आश्चर्य से भरपूर है, बस्तर की असामान्य चटनी छपराह

स्वाद- खाद्य का इतिहास
25-10-2020 05:59 AM
भोजन के लिए भारत के प्यार को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है और ना ही विभिन्न प्रकार के अपरंपरागत व्यंजनों को परिचय की आवश्यकता है, जिनका विभिन्न राज्यों, जनजातियों और समुदायों में आनंद लिया जाता है। छत्तीसगढ़ के बस्तर नामक क्षेत्र का एक ऐसा ही आदिवासी व्यंजन पूरी तरह से आश्चर्यचकित करने वाला है। यदि आप जोखिम भरे भोजन के शौकीन नहीं हैं, तो यह आपको आश्चर्य में डाल सकता है। आप इसके बारे में जानते हैं या नहीं लेकिन इस असामान्य चटनी छपराह (Chaprah) की खोज वास्तव में आश्चर्यचकित करने वाली है, जिसे लाल चींटियों और उनके अंडों से बनाया जाता है, और यह बस्तर की एक स्थानीय विशेषता भी है। यह तीखी चटनी काटने और डंक मारने वाली चींटियों से बनती है, जिन्हें बड़ी संख्या में एक गर्म और मसालेदार चटनी का रूप देने के लिए एकत्रित किया जाता है।

यह चटनी स्थानीय समुदाय के सभी भव्य दावतों का एक अनिवार्य हिस्सा है। आपने खट्टी और तीखी पुदीने की चटनी या गर्म लाल मिर्च और लहसुन की चटनी या फिर मीठे आम की चटनी के बारे में तो अक्सर सोचा या सुना होगा लेकिन इस प्रकार की चटनी की कल्पना शायद आपने कभी नहीं की होगी। लाल चींटी की चटनी गर्म और तीखे स्वाद का मिश्रण है और कई औषधीय गुणों का भंडार भी है। यहां ग्रामीण लोग जंगल में घूमते हैं और घोंसले से इन चींटियों और उनके अंडे को इकट्ठा करते हैं।
इसके बाद चींटियों को पीस दिया जाता है और फिर सुखाया जाता है। बाद में, उन्हें मूसल और मोर्टार (Mortar) में डालकर बारीक पीस लिया जाता है। इसके बाद मिश्रण में टमाटर, धनिया, लहसुन, अदरक, मिर्च, नमक और थोड़ी सी चीनी मिला दी जाती है, जिससे नारंगी रंग का चिकना पेस्ट चटनी के रूप में प्राप्त होता है। यह जहां भोजन को तीखा स्वाद देता है, वहीं औषधीय गुणों से युक्त भी है। इन चींटियों और उनके अंडे में फार्मिक अम्ल (Formic Acid) होता है, जिसमें कई जीवाणु-रोधी गुण होते हैं, जो हमारे पाचन तंत्र में जीवाणु के संक्रमण से निपटने में मदद कर सकते हैं। चींटियों का फार्मिक अम्ल चटनी को गर्म और मसालेदार स्वाद देता है। चटनी में प्रोटीन (Protein), कैल्शियम (Calcium) और जस्ता अच्छी मात्रा में पाये जाते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए अच्छा है। छत्तीसगढ़ में बस्तर के घने जंगलों में ये लाल चींटियाँ बहुतायत में पाई जाती हैं। कई सालों से, स्थानीय जनजाति अपने दैनिक आहार के हिस्से के रूप में इन चींटियों का उपयोग कर रही हैं। छपराह नामक व्यंजन के नाम का शाब्दिक अर्थ है 'पत्तियों की टोकरी', और यह उन घोंसलों को संदर्भित करता है, जहां लाल चींटियां रहती हैं और जिन्हें वे पेड़ की पत्तियों से बनाती हैं।
संदर्भ:
https://www.youtube.com/watch?v=7WvHSqB6DPs
https://www.youtube.com/watch?v=hz7L_DKNDBE
https://food.ndtv.com/food-drinks/would-you-dare-to-try-this-chutney-made-of-red-ants-and-their-eggs-1747341
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