
जौनपुर के युवाओं के बीच नशीली दवाओं का सेवन एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है! वास्तव में नशा एक जानलेवा महामारी की तरह देश के कई हिस्सों में फैल रहा है। ओपियेट्स, शराब और कुछ प्रिस्क्रिप्शन दवाओं के दुरुपयोग में तेजी आई है, जिससे गंभीर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। यह सिर्फ़ एक व्यक्तिगत समस्या नहीं है, बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर ख़तरा बनता जा रहा है।
इससे निपटने के लिए भारत सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं। लोगों को नशीली दवाओं के खतरों के बारे में जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, ताकि वे इसके दुष्प्रभावों को समझ सकें। नशे की लत से जूझ रहे लोगों के लिए पुनर्वास केंद्र खोले गए हैं, जहाँ उन्हें सही इलाज और सहायता मिल सके। इसके अलावा, नशीली दवाओं की तस्करी रोकने के लिए सख्त कानून भी बनाए गए हैं, ताकि इस समस्या की जड़ तक पहुँचा जा सके। अब सवाल यह उठता है कि यह समस्या कितनी गंभीर है और इससे बचने के लिए हम क्या कर सकते हैं? आज के इस लेख में हम इसी विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे। हम सबसे पहले समझेंगे कि नशीली दवाओं का सेवन शरीर और दिमाग पर कैसे असर डालता है। फिर, हम शिक्षा, जागरूकता और सहायता प्रणालियों की भूमिका पर बात करेंगे। इसके बाद, भारत में नशीली दवाओं की स्थिति और इसके दुष्परिणामों का विश्लेषण करेंगे। अंत में, हम सरकार द्वारा इस समस्या से निपटने के लिए उठाए गए कदमों—जैसे नीतियाँ, पुनर्वास कार्यक्रम और कानून प्रवर्तन—पर भी चर्चा करेंगे।
नशीली दवाओं का सेवन हमारे शरीर को गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है। यह व्यक्ति के गले, पेट, फेफड़े, यकृत, अग्न्याशय, हृदय, मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र जैसे विभिन्न अंगों और प्रणालियों को प्रभावित करता है।
इसके सेवन से कई दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं, जिनमें शामिल है:
नशीली दवाओं का सेवन न केवल शरीर बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी घातक साबित हो सकता है। इससे बचाव ही सबसे बेहतर उपाय है।
इसके अलावा मादक द्रव्यों के सेवन को रोकने के लिए पांच मुख्य उपाय अपनाए जा सकते हैं:
1. मादक द्रव्यों के सेवन को समझें:- मादक द्रव्यों का सेवन करने की शुरुआत कई कारणों से हो सकती है। इसमें मनोरंजन के लिए नशीली दवाओं (चाहे अवैध हों या चिकित्सक द्वारा निर्धारित) का उपयोग करना शामिल है। कुछ लोग हर बार अधिक नशा पाने की इच्छा से इनका सेवन करने लगते हैं। कई बार पर्चे की दवाओं का गलत तरीके से उपयोग भी लत का कारण बन सकता है।
2. प्रलोभन और साथियों के दबाव से बचें:- ऐसे दोस्तों या परिवार के सदस्यों से दूरी बनाए रखें, जो आपको नशे के लिए उकसाते हैं। कहा जाता है, "हम उन्हीं की तरह बन जाते हैं, जिनके साथ हम रहते हैं।" यदि आपका माहौल नशीली दवाओं और शराब के सेवन से भरा है, तो आपकी आदतें भी उसी दिशा में जाने की संभावना बढ़ जाती है। किशोरों और वयस्कों के जीवन में साथियों का दबाव बहुत मायने रखता है। यदि आप नशे से बचना चाहते हैं, तो "ना" कहना सीखें।
3. मानसिक स्वास्थ्य के लिए मदद लें:- मानसिक समस्याएं और नशे की लत अक्सर साथ-साथ चलती हैं। यदि आप चिंता, अवसाद या तनाव जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो किसी योग्य चिकित्सक या परामर्शदाता से सलाह ज़रूर लें। पेशेवर सहायता से आप नशे की ओर जाने के बजाय बेहतर तरीकों से अपनी भावनाओं को संभाल सकते हैं।
4. जोखिम कारकों की पहचान करें:- यदि आपके परिवार में नशे या मानसिक बीमारी का इतिहास रहा है, तो सतर्क रहना ज़रूरी है। शोध बताते हैं कि नशे की प्रवृत्ति अनुवांशिक भी हो सकती है, लेकिन सही जागरूकता और सावधानी से इसे रोका जा सकता है। जैविक, पर्यावरणीय और मानसिक जोखिम कारकों को समझने से आप नशे के प्रभाव से बचने के लिए बेहतर कदम उठा सकते हैं।
5. संतुलित जीवनशैली अपनाएं:- जब जीवन में कोई कमी या तनाव महसूस होती है, तो लोग अक्सर नशे की ओर आकर्षित होते हैं। लेकिन तनाव प्रबंधन के अच्छे तरीके अपनाकर आप इस जोखिम को कम कर सकते हैं। संतुलित और स्वस्थ जीवनशैली न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक रूप से मज़बूत बनाए रखती है। अपने भविष्य के लक्ष्य निर्धारित और उन पर ध्यान केंद्रित करेंइससे आपका जीवन एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेगा।
सरकार नशीली दवाओं की समस्या से कैसे निपट रही है?
अफ़ीम और भांग भारत में सबसे अधिक उगाई और उपयोग की जाने वाली नशीली दवाएँ हैं। अफ़ीम पोस्त के पौधे से मिलती है, जबकि भांग, भांग के पौधे से प्राप्त होती है। इनका सेवन मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाता है है और लत का कारण बन सकता है।
सरकार नशीली दवाओं की समस्या से निपटने के लिए कई प्रभावी कदम उठा रही है। इनमें अवैध फसलों को नष्ट करना, ड्रग्स (drugs) की ज़प्ती, तस्करों की गिरफ़्तारी और लोगों में जागरूकता फैलाना शामिल है।
नशीली दवाओं की समस्या को रोकने के लिए सरकार कई उपाय कर रही है। ये उपाय विधायी, संस्थागत और निवारक श्रेणियों में आते हैं। इसके अलावा, सरकार आधुनिक तकनीक का भी उपयोग कर रही है ताकि तस्करों पर कड़ी निगरानी रखी जा सके।
1. नशीली दवाओं पर नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा सख्त कानून बनाए गए हैं। इनमें प्रमुख हैं:
2. सरकार द्वारा नशीली दवाओं पर नियंत्रण के लिए कई एजेंसियाँ भी बनाई गई हैं। इनमें शामिल हैं:
ये संस्थाएँ न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम करती हैं।
3. नशीली दवाओं की लत को रोकने और प्रभावित लोगों को सहायता देने के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रम शुरू किए हैं। इनमें शामिल हैं:
(i) राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPDDR)
(ii) नशा मुक्त भारत अभियान (NMBA)
4. सरकार ने नशीली दवाओं के अपराधों की जाँच और निगरानी के लिए डिज़िटल प्लेटफॉर्म भी विकसित किए हैं।
(i) निदान पोर्ट:
(ii) राष्ट्रीय नारकोटिक्स समन्वय पोर्टल (NCORD)
नशीली दवाओं की समस्या सिर्फ़ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे समाज से जुड़ा मुद्दा है। इसकी वजह से न केवल हमारा व्यक्तिगत स्वास्थ्य, बल्कि हमारी भावी पीढ़ियों और समाज की स्थिरता के लिए भी ख़तरा पैदा हो रहा है। सरकार, संस्थाएँ और समाज मिलकर इस संकट से निपटने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन असली बदलाव तभी आएगा जब हम सभी व्यक्तिगत स्तर पर सतर्क रहेंगे। जागरूकता, सही जानकारी और सहयोग से हम एक नशामुक्त समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
संदर्भ:
https://tinyurl.com/2cmox8bf
https://tinyurl.com/yeb8jzf5
https://tinyurl.com/23t9dsaw
https://tinyurl.com/23t9dsaw
चित्र स्रोत : flickr
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