विश्व सहित भारत में आइस हॉकी का इतिहास

य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला
26-11-2021 10:13 AM
विश्व सहित भारत में आइस हॉकी का इतिहास

भारत युवाओं का देश है। और इस देश के युवाओं में जोश, ऊर्जा एवं साहस कूट-कूट कर भरा है। यदि इस ऊर्जा को सही दिशा प्रदान की जाए, तो निश्चित तौर पर देश के युवा विश्व पटल पर भारत का नाम रोशन कर सकते हैं। जोश और उत्साह से भरा हमारा युवा वर्ग अपनी ऊर्जा को खेलों के क्षेत्र में झोक सकता है। उदाहरण के तौर पर आइस हॉकी (Ice Hockey) जैसे विश्व में लोकप्रिय होते खेलों में, भारतीय युवा अपने ज़बरदस्त मानसिक एवं शारीरिक संतुलन का प्रदर्शन करके न केवल सम्मान हासिल कर सकते है, साथ ही विजेता के रूप में देश का गौरव भी बड़ा सकते हैं। भारत के राष्ट्रिय खेल, हॉकी के सन्दर्भ में हमारे देश का पहले से ही गौरवान्वित इतिहास रहा है। भारत के मेजर ध्यानचंद्र जैसे हॉकी के धुरंधरों ने हिटलर को भी अचंभित कर दिया था! आमतौर पर हॉकी को विशाल घास रहित मैदान में खेला जाता है, लेकिन कुछ दशक पूर्व से बर्फ की कठोर सतह पर भी हॉकी खेलने का रुझान बड़ा है। बर्फ पर हॉकी के इस खेल को आइस हॉकी (Ice Hockey) के रूप में लोकप्रियता हासिल हुई है। आइस हॉकी एक ऐसा खेल है, जो बर्फ पर दो प्रतिद्वंदी टीमों द्वारा खेला जाता है। खिलाड़ी अपने पैरों पर आइस स्केट्स पहनते हैं, और बहुत तेज गति से बर्फ के पार स्केट कर सकते हैं। खिलाड़ी पक (puck) को नेट में शूट करके स्कोर करते हैं। प्रत्येक टीम में छह खिलाड़ी एक साथ खेलते हैं, लेकिन एक पूरी टीम में 20 से अधिक खिलाड़ी होते हैं। प्रत्येक टीम में एक समय में 2 डिफेंडर, 3 फॉरवर्ड और बर्फ पर एक गोल-कीपर (Goal Keeper) होता है। जब कोई खिलाड़ी नियम तोड़ता है, तो रेफरी उसे पेनल्टी देता है, और खिलाड़ी को 2-4 मिनट के लिए पेनल्टी बॉक्स में बैठना होता है। जबकि खिलाड़ी पेनल्टी बॉक्स में बैठता है, उसकी टीम को उसके बिना खेलना पड़ता है।
आइस हॉकी कनाडा, रूस, स्वीडन, फिनलैंड, चेक गणराज्य, संयुक्त राज्य अमेरिका, लातविया और स्लोवाकिया में बहुत प्रसिद्ध है। कनाडा में आइस हॉकी की शुरुआत 19वीं सदी में हुई थी। आइस हॉकी यानी बर्फ पर हॉकी के खेल की उत्पत्ति विवादास्पद रही है। 2008 में, इंटरनेशनल आइस हॉकी फेडरेशन (IIHF) द्वारा आधिकारिक तौर पर घोषणा की गई कि संगठित आइस हॉकी (organized ice hockey) का पहला खेल 1875 में मॉन्ट्रियल (Montreal) में खेला गया था। हालांकि, शोध से पता चलता है कि संगठित आइस हॉकी (बेंडी) खेल पहले भी इंग्लैंड में स्केट्स पर खेले जाते थे। 1870 के दशक से कनाडा ने इस खेल में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 20वीं सदी की शुरुआत तक, "कनाडाई नियमों" ने इस खेल को नया रूप दे दिया था। इस बात के कई प्रमाण मौजूद हैं कि ठोस बर्फ पर इस तरह के खेल प्राचीन मिस्र और ग्रीस में खेले गए होंगे। और स्टिक- एंड-बॉल खेल यूरोपीय लोगों के आने से पहले अमेरिका में स्वदेशी लोगों द्वारा खेले जाते थे। इस बात के भी स्पष्ट प्रमाण हैं कि मध्यकालीन यूरोप में स्टिक-एंड-बॉल खेल, खेले जाते थे। उदाहरण के लिए, डोमिनिकन तपस्वी विंसेंट ऑफ ब्यूवाइस (Dominican friar Vincent of Beauvais (France) द्वारा संकलित 13वीं शताब्दी के स्पेकुलम माईस (speculum mais) में चार आदमियों का एक उदाहरण शामिल है, जो चोल [या सोले] ए ला क्रॉसे खेल रहे हैं। यह एक ऐसा खेल जिसमें खिलाड़ी गेंद को एक लक्ष्य की और ले जाने के लिए घुमावदार छड़ियों का इस्तेमाल करते हैं।
बर्फ पर खेले जाने वाले स्टिक-एंड-बॉल (stick-and-ball game) खेल का पहला उदाहरण 1608 में स्कॉटलैंड में फ़र्थ ऑफ़ फ़र्थ (Firth of Firth) की बर्फ पर खेला जाने वाला "चमियारे" (शिंटी) का खेल था, जिसे "ग्रेट विंटर" (Great Winter) के रूप में जाना जाता था। हालांकि, यह संदेहास्पद है कि खिलाड़ियों ने स्केट्स का इस्तेमाल किया, क्योंकि 1660 के आसपास ब्रिटिश द्वीपों में लोहे की स्केट्स प्रचलित नहीं हुई थी। इतिहासकार चार्ल्स गुडमैन टेबबट (Charles Goodman Tebbutt) के अनुसार, लोग शायद 1700 के दशक के मध्य से फ़ेंस में बर्फ पर बैंडी खेल रहे थे। शिंटी के विपरीत, "हॉकी" शब्द अपेक्षाकृत हाल का ही है। इसका सबसे पुराना ज्ञात उपयोग रिचर्ड जॉनसन द्वारा लिखित 1773 की पुस्तक जुवेनाइल स्पोर्ट्स एंड पास्टिम्स (Juvenile Sports and Pastimes) में मिलता है। बर्फ पर हॉकी जैसी गतिविधि का उत्कीर्णन 1797 में जोसेफले पेटिट जूनियर (Josephelle Petit Jr.) द्वारा प्रकाशित किया गया था, जो स्केट्स पर आइस हॉकी जैसी गतिविधि को दर्शाने वाली सबसे पुरानी उत्कीर्णन या पेंटिंग है। आइस हॉकी का खेल भारत में धीरे-धीरे लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है। आमतौर पर आइस हॉकी भारत के उत्तर में ठंडे राज्यों जैसे लद्दाख, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर जैसी जगहों पर खेली जाती है। देश एवं दुनिया भर के आइस हॉकी के शौकीन, दुनिया के कुछ सबसे ऊंचे रिंक में खेलने के अनुभव के लिए लद्दाख जैसी जगहों पर जाते हैं। देश के बाकी हिस्सों में कुछ कृत्रिम इनडोर आइस स्केटिंग रिंक हैं, जैसे देहरादून में दून आइस रिंक। गुलमर्ग में आइस हॉकी 2020 खेलो इंडिया शीतकालीन खेलों का हिस्सा थी। भारत में आइस हॉकी की निगरानी भारतीय आइस हॉकी महासंघ द्वारा की जाती है। भारत की राष्ट्रीय आइस हॉकी टीम 2009 से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा दे रही है। देहरादून में दून आइस रिंक, (Doon Ice Rink in Dehradun) ने वर्ष 2012 में एशिया के आईआईएचएफ चैलेंज कप की मेजबानी की। देश के सबसे पुराने आइस हॉकी क्लब के रूप में, शिमला आइस स्केटिंग क्लब, 1920 से अस्तित्व में है, लेकिन यहाँ आइस हॉकी खेलना बहुत बाद में शुरू शुरू किया गया। भारत ने कुवैत में एशिया डिव 1 के IIHF पुरुष चैलेंज कप में दूसरा स्थान जीता और महिला टीम ने अबू दाभी में तीसरा स्थान हासिल किया।

संदर्भ
https://bit.ly/3HRMoRz
https://en.wikipedia.org/wiki/Ice_hockey_in_India
https://www.britannica.com/sports/ice-hockey/Strategies

चित्र संदर्भ   
1. आइस हॉकी पेंटिंग को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. आइस हॉकी के खिलाडियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. हॉकी, ओंटारियो शीतकालीन खेल 1974 से लिया गया एक चित्रण (flickr)
4. हिबर्फ पर हॉकी जैसी गतिविधि का उत्कीर्णन 1797 में जोसेफले पेटिट जूनियर (Josephelle Petit Jr.) द्वारा प्रकाशित किया गया था,जिसको दर्शाता एक चित्रण (youtube)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.