
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यह तो हर कोई जानता है कि किसी भी देश अथवा शहर की अर्थव्यवस्था वहां के व्यवसायों पर निर्भर करती है और व्यवसायों के फलने-फूलने के लिए प्रोत्साहन के साथ-साथ विज्ञापन और प्रचार की आवश्यकता होती है। इसमें मुख्य भूमिका आती है शहर से संबंधित येलो पेजे और ई-कार्ड्स की। आपको यह जानकर गर्व होगा कि, भारत की पहली हिंदी येलो पेज़ और ई-कार्ड्स पहल की शुरुआत प्रारंग द्वारा की गई है। हमारे लखनऊ के पोर्टल पर इनके उपयोग के बारे में भी बताया गया है। यहां निःशुल्क खाता खोलने और शहर में अपने उत्पादों को साझा करने के लिए आपको बस एक मोबाइल नंबर की आवश्यकता है। हमारे शहर लखनऊ के लिए आप इस लिंक पर क्लिक करके पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं:
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आप सभी इस बात से सहमत होंगे कि हाल के वर्षों में, हमारा शहर उत्तर भारत में एक औद्योगिक केंद्र के रूप में उभर रहा है। शहर में विनिर्माण, भंडागार और संभारिकी क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निवेश और वृद्धि देखी जा रही है। क्या आप जानते हैं कि, हमारे शहर के साथ-साथ, किसी भी शहर के विकास में राज्य और देश के विभिन्न वाणिज्य मंडलों अर्थात 'चेंबर्स ऑफ़ कॉमर्स' (Chambers of commerce) का महत्वपूर्ण योगदान होता है। तो आइए, आज भारत में विभिन्न स्तर पर मौज़ूद चेंबर्स ऑफ़ कॉमर्स के बारे में जानते हैं। इस संदर्भ में, हम विशेष रूप से मद्रास चेंबर ऑफ़ कॉमर्स (Madras Chamber of Commerce) की उत्पत्ति, विकास और कार्यों के बारे में विस्तार से बात करेंगे। इसके साथ ही, हम इस बात पर भी प्रकाश डालेंगे कि, तमिलनाडु को 2030 तक, 1 ट्रिलियन डॉलर की सकल राज्य घरेलू उत्पाद (Gross State Domestic Product (GSDP)) तक पहुंचने में मद्रास चेंबर ऑफ़ कॉमर्स की क्या भूमिका होगी।
भारत में चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स के प्रारूप:
चेंबर्स ऑफ़ कॉमर्स कई अलग-अलग प्रारूपों में से एक में आयोजित किए जा सकते हैं:
क्षेत्रीय, शहरी और सामुदायिक: क्षेत्रीय, शहरी और सामुदायिक चेंबर्स क्षेत्रीय या स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित होते हैं, जिसमें स्थानीय सरकार के साथ सहयोग शामिल होता है। वे व्यापक रूप से सीमा पार व्यापार समर्थक पहलों को बढ़ावा देते हैं, जैसे कि आप्रवासी समूहों और उनके देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना।
सिटी चेंबर: सिटी चेंबर्स , का उद्देश्य स्थानीय और संभवतः विश्व स्तर पर शहर के आर्थिक हित को बढ़ावा देना है।
स्टेट चेंबर: स्टेट चेंबर्स , राज्य स्तर पर व्यापार, वाणिज्य, और उद्योग का संगठन होता है। इनका उद्देश्य व्यापार को बढ़ावा देना और व्यावसायिक अवसर पैदा करना होता है।
राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय चेंबर: राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय चेंबर राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार एवं वाणिज्य से जुड़ी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
अनिवार्य चेंबर्स : कुछ देशों में, एक निश्चित आकार के व्यवसायों को एक चेंबर ऑफ़ कॉमर्स में शामिल होने की आवश्यकता होती है। ये चेंबर्स स्व-नियमन के माध्यम से, सदस्य व्यवसायों को बढ़ावा देते हैं, आर्थिक विकास का समर्थन करते हैं, और कार्यकर्ता प्रशिक्षण की देखरेख करते हैं। ऐसे चेंबर्स यूरोप और जापान में लोकप्रिय हैं। कुछ देशों में चेंबर ऑफ़ कॉमर्स अपनी सदस्यता का सर्वेक्षण करके प्रमुख आर्थिक डेटा प्रदान कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, ब्रिटिश चेंबर ऑफ़ कॉमर्स द्वारा प्रदत्त त्रैमासिक आर्थिक सर्वेक्षण का उपयोग सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था का आकलन करने के लिए किया जाता है।
मद्रास चेंबर ऑफ़ कॉमर्स का परिचय:
मद्रास चेंबर ऑफ़ कॉमर्स की शुरुआत 1836 में हुई थी और यह दक्षिण भारत में सबसे पुराना चेंबर है। यह चेंबर 'एसोसिएटेड चेंबर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ़ इंडिया' (Associated Chambers of Commerce and Industry of India (ASSOCHAM)), नई दिल्ली का समर्थक और सहयोगी तथा 'फेडरेशन ऑफ़ इंडियन चेम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री' (Federation of Indian Chambers of Commerce and Industry (FICCI)), नई दिल्ली का सदस्य है। यह सिटी चेम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स, चेन्नई की परामर्शदाता समिति का एक घटक और भारतीय मध्यस्थता परिषद का आजीवन सदस्य है।
मद्रास चेंबर ऑफ़ कॉमर्स के इतिहास में कुछ महत्वपूर्ण तिथियां:
1. 29 सितंबर 1836 को, बिन्नी एंड कंपनी के कार्यालय में, 18 सदस्यों और श्री जॉन ए. आर्बुथनोट (Mr John Alves Arbuthnot) की अध्यक्षता में मद्रास चेंबर ऑफ़ कॉमर्स का गठन किया गया।
2. 1868 में, "मेल" (The Mail) मद्रास चेंबर और यूरोपीय मर्केंटाइल समुदाय का आधिकारिक अंग बन गया।
3. 1914 में, मद्रास चेंबर ने भारतीय रेलवे की दक्षिणी रेलवे शाखा को विकसित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसमें रेलवे बोर्ड में एक स्थायी सदस्य को शामिल करने की भी वकालत की गई।
4. 1948 में, मद्रास चेंबर ने सरकार द्वारा उद्योगों के राष्ट्रीयकरण का कड़ा विरोध किया और निजी उद्योगों के अधिक फायदेमंद होने के विचार को बढ़ावा दिया।
5. 1965 में, ए एम एम मुरुगप्पा चेट्टियार (AMM Murugappa Chettiar) को मद्रास चेंबर का पहला भारतीय अध्यक्ष चुना गया। इसके साथ ही, इस चेंबर ने मद्रास की औद्योगिक क्रांति की सरकारी पहल का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
6. वर्ष 2000 में, 'मद्रास चेंबर विवाचन, मध्यस्थता और सुलह केंद्र' (Madras Chamber Arbitration, Mediation and Conciliation Centre (MAMC)) अस्तित्व में आया। चेंबर वाणिज्यिक विवादों को सुलझाने के लिए मध्यस्थता सेवाएं प्रदान करने वाले पहले कुछ संगठनों में से एक था।
7. 2021 में, अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे वाले, मध्यस्थता हॉलों के साथ एम ए एम सी(MAMC) के अनन्य परिसर का उद्घाटन हुआ।
मद्रास चेंबर ऑफ़ कॉमर्स के कार्य:
मद्रास चेंबर ऑफ़ कॉमर्स का मुख्य कार्य, चेन्नई में विभिन्न सरकारी विभागों, संस्थानों, राजनयिक मिशनों और भारत और विदेशों में अन्य प्रमुख शहरों के साथ तालमेल बनाए रखना है। यह भारतीय उत्पादों के आयात/निर्यात, कानून में परिवर्तन, कानून, नियम, विनियमों और अधिसूचनाओं के लिए प्राप्त एक ऑन-गोइंग (ongoing) आधार व्यापार पूछताछ पर भी प्रसारित होता है, जो सरकार और अन्य संस्थानों, स्थिति रिपोर्ट, स्थिति कागजात, श्वेत पत्रों द्वारा जारी किए जाते हैं एवं उद्योगों के लिए प्रासंगिक होते हैं। व्यापार और वाणिज्य के विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास से अवगत रहने के लिए, चेंबर विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित नागरिकों, वरिष्ठ अधिकारियों, सरकार और अन्य संगठनों के साथ सेमिनार, कार्यशालाएं, सम्मेलन, प्रशिक्षण कार्यक्रम, ओपन हाउस चर्चा आदि आयोजित करता है।
तमिलनाडु सरकार के 1 ट्रिलियन डॉलर की जी एस डी पी तक पहुंचने में, मद्रास चेंबर ऑफ़ कॉमर्स की भूमिका:
तमिलनाडु सरकार के अनुसार, तमिलनाडु के 1 ट्रिलियन के जी एस डी पी तक पहुंचने के लक्ष्य को समर्थन करने के लिए, 'मद्रास चेंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज़' द्वारा निर्यात संवर्धन, उद्योग और वित्तीय प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस दिशा में तमिलनाडु सरकार की महत्वाकांक्षी पहल 'नान मुधलवन योजना' एक बड़ा कदम है। 186 साल पुराने इस चेंबर द्वारा तमिलनाडु में नए निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करके 'डूइंग बिज़नेस इन तमिलनाडु' (Doing Business in Tamil Nadu) शीर्षक से नियामक अनुपालन पर एक हैंडबुक भी लाई जाएगी। राज्य सरकार द्वारा निर्यात कंपनियों के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 100 करोड़ रुपये का आवंटन, नॉलेज सिटी की स्थापना और तमिलनाडु को निर्यात में भारतीय राज्यों में अग्रणी बनाने के लिए निर्यात प्रोत्साहन रणनीति जारी करने जैसी कई पहल की गईं हैं। इसके अलावा, सूचना प्रौद्योगिकी, डेटा सेंटर, कपड़ा, इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण, फुटवियर जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में तमिलनाडु की जी एस डी पी में 14.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और वित्त वर्ष 2023 में इसमें 14 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। राज्य द्वारा 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की जी एस डी पी और 300 बिलियन के निर्यात को प्राप्त करने का लक्ष्य अपनाया गया है। गौरतलब है कि तमिलनाडु में इस वर्ष 50,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आए हैं।
संदर्भ
मुख्य चित्र : 23 जून, 2022 को तीन दिवसीय बंगाल मैंगो फ़ेस्टिवल का आयोजन, पश्चिम बंगाल खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और बागवानी विभाग ने इंडियन चैंबर ऑफ़ कॉमर्स (ICC) के सहयोग से किया (Wikimedia)
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