स्वास्थ्यपूर्ण कटहल के बढ़ते अभिनव उपयोगों से कैसे होगा, जौनपुर के किसानों को लाभ ?

फल-सब्ज़ियां
19-03-2025 09:11 AM
स्वास्थ्यपूर्ण कटहल के बढ़ते अभिनव उपयोगों से कैसे होगा, जौनपुर के किसानों को लाभ ?

जौनपुर क्षेत्र की गर्म और आर्द्र जलवायु में, कटहल (Jackfruit) फल अच्छी तरह से पनपता है, जिससे यह क्षेत्र के कई घरों में, ये एक आम फ़सल बन जाता है। कटहल का उपयोग, अक्सर कच्चे और पके, दोनों रूपों में किया जाता है। कच्चे कटहल को सब्ज़ी के रूप में पकाया जाता है, जबकि पके फल को इसके मीठे व सुगंधित स्वाद के लिए जाना जाता है। यह विटामिन (Vitamins), फाइबर (Fibre) और एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidants) से समृद्ध होता है, और इस कारण, हमारे पाचन में सुधार, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और हृदय स्वास्थ्य का समर्थन करने में मदद करता है। कटहल के बीज भी पौष्टिक होते हैं, और उन्हें स्नैक के रूप में खाया जा सकता है।

आज, हम कटहल और इसके पोषण मूल्य पर संक्षिप्त चर्चा करेंगे। फिर हम इसके विभिन्न स्वास्थ्य लाभों का पता लगाएंगे। इसके बाद, हम भारत में कटहल की उपलब्धता एवं बाज़ार क्षमता के बारे में जानेंगे। जबकि अंत में, हम कटहल की खेती के लिए आवश्यक, आदर्श जलवायु और मिट्टी पर चर्चा करेंगे।

चित्र स्रोत : Wikimedia

कटहल क्या है ?

कटहल का वैज्ञानिक नाम – आर्टोकार्पस हेटेरोफ़िलस (Artocarpus heterophyllus) है। कटहल, एशिया, अफ़्रीका और दक्षिण अमेरिका में उगाया जाने वाला एक उष्णकटिबंधीय पेड़ है। इसके मोटे, ऊबड़-खाबड़ और हरे छिलके के अंदर एक पीला गुदा होता है, जिसे आप कच्चे रूप में खा सकते हैं, या विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में पका सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि, इसके बीज भी खाने योग्य हैं।

कटहल, दुनिया का सबसे बड़ा पेड़-जनित फल है, जिसका  जिसका वज़न 8 से 50  किलो तक हो सकता है । कटहल में बहुत अधिक पोटेशियम (Potassium) होता है, जो उन लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है, जिन्हें किडनी रोग या गुर्दे की तीव्र विफ़लता वाली स्थिति है। इन स्थितियों वाले लोग, यदि पोटेशियम की उच्च मात्रा खाते हैं, तो हाइपरक्लेमिया (Hyperkalemia) की स्थिति विकसित कर सकते हैं। हाइपरक्लेमिया रक्त में, पोटेशियम का जमाव है, जो कमज़ोरी, पक्षाघात और दिल का दौरे का कारण बनता है।

कटहल के स्वास्थ्य लाभ-

कई फलों की तरह, कटहल में स्वस्थ पाचन और बहुत कम वसा के लिए, कुछ फ़ाइबर होते हैं। कटहल की प्रति 100-ग्राम में निम्नलिखित गुण मिलते है:

95 कैलोरी,

2 ग्राम प्रोटीन,

0.6 ग्राम वसा, और

3 ग्राम फ़ाइबर।

इसमें विटामिन, खनिज़ और फ़ाइटोकेमिकल्स (Phytochemicals) भी होते हैं, जिनके कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यह विटामिन सी (Vitamin C) , विटामिन बी 6 (Vitamin B6) , नियासिन (विटामिन बी 3 (Vitamin B3)), विटामिन बी 2 (Vitamin B2), विटामिन बी 9, (Vitamin B9) और कैल्शियम (Calcium), मैग्नीशियम (Magnesium),  , फ़ॉस्फोरस (Phosphorus) का भी एक अच्छा स्रोत है।

इसके अलावा, कटहल,

१.प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है।

२.स्वस्थ पाचन में मदद करता है।

३.कैंसर से बचाता है।

४.आंख और त्वचा के लिए अच्छा है।

५.रक्तचाप को नियंत्रित करता है।

६.अस्थमा को नियंत्रित करता है।

७.स्वस्थ थायरॉयड को बनाए रखता है।

८.हड्डियों को मज़बूत करता है।

९.ऊर्जा को बढ़ाता है, और एनीमिया को रोकता है।

कटहल के बीजों और गूदे को अलग करने से पहले बीजपत्र (Aril) निकालना | चित्र स्रोत : Wikimedia

कटहल (हिंदी), फणस (मराठी), फ़णनस (गुजराती), पनासा (तेलुगु), पाल/ वरुकई (तमिल), हलासु (कन्नड़), चक्का (मलयालम), पनासा (उड़िया), आदि कटहल के भारत में स्थानीय नाम हैं।

भारत में प्रमुख कटहल उत्पादन राज्य, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, बिहार, उच्च प्रदेश,  ओडिशा और असम है। इसके साथ ही, भारत में इस फल की खेती में प्रमुख किस्में निम्नलिखित हैं– 

सिंगापुर (Singapore) या सीलोन जैक (Ceylon Jack); कोंकन प्रोलिफ़िक (Konkan Prolific); हाइब्रिड जैक (Hybrid jack); 5 पी एल आर -1 (पालुर -1) (5 PLR-1(Palur-1)); बर्लियार -1 (Burliar-1); एवं पी पी आई -1 (पेचिपराई -1)(PPI-1(Pechiparai-1)); आदि।

भारत में कटहल की उपलब्धता-

भारत के दक्षिण और पूर्वी क्षेत्रों में कटहल बहुतायत से बढ़ता है। इस फल की खेती करने वाले क्षेत्रों में, पश्चिमी घाट, देउरिया, गोरखपुर, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, कोंकण और कर्नाटक शामिल हैं। साथ ही, क्या आप जानते हैं कि, हमारे राज्य का फ़ैज़ाबाद क्षेत्र, अपनी स्वादिष्ट कटहल किस्म के लिए जाना जाता है।

हालांकि, भारत, कटहल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन, एक अनुमान है कि, 75% पके फल बर्बाद हो जाते हैं। वास्तव में, इसके उत्पादों की मांग अधिक है। लेकिन निर्माताओं को फलों को संसाधित करने में, मशीनरी और मज़दूरों की खरीद में कठिनाई होती है। 

चित्र स्रोत : flickr

कटहल का सीज़न, सितंबर से दिसंबर तक है, और फिर जून से अगस्त तक भी यह पनपता है। मुख्य पीक उत्पादन मानसून के मौसम के दौरान होता है। एक तरफ़, महाराजपुरम किस्म, दिसंबर से जुलाई तक, ऑफ़-सीज़न के दौरान भी फल देती है।

कटहल बाज़ार की क्षमता-

2019 में, भारत में कटहल बाज़ार का  मूल्य, 21.42 अरब रूपए  था । यह बाज़ार, अनुमानित अवधि 2020-2025 के दौरान, 3.2% की सी ए जी आर (CAGR) दर से बढ़ रहा है। कटहल एक उष्णकटिबंधीय फल है, जो दुनिया के उष्णकटिबंधीय, उच्च वर्षा वाले क्षेत्र, तटीय और आर्द्र क्षेत्रों में पाया जाता है। इसका आमतौर पर एक टेबल फल के रूप में सेवन किया जाता है, लेकिन, इसके अलावा, अचार, चिप्स, जेली, चटनी, पापड, जाम, आइसक्रीम, स्क्वैश (Squash), नूडल्स, जैक लेदर, मिठाई और विभिन्न अन्य वस्तुओं के उत्पादन में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसके मीठे स्वाद के कारण, इसका उपयोग, मानव उपभोग के लिए व्यंजनों की एक विस्तृत श्रृंखला बनाने के लिए किया जाता है। इसकी बनावट के कारण, इसे शाकाहारी लोग, मांस के विकल्प के रूप में भी पसंद करते है। कटहल के अभिनव अनुप्रयोगों के कारण और इसकी खपत के साथ, इसके स्वास्थ्य लाभों के बारे में बढ़ती उपभोक्ता जागरूकता भी, इसके बाज़ार के विकास का समर्थन कर रही है।

चित्र स्रोत : Wikimedia

कटहल के लिए आवश्यक जलवायु और मिट्टी-

कटहल, अच्छी तरह से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु के लिए अनुकूलित है। इसे  सफलतापूर्वक औसत समुद्र तल से 1,600 मीटर की ऊंचाई तक उगाया जा सकता है। इसके लिए गर्म व आर्द्र जलवायु तथा 1,000-1,500 मिलीमीटर की अच्छी तरह से वितरित वर्षा की आवश्यकता होती है। निरंतर बाढ़ एवं नम स्थिति, हालांकि, इस पेड़ के लिए अवांछनीय है। यह फल अच्छी तरह से  सूखी मिट्टी पसंद करता है, लेकिन इसे मिट्टी की विविधता में भी उगाया जा सकता है। हालांकि, गहरी जलोढ़; रेतीली बलुई या सामान्य बलुई; कैल्शियम कार्बोनेट युक्त या लेटराइट मिट्टी (laterite soil) ; चूना युक्त या पथरीली; तथा 5.5-7.5 पी एच (pH) वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त है।

 

संदर्भ: 

https://tinyurl.com/d9z9euwf

https://tinyurl.com/4bja5f9r

https://tinyurl.com/2c9rnhsy

https://tinyurl.com/4w3mk57p

https://tinyurl.com/mr2nerwj

मुख्य चित्र स्रोत : Wikimedia 
 

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