कैसे हिमालय, दुनिया का तीसरा ध्रुव बनकर, हम जौनपुर वासियों के जीवन को प्रभावित करते हैं ?

जलवायु व ऋतु
07-04-2025 09:19 AM
कैसे हिमालय, दुनिया का तीसरा ध्रुव बनकर, हम जौनपुर वासियों के जीवन को प्रभावित करते हैं ?

जौनपुर वासियों, क्या आप जानते हैं कि, उत्तर और दक्षिण ध्रुव के अलावा, दुनिया में एक और ध्रुव है। तीसरा ध्रुव, जिसे हिंदू कुश-करकोरम-हिमालय प्रणाली (Hindu Kush-Karakoram-Himalayan system (HKKH)) के रूप में भी जाना जाता है, तिब्बती पठार के पश्चिम और दक्षिण में स्थित एक पहाड़ी क्षेत्र है। इसे तीसरा ध्रुव (Third Pole) इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसके पर्वत ग्लेशियर और बर्फ़ आच्छादित क्षेत्र, आर्कटिक और अंटार्कटिक ध्रुवीय छादन के बाद, दुनिया में सबसे अधिक जमे हुए पानी को संग्रहित करते हैं। 8,000 मीटर (26,000 फ़ीट) से ऊंची सभी 14 चोटियों को शामिल करने वाले, दुनिया के सबसे अलौकिक पहाड़ों के साथ, यह क्षेत्र 10 प्रमुख नदियों का स्रोत है, और एक वैश्विक पारिस्थितिक तंत्र बनाता है। इसलिए आज, इस क्षेत्र और इसकी विशेषताओं के बारे में विस्तार से पढ़ते हैं। फिर, हमें पता चलेगा कि तीसरा ध्रुव, वैश्विक जलवायु को कैसे प्रभावित करता है। इसके बाद, हम चर्चा करेंगे कि, हिमालय ग्लेशियरों का पिघलना दक्षिण एशिया को कैसे खतरे में डाल रहा है। अंत में, हम यहां मौजूद ग्लेशियरों के पिघलने को कम करने हेतु, हाल के वर्षों में किए जा रहे कुछ प्रयासों और पहलों का पता लगाएंगे।

उत्तराखंड में लोहाघाट से हिमालय का दृश्य | चित्र स्रोत : Wikimedia 

दुनिया के तीसरे ध्रुव का परिचय:

हिंदू कुश हिमालय (एच के एच –HKH) 3500 किलोमीटर में फ़ैली एवं आठ देशों – अफ़गानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, भारत, नेपाल, म्यांमार और पाकिस्तान में एक बड़ी पर्वत श्रृंखला है। यह 7,000 मीटर से ऊंची, दुनिया की सभी चोटियों का घर है। हिंदू कुश हिमालय में आर्कटिक (Arctic) और अंटार्कटिका (Antarctica) के बाहर, बर्फ़ और हिम के सबसे बड़े संग्रह है, जिसके कारण, इसे अक्सर तीसरे ध्रुव के रूप में संदर्भित किया जाता है।

इसे ‘एशिया का पानी टॉवर’ (Water Tower of Asia) भी कहा जाता है, क्योंकि यह 12 नदी घाटियों के लिए पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिसमें 10 प्रमुख नदियां – अमू दरिया (Amu Darya), ब्रह्मपुत्र, गंगा, सिंधु, इरावडी (Irrawaddy), मेकांग (Mekong), साल्विन (Salween), तारिम (Tarim),  यांग्सी (Yangtse), और यैलो (Yellow) शामिल हैं। वे एशिया के 16 देशों से गुज़रती हैं, और इस क्षेत्र में रहने वाले 240 मिलियन लोगों को मीठे पानी की सेवाएं प्रदान करती हैं। साथ ही, इस क्षेत्र के बाहर रहने वाले 1.65 बिलियन  लोगों को भी ये नदियां सेवा प्रदान करती है।

यह ध्रुव 330 पक्षी और जैव विविधता वाले क्षेत्रों का घर है, जिसमें चार वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट – हिमालय, इंडो-बर्मा, दक्षिण पश्चिम चीन के पहाड़, और मध्य एशिया के पहाड़, शामिल हैं।

हिमालय की अन्नपूर्णा श्रृंखला | चित्र स्रोत : Wikimedia 

तीसरा ध्रुव वैश्विक जलवायु को कैसे प्रभावित करता है?

तीसरा ध्रुव, एशियाई गर्मियों के मानसून जैसे वायुमंडलीय परिसंचरण और मौसम पैटर्न को प्रभावित करके, वैश्विक जलवायु प्रणाली में पर्याप्त भूमिका निभाता है। बदले में, यह जलवायु क्षेत्र के पठार को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है। एक गर्म और गीला जलवायु, हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र के ग्लेशियरों, बर्फ़ छादन, स्थायी तौर पर जमे हुए क्षेत्र, अपवाह और वनस्पति को प्रभावित करेगा, जो स्थानीय और विश्व स्तर पर पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है।

दुनिया के तीसरे ध्रुव का पिघलना, दक्षिण एशिया को कैसे खतरे में डाल रहा है?

अधिकतम 400 से 700 साल पहले से हिम काल के बाद से, हिमालय के ग्लेशियर 40% तक सिकुड़ गए है। लगता है कि हाल ही में, पाकिस्तान की काराकोरम श्रृंखला में भी ग्लेशियरों सिकुड़ रहे हैं, जहां वे आमतौर पर स्थिर थे।

इन परिवर्तनों में भारी आबादी वाले क्षेत्रों में खतरनाक जोखिम, और भोजन एवं जल सुरक्षा के परिणाम हो सकते हैं। लगभग एक बिलियन लोग सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी प्रणालियों पर निर्भर हैं, जो आंशिक रूप से हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र से बर्फ़ और ग्लेशियर पिघलने से पानी पाती हैं।

लेकिन इनका अधिक पिघलना, भूस्खलन या ग्लेशियर झील उफ़ान बाढ़ (Glacial lake outburst floods) का कारण बन सकता है। या फिर, यह अत्यधिक वर्षा के प्रभाव को बढ़ा सकता है। ग्लेशियरों के पिघलने में परिवर्तन क्षेत्र के विस्तारित जल विद्युत उद्योग की सुरक्षा और उत्पादकता को भी प्रभावित कर सकता है।

हिमाचल प्रदेश में छितकुल नामक एक गाँव से होकर बहने वाली बसपा नदी | चित्र स्रोत : Pixahive

हिंदू कुश हिमालय के बर्फ़ के पिघलने को कम करने के लिए प्रयास और पहल:

थर्ड पोल एनवायरनमेंट एनवायरमेंट (Third Pole Environment) नामक एक अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक कार्यक्रम के तहत, इस क्षेत्र में 2014 से 11 स्थल स्टेशनों और टेथर्ड बलून (Tethered balloons) की स्थापना की गई है। यह कार्यक्रम बीजिंग (Beijing) में, तिब्बती पठार अनुसंधान संस्थान (Institute of Tibetan Plateau Research) एवं चीनी एकेडमी ऑफ़ साइंसेज (Chinese Academy of Sciences) के अंतर्गत काम कर रहा है। 

ग्रीन क्लाइमेट  फ़ंड (Green Climate Fund) द्वारा आयोजित ‘क्लाइमेट रेजिलिएशन इन द थर्ड पोल (Enhancing Climate Resilience in the Third Pole)’ नामक एक अन्य प्रस्तावित कार्यक्रम जलवायु परिवर्तनशीलता और परिवर्तन के अनुकूल, तीसरे ध्रुव क्षेत्र में मौसम, पानी और जलवायु सेवाओं के उपयोग को मज़बूत करने हेतु काम करना चाहता है।

इसके तीन मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं –

  1. भेद्यता और अनुकूलन मूल्यांकन एवं योजना के लिए, बर्फ़ तंत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का बेहतर अनुमान लगाने के लिए, जलवायु सूचना सेवाओं को बढ़ाना;
  2. मानव जीवन और आजीविका पर आपदाओं के प्रभावों को कम करने के लिए, चरम मौसम/जलवायु घटनाओं के लिए शुरुआती चेतावनी में सुधार करना; तथा 
  3. कृषि जोखिम प्रबंधन और जल प्रबंधन के लिए, मौसम और जलवायु सेवाओं के प्रावधान और उपयोग को मज़बूत करना।

संदर्भ: 

https://tinyurl.com/mwuh9uk7

https://tinyurl.com/bdzb4ybj

https://tinyurl.com/2tp7eard

https://tinyurl.com/bdfyp3ae

मुख्य चित्र: उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में पंचाचूली पर्वतमाला का दृश्य (Wikimedia) 
 

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