आइए आनंद लें, पंडित रवि शंकर जी को ग्रैमी पुरस्कार दिलाने वाले कुछ शानदार प्रदर्शनों का

ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि
09-02-2025 09:27 AM

संगीत की सीमाएं, किसी भी देश की अपनी सीमा, वहां पर फल-फूल रही संस्कृतियों, और हज़ारों सालों के वहां पर मौजूद धर्म के फ़ैलाव से भी अधिक फ़ैली हुई होती है। हमारे पास इस तथ्य को साबित करने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं। भारत के महानतम संगीतकारों में से एक ‘पंडित रवि शंकर’ (Pandit Ravi Shankar) जी, इसका एक   बेहतरीन उदाहरण हैं। उनका संगीत, कहने को तो भारतीय शैली का था, लेकिन इसकी धुनों ने, कोसों दूर तक फ़ैले समुद्र की सीमाओं के उस पार रहने वाले लोगों को उनका मुरीद बना दिया। पंडित रवि शंकर जी, उन चुनिंदा भारतीयों में गिने जाते हैं, जिन्हें संगीत जगत के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक ''ग्रैमी पुरस्कार' (Grammy Awards) से नवाज़ा गया है। यह पुरस्कार, नेशनल एकेडमी ऑफ़ रिकॉर्डिंग आर्ट्स एंड  साइंसेज़ (National Academy of Recording Arts and Sciences), यू एस ए द्वारा प्रदान किया जाता है।  पंडित रवि शंकर ने भारतीय संगीत और सितार को दुनियाभर के संगीतकारों और श्रोताओं तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कई पीढ़ियों को भारतीय संगीत के साथ जोड़ा। इसलिए, आज इस रविवार के दिन को संगीतमय बनाते हुए हम कुछ दिलचस्प  चलचित्रों के माध्यम से उनके प्रतिष्ठित प्रदर्शनों को देखेंगे।

ऊपर दी गई विडियो में 1967 में  कैलिफ़ोर्निया, यू एस ए में आयोजित मोंटेरे इंटरनेशनल पॉप फ़ेस्टिवल (Monterey International Pop Festival) का है, जहाँ उन्होंने एक यादगार लाइव प्रस्तुति दी थी। 
इस दूसरे चलचित्र के द्वारां आप उनकी ग्रैमी पुरस्कार विजेता एल्बम 'द कॉन्सर्ट फ़ॉर बांग्लादेश' (The Concert for Bangladesh) के प्रसिद्ध गाने बांग्ला धुन (Bangla Dhun) को सुनेंगे।

आगे के चलचित्रों में हम उनकी कुछ अन्य पुरस्कार विजेता रचनाओं का आनंद लेंगे।  जैसे कि उनकी एल्बम, फुल सर्कल:  कार्नेगी हॉल 2000 (Full Circle: Carnegie Hall 2000) से राग कौशी कान्हारा : अलाप-जोर-झाला नामक यह चलचित्र देखिए:  

पंडित रवि शंकर ने अपना पहला ग्रैमी पुरस्कार, 1967 में जीता था। यह सम्मान उन्हें महान वायलिन वादक मेनुहिन के साथ वेस्ट मीट्स ईस्ट (West Meets East) एल्बम के लिए मिला। इस एल्बम को सर्वश्रेष्ठ चैंबर संगीत प्रदर्शन श्रेणी में पुरस्कृत किया गया।

1971 में, रवि शंकर और जॉर्ज हैरिसन (George Harrison) ने बांग्लादेश के लिए एक कॉन्सर्ट का आयोजन किया। इस कार्यक्रम को संगीत इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण लाभ संगीत कार्यक्रमों में से एक माना जाता है। इस कॉन्सर्ट से  जुड़ी एल्बम में रवि शंकर, जॉर्ज हैरिसन और एरिक क्लैप्टन (Eric Clapton) सहित कई प्रसिद्ध संगीतकार शामिल थे। 1972 में, इस एल्बम को एल्बम ऑफ़ द ईयर (Album of The Year) के लिए ग्रैमी पुरस्कार मिला।

पंडित रवि शंकर को सबसे हालिया ग्रैमी पुरस्कार, 2000 में  फुल सर्कल - कार्नेगी हॉल 2000 के लिए, सर्वश्रेष्ठ विश्व संगीत एल्बम (Best World Music Album)  की श्रेणी में मिला । इसके बाद, अप्रैल 2012 में रिलीज़  हुई उनके एल्बम द लिविंग रूम सेशंस पार्ट 1 (The Living Room Sessions Part 1) को 55वें वार्षिक ग्रैमी अवार्ड्स में सर्वश्रेष्ठ विश्व संगीत एल्बम की श्रेणी में नामांकित किया गया।

आइए अब उनकी एल्बम “वेस्ट मीट्स ईस्ट वॉल्यूम 2” से रविशंकर और येहुदी मेनुहिन के बीच सितार और वायलिन के मंत्रमुग्ध कर देने वाले तालमेल को देखते हैं: 

 

संदर्भ:

https://tinyurl.com/mr2u6cxt
https://tinyurl.com/32t9dx8e
https://tinyurl.com/mprhuszm
https://tinyurl.com/46tzk5b9
https://tinyurl.com/23cj8oo2
 

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