सर्दियों में, अपने दिल का अधिक खयाल रखना है आवश्यक !

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
14-02-2025 09:22 AM
Post Viewership from Post Date to 19- Feb-2025 (5th) Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
3064 56 3120
* Please see metrics definition on bottom of this page.
सर्दियों में, अपने दिल का अधिक खयाल रखना है आवश्यक !

मेरठ में कैलाश सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, मैक्स मेडसेंटर और आनंद अस्पताल जैसे कई प्रसिद्ध हृदय उपचार संस्थान हैं। हमारे शहर में अचानक दिल के दौरे से मौतें होना, आम बात है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, सर्दियों में यह समस्या और बढ़ जाती है। इसलिए आज विश्व जन्मजात हृदय दोष जागरूकता दिवस (World Congenital Heart Defect Awareness Day) पर, हम भारत में मौजूद अलग-अलग प्रकार के हृदय रोगों पर बात करेंगे| इनमें कोरोनरी हार्ट या धमनी डिज़ीज़ ( Coronary Artery Disease (CAD)),   हृदय अतालता (Arrhythmia) और कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) जैसे गंभीर रोग भी शामिल हैं। साथ ही, हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि हार्ट अटैक और हार्ट फ़ेलियर में क्या अंतर है और इनके कारण क्या हैं।  इसके बाद, हम हार्ट अटैक के सामान्य लक्षणों पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही, कुछ ऐसी जीवनशैली की आदतों को जानेंगे, जो सर्दियों में हार्ट अटैक (heart attack) के जोखिम को कम कर सकतीहैं।

3डी मेडिकल एनीमेशन में हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट और हार्ट फ़ेलियर को दर्शाया गया है | Source: Wikimedia

अंत में, यह भी जानेंगे कि अचानक होने वाले हार्ट अटैक की आपातकालीन की स्थिति में प्राथमिक उपचार कैसे दिया जाए।

चलिए शुरुआत भारत में प्रचलित हृदय रोगों के विभिन्न प्रकारों को समझने के साथ करते हैं

कोरोनरी धमनी रोग | Source: Wikimedia

1. कोरोनरी धमनी रोग (सी ए डी): यह हृदय की सबसे आम और गंभीर समस्या है। इसमें कोरोनरी धमनियों में रुकावटें होती हैं, जो हृदय को रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति करती हैं। इससे हृदय की मांसपेशियों तक रक्त प्रवाह कम हो जाता है। यह समस्या आमतौर पर एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण होती है, जिसे धमनियों का सख्त होना भी कहा जाता है। इस स्थिति में धमनियों में प्लाक नामक पदार्थ जम जाता है, जो वर्षों तक बना रह सकता है!

अतालता | Source: Wikimedia

2. हृदय अतालता (दिल की अनियमित धड़कन): जब दिल बहुत तेज़, बहुत धीमा, या अनियमित रूप से धड़कता है, तो इसे अतालता कहा जाता है। कुछ अतालताएँ सामान्य होती हैं, लेकिन गंभीर अतालताएँ, कार्डियक अरेस्ट (cardiac arrest) और स्ट्रोक (stroke) जैसे जोखिम बढ़ा सकती हैं। इसके लक्षणों में चक्कर आना और बेहोशी शामिल हो सकते हैं। यह स्थिति अन्य हृदय रोगों से विकसित हो सकती है या अपने आप भी हो सकती है। धूम्रपान, शराब, मोटापा, उच्च रक्त शर्करा, और स्लीप एपनिया जैसे कारण इस बीमारी का जोखिम बढ़ाते हैं।

3. हृदय वाल्व रोग: हृदय में चार वाल्व होते हैं, जो रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करते हैं। किसी असामान्यता के कारण ये वाल्व सही से खुल और बंद नहीं हो पाते। इससे रक्त प्रवाह अवरुद्ध हो सकता है या रक्त लीक हो सकता है। इसके कारणों में आमवाती बुखार, जन्मजात हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, कोरोनरी धमनी रोग, और दिल के दौरे से होने वाला नुकसान शामिल हैं।
 

कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) की प्रगति | Source: Wikimedia

4. कार्डियोमायोपैथी (हृदय की मांसपेशियों का रोग): इस बीमारी में हृदय की मांसपेशियां खिंच जाती हैं, मोटी हो जाती हैं, या सख्त हो जाती हैं। इससे हृदय कमजोर हो जाता है और सही से पंप नहीं कर पाता। इसके कारण आनुवंशिक हृदय रोग, दवाओं या विषाक्त पदार्थों की प्रतिक्रिया, वायरल संक्रमण, और कैंसर की कीमोथेरेपी हो सकते हैं। कई बार इसका सही कारण पता नहीं चल पाता।

हृदयवाहिनी प्रणाली | Source: Wikimedia

5. हार्ट अटैक (मायोकार्डियल इंफार्क्शन (myocardial infarction) ): हार्ट अटैक तब होता है जब हृदय के किसी हिस्से में रक्त प्रवाह अचानक कम हो जाता है। यह आमतौर पर रक्त प्रवाह को रोकने वाली रुकावट के कारण होता है! इन कारणों में कोरोनरी धमनी में प्लाक का जमाव भी शामिल है। कभी-कभी यह रक्त की आपूर्ति और मांग में असंतुलन के कारण भी हो सकता है। यदि हृदय के उस हिस्से में पर्याप्त रक्त नहीं पहुंचता, तो वहां की मांसपेशियां ख़त्म होने लगती हैं। हार्ट अटैक का सबसे सामान्य कारण कोरोनरी धमनी रोग  होता है। इसमें कोरोनरी धमनियां, जो हृदय तक ऑक्सीजन युक्त रक्त पहुंचाती हैं, प्लाक के जमने के कारण संकरी या अवरुद्ध हो जाती हैं। इससे रक्त का प्रवाह मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, कोरोनरी धमनी में अचानक ऐंठन भी हार्ट अटैक का कारण बन सकती है।

6. हार्ट फ़ेलियर (कंजेस्टिव हार्ट फ़ेलियर (congestive heart failure) ): हार्ट फ़ेलियर इस बात का संकेत है कि हृदय शरीर के विभिन्न हिस्सों में पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पा रहा है। यह समस्या तब होती है जब हृदय में सही मात्रा में रक्त नहीं भरता या वह ठीक से पंप नहीं कर पाता। हालांकि इसके नाम से यह लगता है कि हृदय रुक गया है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं होता।  हार्ट फ़ेलियर अक्सर ऐसी बीमारियों के कारण होता है जो हृदय को अत्यधिक काम करने के लिए मजबूर करती हैं। यह हृदय को चोट या संक्रमण के कारण भी हो सकता है।

सिस्टोलिक हार्ट फ़ेलियर: इसे कम इजेक्शन अंश भी कहा जाता है। यह तब होता है जब हृदय प्रभावी रूप से सिकुड़ नहीं पाता।

आइए, अब जानते हैं कि सर्दियों में हार्ट अटैक का खतरा क्यों बढ़ जाता है?

जब ठंड लगती है, तो त्वचा और हाथ-पैरों की रक्त वाहिकाएँ सिकुड़ जाती हैं। इस कारण बहुत कम गर्मी हमरे शरीर से बाहर निकल पाती है। इस प्रक्रिया को 'वासोकॉन्स्ट्रिक्शन' कहा जाता है। लेकिन, वाहिकाओं के संकुचन के कारण बाकी रक्त प्रवाह में दबाव बढ़ जाता है। इसका मतलब है कि हृदय को रक्त पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इससे हृदय गति और रक्तचाप दोनों बढ़ जाते हैं। यह शरीर की ठंड से बचाव की सामान्य प्रतिक्रिया है, लेकिन जिन लोगों को पहले से हृदय संबंधी बीमारी है, उनके लिए यह अतिरिक्त तनाव हानिकारक हो सकता है।

 मायोकार्डियल इन्फार्क्शन (Heart Attack) से बचाव के लिए धमनी को चौड़ा करने हेतु स्टेंट डालना | Source: Wikimedia

आइए, अब हार्ट अटैक के लक्षणों को पहचानते हैं:

छाती में दर्द या दबाव: यह दर्द छाती के बीच या बाईं ओर महसूस हो सकता है। यह कुछ मिनटों तक रहता है या बार-बार लौट सकता है।

शरीर के अन्य हिस्सों में दर्द: गर्दन, पीठ, कंधों, या एक/दोनों हाथों में दर्द या बेचैनी हो सकती है।

मतली और पसीना: चक्कर आना, ठंडा पसीना आना, मतली या उल्टी महसूस होना।

सांस लेने में  तक्लीफ़: यह लक्षण अक्सर सीने में दर्द के साथ शुरू होता है, लेकिन कभी-कभी सीने में दर्द से पहले भी हो सकता है।

अचानक थकान: बिना किसी स्पष्ट कारण के असामान्य थकान महसूस होना।

Source: : Pexels

सर्दियों में हार्ट अटैक के अधिक जोखिम को कैसे रोकें?

स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं: दिल के लिए लाभकारी साबित होने वाले आहार का सेवन करें। नियमित एरोबिक व्यायाम करें और तनाव को कम करें।

जोखिम कारकों का प्रबंधन करें: उच्च रक्तचाप, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल की समस्या और तंबाकू के उपयोग को नियंत्रित करें।

ठंड से बचाव करें: परतों में कपड़े पहनें और ठंड से बचने के लिए सही कपड़े पहनें।

भारी काम से बचें: यदि पहले से हृदय रोग है, तो भारी गतिविधियों से बचें।

लक्षणों पर ध्यान दें: यदि सांस लेने में कठिनाई या सीने में दर्द महसूस हो, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें।

हार्ट अटैक के मरीज को आपातकालीन प्राथमिक चिकित्सा कैसे दें?

शांत करवाएं: व्यक्ति को बैठने, आराम करने और शांत रहने के लिए कहें।

कपड़े ढीले करें: किसी भी तंग कपड़े को तुरंत ढीला करें।

दवा लेने में मदद करें: अगर व्यक्ति नाइट्रोग्लिसरीन जैसी कोई दवा लेता है, तो उसे दवा लेने में सहायता करें।

आपातकालीन सहायता बुलाएं: यदि दर्द, आराम या दवा लेने के 3 मिनट बाद भी बना रहता है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता के लिए कॉल करें।

सी पी आर शुरू करें: यदि व्यक्ति बेहोश है, प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है, और उसकी नाड़ी नहीं चल रही है, तो  102 या स्थानीय आपातकालीन नंबर पर कॉल करें और सी पी आर शुरू करें।

बच्चों के लिए सी पी आर: यदि बच्चा बेहोश है और नाड़ी नहीं चल रही है, तो पहले 1 मिनट तक सी पी आर करें और फिर 102 पर कॉल करें।

ए ई डी का उपयोग करें: अगर स्वचालित बाहरी  डिफ़िब्रिलेटर (Automated external defibrillator (ए ई डी)) उपलब्ध है, तो डिवाइस पर दिए गए निर्देशों का पालन करें।

कुल मिलाकर सर्दियों में हृदय का ध्यान रखना बहुत   ज़रूरी है। समय पर कदम उठाकर आप जोखिम को कम कर सकते हैं।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/2xsmyvqg

https://tinyurl.com/247yuy6b

https://tinyurl.com/2ca4g23d

https://tinyurl.com/2cqgnuju

https://tinyurl.com/y3qnsjrw

मुख्य चित्र स्रोत: pexels
 

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.