
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उत्तर प्रदेश, हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग (Hand BlockPrinting) के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जहां पारंपरिक डिज़ाइनों जैसे पैस्ले, बूटियाँ और कल्पवृक्ष (Tree of Life) का चित्रण किया जाता है।फ़र्रूख़ाबाद, पिलखुवा और हमारा पड़ोसी शहर वाराणसी, उत्तर प्रदेश में इस प्रकार की प्रिंटिंग के प्रमुख केंद्र हैं। तो आज हम बात करेंगे कि, हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग कैसे की जाती है।फिर, हम इस तकनीक में इस्तेमाल होने वाले कुछ डिज़ाइन तत्वों के बारे में जानेंगे जो उत्तर प्रदेश में बहुत लोकप्रिय हैं। उसके बाद, हम बनारसी हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग की कला के बारे में जानेंगे।इस संदर्भ में, हम यहां इस्तेमाल होने वाले विभिन्न प्रकार के ब्लॉक्स के बारे में भी सीखेंगे।अंत में, हम वाराणसी में हैंडब्लॉक प्रिंटिंग के कुछ प्रमुख केंद्रों के बारे में जानेंगे।
हैंडब्लॉक प्रिंटिंग कैसे की जाती है?
1.) प्रिंटिंग: प्रिंटिंग की प्रक्रिया में नक़्क़ाशीदार लकड़ी के ब्लॉक को कपड़े पर रंगीन डाई के साथ दबाया जाता है। कारीगर, हर छाप को सावधानीपूर्वक संरेखित करते हैं ताकि एक निरंतर और स्पष्ट डिज़ाइन बने। यह प्रक्रिया पूरे कपड़े पर दोहराई जाती है ताकि पूरा कपड़ा ढक जाए। साड़ी के मामले में, पहले पल्लू (साड़ी का आंतरिक हिस्सा) को प्रिंट किया जाता है और फिर बॉर्डर। पहले आउटलाइन का रंग लगाया जाता है, फिर भरे हुए रंग डाले जाते हैं।
2.) सूखना: प्रिंटिंग के बाद कपड़े को अच्छे से सूखने दिया जाता है। यह प्रक्रिया हवा से या सूर्य की रोशनी में की जा सकती है। सूखने की यह प्रक्रिया रंगों को सेट करने और यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होती है कि प्रिंट्स धुंधले न हों।
3.) अतिरिक्त रंग और ब्लॉक्स: यदि डिज़ाइन में कई रंग हैं, तो प्रत्येक रंग के लिए अलग-अलग ब्लॉक्स का उपयोग किया जाता है। कारीगरों को, ब्लॉक्स को ठीक से संरेखित करना पड़ता है ताकि रंग एक-दूसरे से मेल खाएं और एक सुंदर डिज़ाइन बने।
4.) रंगों को स्थिर करना: कुछ ब्लॉक प्रिंटेड कपड़े अतिरिक्त प्रक्रियाओं से गुज़रते हैं ताकि रंग स्थिर हो जाएं और अधिक स्थायी बनें। इसमें स्टीमिंग, धोने, या कपड़े को फिक्सेटिव्स के साथ ट्रीट करना शामिल हो सकता है।
5.) अंतिम सुधार: जब कपड़ा, पूरी तरह से सूख जाता है और रंग स्थिर हो जाते हैं, तो उसमें कोई अंतिम सुधार किया जा सकता है। इसमें कपड़े को आयरन करना ताकि झुर्रियां हटा दी जाएं और रंगों को और निखारा जा सके।
6.) गुणवत्ता परीक्षण: अंतिम चरण में प्रिंटेड कपड़े की गुणवत्ता की जांच की जाती है। कारीगर प्रिंट में समानता, डिज़ाइन की स्पष्टता और कुल मिलाकर सौंदर्यात्मक आकर्षण की जांच करते हैं।
हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग के डिज़ाइन तत्व जो उत्तर प्रदेश में लोकप्रिय हैं
उत्तर प्रदेश में हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग में जो डिज़ाइन तत्व इस्तेमाल होते हैं, वे मुख्य रूप से मुस्लिम वास्तुकला से प्रेरित होते हैं और इनमें इण्डो-फ़ारसी प्रभाव की झलक मिलती है। इनमें से कुछ प्रमुख डिज़ाइन तत्व हैं कल्पवृक्ष, पैस्ले और बूटी
कल्पवृक्ष का रूपांकन, दुनिया भर की संस्कृतियों में बहुत प्रसिद्ध है और इसके कई अर्थ हैं, क्योंकि यह पौराणिक कथाओं, विज्ञान, दर्शन और धर्म से जुड़ा हुआ है। यह डिज़ाइन आमतौर पर एक पेड़ को दिखाता है, जो जानवरों, पक्षियों और फूलदानों जैसे तत्वों से घिरा होता है। इसके आसपास संकरे और चौड़े फूलों की सीमाएँ होती हैं। इस रूपांकन के शुरुआती रूपों में मोर, कमल और समुद्री जीव जैसे मछलियाँ भी दिखाई जाती थीं।
बूटियां, हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग की पारंपरिक और छोटी रूपांकन होती हैं , जो अक्सर पोल्का डॉट्स की तरह दिखती हैं । इसे आमतौर पर हल्के रंगों वाले कपड़ों पर प्रिंट किया जाता है ताकि यह अधिक स्पष्ट और सुंदर दिखाई दे।
पैस्ले रूपांकन (Paisley motifs) को विभिन्न आकारों और डिज़ाइनों में तैयार किया जाता है, जिसमें महीन, बोल्ड या मध्यम डिज़ाइन होते हैं। भारत में इसे ‘आम’ या ‘केरी’ रूपांकन के नाम से भी जाना जाता है।
बनारसी हैंडब्लॉक प्रिंटिंग का परिचय
भारत की संस्कृति और परंपराएँ हैंडब्लॉक प्रिंटिंग के साथ गहरे जुड़ी हुई हैं। उत्तर प्रदेश इस कला का एक प्रमुख केंद्र है, जहाँ हैंडप्रिंट किए गए कपड़े पर पारंपरिक डिज़ाइन जैसे पैस्ले, बुटी और कल्पवृक्ष बहुत प्रसिद्ध हैं।
कला का रूप: इस कला में कारीगर लकड़ी या कभी-कभी धातु के ब्लॉकों का उपयोग करते हैं, ताकि वे डिज़ाइन का रूप तैयार कर सकें। इन ब्लॉकों को पहले नमक मिले पानी में डुबोकर, खुरचकर और चिकना किया जाता है, फिर इन्हें एक काटने वाली मशीन और काग़ज के सांचे से उकेरा जाता है। इसके बाद, कच्चे कपड़े को टेबल पर फैलाया जाता है और उसे स्टार्च पेस्ट से लेपित चादर या जलरोधी कपड़े से ढक दिया जाता है। डिज़ाइन प्रिंट करने के बाद, रंगों को कपड़े पर स्पष्ट और जीवंत दिखाने के लिए, कारीगर अलग-अलग आकार के ब्रशों से हाथ से रंग भरते हैं।
जी आ ई टैग: इस जीवंत कारीगरी को 2021 में जी आई (गियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग प्राप्त हुआ।
हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग में प्रयुक्त विभिन्न प्रकार के ब्लॉक्स
हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग में मुख्यतः दो प्रकार के ब्लॉक्स का उपयोग किया जाता है:
लकड़ी का ब्लॉक: यह ब्लॉक सीतक़ी लकड़ी से बनाया जाता है और इसमें तीन मुख्य भाग होते हैं—गध (पृष्ठभूमि), रेख (आउटलाइन), और दत्ता (आंतरिक भराई)।
धातु का ब्लॉक: यह पतली धातु की चादरों से बनाया जाता है, जिसे आकार में ढालकर लकड़ी के ब्लॉक पर फ़िट किया जाता है।
वाराणसी में हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग के प्रमुख केंद्र
वाराणसी, भारत के प्रमुख सांस्कृतिक और कारीगरी केंद्रों में से एक है, जहाँ हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग की प्राचीन कला बड़े पैमाने पर प्रचलित है। यहाँ के प्रमुख ब्लॉक प्रिंटिंग केंद्रों में कश्मीरिगंज, खोजवान, और मंडुआदीह शामिल हैं। ये केंद्र, न केवल वाराणसी, बल्कि समूचे उत्तर प्रदेश में इस कला के प्रमुख केंद्र हैं।
वाराणसी के ये केंद्र, विशेष रूप से अपने उत्कृष्ट और जटिल डिजाइनों के लिए प्रसिद्ध हैं, जिन्हें कारीगर सदियों पुरानी पारंपरिक तकनीकों का पालन करते हुए तैयार करते हैं। इन केंद्रों में लकड़ी के ब्लॉकों का उपयोग किया जाता है, जो विशेष रूप से सागौन, गूलर और नाशपाती जैसे पेड़ों से बनाए जाते हैं। यहाँ के कारीगरों द्वारा इस्तेमाल किए गए डिज़ाइनों में पेड़ की शाखाओं, फूलों, और अद्भुत जटिल रूपांकनों की विशेषता होती है।
ये केंद्र, न केवल भारतीय बाज़ार में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना चुके हैं, और यहाँ के प्रिंट किए गए वस्त्र, उच्च गुणवत्ता और सौंदर्य के लिए अत्यधिक मूल्यांकित किए जाते हैं।
संदर्भ
मुख्य चित्र : मध्य प्रदेश के धार ज़िले के बाघ गांव से उत्पन्न, हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग का एक प्रकार - "बाघ प्रिंट" (Wikimedia)
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