जौनपुर आइए जानें, आज भारत में कितनी महिलाओं के पास इंटरनेट सुविधा उपलब्ध है

सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान
08-03-2025 08:59 AM
जौनपुर आइए जानें, आज भारत में कितनी महिलाओं के पास इंटरनेट सुविधा उपलब्ध है

करुणा के सागर को धार बना कर

तुम लहरों सी हुंकार भरो।

अबला नहीं हो तुम नारी

इस बात का अभिमान करो।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey 2019-21)) के अनुसार, आज भी भारत में केवल 33% महिलाओं ने इंटरनेट की शक्ति को परखा या जाना है। इसका मतलब यह है कि, लगभग 67% महिलाएं, अभी भी इंटरनेट से वंचित हैं। इसके विपरीत, इसी समयावधि में 57% से अधिक पुरुषों ने इंटरनेट का उपयोग किया। आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हम भारत में महिलाओं द्वारा इंटरनेट उपयोग की वर्तमान स्थिति को समझने की कोशिश करेंगे। साथ ही, इसकी तुलना हम पड़ोसी देशों से भी करेंगे। इसके बाद, हम यह जानेंगे कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की इंटरनेट तक पहुंच सीमित क्यों है। इसके अलावा, हम यह भी देखेंगे कि फ़ोन के प्रकार का इंटरनेट जागरूकता पर क्या प्रभाव पड़ता है। अंत में, हम कुछ ऐसी रणनीतियों पर चर्चा करेंगे, जो भारत में महिला इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ाने और उनके डिजिटल सशक्तिकरण में मदद कर सकती हैं।

आइए सबसे पहले भारत में महिला इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की वर्तमान स्थिति को समझते हैं: 

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय समय-समय पर राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey (NFHS)) आयोजित करता रहता है। यह सर्वेक्षण जनसंख्या, स्वास्थ्य और संबंधित विषयों पर ज़रूरी डेटा एकत्र करने के लिए किया जाता है। अब तक, भारत में 1992-93, 1998-99, 2005-06, 2015-16 और 2019-21 के दौरान, पाँच दौर पूरे हो चुके हैं।

चित्र स्रोत : Wikimedia 

NFHS-5 की मई 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 2019-21 के दौरान भारत में 15 से 49 वर्ष की आयु वर्ग की 33.3% महिलाएँ इंटरनेट का उपयोग कर रही थीं। शहरी क्षेत्रों में 51.8% महिलाएँ, ग्रामीण क्षेत्रों में 24.6% महिलाएँ और कुल मिलाकर 33.3% महिलाएँ इंटरनेट का उपयोग कर रही हैं। इस रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि “ भारत में महिलाओं के पास मोबाइल फ़ोन होने की संभावना पुरुषों की तुलना में 15% कम है।” साथ ही, वे मोबाइल इंटरनेट सेवाओं का उपयोग 33% कम करती हैं। 2020 में, भारत की कुल वयस्क महिला आबादी में केवल 25% के पास स्मार्टफ़ोन था, जबकि पुरुषों में यही आंकड़ा 41% था।

अगर हम इसकी तुलना पड़ोसी देशों से करें, तो बांग्लादेश में मोबाइल स्वामित्व में लैंगिक अंतर 24% था, जबकि मोबाइल उपयोग में यह अंतर 41% तक था। वहीं, पाकिस्तान में यह अंतर और अधिक (मोबाइल स्वामित्व में 34% और मोबाइल उपयोग में 43%) था।

चलिए जानते हैं कि भारतीय महिलाओं की इंटरनेट तक सीमित पहुँच के क्या कारण हैं: 

  1. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच डिजिटल विभाजन: राष्ट्रीय स्तर पर 51% क्षेत्र में ब्रॉडबैंड पहुँच चुका है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड की पहुँच केवल 29% है। इसलिए कई राज्यों में ग्रामीण महिलाओं के पास मोबाइल फ़ोन होने की संभावना कम होती है। गोवा, केरल और पूर्वोत्तर राज्यों में यह अंतर सबसे कम है, जबकि पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में सबसे अधिक है। 
  2. आय के आधार पर डिजिटल विभाजन: भारत में इंटरनेट डेटा की औसत, कीमत $0.68 (₹ 60) प्रति जी बी (GB) है। कम आय वाले परिवारों (जो $2/दिन (₹175) से कम कमाते हैं) के लिए, एक जी बी (GB), डेटा में उनकी मासिक आय का लगभग 3% खर्च हो जाता है। वहीं, मध्यम आय वाले परिवार (जो $10-$20 (₹ 870 - ₹1740) /दिन कमाते हैं) के लिए यह खर्च मात्र 0.2% होता है। इससे कम आय वाले परिवारों की महिलाओं के लिए इंटरनेट का उपयोग करना और भी कठिन हो जाता है।
  3. घर के भीतर भेदभाव: कई परिवारों में महिलाओं को डिजिटल उपकरणों तक समान पहुँच नहीं मिलती। पुरुषों को मोबाइल और इंटरनेट के उपयोग की अधिक स्वतंत्रता होती है, जबकि महिलाओं को सीमित कर दिया जाता है। इस भेदभाव के कारण लिंग-आधारित डिजिटल विभाजन भी बढ़ जाता है
चित्र स्रोत : Wikimedia 

भारत में महिलाओं की मोबाइल और इंटरनेट तक सीमित पहुँच का मुख्य कारण डिजिटल विभाजन, आर्थिक असमानता और पारिवारिक भेदभाव है। जब तक इन समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता, तब तक डिजिटल प्रगति में महिलाओं की भागीदारी सीमित ही रहेगी।

कोई व्यक्ति मोबाइल इंटरनेट का उपयोग करेगा या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसके पास कौन सा मोबाइल फ़ोन है। स्मार्टफ़ोन रखने वाले लोग आमतौर पर मोबाइल इंटरनेट के बारे में अधिक जानते हैं और उसका नियमित रूप से उपयोग करते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, जब महिलाओं के पास स्मार्टफ़ोन होता है, तो उनकी इंटरनेट जागरूकता और उपयोग का स्तर भी पुरुषों के समान हो जाता है। 

इंटरनेट-सक्षम फ़ोन रखने वाले 91 प्रतिशत पुरुष भारत में इंटरनेट का उपयोग करते हैं, जबकि महिलाओं में यह आंकड़ा, 79 प्रतिशत है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अधिकांश मोबाइल इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के पास खुद का इंटरनेट चलाने योग्य फ़ोन होता है। हालांकि, कुछ देशों में, खासकर महिलाओं के बीच, ऐसे लोग भी हैं जिनके पास खुद का मोबाइल फ़ोन नहीं होता या उनके पास केवल बेसिक फ़ोन होता है।

भारत में, 19 प्रतिशत महिला मोबाइल इंटरनेट उपयोगकर्ता किसी और के डिवाइस का उपयोग करके इंटरनेट चलाती हैं, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा 8 प्रतिशत है। इससे पता चलता है कि भारत में महिलाओं के लिए डिजिटल दुनिया में समान अवसर उपलब्ध कराना कितना ज़रूरी हो गया है। 
 

चित्र स्रोत : Wikimedia 

इस अंतर को कम करने और महिलाओं की इंटरनेट तक पहुँच बढ़ाने के लिए कई रणनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं। इनमें शामिल हैं: 

1. सस्ता इंटरनेट और मोबाइल फ़ोन उपलब्ध कराना: आज भी कई महिलाएँ ब्रॉडबैंड और मोबाइल नेटवर्क तक नहीं पहुँच पातीं। लेकिन उन्हें डिजिटल दुनिया से जोड़ना आवश्यक है। इसके लिए डिवाइस और सेवाओं की लागत कम करनी होगी। सरकार और निजी संस्थाएँ सब्सिडी या मुफ़्त डेटा देकर इसे संभव बना सकती हैं। इस क्षेत्र में नेटवर्क कवरेज और गुणवत्ता में सुधार भी ज़रूरी है। साथ ही, सार्वजनिक सुविधाओं की सुरक्षा और आसान पहुँच सुनिश्चित करनी होगी, ताकि महिलाएँ बिना किसी डर के इनका उपयोग कर सकें।

2. डिजिटल कौशल बढ़ाना: डिजिटल क्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए महिलाओं और लड़कियों को ज़रूरी कौशल सिखाना महत्वपूर्ण है। हमें समाज में मौजूद उन भेदभावपूर्ण मान्यताओं को खत्म करना होगा, जो महिलाओं के डिजिटल उपयोग को सीमित करती हैं। जागरूकता अभियानों और शैक्षिक कार्यक्रमों के ज़रिए यह दिखाना होगा कि महिलाएँ भी स्टेम (STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित)) और आई सी टी (ICT (सूचना एवं संचार तकनीक)) से जुड़े क्षेत्रों में आगे बढ़ सकती हैं। महिला रोल मॉडल को बढ़ावा देकर इन क्षेत्रों में नेतृत्व को सामान्य बनाना आवश्यक है।

3. श्रम बाज़ार में भागीदारी बढ़ाना: डिजिटल तकनीक महिलाओं को दूरस्थ कार्य और दूरसंचार के ज़रिए रोज़गार के नए अवसर देती है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएँ बिना अपने स्थान को बदले भी नौकरी पा सकती हैं। ऑनलाइन जॉब प्लेटफ़ॉर्म और फ्रीलांस मार्केटप्लेस महिलाओं को उनके कौशल के अनुसार काम दिलाने में मदद कर सकते हैं। साथ ही, ऑनलाइन पाठ्यक्रमों और शैक्षिक संसाधनों तक उनकी पहुँच बढ़ाई जानी चाहिए, ताकि वे अपने कौशल को निखार सकें।

4. महिला उद्यमिता को बढ़ावा देना: डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म महिलाओं को व्यावसायिक रणनीतियों, बाज़ार के रुझानों और वित्तीय साक्षरता से जुड़ी जानकारी देते हैं। इससे वे सूझबूझ के साथ व्यावसायिक फैसले ले सकती हैं और स्थायी व्यवसाय स्थापित कर सकती हैं। ई-कॉमर्स और ऑनलाइन मार्केटप्लेस उन्हें व्यापक ग्राहक आधार तक पहुँचने में मदद करते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से वे सलाहकारों, साथियों और संभावित भागीदारों से जुड़ सकती हैं, जिससे उनके व्यापार को और मज़बूती मिलेगी।

 

संदर्भ: 

https://tinyurl.com/2bwy7jsq

https://tinyurl.com/2bfrs694

https://tinyurl.com/2ly4zbcf

https://tinyurl.com/2bycp4kj

मुख्य चित्र स्रोत : flickr 

 

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.