हीलियोट्रोपिज़्म और निक्टिनैस्टी जैसे व्यवहार, पौधों की समझदारी को दर्शाते हैं !

व्यवहारिक
23-01-2025 09:24 AM
हीलियोट्रोपिज़्म और निक्टिनैस्टी जैसे व्यवहार, पौधों की समझदारी को दर्शाते हैं !

मेरठ शहर को अपनी विविध जलवायु और समृद्ध कृषि प्रणाली के लिए भी जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, यहां के पौधे, हमारे पर्यावरण में हो रहे छोटे-छोटे बदलावों पर भी अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। भले ही पौधे हिल-डुल नहीं सकते, लेकिन वे प्रकाश, नमी और तापमान जैसे कारकों के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं। उदाहरण के लिए, आपने देखा होगा कि, पौधे प्रकाश की ओर झुकते हैं। इस व्यवहार को प्रकाशानुवर्तन (Phototropism) कहा जाता है। ऐसा इसलिए होता है, ताकि वे प्रकाश संश्लेषण के लिए पर्याप्त धूप प्राप्त कर सकें। जब पानी की कमी होती है, तो कई पौधे अपने छिद्र बंद कर लेते हैं या पत्तियां गिराकर नमी बचाते हैं।
आज के इस मज़ेदार लेख में हम सूर्य-ट्रैकिंग यानी सूरज का अनुसरण करने वाले पौधों के बारे में जानेंगे। इसके बाद, हम निक्टिनैस्टिक मूवमेंट (Nyctinastic movement) को समझेंगे। अंत में, हम छाया से बचने वाले पौधों का अध्ययन करेंगे। साथ ही हम यह भी जानेंगे कि भीड़भाड़ और छायादार जगहों से बचने के लिए वे अपने विकास को कैसे समायोजित करते हैं।

कुछ पौधे सूर्य की स्थिति का अनुसरण करने की विशेष क्षमता रखते हैं। इस व्यवहार को सौर ट्रैकिंग या हीलियोट्रोपिज़्म (heliotropism) कहा जाता है। सूरजमुखी जैसे पौधे, अपनी पत्तियों को पूरे दिन सूर्य की किरणों के लंबवत रखते हैं। यह प्रक्रिया उनके लिए प्रकाश संश्लेषण को अधिकतम करने में मददगार होती है। 
यहाँ तक कि कुछ अन्य पौधों के फूल भी सौर ट्रैकिंग का प्रदर्शन करते हैं। हालाँकि, यह ज़रूरी नहीं कि जिन पौधों की पत्तियाँ सौर ट्रैकिंग दिखाती हैं, उनके फूल भी ऐसा करें। सौर ट्रैकिंग का संचालन एक सर्कैडियन घड़ी (Circadian clock) द्वारा हो सकता है। यहाँ तक कि प्रकाश चक्र बाधित होने पर भी यह घड़ी काम करती रहती है। अक्सर, यह प्रक्रिया सूर्योदय से पहले शुरू होती है। पौधे अपने पत्तों को भोर में पूर्व दिशा की ओर घुमा लेते हैं। इससे पता चलता है कि इन गतिविधियों को सर्कैडियन घड़ी नियंत्रित करती है। 
अक्सर, लोगों को लगता है कि सूरजमुखी (हेलिएंथस एनुअस,(Helianthus annuus)) के फूल पूरे दिन सूर्य का अनुसरण करते रहते हैं। लेकिन हकीकत अलग है। खेतों में खिले सूरजमुखी के फूलों के सिर आमतौर पर एक ही दिशा में होते हैं। खासकर दोपहर के समय, वे ज़्यादातर पूर्व की ओर रहते हैं। सूरजमुखी के फूल, जब पूरी तरह खिल जाते हैं, तो उनका सिर स्थिर हो जाता है और पूर्व दिशा में रहता है। लेकिन जैसे-जैसे सूरज पश्चिम में डूबता है, तब भी यह स्थिति नहीं बदलती।

अपरिपक्व सूरजमुखी की कलियाँ सौर ट्रैकिंग का प्रदर्शन करती हैं। दिन में, ये कलियाँ पूर्व से पश्चिम की ओर सूरज का पीछा करती हैं। लेकिन भोर होते ही, वे पूर्व दिशा में लौट आती हैं। परिपक्व होने पर, सूरजमुखी का तना सख्त हो जाता है और फूल पूर्व दिशा की ओर स्थिर हो जाता है। जंगली सूरजमुखी के फूल सूरज का पीछा नहीं करते। लेकिन उनकी पत्तियाँ अभी भी सौर ट्रैकिंग का प्रदर्शन कर सकती हैं।
सूरजमुखी से विपरीत, स्नो बटरकप (Snow buttercup) (रानुनकुलस एडोनियस, Ranunculus adoneus) जैसे कुछ पौधों के फूल भी सूरज का अनुसरण करते हैं। यह अल्पाइन पौधा अपने फूलों को पूर्व से पश्चिम की ओर सूरज का पीछा करते हुए घुमाता है। सूरज की ओर मुँह करके, स्नो बटरकप गर्मी इकट्ठा करता है। यह गर्मी परागण को आसान बनाती है। ठंडी हवा में कीट बेहतर उड़ पाते हैं और पराग को दूसरे फूलों तक ले जाते हैं। इस प्रकार यह प्रक्रिया पराग के अंकुरण में भी सहायक होती है।

आइए, अब जानते हैं कि निक्टिनैस्टिक मूवमेंट क्या है?
निक्टिनैस्टिक मूवमेंट को "स्लीपिंग मूवमेंट"(sleeping movement) भी कहा जाता है। यह पौधों का एक व्यवहार है, जो प्रकाश या सूरज की रोशनी न होने पर दिखाई देता है। यह नैस्टिक मूवमेंट का हिस्सा है, जो बाहरी उत्तेजनाओं के प्रति पौधों की प्रतिक्रिया को दर्शाता है। जब रोशनी गायब हो जाती है, तो पौधे भी "नींद आने" जैसा व्यवहार करते हैं। इसका मतलब है कि सूरज ढलने पर कुछ पौधे झुक जाते हैं। उनकी पंखुड़ियाँ बंद हो जाती हैं और पत्तियाँ मुड़ सकती हैं।
पौधे ऐसा क्यों करते हैं?
पौधों में इस व्यवहार के कारण पूरी तरह से समझ में नहीं आए हैं। हालांकि, इसके पीछे कुछ प्रमुख सिद्धांत बताए जाते हैं:
तापमान से बचाव: रात में तापमान कम हो जाता है। पौधे अपने हिस्सों को बंद करके ठंड से बच सकते हैं।
कीटों से सुरक्षा: मुड़ी हुई या बंद संरचनाएँ रात में सक्रिय कीटों और जानवरों से बचाव कर सकती हैं।
फ़ोटोपीरियोडिज़्म (Photoperiodism) का संरक्षण: यह चांदनी को पौधे के आंतरिक चक्र, जैसे फूलने की प्रक्रिया, को बाधित करने से रोकता है।
यह कैसे काम करता है?
पौधों के पास मांसपेशियाँ नहीं होतीं। वे अपनी हरकतों के लिए पुल्विने नामक संरचनाओं का उपयोग करते हैं। ये पत्तियों या अन्य भागों के आधार पर मौजूद छोटे सेल समूह होते हैं। ये कोशिकाएँ फूलती या सिकुड़ती हैं। जब ये आकार बदलती हैं, तो पौधे के हिस्से हिलने लगते हैं, जिससे निक्टिनैस्टिक मूवमेंट संभव होता है।
पौधे जब किसी अन्य पौधे की छाया में होते हैं, तो वे कुछ खास प्रतिक्रियाएँ प्रदर्शित करते हैं। इनमें मुख्यतः लंबाई बढ़ाना, फूल आने का समय बदलना, ऊपरी हिस्से को प्राथमिकता देना और संसाधनों के उपयोग के तरीके को बदलना शामिल है। इन सभी प्रतिक्रियाओं को सामूहिक रूप से छाया-निवारण सिंड्रोम (Shade-avoidance syndrome) (SAS) कहा जाता है।

पौधों की छाया से बचने की क्षमता अलग-अलग होती है। अधिकांश पौधे पूरी तरह से छाया सहने वाले या छाया से बचने वाले नहीं होते। इसके बजाय, वे इन दोनों रणनीतियों के मेल को अपनाते हैं। यह मेल उन्हें पर्यावरण के अनुसार ढलने में मदद करता है। हालांकि, छाया को पहचानने और प्रतिक्रिया देने की क्षमता सभी पौधों के लिए ज़रूरी होती है। पौधे अपनी जगह से हिल नहीं सकते। इसलिए, उनके पोषण और विकास के लिए प्रकाश संश्लेषण आवश्यक है। फूल आने का समय भी उपलब्ध प्रकाश की मात्रा से प्रभावित होता है।
क्या आप जानते हैं कि बीते कुछ दशकों में अनाज की पैदावार में वृद्धि हुई है। इसका मुख्य कारण रोपण घनत्व में बढ़ोतरी को बताया जाता है। जैसे-जैसे पौधों का घनत्व बढ़ता है, दूर लाल प्रकाश का अनुपात भी बढ़ता है। ऐसा माना जाता है कि पौधों की ऐसी प्रजातियों का चयन किया गया है जिनमें एस ए एस (SAS) कम होता है। इस चयन ने घनी रोपाई में भी अधिक पैदावार संभव बनाई है।
पौधे निर्जीव वस्तुओं, जैसे चट्टान, और किसी अन्य पौधे की छाया के बीच अंतर कर सकते हैं। वे यह भी पहचान सकते हैं कि आसपास के पौधे, भविष्य में उनके लिए प्रतिस्पर्धा पैदा कर सकते हैं। जब पौधे छाया में होते हैं, तो वहां दूर लाल प्रकाश का अनुपात लाल प्रकाश की तुलना में अधिक होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लाल प्रकाश को प्रकाश संश्लेषण में प्रयोग होने वाले वर्णक अवशोषित कर लेते हैं।
पौधे इस अनुपात को पहचानते हैं और इसे दूर लाल संवर्धन कहा जाता है। इस प्रक्रिया में फ़ाइटोक्रोम (Phytochrome) नामक उपकरण का उपयोग होता है। यह पौधे को यह समझने में मदद करता है कि वह छाया में है या नहीं। इस जानकारी के आधार पर, पौधा अपनी वृद्धि की रणनीति बदल लेता है। इस प्रक्रिया को फ़ोटोमॉर्फ़ोजेनेसिस (Photomorphogenesis) कहते हैं। छाया को पहचानना और उससे बचने की प्रक्रिया पौधों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/24yjvegn
https://tinyurl.com/2cblj7jr
https://tinyurl.com/29zjbjfh

चित्र संदर्भ

1. गमले में उगते, और प्रकाशानुवर्तन (Phototropism) दर्शाते, एक पौधे को संदर्भित करता चित्रण (wikimedia)
2. फ़ोटोट्रोपिज़म को दर्शाते आरेख को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. धूप मेें, सूरजमुखी के एक खिले फूल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. निक्टिनैस्टिक मूवमेंट (Nyctinastic movement) को दर्शाते एक पौधे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. पौधे की छाया को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
 

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