थाईलैंड में अयुत्या (Ayutthaya) और भारत में अयोध्या

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
13-04-2019 07:15 AM
थाईलैंड में अयुत्या (Ayutthaya) और भारत में अयोध्या

अयुत्या (Ayutthaya) थाईलैंड-
बैंकॉक से लगभग 80 किलोमीटर उत्तर में थाईलैंड का एक शहर है अयुत्या (Ayutthaya)। यह एक समृद्ध अंतराष्ट्रीय व्यापार बंदरगाह था जिसकी भव्यता से 1350 से 1767 में बर्मा भी चकित था। पुराने शहर के खंडहरों को अब अयुत्या (Ayutthaya) ऐतिहासिक पार्क में बदल दिया गया है जो कि एक पुरातात्विक स्थल है। पार्क 3 नदियों के बीच एक द्वीप पर है। 1350 में स्थापित यह ऐतिहासिक शहर अयुत्या (Ayutthaya), सियामी साम्राज्य की दूसरी राजधानी था। यह 14 वीं से 18 वीं शताब्दी तक फला-फूला, उस समय के दौरान यह दुनिया के सबसे बड़े और सबसे महानगरीय क्षेत्रों में से एक और वैश्विक कूटनीति और वाणिज्य का केंद्र बन गया। समुद्र से जुड़ने वाली तीन नदियों से घिरे एक द्वीप पर अयुत्या (Ayutthaya) शहर रणनीतिक रूप से स्थित था। इस क्षेत्र को इसलिए चुना गया क्योंकि यह सियाम की खाड़ी के ज्वार-भाटे से ऊपर स्थित था, इस प्रकार अन्य राष्ट्रों के समुद्री युद्धपोतों द्वारा शहर के हमले को रोकना था। इस स्थान ने शहर को मौसमी बाढ़ से बचाने में भी मदद की। 1767 में बर्मा देश की सेना (Burmese army) द्वारा शहर पर हमला किया गया था और शहर को जमीन पर जला दिया गया था और निवासियों को शहर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था। शहर का उसी स्थान पर पुनर्निर्माण नहीं किया गया और आज इसे एक व्यापक पुरातात्विक स्थल के रूप में जाना जाता है।

वर्तमान में, इस विश्व विरासत संपत्ति का कुल क्षेत्रफल 289 हेक्टेयर है। एक बार वैश्विक कूटनीति और वाणिज्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र, अयुत्या (Ayutthaya) अब एक पुरातात्विक खंडहर है, जो लंबे प्रांग (अवशेष मीनार (Relics Tower)) के अवशेषों और स्मारकीय अनुपात के बौद्ध मठों से सुशोभित है, जो शहर के अतीत के आकार और इसकी वास्तुकला के वैभव का पता देते हैं।

थाईलैंड की रामकथा रामकियेन
एक स्वतंत्र राज्य के रूप में थाईलैंड के अस्तित्व में आने के पहले ही इस क्षेत्र में रामायणीय संस्कृति विकसित हो गयी थी। अधिकतर थाईवासी परंपरागत रूप से रामकथा से सुपरिचित थे। 1123 ईसवी में थाई राष्ट्र की स्थापना हुई। उस समय उस का नाम स्याम था। ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि तेरहवीं शताब्दी में राम वहाँ की जनता के नायक के रूप में प्रतिष्ठित हो गये थे, किन्तु रामकथा पर आधारित सुविकसित साहित्य अठारहवी शताब्दी में ही उपलब्ध होता है। रामकियेन का आरम्भ राम और रावण के वंश विवरण के साथ अयोध्या और लंका की स्थापना से होता है। तदुपरान्त इसमें बालि, सुग्रीव, हनुमान, सीता, आदि की जन्मकथा का उल्लेख हुआ है। विश्वामित्र के आगमन के साथ कथा की धारा सम्यक के रूप से प्रवाहित होने लगती है जिसमे राम विवाह से सीता त्याग और पुनः युगल जोड़ी के पुनर्मिलन तक की समस्त घटनाओ का समावेश हुआ है।

संपूर्ण 'रामकियेन' के अंतर्गत रामकथा के मूल स्वरुप में कोई मौलिक अंतर नहीं दिखाई पड़ता। 'रामकियेन' के अंत में सीता के धरती-प्रवेश के बाद राम ने विभीषण को बुलाकर समस्या के समाधान के विषय में पूछा। इस पर विभीषण ने कहा कि ग्रह का कुचक्र है। उन्हें एक वर्ष तक वन में रहना पड़ेगा। विभीषण के परामर्श के अनुसार राम तथा लक्ष्मण हनुमान के साथ एक वर्ष वन में रहे और उसके बाद अयोध्या लौट गये। अंत में इंद्र के अनुरोध पर शिव ने राम और सीता दोनों को अपने पास बुलाया। शिव ने कहा कि सीता निर्दोष हैं। उन्हें कोई स्पर्श नहीं कर सकता, क्योंकि उनको स्पर्श करने वाला भस्म हो जायेगा। अंतत: शिव की कृपा से सीता और राम का पुनर्मिलन हुआ।

अयोध्या भारत-
अयोध्या, भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित एक शहर है। इस शहर की पहचान महाकाव्य रामायण के पौराणिक शहर अयोध्या से की जाती है और इसे राम की जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है। राम जन्मभूमि (शाब्दिक रूप से, "राम का जन्मस्थान") उस स्थल का नाम है जो हिंदू देवता विष्णु के 7 वें अवतार राम का जन्मस्थान है। रामायण में कहा गया है कि राम का जन्मस्थान "अयोध्या" नामक शहर है जो सरयू नदी के तट पर है।

भारत की रामकथा रामायण
रामायण हिन्दू स्मृति का वह अंग हैं जिसके माध्यम से रघुवंश के राजा राम की गाथा कही गयी। यह आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य है। इसमें 24000 श्लोक हैं। रामायण को आदिकाव्य तथा इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि को 'आदिकवि' भी कहा जाता है। रामायण के सात अध्याय हैं जो काण्ड के नाम से जाने जाते हैं।

सनातन धर्म के धार्मिक लेखक तुलसीदास जी के अनुसार सर्वप्रथम श्री राम की कथा भगवान श्री शंकर ने माता पार्वती जी को सुनायी थी। जहाँ पर भगवान शंकर पार्वती जी को भगवान श्री राम की कथा सुना रहे थे वहाँ कागा (कौवे) का एक घोंसला था और उसके भीतर बैठा कागा भी उस कथा को सुन रहा था। कथा पूरी होने के पहले ही माता पार्वती को नींद आ गई पर उस पक्षी ने पूरी कथा सुन ली। उसी पक्षी का पुनर्जन्म काकभशुंडी के रूप में हुआ। काकभशुंडी जी ने यह कथा गरुण जी को सुनाई। भगवान श्री शंकर के मुख से निकली श्रीराम की यह पवित्र कथा अध्यात्म रामायण के नाम से प्रख्यात है। अध्यात्म रामायण को ही विश्व का सर्वप्रथम रामायण माना जाता है।

हृदय परिवर्तन हो जाने के कारण एक दस्यु से ऋषि बन जाने तथा ज्ञान प्राप्ति के बाद वाल्मीकि ने भगवान श्री राम के इसी वृतान्त को पुनः श्लोकबद्ध किया। महर्षि वाल्मीकि के द्वारा श्लोकबद्ध भगवान श्री राम की कथा को वाल्मीकि रामायण के नाम से जाना जाता है। वाल्मीकि को आदिकवि कहा जाता है तथा वाल्मीकि रामायण को आदि रामायण के नाम से भी जाना जाता है।

देश में विदेशियों की सत्ता हो जाने के बाद संस्कृत का ह्रास हो गया और भारतीय लोग उचित ज्ञान के अभाव तथा विदेशी सत्ता के प्रभाव के कारण अपनी ही संस्कृति को भूलने लग गये। ऐसी स्थिति को अत्यन्त विकट जानकर जनजागरण के लिये महाज्ञानी सन्त श्री तुलसीदास जी ने एक बार फिर से भगवान श्री राम की पवित्र कथा को देशी भाषा में लिपिबद्ध किया। सन्त तुलसीदास जी ने अपने द्वारा लिखित भगवान श्री राम की कल्याणकारी कथा से परिपूर्ण इस ग्रंथ का नाम रामचरितमानस रखा।

सन्दर्भ:-
1. https://bit.ly/2Idjpw1
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Phra_Nakhon_Si_Ayutthaya_(city)
3. http://ignca.nic.in/coilnet/rktha001.htm
4. http://ignca.nic.in/coilnet/rktha010.htm
5. http://iosrjournals.org/iosr-jhss/papers/Vol19-issue4/Version-1/G019413843.pdf

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.