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बीते कुछ वर्षों में भारत ने शहरीकरण के नए मुकाम हासिल किये हैं। देश में कई योजनओं ने विकास को छोटे शहरों तक ले जाने में अहम भूमिका निभाई है। इस बढ़ते शहरीकरण और विकास को एक नई दिशा देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 जून 2016 को 'स्मार्ट सिटीज़ मिशन' (Smart Cities Mission) की शुरुआत की थी। 'स्मार्ट सिटीज़ मिशन' के तहत देश में ऐसे 100 शहरों का चुनाव किया गया जिन्हें नागरिकों को बेहतर सुविधायें देने के लक्ष्य से विकसित किया जाएगा, इस योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, अलीगढ़, सहारनपुर, बरेली, झाँसी, कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ, वाराणसी, आगरा, रामपुर आदि शहर आते है।
स्मार्ट सिटीज़ मिशन का मुख्य उद्देश्य उन तकनीकों का उपयोग करके शहरों को स्मार्ट बनाना है, जो निवासियों को सर्वोत्तम सेवाएं प्रदान करने में मदद करेगा। परंतु स्मार्ट सिटीज़ केवल तकनीक के बारे में नहीं हैं। यदि किसी भी शहर को स्मार्ट शहर बनाना है तो प्रौद्योगिकी पर अधिक ध्यान ना केंद्रित करते हुये नागरिकों के शारीरिक, सामाजिक, संस्थागत और आर्थिक मदद पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा। साथ ही साथ स्मार्ट सिटी बनाने के लिये प्रौद्योगिकी के साथ नवाचार को बढ़वा देना भी आवश्यक हैं (नवाचार का मतलब "नई तकनीक का उपयोग करने" से अधिक है) इसका मतलब शहरों में आवास परियोजनाएं, कुशल परिवहन, पर्याप्त पानी और बिजली आपूर्ति के साधन आदि और सतत विकास योजनाओं के लिए किये जाने वाले प्रयासों से है।
किसी भी स्मार्ट-सिटी के लिये योजनायें ऐसी किसी भी संरचना को ध्यान में रखकर नहीं बनाई जानी चाहिये जो पूरी तरह से प्रौद्योगिकी पर केंद्रित हो। सैन फ्रांसिस्को(San Francisco) शहर के पूर्व मुख्य डेटा अधिकारी जॉय बोनागुरो(Joy Bonaguro) कहते हैं कि नगरपालिका के कर्मचारियों की सटीक जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकी पर निर्भर रहने से समस्याएं हो सकती है, क्योंकि हर व्यक्ति तकनीक का उपयोग करने के लिए सहज नहीं होता। वही शिकागो (Chicago) की पूर्व मुख्य डेटा अधिकारी टॉम शेंक(Tom schenk) का कहना है कि शहर में तकनीकी खराबी और असमानताएं आम हैं।आज की कई बड़ी चुनौतियों को प्रोद्योगिकी द्वारा हल नहीं किया जा सकता। आज स्मार्ट सिटीज़ को बनाने के लिये सिर्फ नई तकनीक काफी नहीं है, उन समस्याओं को समझने की आवश्यकता जिनका सामना आम नागरिक हर दिन करता हैं। इसके लिए हमें रचनात्मक रूप से सोचना चाहिए कि उन समस्याओं को कैसे हल किया जाए। कभी-कभी प्रौद्योगिकी इनमें सहायता कर सकती है, लेकिन प्रौद्योगिकी अपने आप में कोई समाधान नहीं दे सकती है।
यदि हम सिर्फ प्रौद्योगिकी के सहारे ही अपने शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की कोशिश करेंगे तो हम ऐसे शहरों का निर्माण करेंगे जो सतही रूप से स्मार्ट हैं लेकिन सतह के नीचे अन्याय और असमानता से ग्रस्त हैं। निम्न कुछ ऐसे सुझाव है जो आपके शहर को स्मार्ट बनाने में काफी कारगर सिद्ध हो सकते हैं:
1. फर्क और प्राथमिकताओं को पहचानेंइनोवेशन कंसल्टेंसी(Innovation consultancy) एन्तेवरती (Anteverti) तथा स्मार्ट सिटी एक्सपो पिलर कोनेसा (Pillar Conesa) का कहना है की शहरो में सबसे पहले फर्क ओर प्राथमिकता को जानना जरूरी हैं। बार्सिलोना में 2011 के निर्माण के समय शहरी आवास विभाग द्वारा भी यही किया गया। उन्होंने वास्तुकला, पानी और शहरी नियोजन सहित सुधार के लिए 12 महत्वपूर्ण क्षेत्रों की शिनाख्त की और फिर इनमें सुधार लाने के लिए पानी परियोजना और शून्य उत्सर्जन गतिशीलता परियोजना जैसे 24 कार्यक्रमों को तैयार किया। शहर की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किसी एक क्षेत्र में सुधार पर ध्यान केंद्रित नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में संतुलन को विकसित करना चाहिए।
2. भविष्य के लिए सोचेंसंतुलन को प्राप्त करने के लिए आगे की योजना को तैयार करना होगा। उदाहरणतः जैसे कि बार्सिलोना स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर(Smart Infrastructure), हाइब्रिड बस नेटवर्क(Hybrid bus network) की शुरुआत करके ग्लोबल वार्मिंग के संभावित प्रभावों का पूर्वानुमान लगा रहा है।
3. प्रक्रिया में नागरिकों को शामिल करेंशहरी विकास प्रक्रिया के समय हमें पर्यावरण के साथ-साथ मनुष्यों के बारे में भी सोचना चाहिए। इसका अर्थ है कि उस शहर के निवासियों को परिवर्तनों से अवगत कराना, नई प्रक्रियाओं की व्याख्या करना और उनसे निवेश के लिए पूछना।
4. संदर्भ पर विचार करेंएक स्मार्ट शहर में केवल तकनीक के बारे में नहीं सोचना चाहिए, वहाँ की संस्कृति को लेकर भी चलना चाहिए। शहरों में परिवर्तन स्वयं के संदर्भों को समझ कर आता है, इसलिए प्रतिकृति की तुलना में प्रेरणा के बारे में अधिक चर्चा की जानी चाहिए।
5. स्थानीय साझेदारों के साथ काम करेंकई बहुराष्ट्रीय कंपनियां स्थानीय कंपनियों के साथ मिलकर स्मार्ट सिस्टम लागू कर रही हैं, क्योंकि नवीनीकरण मूल रूप से हो रहा है।
भारत में स्मार्ट सिटीज़ मिशन के तहत 100 शहरों को स्मार्ट बनाने के लिये एनडीए सरकार ने शहरी कायाकल्प पर लगभग 8.6 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं जो कि 10 साल के यूपीए शासन के दौरान खर्च की गई राशि का छह गुना (1.5 लाख करोड़ रुपये) है। यह पहली बार हुआ है कि 100 शहरों के लिए कुल 5,151 परियोजनाओं और कुल 205,000 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव रखा गया है। जो लगभग भारत के सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के करीब है। वर्तमान में 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाओं का टेंडर हो चुका है और 24 फरवरी को यह आंकड़ा 1.23 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया तथा 60 प्रतिशत से अधिक परियोजनाएं प्रस्तावित हो चुकी हैं।
लखनऊ की बात कि जाये तो यहां की नगर निगम ने स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत परम्परा और संस्कृति पर भी बड़े पैमाने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया है। नगरपालिका अधिकारी इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि लखनऊ की परम्परा और संस्कृति अद्वितीय है और पर्यटकों को आकर्षित करती है। इसे ध्यान में रखते हुए, छत्तर मंजिल को एक अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक और विरासत केंद्र में परिवर्तित किया जाएगा। साथ ही साथ सिब्तैनाबाद(Sibtainabad) इमामबाड़ा में पर्यटक सूचना केंद्र की स्थापना की जायेगी और रोशन-उद-दौला कोठी में एक पुरातात्विक अनुसंधान और विरासत केंद्र स्थापित किया जाएगा।
इसके अलावा बेगम हज़रत महल पार्क में एक मनोरंजन केंद्र और सामुदायिक गतिविधि के लिए एक स्थान लखनऊ प्वाइंट होगा। उन्होनें ये भी बताया कि स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के तहत एक एकीकृत हाई-टेक ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम (IHTMS) भी विकसित किया जा रहा है। इस प्रणाली के तहत, शहर में निगरानी रखी जाएंगी ताकि नियमों का उल्लंघन करने वाले को ई-चालान के माध्यम से जुर्माना लगाया जा सकें।
संदर्भ:
1. https://www.metropolismag.com/cities/ben-green-smart-enough-city/
2. https://www.devex.com/news/5-lessons-for-cities-on-the-cusp-of-a-smart-revolution-89452
3. https://bit.ly/2U13xhr
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Smart_Cities_Mission
5. https://bit.ly/2U4PabU
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