
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करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा।
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्॥
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व।
जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो॥
भावार्थ: हाथों से, पैरों से, वाणी से, शरीर से, कर्म से, कानों से, आँखों से या मन से जो भी जाने-अनजाने में पाप हुआ हो, उन सभी को क्षमा करें, हे करुणा के सागर, महादेव शंभो!
पूरे भारत में महा शिवरात्रि को विविध धार्मिक अनुष्ठानों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सामुदायिक समारोहोंके साथ, बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। क्षेत्रों के आधार पर इसे मनाने का तरीका अलग हो सकता है, लेकिन सभी स्थानों में भगवान शिव के प्रति श्रद्धाएक जैसी होती है। लखनऊ शहर में भी सैकड़ों भक्त इस अवसर पर अलग-अलग प्रकार के व्रत रखते हैं। कुछ लोग निर्जला व्रत रखते हैं, जिसमें वे बिना भोजन और पानी के रहते हैं। वहीं, कुछ फलाहार व्रत रखते हैं, जिसमें फल, सूखे मेवे और चाय का सेवन किया जाता है। यहाँ के मंदिरों में शिव-पार्वती विवाह, श्लोकों का पाठ और रुद्राभिषेक जैसे अनुष्ठान भी किए जाते हैं। आज के लेख में, हम यही जानने का प्रयास करेंगे कि लखनऊ और उत्तर प्रदेश के अन्य भागों में यह पर्व कैसे मनाया जाता है। इसके बाद, हम देखेंगे कि हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, असम, ओडिशा और भारत के अन्य राज्यों में महाशिवरात्रि किस तरह मनाई जाती है। अंत में, लखनऊ के कुछ प्रसिद्ध शिव मंदिरों की जानकारी देंगे, जहाँ भक्त महाशिवरात्रि के दिन दर्शन के लिए जा सकते हैं।
समूचे उत्तर प्रदेश में महाशिवरात्रि का पर्व, बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर लखनऊ, कानपुर, आगरा, अलीगढ़ और गोरखपुर जैसे शहरों के मंदिरों में भक्तों की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिलती हैं। पुरुष और महिलाएँ, श्रद्धा से भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। वे मंदिरों में दूध, शहद और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करते हैं। बाराबंकी के लोधेश्वर महादेव मंदिर, आगरा और लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर, वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर, कानपुर के आनंदेश्वर महादेव मंदिर और गोरखपुर के बाबा गोकर्णनाथ मंदिर में भी भारी भीड़ उमड़ती है।
लखनऊ में भी महाशिवरात्रि के अवसर पर बड़ी ही रौनक देखने को मिलती है। यहाँ के मंदिरों में शिव-पार्वती विवाह का आयोजन किया जाता है। द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर में भक्त रुद्राभिषेक करते हैं। भगवान शिव की मूर्तियों को भगवान राम के रूप में सजाया जाता है। भक्त पगड़ी और पटका पहनकर श्रद्धा प्रकट करते हैं।
शाम को छप्पन भोग का आयोजन होता है और भव्य आरती की जाती है। अभिषेक के लिए गोमती और गंगा नदी के जल का उपयोग किया जाता है। महाकाल मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया जाता है, जबकि बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में कांवड़ यात्रियों का स्वागत किया जाता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर, लखनऊ में कई प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। ये मंदिर, धार्मिक आस्था के साथ ऐतिहासिक महत्व भी रखते हैं।
चलिए जानते हैं कि महाशिवरात्रि के दौरान, लखनऊ के प्रसिद्ध शिव मंदिरों की क्या स्थिति रहती है?
1. मनकामेश्वर मंदिर: अमीनाबाद क्षेत्र में स्थित मनकामेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर, गोमती नदी के तट पर बना हुआ है! इसे लखनऊ के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान राम ने माता सीता को वनवास के लिए छोड़ा था, तब लक्ष्मण इस पवित्र स्थल पर आए थे। इसके बाद, राजा नवधनु ने अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के कई वर्षों बाद इस मंदिर का निर्माण कराया। हालाँकि, 12वीं शताब्दी में यमन के आक्रमणकारियों ने इसे नष्ट कर दिया। लगभग 500 साल पहले नागा साधुओं ने मंदिर का पुनर्निर्माण किया।
2. चंद्रिका देवी मंदिर: गोमती नदी के तट पर स्थित चंद्रिका देवी मंदिर, आध्यात्मिक शांति और मन की शुद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। यह मंदिर, मुख्य रूप से देवी चंद्रिका को समर्पित है, जिन्हें देवी पार्वती का स्वरूप माना जाता है। हालांकि, यहाँ भगवान शिव का भी एक मंदिर है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, राजकुमार चंद्रकेतु, जो लक्ष्मण के पुत्र थे, ने इस मंदिर की स्थापना की थी।
3. नागेश्वर शिव मंदिर: अलीगंज क्षेत्र में स्थित नागेश्वर शिव मंदिर करीब 300 साल पुराना है। मान्यता है कि भगवान राम के पुत्र कुश ने इसे एक नाग कन्या के लिए बनवाया था। यह नाग कन्या भगवान शिव की परम भक्त थी और कुश उससे प्रेम करते थे। कहा जाता है कि शहर के खंडहर होने के बाद भी यह मंदिर अपनी जगह अडिग रहा।
4. बुद्धेश्वर महादेव मंदिर: मोहन रोड पर स्थित बुद्धेश्वर महादेव मंदिर, लखनऊ के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण, राजा बख्शी ने करवाया था। कुछ किंवदंतियों के अनुसार, भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने वनवास के दौरान इस स्थान पर भगवान शिव की पूजा की थी। यहाँ सालभर, भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
आइए अब जानते हैं कि भारत के विभिन्न राज्यों में महाशिवरात्रि का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
महाशिवरात्रि, भारत के विभिन्न राज्यों में भक्ति और उल्लास के साथ मनाई जाती है। इसे मनाने को लेकर हर राज्य की अपनी परंपराएं और रीति-रिवाज होते हैं। आइए जानें कि इस पावन पर्व को देश के अलग-अलग हिस्सों में कैसे मनाया जाता है।
1. हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश के मंडी में भूतनाथ मंदिर को महाशिवरात्रि उत्सव का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यहाँ पर मनाया जाने वाला महाशिवरात्रि महोत्सव, देश के सबसे बड़े शिवरात्रि आयोजनों में से एक होता है। करीब 500 साल पहले मंडी के शाही परिवार ने इस परंपरा की शुरुआत की थी। आज यह उत्सव एक सप्ताह तक चलता है और इसे अंतरराष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि मेले के रूप में मनाया जाता है। देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक इसमें भाग लेते हैं।
2. आंध्र प्रदेश: आंध्र प्रदेश में शिवरात्रि बड़े धूमधाम से मनाई जाती है।इस अवसर पर श्रद्धालु, श्रीकालहस्ती या श्री कालहस्तेश्वर मंदिर और श्रीशैलम के भरमराम्भा मलिकार्जुनस्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए उमड़ते हैं।भक्त उपवास रखते हैं, शिव मंत्रों का जाप करते हैं और भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं।
3. असम: असम में गुवाहाटी के उमानंद मंदिर में, महाशिवरात्रि का एक विशेष महत्व माना जाता है। यह मंदिर, ब्रह्मपुत्र नदी के मयूर द्वीप पर स्थित है। शिवरात्रि के अवसर पर देशभर से हजारों भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं। असम में एक और प्रमुख स्थान शिवसागर है, जो पहले अहोम राजाओं की राजधानी थी। यहां भी महाशिवरात्रि, पूरे श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाई जाती है।
4. ओडिशा: ओडिशा के पुरी में स्थित लोकनाथ मंदिर में शिवरात्रि उत्सव विशेष रूप से प्रसिद्ध है। एक प्राचीन मान्यता के अनुसार, भगवान रामचंद्र ने स्वयं इस मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की थी। यह शिवलिंग, सालभर पानी के एक कुंड में डूबा रहता है और इसे केवल शिवरात्रि से पहले पंकोदर एकादशी के दिन देखा जा सकता है। इस पावन अवसर पर हजारों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए उमड़ते हैं।
5. जम्मू और कश्मीर: कश्मीर में महाशिवरात्रि का पर्व, खासतौर पर कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन, वे भगवान शिव और माता पार्वती की पूरी रात पूजा करते हैं। सबसे बड़ा आयोजन, श्रीनगर के शंकराचार्य मंदिर में होता है, जो प्रसिद्ध डल झील के किनारे स्थित है। इस अवसर पर श्रद्धालु अमीरा कदल के गणपतयार और हनुमान मंदिर में भी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2cyg4gjo
https://tinyurl.com/23vwzqjr
https://tinyurl.com/29vd8j93
मुख्य चित्र: महाशिवरात्रि पर सजा हुआ ओडिशा में स्थित लिंगराज मंदिर : Wikimedia
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