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लखनऊ के कुछ नागरिक, यह भली-भांति जानते होंगे, कि लंदन (London) में दुनिया की सबसे पुरानी मेट्रो प्रणाली मौजूद है, जिसकी शुरूआत, 1863 में हुई थी। इस प्रणाली के 272 स्टेशन, सामूहिक रूप से प्रतिदिन 50 लाख यात्रियों को यात्रा करने की सुविधा देते हैं। वर्ष 2023-24 में, लगभग 1.181 बिलियन यात्रियों ने अपनी यात्रा के लिए इस प्रणाली का उपयोग किया। इसके अलावा, 1902 में संचालित, यू-बान (U-Bahn) या बर्लिन मेट्रो (Berlin Metro), 175 स्टेशनों की सुविधा प्रदान करती है। यह मेट्रो प्रणाली, नौ लाइनों में फैली हुई है, जिसकी कुल ट्रैक लंबाई, 155.64 किलोमीटर (96 मील ) है, जिसका लगभग 80% हिस्सा, भूमिगत है। दुनिया की पहली भूमिगत रेलवे, 1863 में लंदन में खोली गई थी, जिसका उद्देश्य सड़कों पर भीड़भाड़ को कम करना था। इसके तुरंत बाद, 1868 में एक संबंधित रेलवे कंपनी खोली गई, लेकिन उनके मालिकों के बीच मतभेद हो गए और इससे संबंधित लोग, रेलवे साझेदारों के बजाय प्रतिद्वंद्वी बन गए, जिससे मेट्रो की प्रगति में देरी हुई। इन्हें हम सब- सर्फ़ेस लाइन (sub-surface lines) कहते हैं, जिन्हें एक लंबी खाई खोदकर, ट्रैक बिछाकर और फिर से उसे ढककर बनाया जाता है। शुरू में, इन शुरुआती भूमिगत मेट्रो में, भाप से चलने वाली ट्रेनों का इस्तेमाल किया जाता था। लंदन में भूमिगत ट्यूबों के लिए सुरक्षित सुरंग बनाने की तकनीक 1870 तक विकसित हो चुकी थी, लेकिन इसकी व्यावहारिक शुरूआत 1880 के दशक के अंत में हुई। तो आइए, आज हम, लंदन की भूमिगत मेट्रो प्रणाली के इतिहास के बारे में विस्तार से जानें तथा दुनिया की सबसे पुरानी मेट्रो की कुछ शुरुआती चलचित्र भी देखें। हम 1930, 1960 और 1970 के दशक में मौजूद लंदन ट्यूब के कुछ दृश्यों को भी देखेंगे। साथ ही हम, 1940 के दशक के दौरान, न्यूयॉर्क शहर के सबवे (subway) के दुर्लभ फ़ुटेज और बर्लिन की मेट्रो के 1985 के चलचित्र का भी आनंद लेंगे । अंत में, हम 1984 में, भारत की पहली मेट्रो ट्रेन, ‘कोलकाता मेट्रो’ की यात्रा को भी देखेंगे।
संदर्भ:
https://tinyurl.com/35x3evbs
https://tinyurl.com/u97anwkc
https://tinyurl.com/58yy5c3c
https://tinyurl.com/4vy6ajmf
https://tinyurl.com/3mhn3zu9
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