![अंतरिक्ष अनुसंधान के माध्यम से, बड़ा बदलाव आ सकता है, भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में](https://prarang.s3.amazonaws.com/posts/11581_January_2025_6790632521539.jpg)
लगभग 3.2 मिलियन (32 लाख) वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के साथ, भारत, दुनिया का सातवां सबसे बड़ा देश है, जबकि 1.4 अरब की आबादी के साथ, भारत पहले स्थान पर है। भारत की आबादी, जो मुख्य रूप से ग्रामीण और दूर-दराज़ के इलाकों में निवास करती है, के लिए बुनियादी न्यूनतम स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करना हमेशा से स्वास्थ्य प्रशासन की प्राथमिकताओं में से एक रहा है। आज, राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रणालियों द्वारा उन्नत संचार और रिमोट सेंसिंग सैटेलाइटों के माध्यम से, संचार और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन सहित विभिन्न राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है। विशेष रूप से जमीनी स्तर की आबादी को लाभ पहुंचाने के संदर्भ में, ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (Indian Space Research Organisation (ISRO)) द्वारा पेयजल मिशन, वाटरशेड प्रबंधन, टेली-शिक्षा और अधिक महत्वपूर्ण रूप से टेलीमेडिसिन/टेली-स्वास्थ्य (Telemedicine) के क्षेत्रों में कई परियोजनाओं को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया जा रहा है, जिनके द्वारा सुदूर, ग्रामीण और वंचित आबादी के लिए विशेष स्वास्थ्य देखभाल को सक्षम बनाने का कार्य किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि, टेलीमेडिसिन, दूरसंचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से रोगियों के दूरस्थ निदान और उपचार करने की प्रक्रिया है। तो आइए, आज भारत के चिकित्सा क्षेत्र के विकास में अंतरिक्ष अन्वेषण की भूमिका के बारे में जानते हैं और टेलीमेडिसिन के बारे में समझते हुए देखते हैं कि यह तकनीक, कैसे काम करती है। आगे, हम इस तकनीक के लाभों पर कुछ प्रकाश डालेंगे। इसके साथ ही, हम वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल और स्वस्थता में सुधार लाने वाली नासा की कुछ तकनीकों के बारे में जानेंगे। अंत में, हम भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में क्रांति लाने में अंतरिक्ष अनुसंधान की भविष्य की संभावनाओं के बारे में बात करेंगे।
भारत में चिकित्सा क्षेत्र के विकास में अंतरिक्ष अन्वेषण की भूमिका:
चिकित्सा प्रतिबिम्बन और निदानिकी (Medical Imaging and Diagnostics): अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी ने चिकित्सा प्रतिबिम्बन और निदानिकी में प्रगति को बढ़ावा दिया है। अंतरिक्ष अभियानों के लिए विकसित विभिन्न प्रौद्योगिकियों, जैसे उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग उपकरणों को चिकित्सा उपयोग के लिए अनुकूलित करके उपयोग किया गया है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नवाचारों के कारण ही मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging (MRI)) और कंप्यूटेड टोमोग्राफ़ी ( Computed Tomography (CT)) जैसी इमेजिंग तकनीकों की प्रगति संभव हुई है।
स्वास्थ्य परिवीक्षण उपकरण: अंतरिक्ष अभियानों में उपयोग किए जाने वाले सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक्स के लघुकरण ने स्वास्थ्य परिवीक्षण उपकरणों का मार्ग प्रशस्त किया है। ये उपकरण महत्वपूर्ण संकेतों, गतिविधि स्तरों और अन्य स्वास्थ्य मापदंडों को ट्रैक कर सकते हैं, जिससे व्यक्तियों को अपने स्वास्थ्य का प्रबंधन करने में मदद मिलती है और स्वास्थ्य सेवा प्रदाता दूर से मरीज़ों की जांच कर सकते हैं।
वैक्सीन विकास और औषधि परीक्षण: अंतरिक्ष में मौजूद सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण का वातावरण आणविक संरचना और जैविक प्रक्रियाओं में अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है। अंतरिक्ष प्रयोगों ने शोधकर्ताओं को यह समझने में मदद की है कि सूक्ष्मजीव कैसे व्यवहार करते हैं और मानव कोशिकाएं कैसे प्रतिक्रिया करती हैं, जिससे अधिक प्रभावी दवा का विकास हो सका है।
टेलीमेडिसिन क्या है:
टेलीमेडिसिन, दूर-दराज़ एवं ग्रामीण इलाकों में, जहां प्रत्यक्ष रूप से स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर या तो अनुपलब्ध हैं या उनका पहुंचना संभव नहीं है, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने की प्रक्रिया है, जिसके द्वारा बीमारी और चोटों के निदान, उपचार और रोकथाम, अनुसंधान और मूल्यांकन, और सतत शिक्षा के लिए वैध जानकारी के आदान-प्रदान के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाता है, जिससे सभी व्यक्तियों और उनके समुदायों का स्वास्थ्य संभव हो सके।
यह तकनीक कैसे काम करती है:
टेलीमेडिसिन संचार, प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग और चिकित्सा विज्ञान का संगम है। इस प्रणाली में रोगी और विशेषज्ञ डॉक्टर, दोनों के लिए अनुकूलित हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है, साथ ही रोगी के लिए ई सी जी (ECG), एक्स-रे (X-ray) और पैथोलॉजी माइक्रोस्कोप/कैमरा (Pathology Microscope) जैसे कुछ नैदानिक उपकरण भी प्रदान किए जाते हैं, जो एक बहुत छोटे एपर्चर टर्मिनल (Very Small Aperture Terminal (VSAT)) प्रणाली के माध्यम से जुड़े होते हैं और इसरो के नेटवर्क हब स्टेशन द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं।
संचार प्रणालियों के साथ, सरल कंप्यूटर से युक्त एक टेलीमेडिसिन प्रणाली के माध्यम से, मरीज़ों से संबंधित चिकित्सा छवियां और अन्य जानकारी, विशेषज्ञ डॉक्टरों को डिजिटल डेटा पैकेट के रूप में, उपग्रह लिंक के माध्यम से अग्रिम या वास्तविक समय के आधार पर भेजी जा सकती है। ये पैकेट, विशेषज्ञ केंद्र में प्राप्त किए जाते हैं। छवियों और अन्य सूचनाओं का पुनर्निर्माण किया जाता है ताकि, विशेषज्ञ डॉक्टर, डेटा का अध्ययन कर सकें, निदान कर सकें, रोगी के साथ बातचीत कर सकें। टेलीमेडिसिन सुविधा इस प्रकार विशेषज्ञ डॉक्टर और हजारों किलोमीटर दूर स्थित रोगी को एक-दूसरे से बात करने में सक्षम बनाती है। विशेष रूप से शल्य चिकित्सा के बाद, फ़ॉलोअप के मामले में, यह दूरस्थ टेली परामर्श और उपचार बहुत अधिक मूल्यवान है क्योंकि रोगी को अनावश्यक रूप से यात्रा करने की आवश्यकता नहीं होती है और इससे पैसे और समय की बचत होती है। इस तरह, स्वास्थ्य देखभाल के अभ्यास में सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों का व्यवस्थित अनुप्रयोग स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की पहुंच सुनिश्चित करता है।
टेलीमेडिसिन के लाभ:
आराम और सुविधा: टेलीमेडिसिन के साथ, बीमार होने पर आपको डॉक्टर के कार्यालय या क्लिनिक तक जाने की ज़रूरत नहीं है। आप अपने समय के आधार पर, काम से छुट्टी लिए बिना, डॉक्टर से अपने घर पर परामर्श कर सकते हैं।
संक्रामक बीमारियों का नियंत्रण: कोविड -19, फ़्लू और अन्य संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने के लिए, संभावित संक्रामक रोग के रोगियों की पूर्व-स्क्रीनिंग करने के लिए डॉक्टर टेलीस्वास्थ्य अपॉइंटमेंट का उपयोग कर सकते हैं। इससे संक्रमित लोग, अपने घर से ही स्वास्थ्य परामर्श ले लेते हैं, जिससे अन्य लोगों के कीटाणुओं के संपर्क में आने से बचने में मदद मिलती है।
बेहतर मूल्यांकन: टेलीमेडिसिन, कुछ विशेष चिकित्सकों के लिए लाभदायक है, क्योंकि, इसकी सहायता से डॉक्टर, आपके घरेलू वातावरण में देख सकते हैं। उदाहरण के लिए, एलर्जी विशेषज्ञ आपके परिवेश में उन चीज़ों की पहचान करने में सक्षम हो सकते हैं जो एलर्जी का कारण बनते हैं।
प्राथमिक देखभाल और दीर्घकालिक स्थिति प्रबंधन: नियमित स्वास्थ्य देखभाल के लिए पारिवारिक , आंतरिक चिकित्सा और बाल रोग विशेषज्ञ जैसे प्राथमिक देखभाल चिकित्सकों से नियमित परामर्श आवश्यक है। टेलीमेडिसिन से नियमित रूप से किसी डॉक्टर से जुड़ना आसान हो जाता है।
नासा प्रौद्योगिकियां, जो वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल में सुधार कर सकती हैं:
1. चिकित्सीय निदान के लिए, नैनोसेंसर उपकरण (Nanosensor Array for Medical Diagnoses): नासा के नैनोसेंसर उपकरण से सिर्फ़ सांस का उपयोग करके बीमारियों का निदान किया जा सकता है, क्योंकि कई बीमारियाँ विशिष्ट गंधों के साथ होती हैं। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति द्वारा छोड़ी गई सांस में एसीटोन टाइप I (Acetone Type 1) का मौजूद होना, मधुमेह का संकेत हो सकता है।
2.) मेटाबोलिक विश्लेषण के लिए पोर्टेबल यूनिट (Portable Unit for Metabolic Analysis (PUMA)): बैटरी चालित यह मास्क, ऑक्सीज़न स्तर, तापमान, हृदय गति और गैस के दबाव सहित महत्वपूर्ण जानकारी पर नज़र रखता है। यह उपकरण, वास्तविक समय विश्लेषण के लिए कंप्यूटर पर वायरलेस तरीके से डेटा रिले करता है। इस प्रौद्योगिकी का उपयोग फेफड़ों से संबंधित रोगियों की निगरानी या सैनिकों और एथलीटों के फिटनेस स्तर का मूल्यांकन करने के लिए भी किया जा सकता है।
3.) नैनोट्यूब प्रौद्योगिकी के साथ अणु फ़िल्टर (Filtering Molecules with Nanotube Technology) : अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पुन: उपयोग के लिए अपशिष्ट जल को शुद्ध करने हेतु, नासा के इंजीनियरों ने एक उच्च शक्ति वाला निस्पंदन उपकरण बनाया है, जो पानी से दूषित पदार्थों को साफ़ करता है। फ़िल्टर किया गया पानी, न केवल पीने के लिए सुरक्षित होता है, बल्कि यह चिकित्सा प्रक्रियाओं में उपयोग करने के लिए भी पर्याप्त स्वच्छ होता है। इस कारण से यह उपकर,ण विश्व के सीमित स्वच्छ जल आपूर्ति वाले क्षेत्रों के लिए अत्यंत उपयुक्त है।
4.) पूर्ण स्पेक्ट्रम इन्फ्रासोनिक स्टेथोस्कोप : (Full Spectrum Infrasonic Stethoscope (LAR-TOPS-278)): "स्विस आर्मी चाकू" के आकार वाला यह उन्नत उपकरण, घातक हृदय और फेफड़ों की समस्याओं का पता लगा सकता है जिनके बारे में आमतौर पर सीटी स्कैन या इकोकार्डियोग्राम जैसे अधिक महंगे और समय लेने वाले तरीकों का उपयोग करके ही जानकारी प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा, इसका उपयोग, भ्रूण हृदय की जांच के लिए भी किया जा सकता है।
भविष्य में भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में क्रांति लाने हेतु अंतरिक्ष अनुसंधान की संभावनाएँ:
स्वास्थ्य देखभाल के साथ, अंतरिक्ष-तकनीक के समामेलन से व्यापक पहुंच, निपुणता और सटीकता के साथ, अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करने की उम्मीद है जिसके परिणामस्वरूप भारतीय और वैश्विक चिकित्सा पारिस्थितिकी तंत्र में भारी बदलाव आ सकता है।
संदर्भ
मुख्य चित्र: रिसोर्ससैट-2A (Resourcesat-2A) नामक एक सैटेलाइट : (Wikimedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.