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वनस्पतियां हमारे संसार का महत्वपूर्ण अंग है। पृथ्वी पर जीवित रहने के लिए जितनी ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है वह वनस्पतियों के माध्यम से ही प्राप्त होती है। किंतु प्राणदायिनी ऑक्सीजन के अतिरिक्त भी ऐसे कई पदार्थ या उत्पाद है जो हमें इनके द्वारा प्राप्त होते हैं तथा इन उत्पादों की हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एक प्रकार से देखा जाए तो वनस्पतियों का हर एक अंग हमारे काम आता है तथा उसका कोई न कोई महत्व हमारे जीवन में अवश्य होता है।
जिस प्रकार से मानव शरीर विभिन्न ऊतकों और कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। ठीक उसी प्रकार से वनस्पतियों का शरीर भी विभिन्न ऊतकों से बना होता है। पौधों में पाया जाने वाले मूल ऊतक (ground tissue) को उसकी कोशिका भित्ति की प्रकृति के आधार पर तीन भागों में विभक्त किया गया है जिन्हें क्रमशः पेरेन्काइमा (Parenchyma), कॉलेन्काइमा (Collenchyma), तथा स्लेरेन्काइमा (Sclerenchyma) कहा जाता है। वनस्पतियों में इन सभी कोशिकाओं का कार्य भिन्न-भिन्न होता है। इन कोशिकाओं में स्लेरेन्काइमा कोशिका मृत कोशिका के नाम से भी जानी जाती है क्योंकि अक्सर परिपक्व होने जाने पर ये कोशिकाएं मर जाती हैं। पौधे में स्क्लेरेन्काइमा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि ये पौधे को मुख्य संरचनात्मक सहायता प्रदान करता है।
यह पौधे को कठोर व सुदृढ बनाता है जिससे पौधों की संरचना भी कठोर एवं सुदृढ हो जाती है। स्क्लेरेन्काइमा कोशिकाएं भी दो प्रकार की होती हैं एक फाइबर कोशिका (fiber) और दूसरी स्केलेराइड (sclereids) कोशिका। इनकी कोशिका भित्ति में सेल्यूलोज (cellulose), हेमिसेलुलोज (hemicellulose) और लिग्निन (lignin) पाया जाता है। वनस्पतियों में इन पदार्थों का कार्य भी अलग-अलग है। इनमें पाये जाने वाले फाइबर का आर्थिक मूल्य बहुत अधिक है जिस कारण यह ऊतक बहुत उपयोगी माना जाता है। इस फाइबर से जूट, रेमी आदि वस्तुएं बनायी जाती हैं। इस ऊतक में उपस्थित लिग्निन जटिल कार्बनिक पॉलिमर (Polymer) है, जो संवहनी पौधों और शैवालों के लिए प्रमुख संरचनात्मक सामग्री का निर्माण करता है।
लिग्निन की उपस्थिति से पेडों की लकड़ी और छाल आसानी से सड़ते नहीं हैं। लिग्निन का उल्लेख पहली बार 1813 में वनस्पतिशास्त्री ए पी डी कैंडोल द्वारा किया गया था जिन्होंने इसे पानी और एल्कोहॉल में अघुलनशील रेशेदार सामग्री के रूप में वर्णित किया। लिग्निन लैटिन शब्द लिग्नम से लिया गया है जिसका अर्थ है लकड़ी। वर्तमान समय में लिग्निन पेपरमेकिंग (Papermaking) का वैश्विक वाणिज्यिक उत्पादन है। 1988 में, दुनिया भर में 220 मिलियन टन से भी अधिक कागज का उत्पादन लिग्निन द्वारा किया गया था। सेल्यूलोज के बाद लिग्निन ही सबसे अधिक प्रचलित बायोपॉलिमर (Biopolymer) है। बायोफ्यूल (Biofuel) उत्पादन के लिए लिग्निन की फीडस्टॉक (Feedstock) के रूप में जांच की गई है और यह जैव ईंधन के नए वर्ग के विकास में एक महत्वपूर्ण स्रोत बन सकता है। सुगंधित यौगिकों की यदि बात करें तो इन्हें आम तौर पर पेट्रोलियम से निकाला जाता है तथा प्लास्टिक (Plastics), ड्रग्स (Drugs) और पेंट (Paint) का उत्पादन करने के लिए उपयोग किया जाता है। किंतु लिग्निन की क्षमता इससे भी अधिक है क्योंकि प्रकृति में सबसे प्रचुर बहुलक है लिग्निन में ही पाये जाते हैं। यह एकमात्र ऐसा बहुलक है जिसमें इतनी बड़ी संख्या में सुगंधित यौगिक उपस्थित होते हैं। अतः इसका उपयोग एरोमेटिक (aromatic) उद्योगों में भी किया जा सकता है।
सन्दर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Lignin
2. https://www.britannica.com/science/sclerenchyma#ref120015
3. https://www.biooekonomie-bw.de/en/articles/dossiers/lignin-a-natural-resource-with-huge-potential
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Ground_tissue
चित्र सन्दर्भ:
1. https://www.flickr.com/photos/146824358@N03/36004775475
2. https://www.flickr.com/photos/146824358@N03/37154312500
3. https://pxhere.com/en/photo/1590395
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Turmeric#/media/File:Turmeric_Flower_Maharashtra_India.jpg
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