अगर आप उगाना चाहते हैं खूबसूरत गुलाब, तो इन ज़रूरी बातों का रखें ध्यान !
बागवानी के पौधे (बागान)
01-04-2025 09:41 AM
लखनऊ के नागरिकों, यह एक तथ्य है कि हममें से हर कोई गुलाब देखते ही आकर्षित हो जाता है, क्योंकि गुलाब केवल एक खूबसूरत फूल ही नहीं हैं, बल्कि इनका सांस्कृतिक, सजावटी और यहां तक कि औषधीय महत्व भी है। भारत में गुलाब की कई किस्में पाई जाती हैं, जिनमें से प्रत्येक को अपनी अनूठी खुशबू और जीवंत रंगों के लिए जाना जाता है। गुलाब का उपयोग इत्र, गुलाब जल, यहां तक कि पारंपरिक मिठाइयां बनाने में भी किया जाता है। तो आइए, आज भारत में गुलाब के उत्पादन के बारे में समझते हुए शीर्ष गुलाब उत्पादक राज्यों के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही, हम वैश्विक फूलों के बाज़ार में भारत से गुलाब के निर्यात के आंकड़ों को समझेंगे। हम भारत में पाए जाने वाली देशी और संकर गुलाब की विविध प्रजातियों पर भी प्रकाश डालेंगे। अंत में, हम भारत में गुलाब उगाने के बारे में आवश्यक सुझाव साझा करेंगे।
भारत में गुलाब उत्पादन:
2020-21 में, भारत में गुलाब का अनुमानित उत्पादन लगभग 465.98 हज़ार टन था। भारत में कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु गुलाब उत्पादन के शीर्ष पांच राज्य हैं। 'राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड' द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में शीर्ष पांच राज्यों में कुल उत्पादन नीचे दी गई तालिका में सूचीबद्ध है:
राज्य
उत्पादन (हज़ार टन)
कर्नाटक
171.88
पश्चिम बंगाल
65.92
उत्तर प्रदेश
63.23
गुजरात
38.76
तमिलनाडु
33.89
भारत से गुलाब का निर्यात:
नवंबर 2023 में, भारत से लगभग 22 करोड़ रुपए मूल्य के गुलाब का निर्यात किया गया, और 2024 में इसके 65 करोड़ रुपए से अधिक होने की उम्मीद है। हालांकि, भारत से ऑस्ट्रेलिया और जापान में गुलाब के फूलों के निर्यात में गिरावट आई है, लेकिन सिंगापुर, न्यूजीलैंड और मलेशिया में इनके निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज़ की गई हैं।
भारत में पाए जाने वाली गुलाब की प्रजातियां:
चित्र स्रोत : Wikimedia
हाइब्रिड टी गुलाब (Hybrid Tea rose): यह गुलाब की सबसे लोकप्रिय किस्मों में से एक है। इसके फूलों में 30-50 पंखुड़ियाँ होती हैं। इसे सुंदर एवं शानदार कटे फूल और गुलदस्ते बनाने में उपयोग किया जाता है।। यह गहरी सुगंध और सूक्ष्म आकर्षण वाली दोहरे फूलों वाली किस्म है। डबल डिलाइट, इवनिंग स्टार, दिल-की-रानी, हैप्पीनेस, गोल्डन जॉइंट, लव, डिस्को, किस ऑफ फायर, सी पर्ल और पैराडाइज हाइब्रिड टी गुलाब की किस्मों में से कुछ नाम हैं।
चित्र स्रोत : Wikimedia
पोलिएंथस गुलाब (Polyanthas Rose): इस गुलाब को कम रखरखाव की आवश्यकता होती है और यह रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखता है। जब आप इसे बाड़ों के किनारे या गमलों की कतार में उगाते हैं, तो यह एक आकर्षक दृश्य प्रदान करता है। इसके लाल, गुलाबी और सफ़ेद रंग के फूल आपके बगीचे में एक परी-कथा जैसा दृश्य बनाते हैं। स्नीज़ी, रश्मि, पिंक स्प्रे, और फ़ेयरी रोज़ इसकी किस्मों के कुछ नाम हैं।
चित्र स्रोत : Wikimedia
फ्लोरिबंडा गुलाब Floribunda Rose): यह गुलाब पोलिएंथस और हाइब्रिड टी गुलाब का मिश्रण है। इसके पौधे पर पीले, सफ़ेद, गुलाबी, बैंगनी और नारंगी रंग के सुंदर बड़े फूलों के घने गुच्छे होते हैं। महक, कुसुम, प्रेमा, राजमणि, सिंदूर, चंद्रमा, गोल्डन, किरणें, समर स्नो, फ्लोरिबुंडा गुलाब की प्रसिद्ध किस्में हैं।
चित्र स्रोत : Wikimedia
ग्रैंडिफ़्लोरा गुलाब (Grandiflora Rose): यह गुलाब फ्लोरिबुंडा और हाइब्रिड टी गुलाब का मिश्रण है। इसके पौधे पर एक ही तने पर फूलों का एक गुच्छा आता है। इस गुलाब की खासियत इसकी पीली, नारंगी, लाल, गुलाबी और बैंगनी रंग की मनमोहक छटा है। अर्थ सॉन्ग और पिंक परफ़ेट ग्रैंडिफ़्लोरा गुलाब के दो उदाहरण हैं।
चित्र स्रोत : Wikimedia
लैंडस्केप गुलाब (Landscape Rose): यह गुलाब साल भर बढ़ता है और इनमें फैलने की प्रवृत्ति होती है, जिससेयह किसी भी बगीचे में खाली स्थान भरने के लिए एक बेहतरीन विकल्प हैं। गुलाब की इस किस्म को कम रखरखाव की आवश्यकता होती है। फ़्लावर कार्पेट कोरल और फ़्लावर कार्पेट स्कारलेट इस गुलाब के दो उदाहरण हैं।
चित्र स्रोत : Wikimedia
झाड़ीदार गुलाब (Shrub Rose): यह गुलाब पारंपरिक और आधुनिक गुलाब की विशेषताएं प्रदर्शित करता है। इसके फूलों में दोहरी पंखुड़ियाँ होती हैं, जो एक-दूसरे से सटी होती हैं। हरे और नीले रंग को छोड़कर, ये गुलाब इंद्रधनुष के अन्य सभी में पाए जाते हैं। आइसबर्ग और बीच झाड़ीदार गुलाब के दो उदाहरण हैं।
चित्र स्रोत : Wikimedia
बॉरबॉन रोज़ (Bourbon Rose): यह गुलाब पुराने ब्लश चाइना गुलाब और डैमस्क गुलाब का मिश्रण है। भारत में यह गुलाब हल्दीघाटी और पुस्कर क्षेत्र में उगाया जाता है। इस किस्म का उपयोग इसकी सुखद सुगंध के कारण गुलाब के तेल का उत्पादन करने के लिए किया जाता है। इसके फूल बर्फ़ के समान सफ़ेद या गहरे गुलाबी रंग के हो सकते हैं। गुलकंद बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है। ज़ेफिरिन ड्रोहिन बोरबॉन गुलाब का एक उदाहरण है।
चित्र स्रोत : Wikimedia
दमिश्क गुलाब (Damask Rose): यह गुलाब रोज़ा मोस्काटा और रोज़ा गैलिका का मिश्रण है। इस किस्म में गहरे गुलाबी से लेकर हल्के गुलाबी रंग तक के फूल होते हैं। भारत में, इसका उपयोग इत्र बनाने के लिए किया जाता है। इसकी पंखुड़ियाँ खाने योग्य होती हैं और इनका उपयोग हर्बल चाय बनाने, व्यंजनों को स्वादिष्ट बनाने या गुलकंद तैयार करने में किया जाता है। नूरजहाँ, हिम ज्वाला, और हिम हिमरोज़ दमिश्क गुलाब के उदाहरण हैं।
चित्र स्रोत : Wikimedia
कश्मीरी गुलाब (Kashmiri Rose): इस गुलाब में हल्की खुशबू और आकर्षक चमकीले लाल फूल होते हैं। यह किस्म हाइब्रिड टी से मिलती जुलती है। इसके फूलों की पंखुड़ियाँ छूने में मखमली मुलायम होती हैं।
गुलाब उगाने के लिए आवश्यक सुझाव:
गुलाब उगाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
गुलाब के लिए खुली धूप वाली जगह की आवश्यकता होती है। हालाँकि, गर्मियों में, आंशिक छाया उपयुक्त हो सकती है।
यदि गुलाब को गमलों में उगाया जाता है, तो उसे 12-16 इंच चौड़े गमले की आवश्यकता होगी। गुलाब के पौधे से हर साल पुरानी और मृत जड़ों को हटाने के बाद दोबारा गमले में लगाना अच्छा होता है।
गुलाब को अच्छी, उपजाऊ, नमी बनाए रखने की क्षमता वाली और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में लगाया जाना चाहिए। मिट्टी के मिश्रण में 1 भाग फ़ार्म यार्ड खाद (Farmyard Manure) और 1 भाग जैव-खाद भी मिलाना चाहिए।
भारत में गुलाब की विभिन्न किस्मों को तने या बीज बोने के बजाय ग्राफ्टिंग (grafting) और बडिंग विधि से उगाया जाता है। आई बडिंग (टी-आकार की बडिंग) (Eye budding (T-shaped budding)) विभिन्न गुलाब संकरों को उगाने के लिए सबसे आम विधि है।
गुलाब अन्य रंगों या पौधों के साथ स्वतंत्र रूप से मिश्रित नहीं होता है। इसलिए, गुलाब को अन्य फूलों वाले पौधों से दूर एक विशेष क्षेत्र में अलग से उगाया जाता है।
गमले में लगे गुलाबों को गर्मियों में एक दिन छोड़कर या हर दिन भी पानी दिया जा सकता है।
गुलाब जलभराव के प्रति संवेदनशील होते हैं। यदि गमलों में उचित जल निकासी नहीं है, तो गमले में लगे गुलाब की पत्तियाँ पीली हो जाती हैं।
गुलाब के पौधों की छंटाई साल में दो बार जून के अंत और दिसंबर की शुरुआत में की जानी चाहिए। कमज़ोर और मृत शाखाओं एवं पत्तियों को हटाने के अलावा, पुराने पौधों की प्रत्येक शाखा की लगभग आधी वृद्धि तक काट-छाँट करें।
रासायनिक खादों की अपेक्षा जैविक खादों को प्राथमिकता दें। प्रत्येक छंटाई के बाद पौधे को साल में दो बार बायो-कम्पोस्ट (Bio Compost), वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost) या गोबर की खाद दें।
गुलाब को रेड स्केल्स (Red Scales) और डाईबैक फंगस (Dieback Fungus) नाम की दो प्राथमिक बीमारियाँ होती हैं। इसलिए अपने बगीचे में कीटों के प्रकारों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
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