कुछ देशों के समान, प्रौद्योगिकी का उपयोग करके रोकी जा सकती हैं भयानक भगदड़ त्रासदियां
आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक
25-02-2025 09:40 AM
आपने अभी हाल ही में महाकुंभ, प्रयागराज में एवं दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ की घटनाओं के बारे में अवश्य ही सुना होगा। ये कोई हैरानी की बात नहीं होगी कि, आपमें से कुछ लोग, अपने जीवन में कम से कम एक बार भगदड़ में फंसे हों या आपने इसे देखा हो। वास्तव में, भारत जैसे देश में, जहां जनसंख्या बहुत ज़्यादा है, अक्सर ऐसी घटनाएं सामने आती हैं। इन घटनाओं को रोकने के लिए मानवीय रणनीतियों के साथ-साथ, हाल के वर्षों में कई देशों ने प्रौद्योगिकी के उपयोग से ऐसे उपाय लागू किए हैं जिससे इन आपदाओं की आवृत्ति काफ़ी हद तक कम हो गई है। तो आइए, आज यह जानते हैं कि विश्व के कई देश ए आई प्रौद्योगिकियों और वास्तविक समय वीडियो निगरानी (real time video surveillance) का उपयोग करके कैसे अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। इसके साथ ही, हम दुनिया भर में अब तक हुई कुछ सबसे घातक भगदड़ के बारे में जानेंगे।
विकसित देश, भगदड़ को रोकने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कैसे करते हैं:
कई देशों में भीड़ को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने और भगदड़ को रोकने के लिए उन्नत तकनीकों और रणनीतियों को अपनाया गया है। जापान और चीन में रेलवे स्टेशनों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence (AI))-संचालित भीड़ विश्लेषण प्रणाली लागू की गई है। वास्तविक समय वीडियो निगरानी का उपयोग करके, ए आई प्रणाली, भीड़ की निगरानी एवं भविष्यवाणी करके, रेलवे अधिकारियों को अलर्ट भेजती है जिससे अधिकारी समय पर उचित निर्णय ले पाते हैं। टोक्यो स्टेशनों पर, ए आई-संचालित निगरानी उपकरण भीड़ की आवाजाही के पैटर्न का विश्लेषण करते हैं। हाई-स्पीड रेल नेटवर्क्स (High-speed rail networks) में ए आई-संचालित निगरानी प्रणाली (AI-powered monitoring systems) का उपयोग किया जाता है जो अधिकतम भीड़भाड़ वाले समय की भविष्यवाणी कर, तदनुसार संचालन को समायोजित करती है।
वहीं, यूरोपीय शहरों में, यात्री प्रवाह को विनियमित करने के लिए स्वचालित टिकटिंग और प्रवेश प्रतिबंध जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है। लंदन के किंग्स क्रॉस स्टेशन (King’s Cross Station) पर, प्लेटफ़ॉर्म पर लोगों की संख्या सीमित करने के लिए टिकट-आधारित पहुंच नियंत्रण का उपयोग किया जाता है। फ्रैंकफर्ट सेंट्रल स्टेशन (Frankfurt Central Station) पर प्रवेश द्वार केवल उन्हीं लोगों के लिए खुलते हैं जिनके पास वैध टिकट होती है, जिससे भीड़ को रोकने में सहायता मिलती है।
चित्र स्रोत : wikimedia
दुबई मेट्रो में बोर्डिंग और डीबोर्डिंग प्रक्रियाओं को विनियमित करने के लिए स्वचालित भीड़ नियंत्रण बाधाओं का उपयोग किया जाता है। भीड़ की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए, सिंगापुर एम आर टी (MRT) में वास्तुशिल्प नवाचार के माध्यम से एकाधिक निकास और व्यापक प्रतीक्षा क्षेत्र बनाए गए हैं।
पिछली त्रासदियों से सबक लेते हुए, दक्षिण कोरिया और फ्रांस जैसे कुछ देशों ने अपनी आपातकालीन तैयारियों को सुदृढ़ बनाया है। दक्षिण कोरिया में, 2022 में घटित हुई सियोल हेलोवीन आपदा के बाद, अधिकारियों ने वास्तविक समय आपातकालीन अभ्यास और निकासी प्रशिक्षण शुरू किया है। वहीं फ़्रांस में, पेरिस मेट्रो आपात स्थिति के दौरान प्रतिक्रिया में सुधार के लिए कर्मचारियों और यात्रियों के लिए नियमित निकासी अभ्यास आयोजित करता है।
भगदड़ अधिकतर धार्मिक स्थलों पर ही क्यों होती है:
विशाल सभाएं: धार्मिक आयोजनों में अक्सर लाखों श्रद्धालु आकर्षित होते हैं, जो आयोजन स्थल की क्षमता से कहीं अधिक होते हैं।
प्राचीन संरचनाएं: धार्मिक आयोजन अक्सर प्राचीन संरचनाओं में आयोजित होते हैं जो वर्तमान भीड़ को संभालने में सक्षम नहीं होते हैं। यहां के संकीर्ण रास्तों, सीमित निकास और स्थान के कारण बड़े पैमाने पर सभाओं के प्रबंधन में चुनौतियां सामने आती हैं।
अन्य कारण: ऐसे आयोजनों में खराब भीड़ प्रबंधन, उचित सुरक्षा उपायों की कमी और अपर्याप्त आपातकालीन प्रोटोकॉल स्थिति को और खराब कर देते हैं।
विश्व की कुछ सबसे घातक भगदड़ें:
हिल्सबोरो स्टेडियम में आपदा में मारे गए लोगों की स्मृति में स्मारक | चित्र स्रोत : wikimedia
हिल्सबोरो आपदा, (Hillsborough Disaster (1989)): 15 अप्रैल, 1989 को इंग्लैंड के शेफ़ील्ड (Sheffield) का हिल्सबोरो स्टेडियम, ब्रिटिश खेलों के इतिहास की सबसे घातक त्रासदियों में से एक का गवाह बना। लिवरपूल (Liverpool) और नॉटिंघम फ़ॉरेस्ट (Nottingham Forest) के बीच फ़ुटबॉल एसोसिएशन चैलेंज कप (FA Cup) के सेमीफ़ाइनल के दौरान, भीड़ नियंत्रण से बाहर हो गई और प्रशंसक बैरियरों को तोड़कर बाहर आ गए, जिसके परिणाम स्वरूप एक विनाशकारी भगदड़ हुई, जिसमें 96 लोगों की जान चली गई और 200 से अधिक लोग घायल हो गए। इस आपदा से भीड़ प्रबंधन में गंभीर खामियां उजागर हुईं और पूरे ब्रिटेन में स्टेडियम सुरक्षा नियमों में बड़े बदलाव हुए।
अल-मुइसेम सुरंग त्रासदी (Al-Muaissem Tunnel Tragedy (1990)): जुलाई 1990 में, सऊदी अरब में हज यात्रा के दौरान, मक्का के पास अल-मुइसेम सुरंग में भगदड़ मच गई। संकरी सुरंग में भीड़ बहुत अधिक हो जाने के कारण 1,400 से अधिक तीर्थयात्रियों की कुचलकर मौत हो गई। ईद अल-अधा के दौरान हुई इस त्रासदी ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया और धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान भीड़भाड़ के खतरों को उजागर किया।
चित्र स्रोत : wikimedia
जमरात ब्रिज आपदा (Jamarat Bridge Disaster (2004): 2004 में, जमरात ब्रिज़ पर, जहां तीर्थयात्री हज के हिस्से के रूप में शैतान को प्रतीकात्मक रूप से पत्थर मारते हैं, भगदड़ मच गई। इस दुखद घटना में 250 से अधिक लोगों की जान चली गई। आश्चर्य की बात यह है कि भगदड़ के इस भारी तनाव और गहन माहौल के बीच भी, कई तीर्थयात्री यथाशीघ्र अनुष्ठान पूरा करने की कोशिश कर रहे थे। इस घटना ने धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान भारी भीड़ को प्रबंधित करने की कठिनाई को फिर से उजागर किया।
मंधार देवी मंदिर तीर्थयात्रा (Mandhar Devi Temple Pilgrimage (2005)): जनवरी 2005 में, भारत के महाराष्ट्र में मंधार देवी मंदिर की तीर्थयात्रा के दौरान भगदड़ में 300 से अधिक लोग मारे गए। सड़क के किनारे की दुकानों में अचानक आग लग जाने के कारण, तीर्थयात्रियों को मंदिर की ओर जाने वाले पहले से भीड़ वाले संकीर्ण रास्ते पर धकेल दिया गया। इस घटना में भ्रम और दहशत के परिणामस्वरूप, 300 से अधिक मौतें हुईं।
नैनादेवी मंदिर आपदा (Naina devi Temple Disaster (2008)): 3 अगस्त 2008 को भारत के हिमाचल प्रदेश में नैनादेवी मंदिर में भगदड़ मच गई। खराब मौसम और एक आश्रय स्थल के ढह जाने के कारण, मंदिर की ओर जाने वाले संकरे रास्ते पर तीर्थयात्री घबरा गए और फंस गए। इस अराजकता में कम से कम 140 लोग मारे गए।
नोम पेन्ह जल महोत्सव (Phnom Penh Water Festival (2010)): 22 नवंबर, 2010 को कंबोडिया में, नोम पेन्ह में वार्षिक जल महोत्सव में टोनले सैप नदी पर बने पुल पर भगदड़ में 375 से अधिक लोगों की जान चली गई। यह त्रासदी, कंबोडियन इतिहास की सबसे बुरी त्रासदी में से एक है, और इसने पर्याप्त सुरक्षा उपायों के बिना बड़े पैमाने पर सार्वजनिक समारोहों के खतरों को उजागर किया।
होउफ़ॉएट-बोइग्नी भगदड़ (Houphouët-Boigny stampede (2013): 1 जनवरी, 2013 को, जब नए साल की पूर्व संध्या की आतिशबाजी देखने के बाद दर्शकों की एक बड़ी भीड़ आबिदजान में पठारी प्रशासनिक जिले से बाहर निकली, तो भगदड़ में कम से कम 60 लोगों की मौत हो गई, जिनमें कई युवा शामिल थे।
चित्र स्रोत : wikimedia
मीना भगदड़ (Mina Stampede (2015)): 24 सितंबर, 2015 को मक्का के पास मीना शिविर में हज यात्रा के दौरान एक और दुखद भगदड़ हुई। शैतान को पत्थर मारने की रस्म के दौरान, भीड़ के बेकाबू हो जाने से 2,300 से अधिक लोग मारे गये। हज यात्रा के इतिहास में यह सबसे घातक भगदड़ थी।
सियोल भगदड़ (Seoul Stampede (2022)): 29-30 अक्टूबर, 2022 की रात को सियोल में भगदड़ में 159 लोग मारे गए और लगभग 150 घायल हो गए, जो दक्षिण कोरियाई राजधानी के एक ज़िले की तंग गलियों में हैलोवीन मनाने आए थे।
भगदड़ से पहले ईस्ट ट्रिब्यून कंजुरुहान स्टेडियम | चित्र स्रोत : wikimedia
कंजुरुहान स्टेडियम आपदा (Kanjuruhan Stadium disaster (2022)): 1 अक्टूबर, 2022 को, जावा द्वीप के पूर्व में स्थित मलंग में एक फ़ुटबॉल स्टेडियम में हुई भगदड़ में चालीस से अधिक बच्चों सहित 135 लोगों की मौत हो गई। इसमें पुलिस द्वारा समर्थकों को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े जाने पर, लोग घबरा गए और इधर-उधर भागने लगे जिससे भगदड़ मच गई। 16 मार्च को, एक अदालत द्वारा एक पुलिस अधिकारी को 18 महीने जेल की सज़ा सुनाई गई लेकिन दो अन्य को बरी कर दिया गया। मैच आयोजक और उसके सुरक्षा प्रबंधक को भी दोषी ठहराया गया।
सना भगदड़ (Sanaa crowd crush (2023)): 19-20 अप्रैल, 2023 की रात को राजधानी सना में एक चैरिटी कार्रवाई के दौरान ईरान समर्थित हौथी विद्रोहियों के हाथों कम से कम 85 लोग मारे गए और 322 से अधिक घायल हो गए। यह आपदा ईद-उल- फ़ित्र के एक एक स्कूल में हुई, जहां सैकड़ों लोग वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए एकत्र हुए थे।
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from
the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this
post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website
(Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from
the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.