पहाड़ों से लेकर मैदानों तक होली मनाने के हैं, गहरे दार्शनिक, ज्योतिषीय और सांस्कृतिक अर्थ

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
14-03-2025 09:20 AM
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पहाड़ों से लेकर मैदानों तक होली मनाने के हैं, गहरे दार्शनिक, ज्योतिषीय और सांस्कृतिक अर्थ

रंग बरसे, भीगे चुनर वाली,

होली की मस्ती छाई निराली।

उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों की तरह, जौनपुर में भी होली को बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दौरान, सैकड़ों लोग, सड़कों पर इकट्ठा होते हैं, एक-दूसरे पर रंग-बिरंगे गुलाल डालते हैं, नाचते-गाते हैं और होली से एक दिन पहले होलिका दहन भी करते हैं।लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हम यह त्योहार क्यों मनाते हैं? आज के इस लेख में, हम होली मनानेके पीछे के कारणों को विस्तार से समझेंगे।साथ ही, हम होली की उत्पत्ति और इतिहास पर भी चर्चा करेंगे।फिर हम, इस त्योहार में रंगों के महत्व को जानने का प्रयास करेंगे।इसके अलावा, हम इसके ज्योतिषीय महत्व पर भी प्रकाश डालेंगे।अंत में, हम यह जानेंगे कि, भारत के अलग-अलग हिस्सों में होली कैसे मनाई जाती है।साथ ही, विभिन्न राज्यों में इस त्योहार के अलग-अलग नामों के बारे में भी जानेंगे।

आइए, सबसे पहले यह जानते हैं कि हम होली क्यों मनाते हैं?

भारत में होली गर्मियों की शुरुआत और सर्दियों के अंत का प्रतीक मानी जाटी है। यह प्यार, उमंग और नई फसल के स्वागत का त्योहार भी है। होली हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मार्च के मध्य में आता है।

होलिका दहन की तैयारी | चित्र स्रोत : Wikimedia 

होली का उत्सव एक रात और एक दिन तक चलता है। पहले दिन को होलिका दहन या छोटी होली कहा जाता है, जिसमें पवित्र अग्नि जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है। दूसरे दिन को रंगवाली होली कहते हैं! इसे देश के अलग-अलग हिस्सों में डोल पूर्णिमा, धुलंडी, उकुली, मंजल कुली, योसांग, शिग्मो, फगवा और जजीरी जैसे नामों से भी जाना जाता है। इस दिन लोग रंगों से खेलते हैं और खुशियां मनाते हैं।

दार्शनिक अर्थों में होली बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व भी मानी जाती है।इसके अलावा यह भगवान कृष्ण और राधा के दिव्य प्रेम का भी प्रतीक है।साथ ही, होली वसंत के आगमन और सर्दियों के अंत का स्वागत करने वाला एक फसल उत्सव भी है।हिंदू धर्म में इससे जुड़ी एक अत्यंत रोचक किवदंती प्रचलित है! हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार,भगवान कृष्ण का रंग सांवला था जबकि राधा रानी अत्यंत गोरी थीं।श्री कृष्ण त्वचा के रंग को लेकर कृष्ण शंकित रहते थे और सोचते थे कि राधा उन्हें स्वीकार करेंगी या नहीं? उन्होंने अपनी मां यशोदा से इस बारे में शिकायत की।माँ यशोदा ने हंसते हुए सुझाव दिया कि वे राधा के चेहरे पर रंग लगा दें।श्री कृष्ण ने ऐसा ही किया और गुलाल से राधा का चेहरा रंग दिया।मान्यता है कि तभी से रंगों के साथ होली मनाने की परंपरा शुरू हुई।

होली का ज्योतिषीय महत्व क्या है?

होली का पर्व फाल्गुन महीने में आता है।इस समय सूर्य कुंभ राशि में पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में होते हैं, जबकि चंद्रमा सिंह राशि में पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में स्थित होता है। यह स्थिति ज्योतिषीय दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।सिंह राशि में स्थित चंद्रमा अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है और सूर्य के दिव्य प्रकाश के कारण किसी नकारात्मक प्रभाव में नहीं आता।सूर्य के प्रकाश से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित होती है।

होली के दिन वास्तु शांति यज्ञ, हनुमान पूजा और भगवान विष्णु की आराधना करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ग्रहों की स्थिति भी इस दिन विशेष महत्व रखती है।बृहस्पति को सूर्य के नक्षत्र का स्वामी और शुक्र को चंद्रमा के नक्षत्र का स्वामी माना जाता है।ये दोनों ग्रह ज्ञान और शिक्षा के प्रतीक होते हैं।बृहस्पति देवगुरु का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि शुक्र असुरगुरु का प्रतिनिधित्व करता है।इस कारण होली का पर्व आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। पूरे भारत में इस पर्व को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। हर राज्य की अपनी परंपराएं और अनोखे रंग होते हैं।

 आइए जानते हैं कि, विभिन्न राज्यों में होली के उत्सव को कैसे मनाया जाता है?

चित्र स्रोत : Wikimedia 

1) रंग पंचमी, महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में होली को "रंग पंचमी" के रूप में मनाया जाता है। इस दिन, लोग रंग-बिरंगे गुलाल उड़ाते हैं, ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते-गाते हैं और पारंपरिक मिठाइयों व नमकीन व्यंजनों का आनंद लेते हैं। महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में सड़कों पर गीत-संगीत और वाद्ययंत्र बजाने की अनूठी परंपरा भी देखने को मिलती है।

चित्र स्रोत : Wikimedia 

2) होला मोहल्ला, पंजाब: पंजाब में "होला मोहल्ला", एक अनोखा उत्सव है, जिसमें मार्शल आर्ट, घुड़सवारी और कविता पाठ का प्रदर्शन किया जाता है। यह उत्सव, खासतौर पर निहंग सिखों की बहादुरी को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है। इस कार्यक्रम के बाद, रंगों, संगीत और नृत्य का आयोजन किया जाता है, जिससे यह त्योहार, और भी उत्साहपूर्ण बन जाता है।

चित्र स्रोत : flickr

3) शिग्मो, गोवा: गोवा में होली को "शिग्मो" कहा जाता है। यहाँ पर होली सिर्फ रंगों का त्योहार ही नहीं, बल्कि एक भव्य कार्निवल भी है। पारंपरिक लोकगीतों और सड़क नृत्यों के साथ इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। मछुआरे, अपनी नावों को धार्मिक और पौराणिक चित्रों से सजाते हैं। इस उत्सव के दो रूप होते हैं—'धाक्तो शिग्मो' (छोटा शिग्मो), जिसे ग्रामीण किसान और मज़दूर मनाते हैं, और 'वधलो शिग्मो' (बड़ा शिग्मो), जो सभी लोगों द्वारा बड़े स्तर पर मनाया जाता है।

4) कुमाऊँनी होली, उत्तराखंड: उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में होली एक संगीतमय उत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह त्योहार, कई महीनों तक चलता है और खासतौर पर लोकगीतों और भजन संध्याओं का आयोजन किया जाता है। रंगों की तुलना में संगीत का अधिक महत्व होता है। किसानों के लिए, यह बुवाई के मौसम की शुरुआत का प्रतीक होता है।

5) धुलेटी, गुजरात: गुजरात में होली को "धुलेटी" कहा जाता है। लोग पारंपरिक नृत्य और संगीत के साथ, जुलूस में भाग लेते हैं और एक-दूसरे पर रंग उड़ाते हैं। होलिका दहन के दौरान, राक्षसी होलिका के पुतले जलाए जाते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। साथ ही, लोग पारंपरिक मिठाइयों और व्यंजनों का स्वाद लेते हैं। पूरे भारत में यह त्योहार उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है, जो देश की सांस्कृतिक विविधता और एकता को दर्शाता है।

6) डोल जात्रा, पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल में होली को "डोल जात्रा" कहा जाता है। यह उत्सव, भगवान कृष्ण की पूजा के साथ शुरू होता है, जिन्हें रंगों से खेलने की परंपरा का प्रेरणास्रोत माना जाता है। लोग पारंपरिक लोकगीतों पर नाचते-गाते हैं और एक-दूसरे पर गुलाल लगाते हैं। कुछ स्थानों पर "फूल डोल" या "फूलों की लड़ाई" भी होती है, जिसमें लोग रंगों की जगह फूल बरसाते हैं। होली पूरे भारत में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है, लेकिन इसकी भावना एक ही रहती है—”प्यार, खुशी और उल्लास फैलाना”। 

संदर्भ: 

https://tinyurl.com/knr5fx5w

https://tinyurl.com/y7eaafks

https://tinyurl.com/2cdmyytd

https://tinyurl.com/33ymrj2x

मुख्य चित्र स्रोत : Pexels 

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