![आइए करें, लखनऊ के पड़ोसी ज़िले बारांबाकी के ऐतिहासिक महत्व और अर्थव्यवस्था का विश्लेषण](https://prarang.s3.amazonaws.com/posts/11554_January_2025_678e204e254dd.jpg)
हमारे शहर लखनऊ से केवल 30 किलोमीटर दूर स्थित शहर बारांबाकी नामक शहर, ज़िले बारांबाकी ज़िले का प्रशासनिक मुख्यालय है। बारांबाकी जिला राज्य के मध्य अवध क्षेत्र में अयोध्या मंडल के पांच ज़िलों में से एक है। बारांबाकी ज़िले का कुल क्षेत्रफल 3891.5 वर्ग किलोमीटर है। एक चीज़, जो बारांबाकी और लखनऊ को जोड़ती है, वह गोमती नदी है। गोमती नदी लखनऊ से निकलने के बाद सीधे बारांबाकी ज़िले में प्रवेश करती है। तो आइए, आज इस ज़िले, इसके ऐतिहासिक महत्व और अर्थव्यवस्था के बारे में विस्तार से जानते हैं। इसके साथ ही, हम बारांबाकी ज़िले में पर्यटन के महत्वपूर्ण स्थानों पर कुछ प्रकाश डालेंगे। अंत में, हम बारांबाकी से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक तथ्यों तथ्यों का विश्लेषण करेंगे, जिनके बारे में आप हमारे 'प्रारंग के जिला विश्लेषण - ज्ञान जाल' पृष्ठ पर विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। वास्तव में 'प्रारंग के जिला विश्लेषण - ज्ञान जाल पृष्ठ' पर आप किसी भी संबंधित ज़िले की जनसंख्या, क्षेत्रफल, गांवों की संख्या, बोली जाने वाली भाषाएं, ज़िले का क्षेत्रफल, राज्य में ज़िले का स्थान, और यहां तक कि देश में ज़िले की स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यहां हम बारांबाकी की तुलना भारत के अन्य ज़िलों अथवा जिला राजधानियों से भी करेंगे।
बारांबाकी का ऐतिहासिक महत्व:
बारांबाकी जिला अपनी समृद्ध विरासत, सांस्कृतिक विविधता और विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका के कारण महत्वपूर्ण ऐतिहासिक महत्व रखता है। प्राचीन काल से आधुनिक युग तक, बारांबाकी महत्वपूर्ण सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तनों का गवाह रहा है और इसने भारत की सांस्कृतिक संरचना में अहम योगदान दिया है।
प्राचीन काल में, बारांबाकी कोसल साम्राज्य का हिस्सा था, जिसका उल्लेख रामायण जैसे हिंदू ग्रंथों में मिलता है। बाद में, यह गुप्त साम्राज्य के दौरान व्यापार और वाणिज्य का एक प्रमुख केंद्र बन गया। मौर्य काल के दौरान, इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म का प्रभाव भी देखा गया, यहां कई बौद्ध स्तूप और मठ मौजूद थे। मध्ययुगीन काल के दौरान, बारांबाकी दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य सहित विभिन्न राजवंशों के शासन के अधीन आया। इस दौरान अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण, बारांबाकी एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक और सैन्य केंद्र बन गया, इस क्षेत्र को आक्रमणों से बचाने के लिए कई किले और गढ़ बनाए गए बारांबाकी से जुड़ी सबसे उल्लेखनीय ऐतिहासिक घटनाओं में से एक है चिनहट की लड़ाई, जो 1857 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ़ भारतीय विद्रोह के दौरान हुई थी। इस दौरान, बारांबाकी, एक प्रमुख युद्धक्षेत्र के रूप में उभरा, जिसमें मौलवी लियाकत अली जैसे स्थानीय नेताओं ने ब्रिटिश सेना के खिलाफ़ प्रतिरोध का नेतृत्व किया। हालाँकि अंततः विद्रोह को दबा दिया गया था, लेकिन इस विद्रोह से भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, जिसने भविष्य के स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित किया।
इसके अलावा, बारांबाकी सूफ़ी संस्कृति और आध्यात्मिकता का भी केंद्र रहा है। हाजी वारिस अली शाह और मौलवी अहमदुल्ला शाह जैसे कई प्रमुख सूफ़ी संतों ने इस क्षेत्र में रहकर अपने उपदेश दिए। शांति, सहिष्णुता और आध्यात्मिक ज्ञान की उनकी शिक्षाएँ, बारांबाकी के सांस्कृतिक ताने-बाने को प्रभावित करती हैं और दूर-दूर से भक्तों को आकर्षित करती हैं। यह ज़िला अपनी समृद्ध साहित्यिक विरासत के लिए भी जाना जाता है | इस क्षेत्र के मीर अनीस और मिर्ज़ा दबीर जैसे प्रसिद्ध कवियों और लेखकों ने अपनी वाक्पटु छंदों और काव्यात्मक अभिव्यक्ति के लिए प्रमुखता हासिल की।
बारांबांकी की अर्थव्यवस्था:
कृषि: ज़िले की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है। कृषि के अलावा, बायो-गैस संयंत्र, पशुपालन, लघु उद्योग ज़िले के लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार प्रदान करते हैं। बारांबाकी में सिंचाई सुविधा राज्य औसत से अधिक है। बारांबाकी में अधिकांश सिंचाई ट्यूबवेलों, तालाबों, नदियों और नहरों द्वारा की जाती है। जिला बारांबाकी में निर्वाह कृषि की जाती है। किसान वर्ष भर में पाँच फ़सलें उगाते हैं। यहां उगाई जाने वाली प्रमुख अनाज फ़सलों में मुख्य रूप से धान और गेहूं शामिल हैं जो सकल फ़सल क्षेत्र की क्रमशः 34.4 और 31.3% भूमि को कवर करती हैं। कुल मिलाकर, बारांबाकी में, 68.4 प्रतिशत क्षेत्र पर अनाज की फ़सलें उगाई जाती हैं। बारांबाकी राज्य के बड़े आलू उत्पादक क्षेत्रों में से एक है, ज़िले में आलू की बुआई का क्षेत्रफल 2.8 प्रतिशत है। इसके अलावा, यहां अफ़ीम, मेन्थॉल तेल, गन्ना, आम, केला, आदि जैसे फलों, आलू, टमाटर, मशरूम आदि सब्जियों, मसालों, आदि प्रमुख नकदी फ़सलों की खेती भी होती है।
खेती के अलावा, पशुधन आधारित कृषि प्रणाली, ब्रॉयलर खेती और मछली की खेती भी ज़िले में प्रचलित है, ज़िले के देवा ब्लॉक में मधुमक्खी पालन भी किया जाता है। 2004 में, 'भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद' की 'राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी' द्वारा ज़िले में 'नरेंद्र देव कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय' के तहत, एक कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना भी की गई थी । बारांबाकी ज़िले के निन्दुरा ब्लॉक में एक 'ग्रामीण प्रौद्योगिकी विकास और प्रसार केंद्र' भी है जिसकी स्थापना वर्ष 2002 में हुई थी। ज़िले में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का एक केंद्र भी है।
लघु उद्योग: बारांबाकी में हस्तशिल्प (handicrafts) एवं हथकरघा (handloom) उद्योग में रूमालों का उत्पादन किया जाता है। 2013 में लखनऊ की ज़रदोज़ी को भौगोलिक संकेत (GI) पंजीकरण मिलने के बाद, लखनऊ और आसपास के छह जिलों-बारांबाकी, उन्नाव, सीतापुर-हरदोई, अमेठी और रायबरेली में निर्मित ज़रदोज़ी उत्पाद, एक ब्रांड बन गए हैं और उनकी प्रामाणिकता की पुष्टि के लिए, एक पंजीकृत लोगो लगाया जा सकता है।
बारांबाकी ज़िले में 6 औद्योगिक क्षेत्र हैं:
1. सिद्धेश्वर महादेव मंदिर: बारांबाकी से लगभग 50 किलोमीटर दूर, सिद्धौर में प्रसिद्ध सिद्धेश्वर महादेव मंदिर है और यहां हर साल, दिसंबर और जनवरी के महीने में शिवरात्रि के अवसर पर एक बड़ा मेला लगता है।
2. सूफ़ी संत काज़ी कुतुब मकबरा: यहां सूफ़ी संत काज़ी कुतुब का मकबरा है। यहां हर ईद-उल-फितर और ईद-उज़-ज़ुहा के मौके पर एक बड़ा मेला लगता है।
3. बाबा जगजीवन दास का मंदिर: बारांबाकी के पास, बदोसराय से लगभग 6 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में कोटवा में 'सतनामी' संप्रदाय के संस्थापक बाबा जगजीवन दास का मंदिर है, जो कोटवा धाम के नाम से प्रसिद्ध है, जिसके पास, एक बहुत ही सुंदर तालाब है।
4. सूफ़ी संत मलामत शाह की मज़ार: बदोसराय और घाघरा नदी के बीच एक सूफ़ी संत, मलामत शाह की लगभग 300 साल पुरानी मज़ार है।
5. किंतूर: बदोसराय से लगभग दो से तीन मील पूर्व में किंतूर नामक एक गाँव है | लोगों का मानना है कि किंतूर का नाम, पांडवों की मां कुंती के नाम पर रखा गया है। यह स्थान, कुंतेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
6. भिताली: सोती नदी के तट पर, भिताली, 1857-1858 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अंतिम मोर्चा था। यहां राजा गुरु बक्स सिंह ने अपने सैनिकों के साथ अंग्रेज़ों का बहादुरी से मुकाबला किया था।
7. मसौली: यह भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ और राजनेता स्वर्गीय श्री रफ़ी अहमद किदवई का जन्म स्थान है।
8. सतरिख: ऐसा कहा जाता है कि, इसका मूल नाम सप्तऋषि था, क्योंकि सूर्यवंशी राजाओं के कुलगुरु गुरु वशिष्ठ ने यहां युवा राजकुमारों को उपदेश दिया और शिक्षा दी थी।
बारांबाकी से संबंधित महत्वपूर्ण सामाजिक आर्थिक तथ्य:
बारांबाकी की भारत के अन्य ज़िला मुख्यालयों / शहरों से तुलना:
भारत के 768 के ज़िला मुख्यालयों (District Headquarters) या शहरों में से बारांबाकी, जनसंख्या के हिसाब से, 629वें स्थान पर है। भारत में जनसंख्या के हिसाब से बारांबाकी ज़िला, 78वें और क्षेत्रफल के हिसाब से 325वें स्थान पर है। भारत के अन्य ज़िला मुख्यालयों से बारांबाकी के अच्छे बुरे तथ्यों को निम्न तालिका के माध्यम से समझा जा सकता है:
भारत के औसत से बेहतर- | भारत के औसत से भी बदतर- |
यूनिफ़ाइड डिस्ट्रिक्ट इंफ़ॉर्मेशन सिस्टम फ़ॉर एजुकेशन (UDISE) कि एक 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 768 के ज़िला मुख्यालयों / शहरोंमें से, उच्च शिक्षा नामांकन प्रतिशत के मामले में, बारांबाकी का तीसरा सर्वोच्च स्थान पर है। | भारतीय दंड संहिता (IPC) की एक 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 768 शहरों/ ज़िलों में से, हत्याओं और अपराधों की औसत संख्या के मामले में, बारांबाकी क्रमशः 74वें और 125 वें स्थान पर है। |
शहरी साक्षर आबादी के औसत के मामले में 768 शहरों / ज़िलों में से बारांबाकी 29वे स्थान पर है। | साल 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत के 768 शहरों / ज़िलों में से, प्रति वर्ग किलोमीटर जनसंख्या के मामले में बारांबाकी 587वें स्थान पर है। |
भारत में 2011 का घरेलू संपत्ति सर्वेक्षण के अनुसार, भारत के 768 शहरों / ज़िलों में से, सौर ऊर्जा के रूप में प्रकाश के मुख्य स्रोत वाले घरों में बारांबाकी 33वें स्थान पर है।
| व्यय विभाग (DoE) की एक 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 768 शहरों/ ज़िलों में से 2023 में औपचारिक नौकरियों के मामले में बारांबाकी 542वें स्थान पर है। इसका तात्पर्य यह है कि यहां निज़ी क्षेत्र का विकास बेहद कम है। |
भारतीय दंड संहिता (IPC) की एक 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 768 शहरों / ज़िलों में से लापता व्यक्तियों की संख्या के मामले में बारांबाकी 471वें सर्वश्रेष्ठ स्थान पर है। | उत्तर प्रदेश के 2023 के बजट के अनुसार, 768 शहरों/ ज़िलों में से बारांबाकी 531वां सर्वोच्च रैंक वाला शहर है। यह इंगित करता है कि यह अत्यधिक शहरीकृत नहीं है और/या उच्च सकल घरेलू उत्पाद वाले शीर्ष 40 महानगरों में से एक नहीं है। |
संदर्भ
मुख्य चित्र में बाराबंकी जंक्शन रेलवे स्टेशन का स्रोत : Wikimedia
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