
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जैसे ही लखनऊ में सर्दियां आती हैं, ठंडी हवाएं, हमें थका हुआ महसूस करा सकती हैं और मौसमी बीमारियों की चपेट में भी ला सकती हैं। हालांकि, तुलसी और आंवला दो ऐसे आयुर्वेदिक पौधे हैं, जो इन ठंड के महीनों के दौरान, हमें मज़बूत और स्वस्थ रहने में मदद कर सकते हैं। तुलसी, अपने प्राकृतिक उपचार गुणों के साथ, हमारी श्वसन प्रणाली को साफ़ करने में मदद करती है, और सर्दी और खांसी से लड़ती है। दूसरी ओर, विटामिन सी (Vitamin C) से भरपूर आंवला, हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देता है, जिससे हमको ऊर्जावान रहने और संक्रमणों से सुरक्षित रहने में मदद मिलती है। तुलसी की चाय और आंवले को अपने दैनिक आहार में शामिल करने से, हम पूरे सर्दियों में स्वस्थ रह सकते हैं।
आज, हम आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्रसिद्ध जड़ी-बूटी – तुलसी और प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने और तनाव को कम करने जैसे, इसके विभिन्न उपयोगों तथा औषधीय लाभों पर चर्चा करेंगे। इसके बाद, हम आंवला के बारे में जानेंगे, जो एक शक्तिशाली फल है, व अपनी उच्च विटामिन सी मात्रा के लिए जाना जाता है। हम, पाचन में सुधार और त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ाने सहित, इसके अन्य औषधीय लाभों की भी जांच करेंगे।
पवित्र तुलसी–
पवित्र तुलसी का वैज्ञानिक नाम, ओसीमम टेनुइफ़्लोरम (Ocimum tenuiflorum) है। हिंदू लोग, इसकी पूजा भी करते हैं और यह, तथ्य हम सब जानते ही हैं। यह दरअसल, एक औषधीय जड़ी बूटी है, जो भारत की मूल है। इसकी खेती पूर्वी एशिया (Asia), ऑस्ट्रेलिया (Australia) और आसपास के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है। “पवित्र तुलसी” को इसका नाम, हिंदू धर्म के वैष्णव संप्रदाय से संबंधित लोगों के बीच, इसके पवित्र वर्गीकरण के कारण मिला है। तुलसी का उपयोग अक्सर पाक कला में किया जाता है, और इसके अपने कई फ़ायदे हैं। आयुर्वेद की औषधीय पद्धतियों में एक मुख्य घटक के रूप में, तुलसी का एक समृद्ध इतिहास भी है।
तुलसी का उपयोग, भारत और नेपाल में इसके औषधीय गुणों के लिए, हज़ारों वर्षों से किया जाता रहा है। इसे ‘जीवन का अमृत’, ‘तरल योग’ और ‘जड़ी-बूटियों की रानी’ भी कहा जाता है।
तुलसी पौधे के सभी भाग – और विशेष रूप से इसकी पत्तियां और बैंगनी फूल – फ़ायदेमंद माने जाते हैं। यदि आप इसके कड़वे, परंतु मसालेदार स्वाद को संभाल सकते हैं, तो तुलसी को कच्चा भी खाया जा सकता है।
तुलसी के उपयोग एवं लाभ-
तुलसी में, प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidants) और सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं, जो सर्दी, फ़्लू, बुखार, अस्थमा आदि सामान्य बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। गले की खराश और सर्दी के लक्षणों से राहत पाने के लिए, तुलसी के पत्ते चबाना या तुलसी के साथ उबाला गया पानी पीना, उपयोगी साबित होता है।
सदियों से, तुलसी में मौजूद एंटीवाइरल (Antiviral), एंटीफ़ंगल (Antifungal) और जीवाणुरोधी गुणों के संयोजन के कारण, तुलसी का उपयोग घावों और संक्रमणों को ठीक करने में किया जाता रहा है। इसमें एंटी–एंटीइंफ़्लेमेटरी (Anti-inflammatory) गुण भी होते हैं, जो सूजन को कम करने और घावों को जल्दी ठीक करने में मदद करते हैं।
तुलसी हमारे रक्त को शुद्ध करने एवं स्वस्थ त्वचा को प्रतिबिंबित करने के लिए भी जानी जाती है।
कुछ त्वचा संक्रमण, जैसे कि, दाद या कीड़े के काटने का इलाज़, तुलसी की पत्तियों का उपयोग करके, आसानी से किया जा सकता है।
उच्च रक्तचाप के रोगियों को तुलसी के महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं, क्योंकि, तुलसी के पत्तों का सेवन उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) के स्तर को कम करके हमें लाभ पहुंचाता है। तुलसी सिरदर्द, चिंता, अवसाद, नींद की कमी और उच्च रक्तचाप के लक्षणों के लिए भी एक शक्तिशाली औषधि है।
प्रदूषित वातावरण, हमारे फेफ़ड़ों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। परिणामस्वरूप, अस्थमा (Asthama) और ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) जैसी श्वसन संबंधी समस्याएं होती हैं। ऐसी स्थिति में, तुलसी श्वसन तंत्र पर प्रभावी ढंग से कार्य करती है।
आंवला–
आंवला, एक एक ऐसा फल है, जो मूल रूप से एशिया के कुछ हिस्सों में उगता है। इसके कई पाक और औषधीय उपयोग हैं। खासकर, इसके मूल देश – हमारे भारत में, इसका व्यापक उपयोग किया जाता है। यह फ़ल विटामिन सी से भरपूर होता है। अक्सर माना जाता है कि, इसमें संभावित एंटीऑक्सिडेंट और हृदय-स्वास्थ्य लाभकारी गुण होते हैं। आंवला, जिसे ‘भारतीय करौदा’ भी कहा जाता है, वैज्ञानिक रूप से कई स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ने में मदद करने के लिए सिद्ध है। इसे इसके खट्टे स्वाद और उत्कृष्ट स्वास्थ्यगुणों के लिए जाना जाता है।
आंवले को दो वैज्ञानिक नामों से जाना जाता है – फ़िलैन्थस एम्ब्लिका (Phyllanthus emblica) और एम्ब्लिका ऑफ़िसिनैलिस (Emblica officinalis)। इस छोटे पेड़ में पीले-हरे फूल होते हैं, जो इसी रंग के गोल व खाने योग्य फलों में खिलते हैं। आंवला, गोल्फ़ बॉल के आकार के होते हैं, जिनमें एक गुठली और पतला छिलका होता है। इनका स्वाद खट्टा, कड़वा और कसैला होता है। आंवले का उपयोग, भारत में खाना पकाने में किया जाता है। आज बाज़ार में, अधिकांश आंवला पूरक, केवल पाउडर, सूखे फल या फल के अर्क से बनाए जाते हैं। हालांकि, इस पूरे पौधे – जिसमें फ़ल, पत्ते और बीज शामिल हैं – का उपयोग पारंपरिक भारतीय चिकित्सा में किया जाता है।
आंवले के स्वास्थ्य लाभ-
1. प्रतिरक्षा कार्य को बढ़ावा देना-
आंवला विटामिन सी से भरपूर है, जो आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है। इसके नियमित सेवन से, आपके शरीर की विभिन्न संक्रमणों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सकती है।
2. बेहतर त्वचा-
आंवले में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट का उच्च स्तर, मुक्त कणों से लड़ने में मदद कर सकता है, जो उम्र बढ़ने के लिए ज़िम्मेदार हैं। इसके नियमित सेवन से उम्र बढ़ने के लक्षणों और पर्यावरणीय क्षति को कम करके, आपकी त्वचा को साफ़ और अधिक चमकदार दिखने में मदद मिल सकती है।
3. रक्त शर्करा नियंत्रण-
आंवले में क्रोमियम (Chromium) होता है, जिसका मधुमेह के रोगियों के लिए चिकित्सीय महत्व है। क्योंकि, यह कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) चयापचय को विनियमित करने में मदद करता है, और शरीर को इंसुलिन (Insulin) के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है। यह बदले में रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर करता है।
4. बेहतर पाचन-
इसमें फ़ाइबर (Fibre) की मात्रा अधिक होती है, इसलिए, आंवला स्वस्थ मल त्याग करने में मदद करता है, और कब्ज़ को रोकने में मदद करता है। यह जठरीय और पाचक रसों के स्राव को भी प्रेरित करता है, जिससे आपके भोजन को पचाना आसान हो जाता है। इससे अल्सर (Ulcer) जैसे जठरीय विकारों की घटनाओं में कमी आती है।
5. बेहतर यकृत-
आंवला में हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण (Hepatoprotective properties) भी होते हैं, जो लिवर अर्थात यकृत को डिटॉक्सीफ़ाई (Detoxify) करने में सहायता करते हैं। इस प्रकार, लिवर के कामकाज की समग्र बेहतरी के लिए, शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं।
संदर्भ
मुख्य चित्र: (Wikimedia)
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