यात्रा और अन्वेषण के लिए, एक बढ़ती चुनौती बनता जा रहा है, अंतरिक्ष में जमा मलबा

वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली
22-04-2025 09:18 AM
यात्रा और अन्वेषण के लिए, एक बढ़ती चुनौती बनता जा रहा है, अंतरिक्ष में जमा मलबा

लखनऊ के नागरिकों, क्या आप जानते हैं कि जैसे-जैसे अंतरिक्ष में मानवता की उपस्थिति बढ़ रही है, वैसे-वैसे अंतरिक्ष में कबाड़ की समस्या भी बढ़ रही है।  पिछले कुछ वर्षों में, मानवता ने  हज़ारों रॉकेट  और उपग्रह (Satellities) अंतरिक्ष में भेजे हैं जिनमें से कई के मलबे के टुकड़े अभी भी वहां हैं। यह  कबाड़, न केवल  बेकार है, बल्कि खतरनाक भी हो सकता है - उपग्रहों के लिए, अंतरिक्ष स्टेशनों के लिए, और जब इसका कुछ हिस्सा पृथ्वी पर वापस गिर जाए, तो मानव जीवन के लिए। 1961 में, जब सोवियत संघ ने पहले व्यक्ति को अंतरिक्ष में भेजा था, तो पिछले अन्वेषण प्रयासों से 1,000 से भी कम कबाड़ के टुकड़े वहां जमा थे। दशकों बाद, लगभग 30,000 टुकड़े थे और उस संख्या में केवल वे टुकड़े शामिल थे, जिन्हें ट्रैक किया जा सकता था। जैसे-जैसे अंतरिक्ष में मलबा जमा हो रहा है, यह अंतरिक्ष यात्रा और अन्वेषण के लिए एक बढ़ती चुनौती बनता जा रहा है। तो आइए, आज जानते हैं कि अंतरिक्ष में कुल कितना कबाड़ जमा है और यह कबाड़ अंतरिक्ष में कैसे पहुंचता है? इसके साथ ही, हम यह जानेंगे कि इस प्रकार का कबाड़ संभावित रूप से क्यों खतरनाक है। अंत में, हम कुछ उन्नत तकनीकों के बारे में बात करेंगे जो अंतरिक्ष कबाड़ को साफ़ करने में मदद कर सकती हैं। 

स्पेसडेब्रिस | चित्र स्रोत : Wikimedia 

अंतरिक्ष में कितना कबाड़ जमा है:

 इस समय लगभग 2,000 सक्रिय सैटेलाइट पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं, वहीं 3,000 मृत सैटेलाइट भी अंतरिक्ष में अपशिष्ट के रूप में जमा हैं। इसके अलावा, अंतरिक्ष कबाड़ के लगभग 34,000 टुकड़े ऐसे हैं जो आकार में 10 सेंटीमीटर से बड़े हैं और इसके अलावा लाखों छोटे टुकड़े हैं जो अगर किसी और चीज से टकराते हैं तो विनाशकारी साबित हो सकते हैं।

अंतरिक्ष में कबाड़ कैसे जमा होता है ?

अंतरिक्ष में जमा सारा कबाड़, पृथ्वी से वस्तुओं  के प्रक्षेपण का परिणाम है, और यह तब तक कक्षा में रहता है जब तक कि यह वायुमंडल में फिर से वापस नहीं आता। कुछ सौ किलोमीटर की निचली कक्षाओं में प्रक्षेपित वस्तुएं शीघ्रता से वापस लौट सकती हैं। वे अक्सर कुछ वर्षों के बाद वायुमंडल में फिर से प्रवेश कर जाती हैं। इनमें से अधिकांश जल जाती हैं और इसलिए वे जमीन तक नहीं पहुंच पाती हैं। लेकिन 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर भूस्थैतिक कक्षाओं में प्रक्षेपित किए गए सैटेलाइट सैकड़ों या हज़ारों वर्षों तक पृथ्वी का चक्कर लगाते रह सकते हैं।

अंतरिक्ष में तैरती  सेटेलाइट | चित्र स्रोत : Wikimedia 

अंतरिक्ष कबाड़ संभावित रूप से खतरनाक क्यों है:

अंतरिक्ष कबाड़ खतरनाक हो सकता है क्योंकि पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली कोई भी वस्तु सैटेलाइट आदि तेज़ गति से घूमते हैं, वहीं अंतरिक्ष में मलबा लगभग 10 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से यात्रा करता है। इनमें आपस में टक्कर होने पर इनकी सापेक्ष गति और भी अधिक होगी। इतनी तेज़ गति से टकराव होना स्पष्ट रूप से खतरनाक है, लेकिन टकराव के कारण छोटे-छोटे टुकड़े उत्पन्न होना भी एक अन्य समस्या हो सकता है।

उदाहरण के लिए, एक दस-सेंटीमीटर की वस्तु टकराव होने पर एक सैटेलाइट को कई टुकड़ों में तोड़ सकती है। अंतरिक्ष में लगभग, 30,000 वस्तुएं इस आकार की मौजूद हैं। वहीं, एक सेंटीमीटर की कोई वस्तु, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station (ISS)) को कवर करने वाले सुरक्षा कवच को भेद सकती है। अंतरिक्ष में, इस आकार की और कुछ बड़ी लगभग 670,000 वस्तुएं हैं। एक पेंसिल बिंदु के आकार की एक मिलीमीटर वस्तु तक एक अंतरिक्ष यान की शक्ति या एक निश्चित ऊंचाई तक पहुंचने की क्षमता को नष्ट कर सकती है। अंतरिक्ष में इससे भी बड़ी 170 मिलियन वस्तुएं हैं। यह सिर्फ़ काल्पनिक नहीं हैं, 2021 में, अंतरिक्ष कबाड़ के दो एक इंच के टुकड़े से टकराने पर आई एस एस क्षतिग्रस्त हो गया था। 2000 के बाद से, किसी वस्तु के बहुत करीब आने से बचने के लिए आई एस एस ने 32 बार अपनी  गति को बदला है। जबकि अंतरिक्ष में टकराव एक वास्तविक खतरा है, अंतरिक्ष कबाड़ के पृथ्वी की कक्षा में फिर से प्रवेश करने और जमीन पर नुकसान पहुंचाने की संभावना अपेक्षाकृत कम होती है।

कुछ उन्नत तकनीकें जो अंतरिक्ष अपशिष्ट को साफ़ करने में मदद कर सकती हैं:

विशाल लेज़र (Giant Lasers): इस विधि को 'लेज़र ऑर्बिटल  डेब्री रिमूवल' (Laser Orbital Debris Removal (LODR)) कहा जाता है। इसमें अंतरिक्ष मलबे पर प्लाज़्मा जेट बनाने के लिए पृथ्वी पर आधारित उच्च शक्ति वाले स्पंदित लेज़र का उपयोग उपयोग किया जाता है जिससे उनकी गति थोड़ा कम हो सकती है और या तो वे वायुमंडल में जल सकते हैं या महासागरों में गिर सकते हैं। यह तकनीक, अपेक्षाकृत सस्ती है और आसानी से उपलब्ध है। लेकिन यह ध्यान देने योग्य है कि इससे जहां महासागरों में और अधिक अपशिष्ट जमा होगा वहीं इसकी प्रति वस्तु कीमत अनुमानित 1 मिलियन डॉलर है।

एसपी एक्सटीरियर बैलून | चित्र स्रोत : Wikimedia 

अंतरिक्ष गुब्बारे (Space Balloons): गोस्समर ऑर्बिट लोअरिंग डिवाइस (Gossamer Orbit Lowering Device)) या गोल्ड सिस्टम (GOLD system), में एक पतले गुब्बारे का उपयोग किया जाता है, जिसे एक  फ़ुटबॉल मैदान के आकार तक गैस से फुलाया जाता है और फिर अंतरिक्ष में मलबे के बड़े टुकड़ों से जोड़ा जाता है। यह वस्तुओं के खिंचाव को इतना बढ़ा देता है कि  ये कबाड़ पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश  करते ही जल सकता है । 

सेल्फ-डिसट्रक्टिंग जैनिटर सैटेलाइट (Self-Destructing Janitor Satellites): स्विस शोधकर्ताओं ने क्लीनस्पेस वन (CleanSpace One) नामक एक  छोटी  सैटेलाइट तैयार  की है, जो जेलीफ़िश जैसे जाल के साथ अंतरिक्ष में कबाड़ को ढूंढकर उसे पकड़  सकती है। इसके बाद, यह सैटेलाइट  वापस पृथ्वी की ओर गिर जाता है, जिससे ऊष्मा और घर्षण के कारण सैटेलाइट और मलबा दोनों नष्ट हो जाएं। 

ओरायन कैप्सूल  | चित्र स्रोत : Wikimedia 

स्पेस पॉड्स (Space Pods): रूस का अंतरिक्ष निगम, एनर्जिया (Energia), कबाड़ को अपनी कक्षा (Orbit) से बाहर निकालकर वापस पृथ्वी पर लाने के लिए एक स्पेस पॉड बनाने की योजना बना रहा है। इस पॉड में लगभग 15 वर्षों तक ईंधन बनाए रखने के लिए एक परमाणु ऊर्जा कोर का उपयोग किया  जा रहा है। जब यह पृथ्वी की परिक्रमा  करेगा, तो निष्क्रिय उपग्रहों को कक्षा से बाहर कर  देगा। यह मलबा, या तो वायुमंडल में जल जाएगा या समुद्र में गिर जाएगा।

टंगस्टन माइक्रोडस्ट (Tungsten Microdust): टंगस्टन माइक्रोडस्ट को अंतरिक्ष कबाड़ के विपरीत पृथ्वी की कक्षा (low earth orbit) में प्रक्षेप पथ पर स्थापित कर, 10 सेंटीमीटर से छोटे अंतरिक्ष मलबे को धीमा किया जा सकता है। इसकी गति कम होने पर यह निचली कक्षा में सड़ जाएगा, जहां कुछ दशकों के भीतर इसके पृथ्वी के वायुमंडल में गिरने की उम्मीद की जा सकती है। 

पृथ्वी की कक्षा में मालवा |  चित्र स्रोत : Wikimedia 

अंतरिक्ष कचरा ट्रक (Space Garbage Trucks): अमेरिकी रक्षा उन्नत अनुसंधान परियोजना एजेंसी (US Defense Advanced Research Project Agency (DARPA)) द्वारा इलेक्ट्रोडायनामिक  डेब्री एलिमिनेटर (Electrodynamic Debris Eliminator) तकनीक विकसित की जा रही है  जिसमें 200 विशाल जालों से सुसज्जित  एक ट्रक जैसे वाहन की सहायता से अंतरिक्ष कचरे को एकत्र किया जा सकता है। इसके बाद, इस कचरे को पृथ्वी पर वापस लाकर महासागरों में गिराया जा सकता है, या वस्तुओं को एक करीबी कक्षा में धकेला जा सकता है, और वर्तमान उपग्रहों के रास्ते से तब तक दूर रखा जा सकता है जब तक कि वे क्षय होकर पृथ्वी पर वापस नहीं गिर जाते।

चिपचिपा बूम (Sticky Booms): अल्टियस स्पेस  मशींस (Altius Space Machines) नामक एक कंपनी वर्तमान में एक रोबोटिक आर्म सिस्टम विकसित कर रही है, जिसे "चिपचिपा बूम" कहा जाता है, जो 100 मीटर तक फैल सकता है, और किसी भी सामग्री (धातु, प्लास्टिक, कांच, यहां तक कि क्षुद्रग्रह) पर इलेक्ट्रोस्टैटिक आवेश प्रेरित करने के लिए इलेक्ट्रोएडेसन का उपयोग करता है, जिसके साथ यह संपर्क में आता है, और फिर आवेश में अंतर के कारण वस्तु पर चिपक जाता है। चिपचिपा बूम किसी भी अंतरिक्ष वस्तु से जुड़ सकता है।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/3bdry3sd

https://tinyurl.com/3cn38spu

https://tinyurl.com/zxvu2rub

अंतरिक्ष में टूटती हुई सेटेलाइट का स्रोत : Wikimedia 

पिछला / Previous


Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.