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लहसुन का प्रयोग अधिकतर खाने को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। लेकिन कई लोग इस बात से अनजान हैं कि जहाँ इसका प्रयोग खाने के स्वाद को तो बढ़ा ही देता है वहीं यह स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी होता है। लहसुन का वैज्ञानिक नाम एलियम सटाइवम (Allium sativum) है जिसका इतिहास सदियों पुराना है। दवाई के रूप में भी इसका प्रयोग प्राचीनकाल से लेकर आधुनिक समय तक किया जा रहा है। यह भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में विभिन्न बीमारियों के इलाज में काम आ सकती है। मनुष्य द्वारा लहसुन का उपयोग हज़ारों वर्षों से स्वास्थ्य और चिकित्सीय लाभों के लिए किया जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार लहसुन का प्रयोग लगभग 5,000 साल पहले गीज़ा (Giza) पिरामिड के निर्माण के समय भी हो रहा था। पश्चिमी चिकित्सा के पिता कहे जाने वाले हिप्पोक्रेट्स (Hippocrates) ने भी श्वसन समस्याओं, परजीवियों, खराब पाचन और थकान के इलाज के लिए लहसुन के उपयोग को बढ़ावा दिया। तो चलिए एक नज़र डालते हैं लहसुन के चिकित्सीय इतिहास पर।
• लहसुन का इस्तेमाल मिस्र के लोगों द्वारा बहुत अधिक किया जाता था। इसे पिरामिड श्रमिकों को बांटा जाता था क्योंकि उनका मानना था कि यह श्रमिकों की ताकत और सहनशक्ति में सुधार करता है। लहसुन की कलियाँ राजा तूतनखामेन की कब्र में भी पाई गई थी, जो 1500 ईसा पूर्व की थी।
• असीरिया में लहसुन का उपयोग जीवाणुनाशक के रूप में किया जाता था तथा साथ ही सड़े हुए दांतों की गुहाओं को भरने के लिए भी इसे प्रयोग में लाया जाता था।
• यूनान में लहसुन को खिलाडियों और श्रमिकों में वितरित किया जाता था ताकि उनकी ताकत में वृद्धि हो सके।
• यहां पके हुए लहसुन का उपयोग दमे के इलाज के लिए किया जाता था।
• रोम में ताकत और साहस परिवर्धन के लिए नाविकों और सैनिकों द्वारा लहसुन का उपयोग भरपूर मात्रा में किया जाता था।
• चीन में लहसुन का उपयोग खाद्य संरक्षक के रूप में भी किया गया था। उनका मानना था कि लहसुन मांस और मछली के हानिकारक प्रभाव को खत्म करता है। यहां लहसुन का उपयोग शरीर से ज़हर को हटाने, प्लेग (Plague) को रोकने, श्वसन और पाचन में सहायता करने, दस्त के इलाज और पेट के कीड़ों के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए किया जाता था।
• भारत में लहसुन का उपयोग प्राचीन काल से किया जा रहा है जिनमें हृदय रोग और गठिया का इलाज मुख्य है।
• भारत में इसका उपयोग कमज़ोरी, थकान, संक्रमण, पाचन समस्याओं के इलाज आदि के लिए किया जाता था। इसका उपयोग तीनों चिकित्साओं अर्थात तिब्बी, यूनानी और आयुर्वेदिक में किया गया। इसका प्रयोग शरीर के बाहरी घावों के उपचार के लिए भी किया जाता था। लहसुन का उपयोग कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता था जिनमें खांसी, बलगम, बुखार, सूजन, गठिया, पेट फूलना, हृदय रोग आदि शामिल थे।
आधुनिक समय में अगर देखा जाए तो लहसुन का उपयोग उपरोक्त सभी बीमारियों को जड़ से खत्म करने की क्षमता रखता है। लहसुन मनुष्य के जीन (Gene) को भी बदलने में सक्षम है। यह लोहे के चयापचय को नियंत्रित करता है और खाद्य पदार्थों से जस्ता और लोहे के अवशोषण को बढ़ाता है। वर्तमान में लहसुन व्यापक रूप से रक्त प्रणाली और हृदय से जुड़ी कई स्थितियों के लिए उपयोग किया जा रहा है जिनमें एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) - धमनियों का सख्त होना, उच्च कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol), दिल का दौरा, हृदय रोग और उच्च रक्तचाप शामिल हैं।
लहसुन के उपयोग से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं:
• फेफड़ों के कैंसर (Cancer) के खतरे को कम करने हेतु लहसुन बहुत प्रभावशाली है। सप्ताह में कम से कम दो बार कच्चे लहसुन खाने वाले लोगों में फेफड़ों के कैंसर के विकास का जोखिम 44 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
• यह मस्तिष्क के कैंसर के उपचार के लिए भी लाभकारी है। इसमें ऑर्गेनो-सल्फर (Organo-sulfur) यौगिक पाये जाते हैं जो घातक मस्तिष्क ट्यूमर (Tumor) की कोशिकाओं को नष्ट करने में प्रभावी होते हैं।
• ऑस्टियो आर्थराइटिस (Osteoarthritis) के प्रभाव को कम करने के लिए भी लहसुन उपयोगी होता है। जिन महिलाओं के आहार में एलियम (Allium) सब्जियों की मात्रा भरपूर होती है उनमें ऑस्टियो आर्थराइटिस का स्तर बहुत कम होता है। एलियम सब्जियों में लहसुन भी शामिल है।
• लहसुन एक शक्तिशाली जैव-प्रतिरोधक भी है। लहसुन में पाया जाने वाला डायलिल सल्फाइड (Diallyl sulfide) यौगिक कैंपिलोबैक्टर (Campylobacter) जीवाणु से लड़ने में मदद करता है। कैम्पिलोबैक्टर जीवाणु आंतों के संक्रमण के सबसे सामान्य कारणों में से एक है।
• लहसुन दिल की सुरक्षा के लिए भी बहुत अधिक लाभदायक है। लहसुन के तेल में उपस्थित डायलिल ट्राइसल्फ़ाइड (Diallyl trisulfide) हृदय की सर्जरी (Surgery) के दौरान दिल की रक्षा करने में मदद करता है।
• इसके अतिरिक्त लहसुन का सेवन उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।
• लहसुन शराब के कारण हुए यकृत के घावों को भी ठीक करता है तथा सामान्य सर्दी-ज़ुखाम होने पर भी उपयोग में लाया जा सकता है।
• लहसुन द्वारा उपचारित बीमारियों में दांत दर्द, बवासीर, जानवरों के काटने से बना घाव, कान में दर्द, मिर्गी, अनिद्रा, गले में खराश आदि के प्रभाव को खत्म करना शामिल हैं।
वर्तमान में आयुष मंत्रालय आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी और होम्योपैथी (Homeopathy) में शिक्षा और अनुसंधान के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जिससे सम्बंधित जानकारी आप निम्न लिंक पर जाकर प्राप्त कर सकते हैं:
https://bit.ly/2KQ9QlF
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2sGXS7S
2. https://bit.ly/30fTtFw
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