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हमारा शहर जौनपुर, शिल्प कौशल में अपने समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है और आज अपने औद्योगिक परिदृश्य को विकसित कर रहा है। गहने बनाने, स्थानीय विनिर्माण और यहां तक कि चिकित्सा अनुप्रयोगों में, यह 3 डी प्रिंटिंग (3D printing) का लाभ उठा सकता है, तथा नए आर्थिक और रोज़गार अवसरों की पेशकश कर सकता है। यह कहते हुए, हम आपको बता दे कि, 3 डी प्रिंटिंग, जिसे एडिटिव मैन्युफ़ैक्चरिंग (Additive manufacturing) के रूप में भी जाना जाता है, डिजिटल डिज़ाइन की मदद से प्लास्टिक या धातुओं की परतों से, तीन-आयामी (three-dimensional) वस्तुएं बनाने की प्रक्रिया है। यह स्वास्थ्य सेवा, मोटर वाहन और निर्माण जैसे उद्योगों में क्रांति लाती है। 2024 में 707 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य वाले भारतीय 3 डी प्रिंटिंग बाज़ार का मूल्य, 2033 तक 4,330 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। तो आज, आइए इस विनिर्माण प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बात करते हैं। इस संदर्भ में, हमें 3 डी प्रिंटर और उनके कार्य सिद्धांत के बारे में पता चलेगा। इसके अलावा, हम भारत में 3 डी प्रिंटिंग के औद्योगिक अनुप्रयोगों का पता लगाएंगे। उसके बाद, हम इस उद्योग द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों के बारे में बात करेंगे।
3 डी प्रिंटर क्या हैं ?
3 डी प्रिंटर, पिघले हुए प्लास्टिक या पाउडर जैसी विभिन्न प्रकार की सामग्रियों का उपयोग करते हुए, तीन-आयामी वस्तुएं बनाने हेतु, कंप्यूटर एडेड डिज़ाइन (Computer Aided Design) का उपयोग करते हैं। ये प्रिंटर, एक आम टेबल पर रखे जा सकने वाले उपकरणों से लेकर, 3 डी-मुद्रित घरों के निर्माण में उपयोग किए जाने वाले बड़े मॉडल जैसे विभिन्न प्रकार के आकार में आ सकते हैं। इनके तीन मुख्य प्रकार होते हैं, और प्रत्येक प्रकार थोड़ी अलग विधि का उपयोग करता है।
3 डी प्रिंटर वांछित वस्तु बनाने के लिए, एक लेयरिंग विधि (Layering method) अर्थात परतों का उपयोग करते हैं। वे नीचे से ऊपर की ओर काम करते हैं, और एक परत के बाद दूसरी परत का ढेर बनाते रहते हैं, जब तक कि वह वस्तु डिज़ाइन की तरह नहीं दिखती है।
भारत में 3 डी प्रिंटिंग के औद्योगिक अनुप्रयोग:
3 डी प्रिंटिंग तकनीक को भारत में कई क्षेत्रों में अपनाया जा रहा है, जो पारंपरिक विनिर्माण विधियों में क्रांति ला रही है। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में, 3 डी प्रिंटिंग का उपयोग मरीज़-विशिष्ट प्रत्यारोपण, प्रोस्थेटिक्स (Prosthetics) और शारीरिक मॉडल बनाने के लिए किया जाता है। ये नवाचार चिकित्सा लागत को कम करते हुए, शल्य–चिकित्सा शुद्धता और परिणामों को बढ़ाते हैं। मोटर वाहन उद्योग, 3 डी प्रिंटिंग से तेज़ी से प्रोटोटाइप (Prototype), टूलिंग (Tooling) और हल्के घटकों को उत्पादित करके लाभान्वित होता है, जो उत्पादन चक्रों को कम करते है और वाहन दक्षता में सुधार करते है।
विमानन उद्योग (Aviation Industry) में, एडिटिव मैन्युफ़ैक्चरिंग का उपयोग जटिल एवं हल्के भागों के निर्माण के लिए अनुमति देता है, जो उच्च प्रदर्शन मानकों को पूरा करते हैं। इससे ईंधन दक्षता और उत्सर्जन में सुधार होता है। इसी तरह, गहने निर्माण उद्योग, उच्च परिशुद्धता के साथ जटिल डिज़ाइनों का उत्पादन करने हेतु 3 डी प्रिंटिंग का लाभ उठाता है। यह बड़े पैमाने पर अनुकूलन करता है तथा उत्पादन समय को कम करता है। इसके अलावा, भारत में निर्माण कंपनियां किफ़ायती आवास इकाइयों के निर्माण के लिए, 3 डी प्रिंटिंग के साथ प्रयोग कर रही हैं, जो टिकाऊ और लागत प्रभावी बुनियादी ढांचा समाधान की मांग को संबोधित करती है।
यह चित्र FFF तकनीक के माध्यम से 3D प्रिंटिंग की चरणबद्ध प्रक्रिया को दर्शाता है।
भारत के 3 डी प्रिंटिंग उद्योग के सामने चुनौतियां:
1.) मापनीयता-
पारंपरिक तकनीकों में, एक बार कोई डिज़ाइन सेट होने के बाद, इसकी कई प्रतियों को बहुत तेज़ी से बनाया जा सकता है। लेकिन 3 डी प्रिंटिंग इससे धीमी है।
2.) उच्च लागत-
स्वास्थ्य सेवा में, 3 डी प्रिंटिंग और उससे पहले व बाद की प्रक्रिया की प्रारंभिक स्थापना महंगी होती है ।
3.) नौकरी की हानि-
स्वचालन के कारण, इससे रोज़गार के अवसरों पर प्रभाव पड़ सकता है।
4.) सीमित सामग्री-
3 डी प्रिंटिंग के लिए कच्चा माल व्यापक नहीं है। और यह एक गंभीर चुनौती है।
5.) कुशल श्रम-
3 डी प्रिंटिंग के साथ काम करने के लिए, प्रतिभाशाली व्यक्तियों की ज़रूरत है, जिसकी भारत में कमी है।
3 डी प्रिंटिंग उद्योग को बढ़ावा देने के लिए, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई प्रमुख योजनाएं:
•समर्थ उद्योग:
भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित इस उद्योग पहल का उद्देश्य, 3 डी प्रिंटिंग को अपनाने सहित विनिर्माण प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना है।
•वैश्विक संस्थानों के साथ साझेदारी:
सरकार ने अत्याधुनिक 3 डी प्रिंटिंग अनुसंधान केंद्रों की स्थापना के लिए, एप्लाइड मटीरियल्स (Applied Materials) जैसे संगठनों के साथ सहयोग किया है।
•रक्षा पहल:
रक्षा क्षेत्र ने, घटक उत्पादन के लिए 3 डी प्रिंटिंग के लाभों को मान्यता दी है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation (DRDO)) तथा भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (Bharat Electronics Limited (BEL)), सक्रिय रूप से इस प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं।
•स्वास्थ्य सेवाओं में प्रगति:
बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (Biotechnology Industry Research Assistance Council (BIRAC)) ने स्थानीय स्वास्थ्य सेवा समाधान विकसित करने के लिए, एक 3 डी प्रिंटिंग ग्रैंड चैलेंज (3D printing grand challenge) की शुरुआत की।
•कुशलता विकास कार्यक्रम:
राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (National Skill Development Corporation (NSDC)) और केंद्रीय व राज्य सरकारों ने 3 डी प्रिंटिंग में युवाओं को प्रशिक्षित करने हेतु, कई कार्यक्रम शुरू किए हैं। प्रधान मंत्री कौशल केंद्र भी युवाओं को प्रशिक्षण देते हैं।
संदर्भ
मुख्य चित्र में पर्यावरण-स्थायी 3D मुद्रित घर का स्रोत : Wikimedia
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