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क्या आप जानते हैं कि इंसानों की भांति, पौधे भी कुछ अनोखे तरीकों से आपस में संवाद करते हैं। हालाँकि पौधे, सीधे-सीधे हमारी तरह बात नहीं कर सकते, लेकिन वे एक-दूसरे और अपने आसपास के वातावरण से संकेतों के माध्यम से बात करते हैं। पौधे किसी भी खतरे की चेतावनी देने या संसाधन साझा करने के लिए - रसायनों, ध्वनियों और रंगों में बदलाव करने लगते हैं। उदाहरण के लिए, जब किसी पौधे पर कीट हमला करते हैं, तो वह एक रसायन छोड़ता है। यह रसायन आसपास के पौधों को सतर्क कर देता है।
आज के इस लेख में, हम विस्तार से जानेंगे कि पौधे आपस में संकट के संकेतों को कैसे साझा करते हैं और वे एक-दूसरे की ज़िंदा रखने में कैसे मदद करते हैं। साथ ही, पौधों के संचार में माइकोराइज़ल कवक (Mycorrhizal fungi) की भूमिका को समझेंगे। अंत में, हम यह भी देखेंगे कि कैसे एक पौधा कीटों से बचाव के लिए हमिंगबर्ड (Hummingbird) की नकल करता है।
आइए, सबसे पहले यह जानते हैं कि पौधे एक-दूसरे को कैसे चेतावनी देते हैं?
जब पौधों पर हमला होता है, तो वे आसपास के पौधों को भी सचेत करते हैं। एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन से पता चला है कि पौधों में उन्नत संचार कौशल होते हैं। वे रासायनिक संदेशों के ज़रिए, संभावित खतरों की जानकारी साझा करते हैं। यह तरीका उन्हें कीटों के हमले से बचने और परागणकों जैसे मधुमक्खियों को आकर्षित करने में भी मदद करता है। इस शोध से पता चलता है कि पौधे पर्यावरणीय संकेतों का जवाब देने के साथ-साथ दूसरे पौधों और जीवों से बातचीत भी करते हैं।
तनाव या किसी बाहरी हमले के समय लगभग हर पौधा मिथाइल जैस्मोनेट (methyl jasmonate) नामक रसायन छोड़ता है। यह एक चेतावनी संकेत होता है। यह रसायन, तब बनता है जब पौधों को जानवरों के खाने या पेड़ों की कटाई से या फिर किसी भी अन्य वजह से नुकसान होता है। इस प्रतिक्रिया में कुछ पौधे चिपचिपा और ज़हरीला राल छोड़ते हैं, जबकि कुछ अपने पत्तों में ऐसे अणु भरते हैं, जिन्हें पचाना कीटों के लिए बहुत मुश्किल होता है।
कैसे काम करता है यह संचार?
सबसे खास बात यह है कि मिथाइल जैस्मोनेट हवा के ज़रिए दूसरे पौधों तक भी पहुंचता है। जब यह रसायन बनता है, तो यह आसपास के पौधों को भी चेतावनी देता है। दूसरे पौधे इसे अपनी पत्तियों के छोटे छिद्रों से ग्रहण करते हैं और खुद भी मिथाइल जैस्मोनेट छोड़ना शुरू कर देते हैं। इस प्रक्रिया से वे खतरे के लिए तैयार हो जाते हैं।
मिथाइल जैस्मोनेट एक छोटा अणु है। इसके बारे में हाल ही में पता चला है और यह पौधों के जटिल और कुशल व्यवहार को दिखाता है।
मिथाइल जैस्मोनेट के अलावा, माइकोराइज़ल कवक भी पौधों की जड़ों और कवक के बीच एक सहजीवी संबंध (symbiotic relationship) बनाते हैं। यह संबंध दोनों के लिए फ़ायदेमंद होता है। कवक, पौधों को अधिक पोषक तत्व और पानी लेने में मदद करते हैं, जबकि पौधे कवक को कार्बोहाइड्रेट(carbohydrate) प्रदान करते हैं। इसके अलावा, माइकोराइज़ल कवक पौधों को आपस में संवाद करने में भी मदद करते हैं।
ये कवक, आमतौर पर मिट्टी में पाए जाते हैं। इनकी संरचना सफ़ेद और धागे जैसी होती है। ये पौधों की जड़ों के चारों ओर लिपटकर एक नेटवर्क बनाते हैं। यह नेटवर्क, संसाधनों और सूचनाओं को साझा करने में मदद करता है। माइकोराइज़ल कवक लंबे समय तक जीवित रहते हैं और पौधों के साथ एक स्थायी संबंध बनाते हैं।
माइकोराइज़ल कवक, पौधों को संवाद करने में कैसे मदद करते हैं?
माइकोराइज़ल कवक पौधों को संवाद में दो तरीकों से मदद करते हैं। पहला, रासायनिक संकेतों के माध्यम से और दूसरा, शारीरिक कनेक्शन के द्वारा। इस प्रक्रिया में कवक और पौधों की जड़ें मिलकर काम करती हैं। यह साझेदारी दोनों के लिए फ़ायदेमंद होती है।
क्या माइकोराइज़ल कवक सभी पौधों के लिए उपयोगी हैं?
माइकोराइज़ल कवक, अधिकतर पौधों के लिए लाभकारी होते हैं। हालांकि, ऑर्किड (orchids) और ब्रोमेलियाड (bromeliads) जैसे कुछ पौधे इनके साथ सहजीवी संबंध नहीं बनाते! माइकोराइज़ल कवक का यह सहजीवी संबंध पौधों के जीवन को समृद्ध करता है और उनके पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि, कुछ पौधे, जीवित रहने के लिए, दूसरे पौंधों की नकल भी करते हैं! प्रकृति में, कई जीव आत्मरक्षा या जीवित रहने के लिए छलावरण जैसे अपने अनोखे गुणों का इस्तेमाल करते हैं। छोटे कैटरपिलर से लेकर रंग-बिरंगे पक्षियों तक, सभी जीव, शिकारियों से बचने के लिए इस रणनीति का सहारा लेते हैं। यहाँ तक कि कुछ पौधे, जो स्थिर और सुरक्षित दिखते हैं, उनके पास भी अपनी रक्षा के अनोखे तरीके होते हैं।
उदाहरण के तौर पर, क्रोटालारिया कनिंघमी (Crotalaria Cunninghamii) नामक एक जंगली फूल की शाखाएँ, चिड़ियों के झुंड जैसी दिखाई देती हैं। यह पौधा फलीदार परिवार का हिस्सा है और मध्य व पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है।
विशेषज्ञों ने इसे समझाने के लिए "बेट्सियन मिमिक्री" (Batesian mimicry) का सिद्धांत दिया। यह एक ऐसी रणनीति है, जिसमें कुछ पौधे और जानवर शिकारियों को धोखा देने के लिए खुद को खतरनाक या अनाकर्षक दिखाते हैं। इसके अलावा, "सिमुलैक्रम" (Simulacrum) नामक एक मनोवैज्ञानिक घटना भी बताई गई, जिसमें इंसान, पौधों की बनावट में कई समानताएँ पहचानने लगते हैं। कुछ जानकारों का मानना है कि, इस पौधे का चिड़ियों जैसे दिखने का उद्देश्य, कीटों और परागणकों को अपनी ओर आकर्षित करना भी हो सकता है। यह अनोखा तरीका, इस पौधे के अस्तित्व और परागण में मदद करता है |
संदर्भ
https://tinyurl.com/2ymqgazf
https://tinyurl.com/26l4gf86
https://tinyurl.com/2xld6zxz
https://tinyurl.com/24xe8th4
चित्र संदर्भ
1. स्ट्रेलित्ज़िया रेजिनाको संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. मिथाइल जैस्मोनेट (Methyl jasmonate) के रासायनिक सूत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. जंगल में खिले फूलों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. क्रोटेलारिया कनिंघमी (Crotalaria cunninghamii) नामक एक पौधे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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