कोला सुपरडीप बोरहोल क्या है और कैसे ये पृथ्वी की संरचना पर नए सवाल उठाता है ?

वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली
28-02-2025 09:43 AM
कोला सुपरडीप बोरहोल क्या है और कैसे ये पृथ्वी की संरचना पर नए सवाल उठाता है ?

मेरठ के लोगों को यह जानकर हैरानी होगी कि, कोला सुपरडीप बोरहोल (Kola Superdeep Borehole), जो केवल 9 इंच चौड़ा है, दुनिया का सबसे गहरा गड्ढा है जिसे इंसानों ने खोदा है। इसकी गहराई, 40,230 फ़ीट (12,262 मीटर) है। इसे 1989 में खोदा गया था। यह सोवियत संघ द्वारा किया गया एक वैज्ञानिक प्रयास था, जिसका मकसद धरती की सतह के अंदर जितना हो सके, उतना गहराई तक पहुंचना था। यह रूस और नॉर्वे की सीमा के पास कोला प्रायद्वीप के पेचेंगस्की ज़िले में स्थित है। 

तो आइए, आज इस गड्ढे के बारे में विस्तार से जानते हैं। हम यह भी समझेंगे कि इसकी खुदाई से कौन-कौन सी महत्वपूर्ण खोजें हुईं। इसके अलावा, यह जानने की कोशिश करेंगे कि इस गड्ढे को कैसे खोदा गया और आखिरकार यह प्रोजेक्ट क्यों बंद कर दिया गया।

इसके बाद, हम उन कुछ और गहरे गड्ढों पर नज़र डालेंगे, जिन्हें इंसानों ने अब तक खोदा है। इनमें अमेरिका की बिंघम कैन्यन माइन और बर्कले पिट के साथ-साथ अंटार्कटिका का आइसक्यूब न्यूट्रिनो ऑब्ज़र्वेटरी भी शामिल है। अंत में, हम इंसानों द्वारा ज़मीन और समुद्र में किए गए ऐतिहासिक ड्रिलिंग प्रयासों के बारे में जानेंगे।

कोला सुपरडीप बोरहोल का प्रत्यक्ष दृश्य | चित्र स्रोत : WIkimedia

कोला सुपरडीप बोरहोल

अगर इसकी गहराई को समझने की कोशिश करें, तो यह माउंट एवरेस्ट और माउंट फूजी की संयुक्त ऊंचाई के बराबर है। इतना ही नहीं, यह प्रशांत महासागर में स्थित मारियाना ट्रेंच की गहराई से भी अधिक है, जो समुद्र तल से 36,201 फ़ीट (11,034 मीटर) नीचे है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस अद्भुत उपलब्धि को हासिल करने में लगभग 20 साल लगे, फिर भी वैज्ञानिक केवल पृथ्वी के मेंटल (आंतरिक परत) तक आधा ही पहुंच पाए। इस खुदाई के दौरान सबसे हैरान करने वाली खोजों में से एक थी—चार मील की गहराई पर मिले सूक्ष्म प्लवक (प्लैंकटन) के जीवाश्म।

कोला सुपरडीप बोरहोल से मिली अनमोल खोजें

इस परियोजना ने पृथ्वी के आंतरिक भाग को लेकर हमारी समझ को पूरी तरह बदल दिया। वैज्ञानिकों को यहां कई अनोखी चीजें मिलीं, जैसे—गहराई में असामान्य तापमान परिवर्तन और चट्टानों के भीतर जैविक गतिविधियों के प्रमाण।

उन्होंने इसे कैसे किया?

बोरहोल आमतौर पर तेल और गैस उद्योग में उपयोग किए जाते हैं। लेकिन कोला सुपरडीप बोरहोल का उद्देश्य कुछ और था: पृथ्वी की सतह के बारे में जानकारी प्राप्त करना। कोला सुपरडीप बोरहोल को खोदने के लिए, वैज्ञानिकों ने एक नई ड्रिल बनाई, जिसमें केवल बिट (सिरा) घूमा करता था। इसके अलावा, ड्रिलिंग प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए एक लुब्रिकेंट (स्नेहक) का इस्तेमाल किया गया। इस लुब्रिकेंट में दबाव डाला गया ड्रिलिंग मड (कीचड़) था।

चित्र स्रोत : WIkimedia

कोला सुपरडीप बोरहोल प्रोजेक्ट क्यों बंद हुआ?

आखिरकार, इस परियोजना को बंद कर दिया गया। 12 किलोमीटर गहरी चट्टानों का तापमान, वैज्ञानिकों के अनुमान से कहीं ज़्यादा था। उन्होंने 100 डिग्री सेल्सियस के आसपास के तापमान की तैयारी की थी, लेकिन चट्टानें लगभग 180 डिग्री सेल्सियस तक गर्म थीं! इस अत्यधिक गर्मी के लिए वे तैयार नहीं थे, इसलिए उन्हें खुदाई रोकनी पड़ी। अंत में, इस बोरहोल को बंद कर दिया गया।

इंसानों द्वारा खोदी गईं कुछ सबसे गहरी खदानें और गड्ढे
 

चित्र स्रोत : WIkimedia

1.बिंघम कैन्यन माइन, उटाह (Bingham Canyon Mine, Utah) : यह दुनिया की सबसे बड़ी तांबे की खदान है, जो 100 साल से भी ज़्यादा पुरानी है। यह खदान उटाह के ओक्विर्र पहाड़ियों में स्थित है और 2.5 मील चौड़ी है। खदान 1906 में खोदी गई थी और अब भी काम कर रही है। इसे सबसे बड़ी मानव निर्मित खुदाई माना जाता है। लोग इसे देखने आते हैं, क्योंकि यह एक बड़ा पर्यटक स्थल बन चुका है।

चित्र स्रोत : WIkimedia

2. किम्बर्ली डाइमंड माइन, अफ्रीका (Kimberley Diamond Mine, Africa) : अफ्रीका की यह खदान “द बिग होल” के नाम से जानी जाती है। यह खदान 1866 में शुरू हुई थी, और इसमें 50,000 से ज़्यादा खनिकों ने काम किया। यह खदान 700 फ़ीट गहरी हो गई और 1914 तक यह 1,500 फ़ीट चौड़ी हो गई थी। यहां से 6,000 पाउंड से ज़्यादा हीरे निकाले गए हैं, और अब भी लोग इसे देख सकते हैं।

चित्र स्रोत : WIkimedia

3. डायविक डाइमंड माइन, कनाडा (Diavik Diamond Mine, Canada) : यह खदान, कनाडा के आर्कटिक इलाके में 2003 में खोली गई थी। यह खदान 600 फ़ीट गहरी है और यहां से हर साल 3,300 पाउंड हीरे निकलते हैं। इस खदान तक केवल हवाई जहाज़ से ही पहुंचा जा सकता है, क्योंकि यहां जाने के लिए एक रनवे है जो बोइंग 737 को समायोजित कर सकता है।

चित्र स्रोत : flickr 

4. बर्कली पिट, मोंटाना (Berkely Pit, Montana): यह खदान 1955 में मोंटाना के बूटे में खोदी गई थी। इसमें तांबा निकालने के लिए 1,700 फ़ीट गहरा गड्ढा खोदा गया था। 1982 में इसे बंद कर दिया गया था, लेकिन अब यह गड्ढा पानी से भर चुका है और 900 फ़ीट तक पानी है। इसमें भारी धातुएं और रासायनिक पदार्थ हैं, जिससे पानी अम्लीय हो गया है। 1990 में 342 पक्षी इस पानी में गिरकर मर गए थे।

चित्र स्रोत : WIkimedia

5. मिरनी माइन, रूस (Mirny Mine, Russia): यह खदान रूस के साइबेरिया में स्थित है और 1955 में खोली गई थी। यह खदान 1,700 फ़ीट गहरी है और इतनी बड़ी है कि इसमें 150 मंजिला इमारत समा सकती है। यहां से हीरे निकाले जाते थे, लेकिन अब इसमें खनन बंद कर दिया गया है। इस खदान के आसपास हवा इतनी तेज़ है कि कुछ लोगों का कहना है कि हेलीकॉप्टर भी यहां गिर सकते हैं।

6. आइसक्यूब न्यूट्रिनो ऑब्ज़र्वेटरी, अंटार्कटिका (IceCube Neutrino Observatory, Antarctica) : अंटार्कटिका के साउथ पोल स्टेशन में यह एक खास जगह है, जहां के नीचे 86 केबल्स डाली गई हैं। इन केबल्स से डेटा भेजा जाता है, जो बर्फ़ के नीचे 4,750 फ़ीट से लेकर 8,000 फ़ीट तक जाती हैं। इन केबल्स के लिए छेद खोदने में सात साल लगे थे, और गर्म पानी से इन छेदों को खोदा गया था।

ज़मीन और समुद्र में खुदाई के ऐतिहासिक प्रयास

प्राचीन समय में भी लोग खुदाई किया करते थे। लगभग 2000 साल पहले, उत्तरी चीन में इंजीनियरों ने 2,000 फ़ीट तक गहरी खुदाई की थी। वे खारे पानी (ब्राइन), प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम निकालने के लिए खुदाई करते थे।

19वीं सदी में अमेरिकी तेल उद्योग के विकास के साथ खुदाई की तकनीक में भी बड़ा बदलाव आया। पहले पानी के कुएं खोदने के लिए जो तकनीकें इस्तेमाल होती थीं, उन्हें तेल निकालने के लिए भी अपनाया गया। 1880 के दशक में ड्रिलिंग की गहराई 3,000 फ़ीट तक पहुंच गई। 1900 के दशक की शुरुआत तक यह 5,000 फ़ीट से भी ज़्यादा हो गई। बाद में, 25,000 फ़ीट तक की खुदाई करने के कुछ प्रयोग भी किए गए।

ज़मीन से समुद्र में खुदाई की शुरुआत

जब ज़मीन से समुद्र में खुदाई की ओर रुख किया गया, तो यह तकनीक के लिए एक बड़ा बदलाव था। समुद्र में तेल निकालने की शुरुआत 1930 और 1940 के दशक में हुई, खासकर मैक्सिको की खाड़ी में। यह शुरुआती प्रयास भविष्य में और उन्नत तकनीकों के लिए रास्ता तैयार कर रहे थे।

1957 में हंबल एस एम -1 (Humble SM-1) नामक एक पुराना जहाज़, जिसे पहले द्वितीय विश्व युद्ध में इस्तेमाल किया गया था, समुद्र के नीचे खुदाई करने के लिए इस्तेमाल किया गया। इसने 159 फ़ीट गहरे पानी में खुदाई की और 5,000 फ़ीट (1524 मीटर) की गहराई तक पहुंचा। यह उथले पानी में खुदाई के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। उस समय, व्यावसायिक खुदाई आमतौर पर 20 से 50 मीटर की गहराई तक होती थी।
 

संदर्भ

https://tinyurl.com/5bp398np 

https://tinyurl.com/2wspbkmz 

https://tinyurl.com/5bfbv9ab 

https://tinyurl.com/yc5ur8cu 

मुख्य चित्र: रूस में स्थित कोला सुपरडीप बोरहोल का परिसर : Wikimedia

 

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