इसका संचालन मुख्य रूप से नई दिल्ली से किया जाता है और इसमें अत्याधुनिक परिवहन सुविधाएं उपलब्ध हैं।

5. कल्याणी कास्ट टेक प्राइवेट लिमिटेड (Kalyani Cast Tech pvt Ltd): कल्याणी कास्ट टेक प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना, 2012 में हुई थी। यह कंपनी 20 फ़ीट और 40 फ़ीट के सूखे कंटेनर निर्माण में विशेषज्ञता रखती है। इसके अलावा, यह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार बौने कंटेनर, क्यूबॉइड कंटेनर और दो व तीन पहिया वाहनों के लिए विशेष कंटेनर भी बनाती है। ये सभी कंपनियां, भारत में शिपिंग कंटेनर निर्माण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं और देश की लॉजिस्टिक्स व परिवहन प्रणाली को मज़बूत बना रही हैं।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/yco4pvuo

https://tinyurl.com/2aewkrsp

https://tinyurl.com/2aewkrsp

https://tinyurl.com/2agu9m6v

https://tinyurl.com/22ozcu6x

मुख्य चित्र स्रोत : wikimedia

 

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