जौनपुर, जानिए क्यों ज़रूरी है निदान और उपचार, मानसिक स्वास्थ्य विकारों का

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
21-03-2025 09:08 AM
जौनपुर, जानिए क्यों ज़रूरी है निदान और उपचार, मानसिक स्वास्थ्य विकारों का

हमारा मानसिक स्वास्थ्य, हमारी सोच, भावनाओं, हमारे आसपास की दुनिया की धारणा और हमारे कार्यों को प्रभावित करता है। वहीं, मानसिक स्वास्थ्य विकार, या मानसिक बीमारी एक चिकित्सीय स्थिति है, जो आपके सोचने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करती हैं। मानसिक स्वास्थ्य विकार, कभी कभी गंभीर भी हो सकते हैं और सामाजिक, कार्य या पारिवारिक गतिविधियों में कार्य करना कठिन बना सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य विकारों में अवसाद, चिंता, मनोविदलता शामिल हैं। 2017 में भारत में 197.3 मिलियन लोग मानसिक विकार से पीड़ित थे। इसमें 45.7 मिलियन लोग अवसादग्रस्त विकारों वाले और 44.9 मिलियन लोग चिंता विकारों वाले थे। तो आइए, आज भारत में प्रचलित कुछ सामान्य मानसिक विकारों के बारे में जानते हुए, इन विकारों के लक्षणों और कारणों पर कुछ प्रकाश डालेंगे। इसके साथ ही, हम भारत में इन चिकित्सीय स्थितियों के निदान और उपचार के विभिन्न तरीकों के बारे में जानेंगे। अंत में, हम उत्तर प्रदेश में इन बीमारियों से पीड़ित लोगों से सम्बंधित आंकड़ों पर नज़र डालेंगे। 

1892 का एक लिथोग्राफ़ जिसमें उदासी और आत्महत्या की प्रबल प्रवृत्ति वाले एक व्यक्ति को दर्शाया गया है। यह 1837 में लंदन के बेथलेम रॉयल अस्पताल से जुड़े अलेक्ज़ेंडर जॉनस्टन (Aexander Johnston) के एक चित्र पर आधारित है। | चित्र स्रोत : wikimedia 

भारत में प्रचलित मानसिक विकारों के प्रकार:

  • अवसाद (Depression): अवसाद एक सामान्य मानसिक स्वास्थ्य विकार है जिसमें लगातार उदासी, निराशा और गतिविधियों में रुचि या आनंद की कमी होती है। अवसाद, किसी व्यक्ति के मूड, विचार, व्यवहार और शारीरिक भलाई पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।  इसके लक्षणों में थकान, भूख में बदलाव, नींद में खलल, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और खुद को नुकसान पहुंचाने या आत्महत्या के विचार शामिल हो सकते हैं। 
  • चिंता विकार (Anxiety): चिंता विकार के कारण, व्यक्ति अत्यधिक और लगातार चिंता या भय से ग्रसित रहते हैं। चिंता विकार के कारण व्यक्ति को बार-बार पैनिक अटैक आते हैं, जिसमें अत्यधिक भय, दिल की धड़कन की तीव्रता और सांस की तकलीफ़ जैसे शारीरिक लक्षण दिखाई देते हैं। भय की स्थिति में विशिष्ट वस्तुओं, स्थितियों या गतिविधियों का तीव्र भय होता है। 
  • द्विध्रुवी विकार (Bipolar Disorder): द्विध्रुवी विकार की स्थिति में किसी व्यक्ति को बारी-बारी से उन्माद और अवसाद के दौरे आते हैं। उन्माद के दौरान, व्यक्तियों को ऊर्जा स्तर में वृद्धि, नींद में कमी, विचारों की उच्चता, आवेगी व्यवहार और आत्म-महत्व की अतिरंजित भावना का अनुभव हो सकता है। अवसादग्रस्तता में उदासी, रुचिहीनता, थकान और भूख और नींद  के तरीकों में बदलाव शामिल हैं। द्विध्रुवी विकार, किसी व्यक्ति की भावनाओं, व्यवहार, रिश्तों और समग्र कामकाज़ पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।
  • विखंडित मनस्कता (Schizophrenia): विखंडित मनस्कता, एक दीर्घकालिक और गंभीर मानसिक विकार है, जो किसी व्यक्ति की वास्तविकता की धारणा, सोचने की प्रक्रिया, भावनाओं और व्यवहार को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में मतिभ्रम, अव्यवस्थित भाषण और व्यवहार, और कम भावनात्मक अभिव्यक्ति शामिल हैं। विखंडित मनस्कता से पीड़ित व्यक्तियों को संज्ञानात्मक  कामकाज में कठिनाइयों का अनुभव हो सकता है, जैसे स्मृति, ध्यान और कार्यकारी  कामकाज में समस्याएं। 
  • मादक द्रव्य उपयोग विकार (Substance use disorders): मादक द्रव्य उपयोग विकारों में नकारात्मक परिणामों के बावजूद, शराब या नशीली दवाओं जैसे पदार्थों का अत्यधिक और बाध्यकारी उपयोग शामिल होता है। ये विकार, मानसिक स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। इस स्थिति में मादक पदार्थ न मिलने पर, लत, निर्भरता और प्रतिकार के लक्षण हो सकते हैं। मादक द्रव्यों के सेवन से होने वाले विकार विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं, जिनमें मूड विकार, चिंता विकार, मनोविकृति, संज्ञानात्मक हानि और सामाजिक और व्यावसायिक समस्याएं शामिल हैं।

मानसिक स्वास्थ्य विकारों के कुछ सामान्य कारण:

  • शराब या मनोरंजक दवाओं का प्रयोग।
  • उचित पोषण की कमी।
  • दोस्तों या परिवार के सदस्यों की सहायता न मिलने पर।
  • उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था से जन्म।
  • कैंसर, मधुमेह (Diabetes) या  हाइपोथायरायडिज़्म (Hypothyroidism) जैसी पुरानी चिकित्सीय स्थिति।
  • व्यवहार संबंधी स्वास्थ्य विकारों का पारिवारिक इतिहास।
  • अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer's disease) या मनोभ्रंश जैसे तंत्रिका संबंधी विकार की चिकित्सीय स्थिति।
  • नींद संबंधी विकार।
  • अत्यधिक तनाव।
  • मस्तिष्क में गंभीर चोट।
  • जीवन में कोई दर्दनाक घटना या दुर्व्यवहार का इतिहास।
  • अपनी आध्यात्मिकता या विश्वासों के साथ संघर्ष।

मानसिक स्वास्थ्य विकार के लक्षण:

  • मनोरंजक दवाओं या अल्कोहल का उपयोग।
  • सामाजिक स्थितियों और दोस्तों से बचना।
  • भ्रम या मतिभ्रम सहित वास्तविकता को समझने में कठिनाई।
  • अत्यधिक चिंता या भय।
  • थकान या नींद की समस्या।
  • उदासी या अलगाव की भावनाएं।
  • अन्य लोगों की भावनाओं को समझने में असमर्थता।
  • तीव्र चिड़चिड़ापन या क्रोध।
  • शारीरिक बनावट, वज़न या खान-पान की आदतों के प्रति जुनून।
  • ध्यान केंद्रित करने, सीखने या रोजमर्रा के कार्यों को पूरा करने में समस्याएं।
  • अचानक मूड बदलना।
  • आत्मघाती विचार आना।

भारत में मानसिक विकारों के निदान के तरीके:

  • शारीरिक परीक्षण: इसमें उन शारीरिक समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जाता है, जो मानसिक विकार के लक्षणों का कारण बन सकती हैं।
  • प्रयोगशाला परीक्षण: इनमें शामिल हो सकते हैं, उदाहरण के लिए, आपके थायरॉइड प्रणाली की जांच या शराब और नशीली दवाओं की जांच।
  • मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन: इसमें मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर आपके लक्षणों, विचारों, भावनाओं और व्यवहार पैटर्न के बारे में आपसे बात करता है। इन प्रश्नों के उत्तर देने में सहायता के लिए आपसे एक प्रश्नावली भरने के लिए कहा जा सकता है।
डिप्रेशन को दर्शाता एक चित्रण | चित्र स्रोत : wikimedia 

भारत में मानसिक विकारों के उपचार के तरीके:

मनोचिकित्सा या परामर्श: मानसिक स्वास्थ्य विकारों के लिए यह सबसे आम उपचारों में से एक है। इसे टॉक थेरेपी (talk therapy) भी कहा जाता है। इसमें एक मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर के साथ, अपनी समस्याओं के बारे में बात करना शामिल है। टॉक थेरेपी, कई प्रकार की होती है। इसमें मुख्य रूप से संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी या द्वंद्वात्मक व्यवहार थेरेपी का प्रयोग किया जाता है। टॉक थेरेपी, अक्सर मनोचिकित्सक और रोगी के बीच प्रत्यक्ष की जाती है। इसे समूह में या परिवार के साथ भी किया जा सकता है। इस प्रकार की थेरेपी उन लोगों के लिए उपयोगी हो सकती है जिनकी कोई मानसिक स्वास्थ्य स्थिति नहीं है और वे चुनौतीपूर्ण जीवन स्थितियों (दुःख, तलाक, आदि) से गुजर रहे हैं।

दवाएं: मानसिक विकारों के लिए दवाएं, भावनाओं और विचार पैटर्न को प्रभावित करने वाले मस्तिष्क के रसायनों में बदलाव लाती हैं। दवाएं मनोरोग स्थितियों या स्वास्थ्य समस्याओं का  इलाज नहीं करती हैं। लेकिन वे आपके लक्षणों में सुधार कर सकती हैं और परामर्श जैसे अन्य उपचारों को अधिक प्रभावी बना सकती हैं। 

सहायता समूह: स्वयं सहायता और सहायता समूह (Self Help Groups), आपकी स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करने में आपकी सहायता कर सकते हैं। वे आपकी स्थिति के संबंध में मित्रता, सहायता, संसाधन और सुझाव प्रदान कर सकते हैं। वे अलगाव की भावनाओं को दूर करने में भी मदद करते हैं, जो अक्सर मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के साथ जुड़ी होती हैं।

चित्र स्रोत : wikimedia 

इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपी (Electroconvulsive therapy (ECT)) या अन्य मस्तिष्क उत्तेजना चिकित्सा: ई सी टी, एक ऐसी सुरक्षित प्रक्रिया है जो मस्तिष्क में विद्युत धाराएं भेजती है। इससे मस्तिष्क में ऐसे बदलाव आते हैं जिनसे सुधार हो सकता है और यहां तक कि परेशान करने वाले लक्षणों को उलटा भी किया जा सकता है। ईसीटी और अन्य मस्तिष्क उत्तेजना उपचारों का उपयोग अक्सर तब किया जाता है जब अन्य प्रकार के उपचार काम नहीं करते हैं।

आई मूवमेंट डिसेन्सिटाइजेशन एंड रीप्रोसेसिंग (Eye Movement Desensitization and Reprocessing (EMDR)) थेरेपी: इस प्रकार की थेरेपी का उपयोग, मनोवैज्ञानिक तनाव को दूर करने के लिए किया जाता है। यह आघात, विशेषकर पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (post-traumatic stress disorder (PTSD)) के  इलाज में मदद करने का एक प्रभावी तरीका है।

अन्य उपचार: मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के  इलाज में मदद के लिए लोग कई प्रकार की अन्य थेरेपी का उपयोग भी करते हैं। इनमें व्यायाम या योग जैसी शारीरिक गतिविधियां शामिल हो सकती है। इनमें रचनात्मक उपचार भी शामिल हो सकते हैं। इनमें कला, संगीत या लेखन का उपयोग शामिल हो सकता है।

उत्तर प्रदेश में लोग मानसिक रोग से पीड़ितों का आंकड़ा:

मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण द्वारा 2017 में उत्तर प्रदेश में एक रिपोर्ट जारी की गई थी, जिसके अनुसार, उत्तर प्रदेश की 8.7% से अधिक आबादी कम से कम एक मानसिक बीमारी से पीड़ित थी। जबकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization (WHO)) द्वारा प्रलेखित राष्ट्रीय औसत 7.5% था। अध्ययन के निष्कर्षों के अनुसार, उस दौरान, उत्तर प्रदेश की 22.4 करोड़ की आबादी में से 1.95 करोड़ लोग किसी न किसी तरह की मानसिक बीमारी से पीड़ित थे। इसमें उच्च आत्मघाती जोखिम वाले 20 लाख से अधिक लोग शामिल थे। अध्ययन से यह भी पता चला कि 8.9 लाख से अधिक लोग डिस्लेक्सिआ (Dyslexia) ऑटिज़्म (Autism) और अटेंशन  डेफ़िसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (Attention Deficit Hyperactivity Disorder (ADHD)) जैसे बौद्धिक विकारों से पीड़ित थे।

 

संदर्भ: 

https://tinyurl.com/3sa6334c

https://tinyurl.com/2p8kyxk6

https://tinyurl.com/bdfumkkj

https://tinyurl.com/bdfce4dx

https://tinyurl.com/4cj7d2a8

मुख्य चित्र स्रोत : pexels 

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