चलिए समझते हैं, मणि और सुग्रीव पर्वत के माध्यम से, अयोध्या की सांस्कृतिक धरोहर को

पर्वत, चोटी व पठार
15-02-2025 09:18 AM
चलिए समझते हैं, मणि और सुग्रीव पर्वत के माध्यम से, अयोध्या की सांस्कृतिक धरोहर को

जौनपुर के लोगों, क्या आप जानते हैं कि, उत्तर प्रदेश में मणि पर्वत (Mani Parvat) और सुग्रीव पर्वत (Sugriv Parvat) नामक दो खास और सुंदर पहाड़ हैं ? मणि पर्वत को चकराता या चकरौता (Chakrata) हिल भी कहते हैं।यह हिमालय की शिवालिक पहाड़ियों में आता है और  ये पर्वत, समुद्र तट से 2,273 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है । वहीं, सुग्रीव पर्वत  समुद्र तट से 1,725 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है

आज हम इन दोनों पहाड़ों के बारे में कुछ मज़ेदार बातें जानेंगे हम इनके इतिहास और संस्कृति के महत्व को समझेंगे।साथ ही, यहां के मशहूर मंदिरों के बारे में भी बात करेंगे।इसके बाद, हम मणि मंदिर के आसपास की कुछ दिलचस्प जगहों के बारे में जानेंगे, जैसे राम की पैड़ी पर जाना, अयोध्या के
घाटों की सैर करना और हनुमान गढ़ी के दर्शन करना।

फिर हम जानेंगे कि, अयोध्या में तीर्थ यात्रा और पर्यटन कैसे विकसित हुआ।  अंत में, यहां के नए और अनोखे पर्यटन रुझानों के बारे में भी विस्तार से जानेंगे।
मणि और सुग्रीव पर्वत का परिचय

अयोध्या, जो भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में विख्यात है, यहां स्थित मणि पर्वत और सुग्रीव पर्वत इसपवित्र नगरी के महत्त्व
को और बढ़ाते हैं। मणि पर्वत, जिसकी ऊंचाई, लगभग 65 फ़ीट है, और सुग्रीव पर्वत, दोनों धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान हैं।यह माना जाता है कि, जब भगवान हनुमान, संजीवनी बूटी लेने गए थे, तो पर्वत का एक हिस्सा यहां गिर गया। इस घटना के साथ जुड़ी कहानियां इन स्थलों को तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए खास बनाती हैं।

मुख्य जानकारी:

  • घूमने का सही समय: पूरे साल
  • मुख्य गतिविधियां:  फ़ोटोग्राफ़ी, प्राकृतिक सुंदरता का आनंद, और आध्यात्मिक साधना
  • औसत खर्च:  500 से  1000 रूपए प्रति व्यक्ति (1 दिन की यात्रा)
  • कैसे पहुंचें: हवाई मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग के द्वारा
Source : Wikimedia

मणि पर्वत का ऐतिहासिक महत्व

पौराणिक दृष्टिकोण:

मणि पर्वत का वर्णन, रामायण में मिलता है। यह स्थान, उस घटना से जुड़ा है जब मेघनाद के शक्तिशाली बाण से लक्ष्मण घायल हो गए थे। उन्हें बचाने के लिए भगवान हनुमान संजीवनी बूटी लेने हिमालय गए। संजीवनी पर्वत का एक भाग यहां गिर गया, और यही स्थान आज मणि पर्वत के रूप में जाना जाता है।

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलू:

मणि पर्वत पर कई प्राचीन मंदिर स्थित हैं। यहां से अयोध्या का सुंदर नजारा देखा जा सकता है। इसके अलावा, यह माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने इस पर्वत पर छह वर्षों तक धर्म का प्रचार किया था। सम्राट अशोक, जो बौद्ध धर्म के अनुयायी थे, ने यहां एक स्तूप का निर्माण कराया। यह स्थान, बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी पवित्र है।

मुख्य आकर्षण:

बौद्ध मठ और स्तूप: बौद्ध धर्म की गहरी जड़ें यहां की विरासत में झलकती हैं।

मंदिर परिसर: मणि पर्वत पर छोटे-छोटे मंदिरों की मौजूदगी, इसे भक्तों के लिए खास बनाती है।

शांत वातावरण: साधना और ध्यान के लिए यह जगह अद्भुत है।

मतंग के आश्रम में श्री राम और लक्ष्मण की सुग्रीव से मुलाकात | Source : wikimedia

सुग्रीव पर्वत का महत्व

सुग्रीव पर्वत, जिसे वानरराज सुग्रीव से जोड़ा जाता है, अयोध्या के पौराणिक और धार्मिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता
है। यह पर्वत भी कई छोटे मंदिरों और अद्भुत प्राकृतिक दृश्यों का केंद्र है।सुग्रीव पर्वत पर कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनकी वास्तुकला, पुराने समय  और संस्कृति का प्रतिबिंब है।यहां के मंदिर, न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। इन मंदिरों के साथ-साथ, यहां पर कई छोटी-छोटी संरचनाएं भी हैं, जो उस काल की कहानियों को दर्शाती हैं।

पौराणिक कहानियां:

रामायण के अनुसार, भगवान राम ने सुग्रीव की सहायता से रावण के विरुद्ध अपनी सेना तैयार की थी। इस पर्वत को सुग्रीव के उस दौर के निवास स्थान के रूप में माना जाता है, जब उन्होंने भगवान राम के साथ रणनीतियां बनाईं। यहां पर स्थित मंदिरों में सुग्रीव से संबंधित कथाएं जीवित रहती हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष आस्था का केंद्र हैं।

मुख्य आकर्षण:

प्राकृतिक सौंदर्य: यहां की हरियाली और चट्टानी संरचना, इसे दर्शनीय बनाती है।

धार्मिक अनुभव: सुग्रीव पर्वत पर पूजा-अर्चना करने के लिए सालभर भक्तों की भीड़ रहती है।

अद्वितीय नजारा: यहां से अयोध्या और सरयू नदी का दृश्य अत्यंत मनमोहक लगता है।

अयोध्या में दिवाली समारोह के दौरान, रात में राम की पैड़ी | Source : Wikimedia

मणि पर्वत और सुग्रीव पर्वत के आस पास करने योग्य गतिविधियां

1. राम की पैड़ी

राम की पैड़ी, सरयू नदी के किनारे स्थित एक प्रसिद्ध घाट है।यहां लोग पवित्र नदी में डुबकी लगाने के लिए आते हैं। सरयू (Saryu) नदी को गंगा और यमुना के बाद भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम ने, स्वर्ग जाने से पहले यहीं अंतिम स्नान किया था। यह घाट, शाम के समय, दीपों की रोशनी और आरती के दौरान, बेहद मनमोहक  लगता है।

2. अयोध्या के अन्य घाटों की सैर

राम की पैड़ी के अलावा, अयोध्या में कई और सुंदर घाट हैं, जैसे नया घाट, स्वर्ग द्वार, राम घाट और गुप्तार घाट। इन घाटों पर, आप सरयू नदी के किनारे बैठकर शांति का अनुभव कर सकते हैं या ठंडे पानी में डुबकी लगाकर आध्यात्मिक
शांति पा सकते हैं।

3. त्रेता के ठाकुर मंदिर

यह प्राचीन मंदिर, भगवान राम को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इसे त्रेता युग में बनाया गया था। यहां भगवान राम और उनके युग की कई पौराणिक कथाओं की झलक मिलती है। मंदिर की मूर्तियां और वास्तुकला इसे खास बनाती हैं।

4. कनक भवन

कनक भवन, भगवान राम और माता सीता को समर्पित एक प्रमुख मंदिर है। यह मंदिर, एक विशाल परिसर में फैला हुआ है और यहां भगवान राम के जन्म का पवित्र कक्ष स्थित है। यह स्थान, श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र है।

Source : WIkimedia


5. हनुमान गढ़ी

हनुमान गढ़ी, अयोध्या के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है इस भव्य मंदिर को भगवान हनुमान को समर्पित किया गया है।इसकी ऊंची संरचना और दीवारों पर की गई नक्काशी, इसे अद्वितीय बनाती है।यहां से अयोध्या का अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है।

Source : Wikimedia

6. राम मंदिर

राम मंदिर, हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। यह मंदिर, भगवान राम के जीवन और उनके कार्यों की झलक प्रस्तुत करता है। यहां आने वाले श्रद्धालु, उनकी दिव्य उपस्थिति का अनुभव करते हैं और आशीर्वाद पाते हैं।

7. सरयू नदी में आरती समारोह

सरयू नदी के घाटों पर शाम के समय होने वाली आरती को देखना एक विशेष अनुभव होता है। आरती के दौरान जलते दीप, मंत्रोच्चार और भक्तों का समर्पण, माहौल को आध्यात्मिकता से भर देता है।

8. सरयू नदी में नाव की सवारी

सरयू नदी में नाव की सवारी करना बेहद सुखद अनुभव है। इस दौरान आप नदी के किनारे के मंदिरों और प्राकृतिक दृश्यों को करीब से देख सकते हैं। नाव की सवारी के साथ-साथ आप सूरज की ढलती रोशनी का आनंद भी ले सकते हैं।

9. स्थानीय बाजारों की सैर

अयोध्या के स्थानीय बाज़ारों में जाकर वहां की संस्कृति को महसूस करें। आप यहां पारंपरिक हस्तशिल्प, पूजा सामग्री और अयोध्या के खास व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं। यह  बाज़ार, अयोध्या के जीवंत जीवन और परंपरा की झलक प्रस्तुत करते हैं।

10. अयोध्या के इतिहास और संस्कृति का अनुभव

मणि पर्वत मंदिर के आसपास घूमने के दौरान, अयोध्या के ऐतिहासिक स्थलों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हिस्सा बनें।यहां के मंदिर और घाट न, केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं कागहरा संबंध भी दर्शाते हैं।

यह सभी गतिविधियां और  मणि पर्वत मंदिर के आस-पास स्थल, आपकी यात्रा को न केवल यादगार बनाएंगे, बल्कि आपको अयोध्या की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ देंगे।

Source : WIkimedia

अयोध्या में तीर्थ यात्रा और पर्यटन का विकास

अयोध्या का इतिहास, बहुत पुराना है।  यहां मणि  और सुग्रीव पर्वत जैसे पवित्र स्थल हमेशा से तीर्थ यात्रियों के लिए खास रहे हैं। पहले के समय में, लोग इन जगहों तक पैदल या बैलगाड़ियों से यात्रा करते थे। धीरे-धीरे समय बदला और यात्राओं को आसान बनाने के लिए धर्मशालाएं बनाई गईं। साथ ही सड़क और रेल मार्ग अच्छे हो गए, जिससे लोगों को यहां तक पहुंचने में ज़्यादा दिक्कत नहीं होती थी।

अब के समय में, अयोध्या में तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों के लिए बहुत कुछ नया किया गया है। मंदिरों की मरम्मत की गई है, पर्वतों तक जाने वाले रास्ते सुधारे गए हैं और रहने व सफ़ाई की अच्छी सुविधाएं दी गई हैं।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/4w5bsxc9 

https://tinyurl.com/3hjnjcxu 

https://tinyurl.com/ypwmwvkc 

https://tinyurl.com/4wp72ezw 

https://tinyurl.com/3zbydkuf 

मुख्य चित्र: अयोध्या शहर : Wikimedia, Rawpixel

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