लखनऊ, जो अपनी समृद्ध कलात्मक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, उत्तर प्रदेश के उत्कृष्ट लकड़ी के हस्तशिल्प से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। इस शहर को न केवल अपने सांस्कृतिक और कलात्मक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि यह सहारनपुर और चित्रकूट जैसे शिल्प कौशल के प्रसिद्ध केंद्रों के साथ एक गहरा संबंध साझा करता है। सहारनपुर अपनी जटिल लकड़ी की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है, जबकि चित्रकूट अपनी अनूठी लकड़ी की कलाकृतियों के लिए जाना जाता है।लकड़ी के ये हस्तशिल्प पारंपरिक कौशल की पीढ़ियों से चली आ रही धरोहर को जीवित रखे हुए हैं। उत्तर प्रदेश की समृद्ध परंपरा और शिल्प कौशल को ये लकड़ी के हस्तशिल्प बखूबी प्रदर्शित करते हैं। लकड़ी के हस्तशिल्प राज्य की कला और शिल्प कौशल का प्रतीक बने हुए हैं। आज, के इस लेख में हम इन हस्तशिल्पों के प्रकार, उनकी विविधता और उनके योगदान पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा हम भारत के विभिन्न राज्यों और जिलों में लकड़ी के हस्तशिल्प की विविधता और क्षेत्रीय शिल्प कौशल का भी विश्लेषण करेंगे।
भारत, अपनी समृद्ध संस्कृति और शिल्प के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इनमें लकड़ी के हस्तशिल्प एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, जो घर की सजावट के लिए सबसे लोकप्रिय कला रूपों में से एक हैं। इन हस्तशिल्पों की सुंदरता और सौंदर्य ने इन्हें हर भारतीय घर का हिस्सा बना दिया है।
भारत में पेड़ों की अनेक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनका उपयोग लकड़ी के हस्तशिल्प बनाने में होता है। इन हस्तशिल्पों में फ़र्नीचर, बक्से, मोती, बारीक नक्काशीदार आकृतियाँ, सहायक उपकरण जैसे आइटम शामिल हैं।
लकड़ी के हस्तशिल्प बनाने में बांस, शीशम, अल्पाइन जंगलों की लकड़ी और शुष्क क्षेत्रों के पेड़ों की लकड़ी का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। फ़र्नीचर जैसे उपयोगी वस्तुओं के अलावा, लकड़ी से सुंदर खिलौने, फ़ोटो फ्रेम, गुड़िया, दीवार पर सजाने वाली वस्तुएँ, सजावटी फूलदान और शोपीस जैसे अनगिनत कलात्मक उत्पाद बनाए जाते हैं।
लकड़ी को सजाने और नक्काशी करने की कला को, भारत में सबसे उल्लेखनीय कला रूपों में से एक माना जाता है। इन हस्तशिल्पों का उपयोग, न केवल घरों को सजाने के लिए किया जाता है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और कलात्मक धरोहर को भी प्रदर्शित करते हैं। लकड़ी के हस्तशिल्प भारत की परंपरा और कारीगरों के अद्वितीय कौशल का जीवंत उदाहरण हैं।
हमारे देश के कुशल कारीगरों ने इन शिल्पों के माध्यम से मूर्तियों, आकृतियों और सजावटी सामानों का अद्वितीय निर्माण किया है। वारली कला, पश्चिम बंगाल की प्रसिद्ध ढोकरा कला और मधुबनी कला जैसी विधाएँ सजावटी वस्तुएँ बनाने में प्रमुख रही हैं। इन शिल्पों की विविधता लकड़ी के मछली पकड़ने वाले हुक, पाइप के तने, चम्मच और अन्य कई वस्तुओं तक फैली हुई है।
आइए, अब लकड़ी के हस्तशिल्पों के कुछ प्रमुख प्रकारों के बारे में जानते हैं:
1. मार्क्वेट्री (Marquetry) : मार्क्वेट्री लकड़ी के हस्तशिल्प का आधुनिक रूप है, जिसमें लकड़ी में सामग्री के टुकड़े डालकर सुंदर और विस्तृत पैटर्न बनाए जाते हैं। इसमें लकड़ी, हाथी दांत, धातु जैसी सामग्रियों का उपयोग किया जाता है, जो हस्तनिर्मित लकड़ी के शोपीस को अद्वितीय बनाते हैं। सबसे सरल मार्क्वेट्री में लिबास के दो स्लाइस का उपयोग किया जाता है, जिन्हें अस्थायी रूप से एक साथ चिपकाया जाता है। पहले, चाकू से लकड़ी के पतले स्लाइस काटे जाते थे, लेकिन समय की बचत के लिए अब आरी का उपयोग अधिक किया जाता है।
2. लकड़ी की नक्काशी (Wood carving): लकड़ी की नक्काशी, सबसे पुराने और पारंपरिक कला रूपों में से एक है। इसमें हाथ से लकड़ी को सजाने के लिए तेज़ उपकरणों का उपयोग किया जाता है। नक्काशी की प्रक्रिया में ब्लॉकिंग, सरफेसिंग और स्मूथनिंग जैसे चरण शामिल हैं। छेनी, वी-टूल और अन्य नक्काशी उपकरण इस कला में प्रमुख होते हैं। इस विधि का उपयोग मूर्तियाँ, आभूषण और सजावटी आकृतियाँ बनाने में होता है। लकड़ी की नक्काशी का उपयोग प्राचीन काल से मूर्तिकला निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता रहा है।
3. इंटार्सिया (Intarsia): इंटार्सिया एक विशेष लकड़ी का शिल्प है, जिसमें फ़र्नीचर, दीवारों और फ़र्श पर लकड़ी के टुकड़े बिछाने की तकनीक का उपयोग होता है। यह प्रक्रिया मोज़ेक जैसा लुक देती है। 'इंटार्सिया' शब्द, लैटिन भाषा के 'इंटरसेरेरे' से लिया गया है, जिसका अर्थ है "डालना"। यह कला 17वीं शताब्दी में मिस्र पर अरबों के शासन के दौरान लोकप्रिय हुई। हालांकि, आज भी यह कला कई लोगों के लिए रहस्य बनी हुई है।
लकड़ी की नक्काशी भारत की एक प्राचीन कला है। इसकी शुरुआत मंदिरों और महलों की सजावट के रूप में हुई थी। धीरे-धीरे यह मूर्तिकला कला के साथ आगे बढ़ी और विकसित हुई। हर क्षेत्र ने स्थानीय रूप से उपलब्ध लकड़ी के आधार पर अपनी अनूठी शैली और तकनीक बनाई। इन शैलियों से कई खूबसूरत कलाकृतियाँ तैयार हुईं।
अलीगढ़, आजमगढ़, नगीना, लखनऊ और सहारनपुर उत्तर प्रदेश में लकड़ी की नक्काशी के मुख्य केंद्र हैं। यहाँ नक्काशी के लिए, शीशम और साल की लकड़ी का उपयोग किया जाता है। नगीना में आबनूस की लकड़ी पर टेबल, कुर्सी, बक्से और बिस्तर जैसी चीज़ो पर नक्काशी की जाती है। इन वस्तुओं पर पुष्प और ज्यामितीय डिज़ाइन देखे जा सकते हैं।
नगीना को हमेशा से ही परिवहन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा है। इसलिए यहाँ के कारीगरों ने छोटे सजावटी टुकड़े बनाना शुरू किया, जिन्हें आसानी से ले जाया जा सके। यह कला मुगल काल से चली आ रही है। समय के साथ, उपभोक्ताओं की पसंद बदल गई। अब यहाँ के कारीगर बारीक नक्काशी वाले समकालीन उपयोग की वस्तुएँ भी बनाते हैं। इनमें खिड़कियाँ, दरवाज़े, बक्से और पेन स्टैंड शामिल हैं।नगीना, अपनी आबनूस लकड़ी की कारीगरी के लिए प्रसिद्ध है। इसे 'वुड क्राफ़्ट सिटी ('Wood Craft City')' के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ का लुहारी सराय मोहल्ला अपने लकड़ी के हस्तशिल्प और कुशल कारीगरों के लिए मशहूर है। शीशम और रोज़वुड (Rosewood) से बनी वस्तुएँ यहाँ की खासियत हैं। इनमें लकड़ी के बक्से, आभूषण बक्से, चाय और कॉफ़ी के डिब्बे, अगरबत्ती के डिब्बे और गेम बॉक्स शामिल हैं। इसके अलावा, मोमबत्ती धारक, पेपर रैक, पेन होल्डर, पेपर कटर, कोस्टर सेट और ऐशट्रे भी बनाए जाते हैं। धूम्रपान पाइप, दरवाज़े के हैंडल, वॉकिंग स्टिक, और नॉटिकल टेबल जैसी वस्तुएँ भी यहाँ तैयार होती हैं। ये सभी वस्तुएँ हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बेहद उपयोगी होती हैं।
लकड़ी के हस्तशिल्प, भारत भर में लगभग 1.1 मिलियन कारीगरों को आजीविका प्रदान करते हैं। इससे देश की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक विरासत में लकड़ी के हस्तशिल्प के महत्व का पता चलता है। भारतीय लकड़ी के हस्तशिल्प के प्रमुख आयातकों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, नीदरलैंड, यू ए ई, स्विट्जरलैंड, सऊदी अरब, यू एस ए और यूके शामिल हैं। भारत में उत्कृष्ट लकड़ी के हस्तशिल्प के उत्पादन के लिए कई क्षेत्र प्रसिद्ध हैं। इनमें जयपुर, जोधपुर, सहारनपुर, नगीना, राजकोट, बाड़मेर, होशियारपुर, श्रीनगर, अमृतसर, जगदलपुर, बैंगलोर, अहमदाबाद, केरल, बरहामपुर, चन्नपटना और मैसूर जैसे स्थान शामिल हैं।
लकड़ी के इन शिल्पों में शीशम, बबूल, आबनूस, नीम, साल, खैर, आम, चिनार, कीकर, चिरपाइन, चंदन और सागवान जैसी लकड़ी का उपयोग किया जाता है। हर लकड़ी अपनी अलग विशेषता और गुणवत्ता के कारण शिल्प को अद्वितीय बनाती है।
लकड़ी के फ़र्नीचर और हस्तशिल्प उत्पादों की वैश्विक बाज़ार में भी तेज़ी से वृद्धि हुई है। 2010-2011 में इनका मूल्य 6,139.43 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो 2019-2020 में बढ़कर 14,540.19 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। 2014 से 2020 के बीच यह क्षेत्र 13.84% की सी ए जी आर (Compound Annual Growth Rate) दर्ज़ कर चुका है।
सहारनपुर, लकड़ी के शिल्प के लिए एक प्रमुख केंद्र रहा है, जिसकी परंपरा लगभग 400 साल पुरानी है। यहां के शिल्प अपने जटिल और सुंदर डिज़ाइनों के लिए प्रसिद्ध हैं। शीशम की लकड़ी इस शिल्प में प्रमुख रूप से इस्तेमाल की जाती है।
सहारनपुर से बनी नक्काशीदार लकड़ी के फ़र्नीचर और अन्य उत्पादों का निर्यात विभिन्न देशों में किया जाता है। इस उद्योग ने क्षेत्र में छोटे पैमाने पर सवरोज़गार को बढ़ावा दिया है। साथ ही, यह बड़ी संख्या में लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार प्रदान करता है।
भारत के विभिन्न राज्यों और जिलों में लकड़ी के हस्तशिल्प के प्रकार भी बदल जाते हैं! जैसे कि:
श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर: यहाँ अखरोट और देवदार की लकड़ी के शिल्प बेहद प्रसिद्ध हैं। इन शिल्पों में जटिल डिज़ाइन और बेहतरीन शिल्प कौशल का प्रदर्शन होता है।
सहारनपुर, उत्तर प्रदेश: सहारनपुर को अपने लकड़ी के नक्काशीदार फ़र्नीचर और सजावटी स्क्रीन के लिए जाना जाता है। ये शिल्प पारंपरिक कलात्मकता और समृद्ध विरासत को दर्शाते हैं।
नगीना, उत्तर प्रदेश: नगीना में लकड़ी की नक्काशी का विशेष महत्व है। यहाँ खासतौर पर, जटिल डिज़ाइन वाले बक्से बनाए जाते हैं, जो अपनी सुंदरता और टिकाऊपन के लिए मशहूर हैं।
जोधपुर, राजस्थान: जोधपुर लकड़ी के हस्तशिल्प और प्राचीन शैली के फ़र्नीचर के लिए केंद्र के रूप में जाना जाता है। ये शिल्प लालित्य और कालातीत आकर्षण को प्रदर्शित करते हैं।
कोलकाता, पश्चिम बंगाल: कोलकाता में लकड़ी के फ़र्नीचर के कई प्रकार की वस्तुएं तैयार होती हैं। यहाँ की वस्तुएं कलात्मकता और उपयोगिता का अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करती हैं।
कोंडापल्ली, आंध्र प्रदेश: यह स्थान लकड़ी के टर्निंग और लाह के बर्तन शिल्प के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ रंगीन और जीवंत हस्तनिर्मित वस्तुएं बनाई जाती हैं।
चन्नापटना, कर्नाटक: चन्नापटना अपने लकड़ी के जड़ाऊ लेखों के लिए प्रसिद्ध है। इन लेखों में जटिल पैटर्न और जीवंत डिज़ाइन देखने को मिलते हैं।
चेन्नई, तमिलनाडु: चेन्नई लकड़ी के प्राचीन फ़िनिश वाले हस्तशिल्प के लिए जाना जाता है। ये वस्तुएं विशेष रूप से विंटेज सजावट के शौकीनों को आकर्षित करती हैं।
क्विलांडी, केरल: यहाँ नारियल की लकड़ी और नारियल के खोल से बने उपहार विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। ये शिल्प पर्यावरण-मित्रता और रचनात्मकता का अद्भुत संयोजन हैं।
त्रिवेंद्रम, केरल: त्रिवेंद्रम शीशम की नक्काशी और खूबसूरत उपहारों के लिए प्रसिद्ध है। ये वस्तुएं इस क्षेत्र की कलात्मक श्रेष्ठता को उजागर करती हैं।
भारत के विभिन्न राज्य और ज़िले अपने-अपने अद्वितीय लकड़ी के हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध हैं। ये शिल्प न केवल भारतीय कला और संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं बल्कि उनकी सुंदरता और गुणवत्ता से भी लोगों को आकर्षित करते हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/yxyxp4on
https://tinyurl.com/yxyxp4on
https://tinyurl.com/2766z9n7
https://tinyurl.com/258bhncx
https://tinyurl.com/258bhncx
मुख्य चित्र : सांगानेर, जयपुर मैं लकड़ी के एक ब्लॉक पर डिज़ाइन बनाता एक कारीगर (Wikimedia)
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