
मेरठ के निवासियों, क्या आप जानते हैं कि, लद्दाख, भारत में एक ठंडा रेगिस्तान है। यह जम्मू और कश्मीर के पूर्वी हिस्से में, हिमालय में स्थित है। इसके उत्तर और दक्षिण में पहाड़ों की काराकोरम श्रृंखला (Karakoram Mountains) है, जो ज़ांस्कर पर्वत से बंधी है। कई नदियां लद्दाख से होकर बहती हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण सिंधु नदी है। चलिए, आज लद्दाख की जलवायु के बारे में विस्तार से जानें। फिर, हम इस क्षेत्र की प्रमुख आर्थिक गतिविधियों को समझने की कोशिश करेंगे। इसके बाद, हम लद्दाख में पाए जाने वाले वन्यजीवों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। हम लद्दाख में सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों के बारे में भी पता लगाएंगे। अंत में, हम इस क्षेत्रों के सबसे लोकप्रिय शीर्ष त्योहारों पर कुछ प्रकाश डालेंगे।
लद्दाख की जलवायु:
उत्तर में काराकोरम श्रृंखला और दक्षिण में ज़ांस्कर पर्वत (Zanskar Mountains), लद्दाख को घेरते हैं। लद्दाख, कई कारणों की वजह से सबसे ठंडा रेगिस्तान है, जिसमें इसकी उच्च ऊंचाई भी शामिल है। हम यहां सूरज की गर्मी को महसूस कर सकते हैं, क्योंकि, यहां हवा बहुत पतली है। यहां गर्मियों में तापमान, दिन के दौरान शून्य डिग्री से ऊपर, और रात में माइनस 30 डिग्री तक होता है। सर्दियों के दौरान, तापमान माइनस 40 डिग्री के आसपास रहता है। मज़बूत हिमालय प्रभाव के कारण, इस क्षेत्र में सबसे कम वर्षा भी होती है, जिससे लद्दाख एक ठंडा रेगिस्तान बन जाता है।
लद्दाख की अर्थव्यवस्था को समझना:
•कृषि:
यहां भूमि को चैनलों की एक प्रणाली द्वारा सिंचित किया जाता है, जो पहाड़ों की बर्फ़ से पानी प्राप्त करते हैं। लद्दाख की प्रमुख फ़सलें जौ और गेहूं हैं। चावल, पहले लद्दाखी आहार में एक विलासिता की वस्तू थी, लेकिन, सरकार द्वारा सब्सिडी देने पर, यह अब एक सस्ती उपज बन गई है। एक तरफ़, जौ पारंपरिक रूप से, लद्दाख में एक प्रधान फ़सल थी।
•व्यापारी और कारवां व्यापारी:
लद्दाखी लोगों के एक अल्पसंख्यक समूह को, व्यापारियों और कारवां व्यापारियों के रूप में नियोजित किया गया था। ये पंजाब और शिनजियांग (Xinjiang) के बीच वस्त्रों, कालीनों, डाइ(Dye) और नशीले पदार्थों के व्यापार की सुविधा प्रदान करते थे। हालांकि, चूंकि चीनी सरकार ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और लद्दाख के बीच की सीमाओं को बंद कर दिया था, इसलिए, यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पूरी तरह से बंद हो गया है।
•खनिज संसाधन और ऊर्जा उत्पादन:
लद्दाख क्षेत्र में बहने वाली सिंधु नदी, विशाल जलविद्युत क्षमता के साथ संपन्न है। सौर और पवन ऊर्जा क्षमता भी यहां पर्याप्त है। यह क्षेत्र सभी मौसमों में चालित सड़कों के बिना, एक दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्र है। लेकिन, विभिन्न निर्माण जरूरतों के लिए, स्थानीय रूप से उपलब्ध सस्ती बिजली से सीमेंट का निर्माण करने के लिए, लद्दाख चूना पत्थर जमाव में भी समृद्ध है।
•पर्यटन:
1974 के बाद से, भारत सरकार ने विवादग्रस्त कश्मीर क्षेत्र से, लद्दाख के अपेक्षाकृत अप्रभावित क्षेत्रों में ट्रैकिंग और अन्य पर्यटक गतिविधियों में बदलाव को प्रोत्साहित किया है। हालांकि, पर्यटन, लद्दाख की केवल 4% कामकाजी आबादी को नियुक्त करता है, लेकिन, पर्यटन अब क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पाद का 50% हिस्सा बनाता है।
लद्दाख में वन्यजीव:
लद्दाख का ठंडा रेगिस्तान, कई स्तनधारियों और पक्षियों का घर है, जो भारतीय हिमालय की चरम ठंड के लिए अलग-अलग तरीकों से अनुकूलित हैं। लद्दाख के कई जानवरों में हिमप्रदेशीय तेंदुआ, तिब्बती भेड़िया, तिब्बती अर्गली और काली गर्दन वाले क्रेन जैसे लुप्तप्राय जानवर शामिल हैं। यहां पाए जाने वाले कुछ पक्षियों में – चोकर पार्ट्रिज (Chukar partridge), गोल्डन ईगल (Golden eagle), हिमालयन वल्चर (Himalayan Vulture) और लैमर्जियर (Lammergeier) शामिल हैं।
हिमप्रदेशीय तेंदुआ (Snow leopard), लद्दाख का मुख्य प्राणी है। यह अनुमान है कि, हेमिस नेशनल पार्क (Hemis National Park) में 200 से अधिक हिमप्रदेशीय तेंदुए हैं। लद्दाख के पूर्वी भाग में स्थित, हेमिस नेशनल पार्क, 600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फ़ैला है। यह भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। वन्यजीव विभाग और स्थानीय संगठन, हेमिस नेशनल पार्क में वन्यजीव पर्यटन को बढ़ावा दे रहे हैं। इस पार्क में लद्दाख यूरियाल (Ladakh urial), तिब्बती एंटेलोप (Tibetan antelope), एशियाई इबेक्स (Asiatic ibex), भारल (Bharal), तिब्बती खरगोश और मर्मोट (Marmot) जैसे जानवरों की कई अन्य प्रजातियां भी हैं।
लद्दाख में सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण:
1.) पैंगोंग झील (Pangong Lake):
लद्दाख में सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण – पैंगोंग झील, एक एंडोरहेइक झील (Endorheic lake) है, जो 4350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह झील, पूरे वर्ष या दिन भर नीली नहीं रहती है, बल्कि, यह आसमानी रंग से हल्के नीले और हरे तथा भूरे रंग में भी बदलती है! यह लद्दाख झील के रूप में भी पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है, जहां बॉलीवुड फ़िल्म – “3 इडियट्स” की शूटिंग की गई थी।
2.) खारदुंग ला (Khardung La):
खारदुंग ला, लद्दाख क्षेत्र में लेह के पास एक उच्च पर्वत दर्रा है। यह श्योक और नुबरा घाटी के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। खारदुंग ला, भारत में 5,602 मीटर की ऊंचाई पर सबसे ऊँचा मोटर योग्य सड़क के रूप में लोकप्रिय है। हालांकि, इसकी वास्तविक ऊंचाई, 5359 मीटर है, जो ‘डूंगी ला’ को भारत का सबसे ऊँचा मोटर योग्य रोड पास बनाती है।
3.) नुबरा घाटी (Nubra Valley):
नुबरा घाटी, जम्मू और कश्मीर के केंद्र क्षेत्र में, लेह से लगभग 140 किलोमीटर की दूरी पर है। यह शुष्क पहाड़ों के साथ, बैक्ट्रियन ऊंट (Bactrian camel) की सवारी, बागों और मठों के लिए प्रसिद्ध है। बर्फ़ से ढके हिमालय पर्वत से घिरे इस क्षेत्र में, खारदुंग ला के माध्यम से पहुंचा जा सकता है।
4.) लेह पैलेस (Leh Palace):
लेह पैलेस, 17वीं शताब्दी का एक पूर्व रॉयल पैलेस है, और लेह के केंद्रीय आकर्षणों में से एक है। राजा सेंगगे नामग्याल (King Sengge Namgyal) के संरक्षण में निर्मित, यह पैलेस उनके परिवार का घर था। इस नौ-मंजिला महल में अब एक संग्रहालय और एक प्रार्थना कक्ष है। जबकि, इसकी हाइलाइट, छत से लेह और आसपास के ज़ांस्कर पर्वत का व्यापक दृश्य है।
5.) संगम (Sangam):
लद्दाख में सिंधु और ज़ांस्कर नदियों का संगम होता है। यह लेह श्रीनगर राजमार्ग पर, निम्मू में, लेह से 35 किलोमीटर दूर स्थित है। इस बिंदु पर दोनों नदियों को अलग से मिलते हुए देखा जा सकता है। जबकि, सिंधु नदी चमकदार नीले रंग के रूप में दिखाई देती है, ज़ांस्कर नदी मैले हरे रंग में दिखाई देती है।
लद्दाख के शीर्ष सबसे लोकप्रिय त्योहार:
1.) हेमिस महोत्सव (Hemis Festival):
लद्दाख में सबसे प्रसिद्ध मठों में से एक – हेमिस मठ, जुलाई में हेमिस महोत्सव की मेज़बानी करता है। इस उत्सव को ‘नकाबपोश नृत्य’ के रूप में भी जाना जाता है, और इस अवसर पर लामा लोगों द्वारा गुरु पद्मसम्बवा की जन्म वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए, चाम नृत्य का प्रदर्शन किया जाता है। यह त्योहार, दो से तीन दिनों तक चलता है, और दुनिया भर से कई पर्यटकों को आकर्षित करता है।
2.) साका दवा (Saka Dawa):
साका दवा को बौद्ध लोगों द्वारा सबसे पवित्र त्योहार माना जाता है। इस पवित्र समय के दौरान पूर्ण चंद्रमा, बुद्ध के जन्म, ज्ञान और मृत्यु को याद करता है। यह तिब्बती कैलेंडर के चौथे महीने में मनाया जाता है, जो आमतौर पर मई के अंत और जून के अंत के बीच आता है। त्योहार के दिन, भिक्षु एक झंडे को बदलते हैं, जो मठ में स्थित है। इस समारोह में, पकड़े गए जानवरों को मुक्त करना और प्रदर्शन या नकाबपोश नृत्य शामिल हैं।
3.) स्टोक गुरु त्सेचू (Stok Guru Tsechu):
स्टोक गुरु त्सेचू को आम लोगों के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है। यह लेह के स्टोक मठ में मनाया जाने वाला प्राथमिक त्योहार है। यह त्योहार, अद्वितीय है, क्योंकि, भिक्षुओं की प्रार्थना करने के बजाय, आम लोग इसका नेतृत्व करते हैं। यह त्योहार, रंगीन मुखौटों, नृत्य, जप और स्वादिष्ट उत्सव भोजन के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव का हिस्सा बनने के लिए, आपको फ़रवरी माह में लेह का दौरा करना होगा, क्योंकि, यह त्योहार, तिब्बती कैलेंडर के पहले महीने में मनाया जाता है।
4.) मैथो नागंग त्योहार (Matho Nagrang Festival):
इस त्योहार में एक रहस्यमय आकर्षण है, जो पर्यटकों को दूर-दूर के स्थानों से आकर्षित करता है। यह लद्दाख में सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। किंवदंती के अनुसार, दो पुरोहित, जो दो महीने के लिए एक ध्यान की स्थिति में थे, इस दिन, समाज में शामिल हो गए। वे बाकी लोगों के साथ भविष्य के बारे में अपनी सीख साझा करते हैं।
5.) लद्दाख हार्वेस्ट त्योहार (Ladakh Harvest Festival):
लद्दाख हार्वेस्ट त्योहार, सितंबर में मनाया जाता है, जब फ़सल को इकट्ठा करने का समय होता है। यह स्थानीय लोगों के एक साथ होने, और समृद्धि तथा आशीर्वाद की उम्मीद करने का मौका है। इस त्योहार के दौरान, महिलाओं को पारंपरिक कपड़ों में नाचते और गाते देखा जा सकता है। पुरुष खेल खेलकर, इसे मनाते हैं। लद्दाख हार्वेस्ट त्योहार, एक वार्षिक कार्यक्रम है, जो 15 दिनों तक चलता है। अन्य सभी त्योहारों की तरह, भिक्षु इस दिन को मनाने के लिए नकाबपोश नृत्य करते हैं।
संदर्भ
मुख्य चित्र: में पैंगोंग त्सो (लद्दाख) चांगथांगी, "'चांगरा" या पश्मीना बकरी, तिब्बत, नेपाल, बर्मा के कुछ हिस्सों और भारत में लद्दाख के पड़ोसी क्षेत्रों में पठारों में रहने वाली बकरी की एक नस्ल है। उन्हें अल्ट्रा-फ़ाइन कश्मीरी ऊन (जिसे पहले पश्मीना के नाम से जाना जाता था) के लिए पाला जाता है, लेकिन अतीत में उन्हें मांस के लिए भी पाला जाता था। (WIkimedia)
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