समयसीमा 237
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 949
मानव व उसके आविष्कार 726
भूगोल 236
जीव - जन्तु 275
अंतरिक्ष एक ऐसा विषय है जो हमें हमेशा से ही एक चकाचौंध वाली दुनिया में पहुंचा देता है। अंतरिक्ष-विज्ञान, विज्ञान की वह धारा है जो मनुष्य को अंतरिक्ष में उपस्थित ग्रहों, आदि की जानकारी प्रदान करती है। आज के इस दौर में दुनिया भर के कितने ही देश ऐसे हैं जिन्होंने अंतरिक्ष में अपने अंतरिक्ष यानों को भेज कर अपार जानकारियाँ इकट्ठी कर ली हैं। जानकारियाँ जैसे-जैसे बढ़ रही हैं वैसे-वैसे ही विभिन्न देशों की अंतरिक्ष में रूचि भी बढ़ रही है। चाँद पर रखे पहले कदम ने मानव को यह तो बता दिया था कि अब अंतरिक्ष दूर नहीं है। हाल ही में भारत ने भी चंद्रमाँ पर दो और मंगल पर एक यान भेजा है जो इस बात की ओर संकेत है कि भारत भी इस क्षेत्र में अपनी रूचि ले रहा है। हमने कई कहानियों में पृथ्वी से स्वर्ग की सीढ़ी बनाने के प्रयत्न के बारे में पढ़ा है। हांलाकि वे कहानियाँ मात्र कहानियाँ हैं लेकिन यदि कहा जाए कि वर्तमान काल में अंतरिक्ष में सीढ़ी बनाने का कार्य किया जा रहा है तो शायद ही कुछ लोगों को विश्वास हो पायेगा। तो आइये जानते हैं अंतरिक्ष एलिवेटर (Elevator) के बारे में।
अंतरिक्ष एलीवेटर का पहला सिद्धांत रुसी वैज्ञानिक कोंस्टन्टीन ने पेरिस के आइफिल टावर (Eiffel Tower) से प्रेरणा लेकर सन 1895 में दिया था। उनका मानना था कि ऐसी ही मीनार अंतरिक्ष तक सीधी खड़ी की जा सकती है। उनका यह भी मानना था कि मीनार का उपरी हिस्सा पृथ्वी की गति के अनुसार चक्रण करता रहे ताकि वह अंतरिक्ष और पृथ्वी की गति के बीच साझेदारी बिठा सके। 1959 में एक अन्य रुसी अभियंता ने एक अन्य सस्ते उपाय का प्रतिपादन किया जिसमें एक जिओस्टेशनरी (Geostationary) उपग्रह को आधार बना कर उससे एक आकृति को नीचे पृथ्वी की तरफ आश्रित करने की योजना दी जिससे वह उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर चक्रण करते रहे और उसके सहारे एलीवेटर को अंतरिक्ष में पहुँचाया जा सके। ऐसे ही कई विचार विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा प्रतिपादित किए गए जो कि कालांतर में और भी विकसित हुए।1990 के दौर में नासा (NASA) के डेविड स्मिथर्मेन ने और भी विचारों का प्रतिपादन किया। नासा इंस्टिट्यूट फॉर एडवांस्ड कांसेप्ट (NASA Institute for Advanced Concept) में भी इस विषय की चर्चा की गयी। सन 2018 में जापान ने एक कदम उठाया जिसमें वहां के शोधार्थियों ने जापान के शिज़ुओका यूनिवर्सिटी (Shizuoka University) ने स्टार्स-मी (STARS-Me) नामक योजना चलाई जिसमें दो क्यूब (Cube) उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जाना तय हुआ जिसमें छोटा एलीवेटर यात्रा करेगा। यह कार्यक्रम शुरू कर दिया गया है जिसे अंतरिक्ष एलीवेटर के निर्माण की ओर जापान का एक कदम माना जाता है। 2019 में इंटरनेशनल अकादमी ऑफ़ एस्ट्रोनॉटिक्स (International Academy of Astronautics) ने एक शोध पत्र संपादित किया जिसका शीर्षक था ‘रोड टू दी स्पेस एलीवेटर एरा’ (Road To The Space Elevator Era)।इस शोध ने विषय के तमाम पहलुओं का प्रतिपादन किया।
अंतरिक्ष विभिन्न खनिजों का गृह है। यहाँ पर उपस्थित तमाम उपग्रह अनेकों प्रकार के खनिजों के बड़े स्रोत हैं। ऐसे में अंतरिक्ष कार्यक्रमों में उन पिंडों पर खनन का भी एक विचार विचाराधीन है, जिसे स्पेस एलीवेटर कार्यक्रम का एक दूसरा छोर माना जा सकता है। यूनाइटेड किंगडम इस खनन के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। इलोन मस्क ने भी स्पेस एक्स (SpaceX) नामक एक कार्यक्रम चलाया है जिसमें दुनिया भर के कई लोगों को अंतरिक्ष की सैर कराना शामिल है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Space_elevator
2. https://bit.ly/2IyTe1a
3. https://bit.ly/2OwOTj6
4. https://bit.ly/2IBRioL
5. https://phys.org/news/2018-05-asteroids-untold-wealth.html
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://www.youtube.com/watch?v=vYTypQO6liA
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.