स्पैन्डेक्स जैसे सिंथेटिक फ़ैब्रिकों से बने वस्त्र बदल रहे हैं लखनऊ के कपड़ा बाज़ार को !

स्पर्शः रचना व कपड़े
26-04-2025 09:15 AM
स्पैन्डेक्स जैसे सिंथेटिक फ़ैब्रिकों से बने वस्त्र बदल रहे हैं लखनऊ के कपड़ा बाज़ार को !

लखनऊ का वस्त्र बाज़ार अपनी पारंपरिक चिकनकारी कढ़ाई के लिए जाना जाता है, लेकिन अब यहाँ के बाज़ार में पॉलिएस्टर (Polyester), नायलॉन (Nylon), रेयॉन (Rayon) और स्पैन्डेक्स जैसे सिंथेटिक कपड़ों की मांग बढ़ रही है। ये कपड़े खासतौर पर खेलकूद के कपड़ों, आरामदायक पोशाकों और आधुनिक फ़ैशन में इस्तेमाल किए जाते हैं।

अगर मानव-निर्मित कपड़ों की बात करें, तो ये मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं – सिंथेटिक और सेलूलोसिक। सेलूलोसिक रेशे लकड़ी के गूदे से बनाए जाते हैं, जबकि सिंथेटिक रेशे कच्चे तेल से तैयार होते हैं।

अब अगर स्पैन्डेक्स की बात करें, तो इसे इलास्टेन (Elastane) या लाइक्रा (Lycra) भी कहा जाता है। यह एक ऐसा सिंथेटिक रेशा है, जो अपनी खिंचने और फिर से पहले जैसे आकार में लौटने की क्षमता के लिए जाना जाता है। इसी वजह से इसे खेलकूद के कपड़ों, तैराकी की पोशाकों और टाइट- फ़िटिंग वस्त्रों में इस्तेमाल किया जाता है।

आज हम भारत में बनने वाले सिंथेटिक कपड़ों के प्रकार और उनके उपयोगों के बारे में विस्तार से जानेंगे। फिर, हम स्पैन्डेक्स के इतिहास, इसके अलग-अलग नाम, इसके उपयोग, और भारत में इसके बड़े आयातकों और निर्यातकों के बारे में जानेंगे। आखिर में, हम भारत के स्पैन्डेक्स बाज़ार की वर्तमान स्थिति पर भी चर्चा करेंगे।

भारत में बनने वाले अलग-अलग तरह के सिंथेटिक  फ़ैब्रिक

चित्र स्रोत : Wikimedia 

1. रेयॉन – यह कपास (कॉटन) या ऊन (वूल) के साथ मिलाकर बनाया जाता है। यह एक सस्ता और दोबारा इस्तेमाल होने वाला (रिन्यूएबल) पदार्थ है। रेयॉन बहुत नरम, पानी सोखने वाला और आरामदायक होता है। इसे आसानी से अलग-अलग रंगों में रंगा जा सकता है। कच्चे माल की उपलब्धता और उत्पादन तकनीकों में सुधार की वजह से इसका बाज़ार तेज़ी से बढ़ रहा है।

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2. नायलॉन – इसे पानी, कोयले और हवा से बनाया जाता है। यह मज़बूत, खिंचने वाला, हल्का और रेशमी चमक वाला होता है। इसे साफ़ करना भी बहुत आसान होता है। नायलॉन का इस्तेमाल, पैंटीहोज़ (स्त्रियों और बच्चियों की) लंबी जुराब या मोज़े से जुड़ा बहुत महीन कपड़े से बना अंतःवस्त्र, रस्सियां और बाहरी पहनावे बनाने में किया जाता है। मज़बूत नायलॉन रेशों का उपयोग आउटडोर कपड़ों में भी किया जाता है।

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3. पॉलिएस्टर – यह एस्टर के कई छोटे-छोटे हिस्सों से मिलकर बनता है। यह ऐसा कपड़ा है जिसे धोना आसान होता है और यह बिना सिकुड़े लंबे समय तक नया दिखता है। पॉलिएस्टर का उपयोग सिर्फ कपड़ों में ही नहीं बल्कि प्लास्टिक की बोतलें, बर्तन,  फ़िल्में , तार, स्वेटर, ट्रैकसूट और जूतों व दस्तानों की परतें बनाने में भी किया जाता है।

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4. ऐक्रिलिक – ऐक्रिलिक रेशे ऊन का एक सस्ता और टिकाऊ विकल्प बन चुके हैं। इसीलिए इसका इस्तेमाल हाथ से बुनाई (निटिंग) और जुराबों जैसी चीजों में ज़्यादा होने लगा है। ऐक्रिलिक ऊन जैसी दिखती है लेकिन यह ज़्यादा टिकाऊ, रंगों में चमकदार, हल्की, धोने में आसान, जल्दी ख़राब न होने वाली और धूप व पानी में टिकाऊ होती है। इसी वजह से इसका उपयोग कंबल और कालीन बनाने में भी किया जाता है।

चित्र स्रोत : Wikimedia 

भारत के स्पोर्ट्सवेयर उद्योग में अलग-अलग कपड़ों का इस्तेमाल

1. पॉलिएस्टर – स्पोर्ट्सवेयर और एथलीज़र (आरामदायक स्पोर्ट्स कपड़े) में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला कपड़ा पॉलिएस्टर है। इसकी खासियत यह है कि यह सस्ता, टिकाऊ और हल्का होता है। इसके अलावा, इसमें कुछ ऐसे गुण होते हैं जो इसे  सक्रिय वस्त्रों  (Activewear) के लिए बेहतरीन बनाते हैं। पॉलिएस्टर को अक्सर अन्य कपड़ों के साथ मिलाकर ज्यादा आरामदायक बनाया जाता है। उदाहरण के लिए, पॉलिएस्टर और स्पैन्डेक्स का मिश्रण एक ऐसा कपड़ा बनाता है जो खिंचाव वाला और जल्दी अपनी पुरानी शेप में आने वाला होता है। यही वजह है कि इस मिश्रण का इस्तेमाल लेगिंग्स, स्पोर्ट्स ब्रा और टाइट-फ़िटिंग  स्पोर्ट्सवेयर में किया जाता है।

2. नायलॉन – नायलॉन को आमतौर पर स्पोर्ट्स ब्रा, साइक्लिंग शॉर्ट्स और टाइट- फ़िटिंग कपड़ों में इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि यह शरीर को अच्छा सपोर्ट देता है। इसके अलावा, इसे अन्य कपड़ों की मज़बूती बढ़ाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। उदाहरण के लिए, कई स्पोर्ट्स ब्रा में बाहरी परत नायलॉन की होती है और अंदरूनी परत कॉटन या पॉलिएस्टर की। अगर इसे बुने हुए कपड़ों में इस्तेमाल किया जाए, तो यह स्विमवीयर (तैराकी के कपड़ों) के लिए बेहतरीन होता है क्योंकि यह बहुत लचीला (खिंचने वाला) और शरीर पर अच्छी तरह फिट बैठता है।

3. मेरिनो ऊन – मेरिनो ऊन एक खास तरह की ऊन होती है जो मेरिनो भेड़ों से मिलती है। यह भेड़ें पहले स्पेन में पाई जाती थीं, लेकिन अब दुनिया भर में मौजूद हैं। यह ऊन बेहद मुलायम होती है और नमी सोखने की ज़बरदस्त क्षमता रखती है, जिससे यह  सक्रिय वस्त्रों   के लिए एक बढ़िया विकल्प बन जाती है। मेरिनो ऊन का उपयोग खासतौर पर अंदर पहने जाने वाले बेस लेयर्स और उन कपड़ों में किया जाता है जो सीधे त्वचा के संपर्क में आते हैं क्योंकि यह बहुत आरामदायक होती है।

स्पैन्डेक्स से जुड़ी कुछ ज़रूरी जानकारियां

  • इतिहास: स्पैन्डेक्स, जिसे लाइक्रा भी कहा जाता है, पहली बार 1958 में जोसेफ शिवर्स नाम के वैज्ञानिक ने एक प्रयोगशाला में बनाया था। यह पुराने पारंपरिक रेशों की तुलना में अभी सिर्फ़ सात दशकों पुराना है, लेकिन इसके आने के बाद से इसकी लोकप्रियता कभी कम नहीं हुई।
  • स्पैन्डेक्स के अलग-अलग नाम: यूरोप में इसे ‘इलास्टेन’ (Elastane) के नाम से जाना जाता है, जबकि भारत में ‘स्पैन्डेक्स’ और ‘लाइक्रा’ दोनों नामों का इस्तेमाल कपड़ा उद्योग में किया जाता है।
  • मुख्य निर्यातक और आयातक देश: चीन स्पैन्डेक्स का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। इसके अलावा, भारत, अमेरिका और ब्राज़ील भी स्पैन्डेक्स का उत्पादन करते हैं। वहीं, अमेरिका और यूरोप इस कपड़े के सबसे बड़े आयातक (इम्पोर्टर) हैं।
  • उपयोग: लाइक्रा कपड़े का इस्तेमाल आमतौर पर स्पोर्ट्स और आरामदायक कपड़े   बनाने में किया जाता है। यह स्पोर्ट्स पैंट, योगा पैंट,   फ़िटिंग वाली जींस, अंडरवियर, ब्रा, मोज़े आदि बनाने के लिए सबसे ज़्यादा पसंद किया जाता है।
ग्रीष्मकालीन साइकिलिंग पोशाक के कपड़े में प्रयुक्त लोचदार सामग्री | चित्र स्रोत : Wikimedia 

भारत में स्पैन्डेक्स बाज़ार की स्थिति

भारत, दुनिया के कुल स्पैन्डेक्स बाज़ार का लगभग 15.6% हिस्सा रखता है और 2023 से 2033 के बीच इसमें तेज़ी से बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। भारत एक बड़ा कपड़ा निर्माण केंद्र बन चुका है क्योंकि यहाँ विदेशी निवेश, कच्चे माल की उपलब्धता और कम उत्पादन लागत जैसे कारक मौजूद हैं।

शहरों का तेज़ी से विकास और लोगों की जीवनशैली में सुधार के कारण स्थानीय बाज़ार में स्पैन्डेक्स की मांग बढ़ रही है। इसके अलावा, स्वास्थ्य क्षेत्र में भी नई तकनीकों के आने से स्पैन्डेक्स का उपयोग बढ़ा है।

नतीजतन, कपड़ा और स्वास्थ्य उद्योगों में स्पैन्डेक्स की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे भारत में इसका बाज़ार भी तेज़ी से फैल रहा है।
 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/nhdn2zpn 

https://tinyurl.com/37h4re3u 

https://tinyurl.com/4d358xjz 

https://tinyurl.com/uva9abp5 

मुख्य चित्र स्रोत: pixabay

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