आइए जानें, ट्रकों ने भारत की अर्थव्यवस्था को कैसे गतिमान रखा है

नगरीकरण- शहर व शक्ति
01-03-2025 09:32 AM
आइए जानें, ट्रकों ने भारत की अर्थव्यवस्था को कैसे गतिमान रखा है

करोड़ों की जनसँख्या वाले हमारे देश भारत की आपूर्ति व्यवस्था, आज भी बहुत हद तक ट्रकों पर निर्भर करती है। देशभर में अधिकतर सामान सड़क परिवहन, खासतौर पर ट्रकों के ज़रिए, एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचाया जाता है। इस प्रकार, देश के कुल घरेलू माल की लगभग 70% मांग की आपूर्ति होती है। इसी कारण, भारत के विशाल क्षेत्र में माल परिवहन के लिए “ट्रक” सबसे अहम साधन बन गए हैं। भारत में दुनिया के सबसे बड़े सड़क नेटवर्क में से एक है, जिसकी लंबाई 60 लाख किलोमीटर से भी अधिक है। इस वजह से सड़क मार्ग से माल ढुलाई आसान और प्रभावी बन जाती है। इसलिए, आज के इस लेख में, हम भारत में सड़क परिवहन और माल ढुलाई की वर्तमान स्थिति को समझेंगे। इसके बाद हम जानेंगे कि ट्रक माल परिवहन में किस तरह की बड़ी भूमिका निभाते हैं। साथ ही हम, भारत में लॉजिस्टिक्स (Logistics) में इस्तेमाल होने वाले ट्रकों की विभिन्न श्रेणियों के बारे में भी जानकारी लेंगे। इसके अलावा, हम ट्रक माल उद्योग के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर भी चर्चा करेंगे। अंत में, यह समझेंगे कि ट्रकों के ज़रिए भारत की आपूर्ति श्रृंखला को और बेहतर कैसे बनाया जा सकता है।

चित्र स्रोत : Wikimedia

2023 में भारत का सड़क माल ढुलाई बाज़ार (road freight transport market), 12.13 ट्रिलियन रुपये का था। 2029 तक इसके 18.89 ट्रिलियन रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। इसका मतलब है कि यह बाज़ार हर साल लगभग 9.43% की दर से बढ़ रहा है। हालांकि, इस क्षेत्र को अपनी लागत कम करने की सख्त जरूरत है क्योंकि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 14% हिस्सा रसद पर खर्च होता है।

भारत में कुल सड़क माल ढुलाई का 50% हिस्सा लंबी दूरी के परिवहन (400 किमी से अधिक) का है। इस सामान को मुख्य रूप से राष्ट्रीय राजमार्गों के माध्यम से ले जाया जाता है। इस क्षेत्र में ईंधन-कुशल वाहन और डिजिटल माल मिलान प्लेटफॉर्म अपनाए जा रहे हैं। इससे लागत कम हो रही है और परिवहन की दक्षता बढ़ रही है। शहरी और अंतर-शहर माल ढुलाई के लिए छोटी दूरी का परिवहन भी बहुत महत्वपूर्ण है। खासकर ई-कॉमर्स और एफ़ एम सी जी ( फ़ास्ट -मूविंग कंज़्यूमर गुड्स) जैसे उद्योगों में इसकी मांग अधिक है। शहरी और कम दूरी के परिवहन में इलेक्ट्रिक ट्रक और डिपो-आधारित चार्जिंग समाधान तेजी से अपनाए जा रहे हैं। इससे लागत कम हो रही है और परिवहन की दक्षता में सुधार हो रहा है। इसके अलावा भारत स्वच्छ ऊर्जा और प्रभावी रसद प्रणालियों पर जोर दे रहा है। इससे इस क्षेत्र में नए विकास के अवसर बन रहे हैं।

शून्य उत्सर्जन ट्रक (Zero Emission Trucks (ZET)) ट्रकों के उपयोग से ईंधन लागत में 46% तक की बचत संभव है। बेहतर वेयरहाउस तकनीक और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों

 से भी परिचालन क्षमता (Operational Efficiency) में सुधार होगा। इसके अलावा, सरकार और निजी क्षेत्र भी मिलकर माल ढुलाई गलियारों (Freight Corridors) पर चार्जिंग स्टेशनों का निर्माण कर रहे हैं।

निसान ई-एन टी 400 (e-NT400) नामक एक ट्रक  | चित्र स्रोत : Wikimedia

फ़ेम II (FAME II) जैसी सरकारी योजनाएं, इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में मदद कर रही हैं। इससे परिचालन लागत घटेगी और पर्यावरण मानकों में सुधार होगा। इस क्षेत्र में हो रहे बदलाव न केवल लागत में कमी लाएंगे, बल्कि भारत के सड़क माल ढुलाई बाज़ार में विदेशी निवेश के नए अवसर भी खोलेंगे।

आइए, अब भारत के सड़क माल उद्योग में ट्रकों की भूमिका को समझते हैं:

भारत में हर साल लगभग 4.6 बिलियन टन माल का परिवहन किया जाता है। इस परिवहन पर ₹9.5 लाख करोड़ की लागत आती है और इससे 2.2 ट्रिलियन टन-किलोमीटर की परिवहन मांग उत्पन्न होती है।

शहरीकरण, जनसंख्या वृद्धि, ई-कॉमर्स का विस्तार और आय स्तर में वृद्धि के कारण माल की मांग लगातार बढ़ रही है। इस बढ़ती मांग के कारण, 2050 तक, सड़क माल ढुलाई का स्तर 9.6 ट्रिलियन टन-किलोमीटर तक पहुंचने की संभावना है। भारत में माल ढुलाई का 70% हिस्सा सड़क परिवहन के माध्यम से किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से ट्रक इस्तेमाल होते हैं। भारी और मध्यम-ड्यूटी ट्रक (क्रमशः एच डी टी (HDT) और एम डी टी (MDT)) सड़क परिवहन के अधिकांश हिस्से को पूरा करते हैं। जैसे-जैसे सड़क परिवहन की मांग बढ़ रही है, ट्रकों की संख्या भी तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। 2023 में भारत में ट्रकों की संख्या 4.3 मिलियन थी। यह आंकड़ा 2050 तक 17 मिलियन तक पहुंच सकता है। इससे स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में ट्रकों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण होने वाली है।

आइए, अब आपको भारत में ट्रकों के विभिन्न प्रकारों से परिचित कराते हैं :

चित्र स्रोत : pxhere

1) हल्के वाणिज्यिक वाहन (Light Commercial Vehicles (LCVs)): छोटे माल की ढुलाई के लिए, हल्के वाणिज्यिक वाहन (Light Commercial Vehicles) का इस्तेमाल किया जाता है। ये वाहन, तेज़, फ़ुर्तीले और भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर आसानी से चलने योग्य होते हैं। इनका उपयोग मुख्य रूप से उपनगरीय क्षेत्रों और शहरों में माल पहुंचाने के लिए किया जाता है। इन ट्रकों का सकल वाहन भार (Gross Vehicle Weight (GVW)), आमतौर पर 3.5 से 7 टन के बीच होता है। ये वाहन, यात्री परिवहन, अंतिम मील डिलीवरी ( क्लोज़िंग -माइल ट्रांसपोर्टेशन (closing-mile transportation)) और छोटे पैमाने पर लॉजिस्टिक्स के लिए आदर्श होते हैं।

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2) मध्यम वाणिज्यिक वाहन (Medium Commercial Vehicles (MCVs)): मध्यम वाणिज्यिक वाहन, हल्के और भारी वाहनों के बीच की श्रेणी में आते हैं। इन ट्रकों का सकल वाहन भार 7.5 से 16 टन के बीच होता है, जिससे ये मध्यम भार को लंबी दूरी तक ले जाने में सक्षम होते हैं। इनका उपयोग आमतौर पर निर्माण कार्य, स्थानीय वितरण और शहरों के बीच माल परिवहन के लिए किया जाता है। इन ट्रकों का डिज़ाइन मज़बूत होता है, जिससे यह कई उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये संतुलित भार क्षमता और अच्छी गतिशीलता के कारण काफी उपयोगी होते हैं।

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3) भारी वाणिज्यिक वाहन (Heavy Commercial Vehicles (HCVs)): भारी वाणिज्यिक वाहन, सबसे बड़े ट्रकों में शामिल होते हैं। इन्हें भारी माल को लंबी दूरी तक ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इनका सकल वाहन भार, 16 टन से 49 टन तक हो सकता है। इनका उपयोग, मुख्य रूप से लंबी दूरी की यात्रा, अंतरराज्यीय लॉजिस्टिक्स और बड़े पैमाने पर माल ढुलाई के लिए किया जाता है। इन ट्रकों में मज़बूत एक्सल, शक्तिशाली इंजन और आधुनिक सुरक्षा सुविधाएं होती हैं, जो इन्हें कुशल और सुरक्षित बनाते हैं।

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4) अति-भारी वाणिज्यिक वाहन (Extra-Heavy Commercial Vehicles (EHCVs)): अति-भारी वाणिज्यिक वाहन, अत्यधिक भारी माल ढुलाई के लिए बनाए जाते हैं। इनका सकल वाहन भार 49 टन से अधिक होता है, जिससे ये खनन, निर्माण और भारी उद्योगों में उपयोगी साबित होते हैं। इन ट्रकों की संरचना बहुत मज़बूत होती है। इनमें मज़बूत चेसिस, शक्तिशाली इंजन और भारी भार सहने वाले एक्सल लगे होते हैं, जिससे ये कठिनतम परिस्थितियों में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।

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5) रेफ़्रिजरेटेड ट्रक: रेफ़्रिजरेटेड ट्रक, जिन्हें रीफ़र ट्रक भी कहा जाता है, विशेष रूप से ठंडा माल ढोने के लिए बनाए जाते हैं। इनमें रेफ़्रिजरेशन सिस्टम लगा होता है, जिससे मालवाहक डिब्बे के अंदर नियत तापमान बनाए रखा जा सकता है। इन ट्रकों का उपयोग मुख्य रूप से फल, सब्ज़ियां, डेयरी उत्पाद और अन्य जल्दी खराब होने वाले सामान के परिवहन के लिए किया जाता है। लंबी दूरी और अंतर-शहर माल परिवहन के लिए इनकी खास जरूरत होती है।

हालांकि. लंबे समय से भारत में ट्रक फ़्रेट उद्योग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं के समाधान के बिना लॉजिस्टिक्स उद्योग की वृद्धि बाधित हो सकती है। आइए, अब एक नज़र भारत में ट्रक फ़्रेट उद्योग की सबसे बड़ी चुनौतियों पर भी डालते हैं:

1.) ईंधन की बढ़ती कीमतें: भारत में ट्रकिंग कंपनियों के कुल खर्च का लगभग 30% हिस्सा ईंधन पर खर्च होता है। जब ईंधन की कीमतें बढ़ती हैं, तो उनके परिचालन लागत भी बढ़ जाती है। इससे लाभ बनाए रखना कठिन हो जाता है। बढ़ती कीमतों के कारण बेड़े के मालिकों को परिवहन खर्च में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ता है।

2.) पुरानी तकनीक: अप्रचलित तकनीक से कामकाज में रुकावट आती है और दक्षता कम हो जाती है। पुराने सिस्टम में कागज़ी कार्रवाई और चालक रिकॉर्ड की प्रभावशीलता घट जाती है। डेटा सुरक्षा की कमी के कारण चालक और ग्राहकों की जानकारी सुरक्षित नहीं रहती, जिससे कंपनियों पर भरोसा कम हो सकता है। इसके अलावा, पुरानी तकनीक के कारण ट्रकों की मरम्मत और रखरखाव का खर्च बढ़ता है, जिससे अनियोजित डाउनटाइम भी बढ़ जाता है।

3.) खराब सड़कें: भारत में ट्रक उद्योग को बुनियादी ढाँचे की कमी से बड़ी परेशानी होती है। राजमार्गों पर भीड़भाड़, उचित सड़क सुविधाओं की कमी और खराब सड़कें ट्रकों की दक्षता को प्रभावित करती हैं। इससे माल परिवहन में देरी होती है और परिचालन लागत भी बढ़ जाती है।

4.) वाहन रखरखाव की लागत: लॉजिस्टिक कंपनियाँ, लागत कम करने के लिए ट्रकों का अधिकतम उपयोग करती हैं। इससे चालक की सुविधा और वाहन के रखरखाव पर ध्यान कम हो जाता है। कई बार ट्रकों का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन सही समय पर उनकी मरम्मत और देखभाल नहीं की जाती, जिससे वाहन की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है।

5.) ई वी के लिए बुनियादी ढाँचे की कमी: भारत में इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए चार्जिंग स्टेशनों की भी कमी है। हाईवे और प्रमुख मार्गों पर चार्जिंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण कंपनियाँ, बैटरी से चलने वाले ट्रकों को अपनाने में झिझक रही हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए तेज़ और धीमी दोनों चार्जिंग के लिए बेहतर बुनियादी ढाँचा और पिन-कोड स्तर तक कवरेज बढ़ाने की जरूरत है।

6.) ट्रक ड्राइवरों का स्वास्थ्य और कल्याण: लंबे समय तक ट्रक चलाने और अनियमित जीवनशैली के कारण, ट्रक ड्राइवर, कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते हैं। अनियमित भोजन, पौष्टिक आहार की कमी और अपर्याप्त नींद के कारण वे शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करते हैं। ड्राइवरों का स्वास्थ्य बेहतर बनाने के लिए जागरूकता अभियान, आराम करने के लिए जगह और स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराई जानीं चाहिए।

चित्र स्रोत : Wikimedia

आइए, अब यह भी जानते हैं कि भारत में ट्रक परिवहन आपूर्ति श्रृंखला को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है ?

भारत में ट्रक परिवहन आपूर्ति श्रृंखला को अधिक कुशल और प्रभावी बनाने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। जैसे कि: 

1. डिजिटल क्रांति से सुधार: डिजिटल तकनीकों के कारण, भारतीय ट्रक परिवहन क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखा गया है। मोबाइल ऐप और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्मों के माध्यम से ट्रक संचालन पहले से अधिक संगठित और कुशल हो गया है। इससे संचार बेहतर हुआ है, ट्रकों की रीयल-टाइम ट्रैकिंग संभव हुई है, और सही मार्ग योजना बनाने में मदद मिली है।

इसके अलावा, डिजिटल तकनीक से ट्रक मालिक और व्यापारियों के बीच समन्वय बढ़ा है। इससे ट्रकों का अधिकतम उपयोग संभव हुआ है और खाली ट्रकों की आवाजाही कम हुई है, जिससे परिचालन लागत घटी है और कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आई है।

2. बेहतर कनेक्टिविटी और पहुंच: ट्रक परिवहन केवल माल ढुलाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बाज़ारों को जोड़ने, व्यापार को बढ़ावा देने और आर्थिक विकास को मज़बूत करने में भी अहम भूमिका निभाता है। खासतौर पर यह ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों की अर्थव्यवस्था को मुख्यधारा से जोड़ने में मदद करता है। कृषि क्षेत्र के लिए यह बहुत ज़रूरी है क्योंकि ट्रकों की मदद से किसान अपनी उपज को देशभर के बाजारों में आसानी से भेज सकते हैं। इससे उन्हें बेहतर दाम मिलते हैं और कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।

3. नवाचार और स्थिरता की ओर बढ़ता कदम: जैसे-जैसे ट्रक परिवहन उद्योग आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे नवाचार और पर्यावरण संरक्षण भी इसकी प्राथमिकता बन रहे हैं। इलेक्ट्रिक ट्रक और वैकल्पिक ईंधन वाले वाहनों का उपयोग बढ़ रहा है, जिससे ईंधन की लागत कम होगी और पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचेगा। साथ ही, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग भी लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है। ये तकनीकें मांग का अनुमान लगाने, ट्रकों की सुरक्षा बढ़ाने और स्वचालित ट्रकों के उपयोग जैसी संभावनाओं को साकार करने में मदद कर रही हैं।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/2cytmy92

https://tinyurl.com/2y4pbhhh

https://tinyurl.com/28rwhy6y

https://tinyurl.com/2a7onbnq

मुख्य चित्र स्रोत : Wikimedia

 

 

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