बड़ा इमामबाड़ा और छत्तर मंज़िल की मदद से समझते हैं लखनऊ में ऐतिहासिक सुरंगों का महत्त्व

उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक
08-04-2025 09:28 AM
बड़ा इमामबाड़ा और छत्तर मंज़िल की मदद से समझते हैं लखनऊ में ऐतिहासिक सुरंगों का महत्त्व

लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतें न सिर्फ़ उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे भारत का वास्तुशिल्पीय गौरव मानी जाती हैं। इन्हीं में से एक है, लखनऊ का विश्व प्रसिद्ध बड़ा इमामबाड़ा! यह एक अनूठी और रहस्यमयी संरचना है, जिसकी भूलभुलैया और गुप्त सुरंगें, सदियों से इतिहास और किंवदंतियों का हिस्सा रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सुरंगें महज़ स्थापत्य कला का नमूना भर नहीं! वास्तव में इन्हें रक्षा, आपातकालीन निकास और रणनीतिक उद्देश्यों से बनाया गया था? इतिहास के पन्नों को पलटें, तो 2015 में छतर मंज़िल के जीर्णोद्धार के दौरान, यहाँ पर गोमती नदी से जुड़े भूमिगत जलमार्ग और कई गुप्त संरचनाएं खोजी गई! यह खोज साबित करती है कि लखनऊ का अतीत केवल शाही वैभव तक सीमित नहीं था, बल्कि उसके गर्भ में कई अनदेखे रहस्य भी छिपे थे। इसलिए आज के इस रोमांचक लेख में, हम इन रहस्यमयी सुरंगों और भूमिगत मार्गों की गहराइयों में उतरेंगे। इसके तहत हम जानेंगे कि बड़ा इमामबाड़ा की सुरंगों का निर्माण क्यों किया गया था! आगे हम जानेंगे कि इसकी वास्तुकला में ऐसी क्या विशेषताएँ हैं, जो इसे आज भी अद्भुत बनाती हैं। साथ ही, हम छतर मंज़िल के हाल ही में खोजे गए जलमार्गों की कहानी को समझेंगे! अंत में हम ला मार्टिनियर कॉलेज (La Martiniere College)  की एक सुरंग के का रहस्य भी उजागर करेंगे!

बड़ा इमामबाड़ा परिसर | चित्र स्रोत : प्रारंग चित्र संग्रह

क्या आपने कभी ऐसी इमारत के बारे में सुना है, जिसकी छत बिना किसी खंभे या बीम के टिकी हो? या फिर ऐसी भूलभुलैया, जिसमें कोई भी आसानी से रास्ता भटक सकता है? लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा सिर्फ़ एक इमारत नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक चमत्कार है, जिसे हर किसी को एक बार ज़रूर देखना चाहिए! 
आइए आपको इसकी कुछ दिलचस्प ख़ूबियों से रूबरू कराते हैं:

गुरुत्वाकर्षण को चुनौती देने रही वास्तुकला: बड़ा इमामबाड़ा की सबसे खास बात यह है कि इसकी विशाल छत बिना किसी  सहायता से टिकी है! यह दुनिया की सबसे बड़ी मेहराबदार संरचनाओं में से एक है। इसका केंद्रीय हॉल, जिसे असफ़ी मस्जिद भी कहते हैं, इसी अद्भुत वास्तुकला का जीता-जागता उदाहरण है।

चित्र स्रोत : प्रारंग चित्र संग्रह

भारत की सबसे बड़ी भूलभुलैया: इस इमामबाड़ा की दूसरी सबसे रोमांचक विशेषता इसकी मशहूऱ भूलभुलैया है। यह संकरी और अंधेरी गलियों का ऐसा रहस्यमयी जाल है, जिसमें कोई भी आसानी से रास्ता भटक सकता है। इसलिए इसे 'भूल भुलैया' कहा जाता है।

रहस्यमयी 489 दरवाज़े!: भूलभुलैया में कुल 489 दरवाज़े हैं, जो सभी देखने में एक जैसे लगते हैं। यही कारण है कि बिना गाइड के अंदर जाना थोड़ा जोखिम भरा हो सकता है! कई लोग इसमें रास्ता भूल जाते हैं, इसलिए हमेशा एक अनुभवी गाइड के साथ जाएं।

एक अनोखी सुरक्षा रणनीति: इस भूलभुलैया को इस तरह से डिज़ाइन किया गया था कि अगर कोई दुश्मन अंदर आ जाए, तो वह इसमें फंस जाए और राजा का खज़ाना सुरक्षित रहे। मज़ेदार बात यह है कि इन जटिल गलियारों की बनावट से इमारत के अंदर का तापमान हमेशा ठंडा बना रहता है, फिर चाहे बाहर कितनी भी गर्मी क्यों न हो!

मुहर्रम का ऐतिहासिक महत्व: बड़ा इमामबाड़ा सिर्फ़ एक ऐतिहासिक धरोहर नहीं, बल्कि शिया मुस्लिम समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी है। हर साल मुहर्रम के दौरान यहाँ भव्य जुलूस और समारोह आयोजित किए जाते हैं, जिन्हें देखने के लिए हज़ारों लोग जुटते हैं।

चित्र स्रोत : प्रारंग चित्र संग्रह

कहा जाता है कि बड़ा इमामबाड़ा  के परिसर में बनी  जटिल भूलभुलैया की सुरंगें कभी दिल्ली, इलाहाबाद, गोमती नदी और फैज़ाबाद तक जाती थीं। माना जाता है कि नवाब और उनके दरबारी इनका इस्तेमाल गुप्त यात्राओं और आपातकालीन समय में बच निकलने के लिए करते थे।

हालांकि, अब सुरक्षा कारणों से इन सभी रास्तों को बंद कर दिया गया है, लेकिन इन सुरंगों की कहानियां आज भी लोगों को रोमांचित करती हैं।

साल 2015 में, गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ़ आर्किटेक्चर (Government College of Architecture) की एक संरक्षण टीम ने छत्तर मंज़िल पैलेस में एक 350 फ़ीट लंबी भूमिगत सुरंग और जलमार्ग की खोज की। यह सुरंग महल की शानदार फ़्रांसीसी वास्तुकला का हिस्सा थी और इसे गोमती नदी से जोड़ा गया था। इससे यह साफ़ होता है कि उस दौर में महल में जलमार्ग का इस्तेमाल आम था।

आखिर इस सुरंग का उपयोग क्या था ?

संरक्षण टीम को सुरंग के अंदर ऐसी सीढ़ियाँ मिलीं, जो सीधे महल से पानी तक जाती थीं। इससे यह साबित होता है कि नवाब इस जलमार्ग के ज़रिए यात्रा करते थे। ऐसा माना जाता है कि वे इन सीढ़ियों से उतरकर छोटी नावों में सवार होते थे, जो उन्हें अलग-अलग स्थानों तक ले जाती थीं। 
गर्मियों में जलमार्ग कैसे रखता था महल को ठंडा?

पहले, महल का मुख्य प्रवेश द्वार नदी के किनारे पर था और वहीं से एक जलमार्ग महल के तैखाने तक फैला था। यह तैखाना महल को गर्मियों में ठंडा रखने का काम करता था। लेकिन समय के साथ नदी का बहाव बदल गया और उसमें गाद जमने लगी, जिससे यह जलमार्ग बंद हो गया। इसके बाद, महल का मुख्य प्रवेश द्वार जमीनी स्तर पर बना दिया गया। छत्तर मंज़िल का यह जलमार्ग न सिर्फ़ यात्रा के लिए उपयोगी था, बल्कि यह गर्मियों में महल को ठंडा और सर्दियों में गर्म बनाए रखने में भी मदद करता था। इस खोज ने साबित कर दिया कि लखनऊ के नवाबी दौर की वास्तुकला कितनी उन्नत थी।

ला मार्टिनियर कॉलेज | चित्र स्रोत : wikimedia 

ला मार्टिनियर कॉलेज लखनऊ में ‘ लाट’ का रहस्य क्या है?

ला मार्टिनियर कॉलेज (La Martiniere College) भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित एक शिक्षा संस्थान है। ‘लाट’ (LAT) को ला मार्टिनियर एस्टेट की सबसे दिलचस्प और रहस्यमयी संरचनाओं में से एक माना जाता है। यह एक स्मारक टॉवर है, जो कॉन्स्टेंटिया पैलेस के पूर्वी प्रवेश द्वार को सुशोभित करता है। इसे लेकर कई रहस्यमयी कहानियाँ प्रचलित हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इसे क्लाउड मार्टिन के घोड़े की याद में बनाया गया था, तो कुछ इसे कॉन्स्टेंटिया से जुड़ी एक भूमिगत सुरंग का हिस्सा मानते हैं। वहीं, एक और रोचक धारणा यह है कि यही वह स्थान है जहाँ  क्लॉड मार्टिन (Claude Martin) का दिल  दफ़न किया गया था!

इसका रहस्य और गहरा क्यों हो गया ?

तकनीकी प्रगति के साथ, इस रहस्य ने और भी जटिल रूप ले लिया है। फ़ोटोग्राफ़ी (Photography) के माध्यम से पता चला है कि स्तंभ के शीर्ष पर संकरी सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। अंदर एक पुली और मोटी चेन से जुड़ा एक तंत्र भी मौजूद है, जो कई सवाल खड़े करता है।

इसके अलावा, टॉवर की दीवारों में एक विशाल हुक लगा हुआ है, जिसका उद्देश्य अब तक स्पष्ट नहीं है। साथ ही, एक अतिरिक्त पुली प्रणाली भी देखी गई है, जिसे शायद मूल डिज़ाइन में नहीं रखा गया था, बल्कि बाद में जोड़ा गया।

1862 में ला मार्टिनियर |  चित्र स्रोत : wikimedia 

हाल ही में, इस संरचना की 200वीं वर्षगांठ मनाने के लिए इसे फिर से सक्रिय किया गया। इस प्रक्रिया के दौरान कुछ नए रहस्य सामने आ सकते हैं। आने वाले समय में, ‘लाट’ के निर्माण, उद्देश्य और इससे जुड़ी अनसुलझी कहानियों के बारे में और भी रोचक जानकारियाँ मिलने की उम्मीद है! बड़ा इमामबाड़ा का विशाल परिसर, इसे और भी खास बनाता है। भूलभुलैया और मुख्य इमारत के अलावा यहाँ एक खूबसूरत मस्जिद, एक बावड़ी (सीढ़ीदार कुआँ) और कई अन्य ऐतिहासिक संरचनाएँ भी मौजूद हैं। यह पूरा क्षेत्र, लगभग 50,000 वर्ग  फ़ीट में फैला हुआ है, जो इसकी भव्यता को और बढ़ा देता है।

 

संदर्भ: 

https://tinyurl.com/2ye6j4dj
https://tinyurl.com/26vqb7om
https://tinyurl.com/24ruczfl
https://tinyurl.com/2clj5sjz

मुख्य चित्र: बड़ा इमामबाड़ा का प्रवेश द्वार (प्रारंग चित्र संग्रह) 

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