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हमारे प्यारे लखनऊ वासियों, आप सभी इस बात से अवगत होंगे कि, एक समय हमारा लखनऊ, नवाबों की सत्ता का केंद्र हुआ करता था। नवाबों की सत्ता ने यहां एक परिष्कृत शिष्टाचार, भव्य वास्तुकला और ललित कला तथा व्यंजनों के प्रति हमारे प्रेम को जन्म दिया, जो आज हमारी विरासत का अभिन्न अंग बन चुके हैं। हमारा शहर, आज, प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक तत्वों का एक सम्मिश्रण बन चुका है जो इसे और भी खास बनाता है। यहाँ पर मुगल और ब्रिटिश राज के समय की इमारतें और मकबरे जैसे रेज़ीडेंसी, बड़ा इमामबाड़ा, रूमी दरवाज़ा और ज़ामा मस्ज़िद आज भी मौजूद हैं। यहां स्थित भूल भुलैया, अपने आप में आश्चर्य का केंद्र है। यह सैकड़ों छोटी-छोटी सीढ़ियों का एक चक्रव्यूह है, जिनमें से कुछ रास्ते ऐसे हैं जो आक्रमणकारियों को भगाने के लिए बनाए गए थे। यह सबसे रहस्यमयी जगहों में से एक है। यहाँ से, आप छोटा इमामबाड़ा तक "तांगा की सवारी" कर सकते हैं । लखनऊ की "चिकनकारी", भारतीय संस्कृति का एक अविभाज्य हिस्सा रही है। यहां की समृद्ध संस्कृति और इसके विकास की खुशबू, इसके प्राकृतिक "इत्र" में समाहित है। लखनऊवासी अक्सर कहते हैं, कि "यहाँ पर सब नवाब हैं!" और यह कहना वास्तव में उचित भी है, क्यों कि इस शहर की भावना या इसकी आत्मा को व्यक्त करने का इससे बेहतर कोई दूसरा तरीका नहीं है। यह दर्शाता है कि हर लखनऊवासी एक नवाब है, और शहर में आने वाले हर आगंतुकों का निस्संदेह नवाबों की तरह स्वागत किया जाएगा। तो आइए, आज कुछ चलचित्रों के ज़रिए हम अपने शहर की विरासत, इसके ऐतिहासिक स्मारकों और संस्कृति के बारे में और भी जानने की कोशिश करें। फिर हम, कुछ अन्य चलचित्रों के माध्यम से, यहाँ के बेहतरीन स्ट्रीट फ़ूड और नॉन वेज व्यंजनों जैसे टुंडे कबाब, निहारी, मटन बिरयानी आदि का आनंद लेंगे।
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