योग के यम: जीवन में नकारात्मकता और दुख से मुक्ति का श्रेष्ठ उपाय

य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला
25-03-2025 09:26 AM
योग के यम: जीवन में नकारात्मकता और दुख से मुक्ति का श्रेष्ठ उपाय

संस्कृत में "यम" का अर्थ होता "संयम" या "नियमों का पालन करना" होता है! योग दर्शन में, यम ऐसे गुणों को कहा जाता है, जिन्हें अपनाने की हमें हमेशा कोशिश करनी चाहिए। ये गुण, न केवल हमें ईमानदारी से जीवन जीने में मदद करते हैं, बल्कि दूसरों के साथ बेहतर संबंध बनाने में भी सहायता करते हैं।

यम हमें यह सिखाते हैं कि, दुनिया में सही तरीके से कैसे जिया जाए। इसे योग के आठ अंगों में पहला और बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। आज के इस लेख में, हम यम का अर्थ और इसका महत्व समझने की कोशिश करेंगे। इसके साथ ही, हम योग के पांच यमों के बारे में जानेंगे और यह भी समझेंगे कि, इन्हें अपने जीवन में कैसे अपनाया जाए।

ये पांच यम हैं:

अहिंसा (हिंसा से बचना)

सत्य (सच बोलना)

अस्तेय (चोरी न करना)

ब्रह्मचर्य (संयम रखना)

अपरिग्रह (अधिक संचय न करना)

अंत में, हम यम का अभ्यास शुरू करने से पहले ध्यान देने योग्य कुछ सुझावों और गतिविधियों पर विचार करेंगे। 

योग के आठ अंगों में, यम पहला और अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है। इसका वर्णन प्राचीन भारतीय दार्शनिक ग्रंथ ‘पतंजलि के योग सूत्र’ में मिलता है। हर अंग योग अभ्यास के एक विशिष्ट पहलू को दर्शाता है, और इनका उद्देश्य स्वतंत्रता और सच्चे ज्ञान की ओर ले जाना है। यम, मुख्य रूप से हमारे आस-पास की दुनिया और उसके साथ हमारे संबंधों से जुड़े होते हैं। योग का अभ्यास करते समय, यम के इन सिद्धांतों पर ध्यान देना ज़रुरी है। ऐसा करने से हमारे निर्णय और कार्य अधिक जागरूक, विचारशील और ऊंचे आदर्शों से प्रेरित होते हैं। यह प्रक्रिया हमें खुद के प्रति और दूसरों के प्रति अधिक प्रामाणिक और ईमानदार बनने में मदद करती है।

19वी सदी का गुआश विधि (Gouache) से बना लघु चित्र, जो भगवान विष्णु को आठ-पंखुड़ी वाले कमल के मध्य में, योग मुद्र में दर्शाता है। कमल की हर पंखुड़ी में संभवतः एक अष्टदिक्पाल देवता (आठ दिशाओं के रक्षक) हैं। अतः चित्र ब्रह्मांडीय व्यवस्था, संतुलन और ईश्वरीय सुरक्षा का योग है। | Source : Rawpixel

आइए अब योग के 5 यम और उन्हें अभ्यास करने के तरीके को समझते हैं:

1. अहिंसा (हिंसा न करना): अहिंसा का मतलब 'शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से किसी को नुकसान न पहुँचाना' होता है। यह सिर्फ़, दूसरों के प्रति ही नहीं, बल्कि अपने प्रति भी हिंसा से बचने का संदेश देती है। इसमें केवल शारीरिक नुकसान ही नहीं, बल्कि विचारों और भावनाओं से होने वाले नुकसान भी शामिल हैं।

अहिंसा का अभ्यास कैसे करें: हमारे जीवन में हिंसा, कई रूपों में दिखती है। इसका अभ्यास करने का पहला कदम यह पहचानना है कि हम कहाँ, किसे और कैसे नुकसान पहुँचा रहे हैं ? सभी नुकसानों से बचना हमेशा संभव नहीं होता, जैसे सफ़ाई के दौरान सूक्ष्मजीवों को नष्ट करना। लेकिन, हमें एक संतुलन बनाना चाहिए ताकि हमारा जीवन उत्पादक और स्वस्थ हो, और नुकसान कम से कम हो।

2. सत्य (सच बोलना): सत्य का अर्थ है, अपने और दूसरों के प्रति ईमानदार रहना। इसकी विशेषता केवल झूठ न बोलने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अपने जीवन में सार्वभौमिक सत्य को पहचानने और अपनाने की बात करता है।

सत्य का अभ्यास कैसे करें: सत्य को पहचानने और स्वीकारने की कोशिश करें। यह समझें कि, आपकी धारणाएँ आपकी भावनाओं, इच्छाओं और सीमाओं से प्रभावित हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई संदेश भेजने पर जवाब न मिले, तो यह सच है कि जवाब नहीं आया। लेकिन इसे अपने मन में गलत अर्थ देना - जैसे "वे मुझे अनदेखा कर रहे हैं" - सत्य नहीं है। सत्य को समझें और जब तक सुरक्षित हो, उसे बोलने का साहस रखें।

3. अस्तेय (चोरी न करना): अस्तेय का मतलब है, किसी ऐसी चीज़ को न लेना जो आपकी नहीं है। यह केवल भौतिक वस्तुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि अनुचित लाभ उठाने, काम में लापरवाही, या दूसरों के विचार चुराने जैसे कार्यों को भी शामिल करता है।

अस्तेय का अभ्यास कैसे करें: अस्तेय का पालन करने के लिए, जागरूकता ज़रूरी है। कभी-कभी, हम काम में ढिलाई करके या दूसरों की खुशी छीनने वाली टिप्पणियाँ करके भी चोरी करते हैं। यह आदत, अक्सर आंतरिक असंतोष या ईर्ष्या से पैदा होती है। इसे कम करने के लिए, आत्म-जागरूक बनें और संतोष पाने के स्वस्थ तरीके खोजें।

4. ब्रह्मचर्य (इंद्रिय सुखों पर नियंत्रण): ब्रह्मचर्य का अर्थ है, अपनी इच्छाओं और इंद्रिय सुखों पर नियंत्रण रखना। अत्यधिक भोग, हमारे जीवन में समस्याएँ और दुख पैदा कर सकता है।

ब्रह्मचर्य का अभ्यास कैसे करें: ऐसे कार्यों और पदार्थों से बचें, जो नशे की लत जैसे हों। खाने-पीने, मनोरंजन और अन्य इंद्रिय सुखों में संतुलन बनाएँ। अपनी ज़रूरतों और इच्छाओं का विश्लेषण करें और उन पर नियंत्रण रखें।

5. अपरिग्रह (संपत्ति न जोड़ना): अपरिग्रह का मतलब है, ज़रूरत से ज़्यादा भौतिक चीज़ों की लालसा से बचना। यह हमें सिखाता है कि चीज़ों और लोगों के प्रति, अधिकार की भावना छोड़कर, एक साधारण और संतोषजनक जीवन जियें।

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अपरिग्रह का अभ्यास कैसे करें: अपने पास मौजूद चीज़ों पर ध्यान दें और सोचें कि आप उनसे क्यों जुड़े हुए हैं। अगर आप उन्हें खोने के डर से सहमे रहते हैं, तो यह आपके जीवन में नई और ज़रूरी चीज़ों को आने से रोक सकता है। सरल जीवन जीने की आदत डालें और संतोष पाना सीखें।

योग के ये पाँच यम, हमारे जीवन को अधिक संतुलित, सादा और शांतिपूर्ण बना सकते हैं। इनका अभ्यास हमें न केवल खुद के प्रति, बल्कि दूसरों के प्रति भी ईमानदार और दयालु बनने में मदद करता है।

आइए, अब यम का अभ्यास करने से पहले ध्यान रखने योग्य बातों पर एक नज़र डालते हैं:

केवल एक यम से शुरुआत करें: पाँचों यम (अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह) को धीरे-धीरे समझने और उन पर विचार करने की प्रक्रिया शुरू करें। जब आप इनके बारे में गहराई से सोचेंगे, तो समझ पाएंगे कि, हर यम, आपके जीवन में कैसे प्रकट हो सकता है। अपने विचारों और भावनाओं पर ध्यान दें और जानें कि, कौन-सा यम, आपके लिए अधिक महत्वपूर्ण है। शुरुआत में केवल एक या दो यम पर ध्यान केंद्रित करें।

योग अभ्यास में यम का समावेश करें: जिस यम को आपने चुना है, उसे अपने योग अभ्यास का हिस्सा बनाएं। इसे अपने इरादे या संकल्प के रूप में लें। जब आप एक आसन से दूसरे में जाएं, तो अपने श्वास, शरीर और मन को इस यम के प्रति सजग रखें। असफल होने पर खुद को दोष न दें। इसके बजाय, दोबारा प्रयास करने का संकल्प लें। धैर्य, करुणा और दृढ़ निश्चय के साथ अपने अभ्यास को आगे बढ़ाएं।

प्रगति को लिखें और समझें: अपनी यात्रा और अनुभवों को लिखने के लिए एक जर्नल रखें। ऐसा करना, न केवल आपके विचारों को स्पष्ट करेगा, बल्कि आपके अनुभवों को गहराई से समझने में भी मदद करेगा। अपने यम के अभ्यास से प्राप्त अंतर्दृष्टियों को लिखना, आपके योग अभ्यास और जीवन में और अधिक आत्मसात करने में सहायक साबित हो सकता है। 

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अवलोकन और गहराई से आत्मनिरीक्षण करें: योग और ध्यान के दौरान, अपने विचारों और भावनाओं के पैटर्न को ध्यान से देखें। यह समझने की कोशिश करें कि ये आदतें या प्रतिक्रियाएं कहाँ से आती हैं। अपने अंदर की गहराई को समझने के लिए, समय निकालें और इन पैटर्न को पहचानने की कोशिश करें। इससे आपको अपने यम को और अधिक अच्छे से अपनाने में मदद मिलेगी।

अगले यम पर ध्यान दें: जब आपको लगे कि आप पहले यम का अभ्यास अच्छी तरह से कर रहे हैं, तब दूसरे यम पर काम शुरू करें। जैसे-जैसे, आपकी आंतरिक जागरूकता बढ़ेगी, आप एक साथ एक से अधिक यम पर भी ध्यान दे सकेंगे। लेकिन, इस प्रक्रिया में जल्दबाज़ी न करें। हर नए यम को अपनाने से पहले, अपने पिछले अनुभवों पर विचार करें और अपनी रणनीति में आवश्यक बदलाव करें। इन सुझावों का पालन करके आप यम को अपने जीवन और योग अभ्यास में प्रभावी रूप से शामिल कर सकते हैं।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/2apqeckh

https://tinyurl.com/2aw7l4oq

https://tinyurl.com/23h58qhg

मुख्य चित्र का स्रोत : Rawpixel

 

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