चलिए अवगत होते हैं, पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आर्थिक असमानताओं से

आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक
03-02-2025 09:23 AM
चलिए अवगत होते हैं, पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की आर्थिक असमानताओं से

जौनपुर के लोगों, क्या आप जानते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रति व्यक्ति जी डी पी   (सकल घरेलू उत्पाद (GDP)), पूर्वी उत्तर प्रदेश से लगभग  दुगनी है? यह आर्थिक अंतर न केवल आय और जीवन स्तर में दिखाई देता है, बल्कि सामाजिक और बुनियादी ढांचे में भी स्पष्ट है। यह फ़र्क़, सबसे ज़्यादा तब दिखता है जब हम उत्तर प्रदेश,  सड़क के ज़रिए, दो विपरीत दिशाओं से आते हैं (दिल्ली (पश्चिम से) और बिहार (पूर्व से)) |
वर्ष 2021-22 में, पश्चिमी यू पी  की जी डी पी ₹9.44 लाख करोड़  थी, जबकि पूर्वी यू पी का ₹5.37 लाख करोड़  थी । यह स्थिति आर्थिक गतिविधियों और संसाधनों की असमानता को दर्शाती है। आज हम इस आर्थिक अंतर को गहराई से समझने का प्रयास करेंगे और जानेंगे कि उत्तर प्रदेश के कौन से  ज़िले सबसे मज़बूत हैं और कौन से सबसे कमज़ोर | साथ ही, हम यह भी देखेंगे कि, इस असमानता के मुख्य कारण क्या हैं और पूर्वी यूपी में छोटे खेतों की वजह से आर्थिक कमज़ोरियाँ कैसे हैं।
पूर्वी और पश्चिमी यू पी में प्रति व्यक्ति आय का अंतर
उत्तर प्रदेश के सबसे समृद्ध  ज़िले, मुख्यतः पश्चिमी हिस्से में स्थित हैं, जिसे हरित प्रदेश या पश्चिमी यू पी के नाम से जाना जाता है। वहीं, यू पी के गरीब ज़िले पूर्वी हिस्से में हैं, खासकर पूर्वांचल क्षेत्र में। हालांकि, वाराणसी और इलाहाबाद जैसे कुछ ज़िले इस सामान्य प्रवृत्ति से अलग हैं।
पश्चिमी यू पी में प्रति व्यक्ति आय, ₹15,870 है, जबकि पूर्वी यूपी में यह केवल ₹9,288 ही है। यह अंतर न केवल आर्थिक स्थिति को दर्शाता है, बल्कि सामाजिक और शैक्षणिक संसाधनों तक पहुंच में भी कमी को रेखांकित करता है।
 

छोटे घरों वाली बस्ती का एक दृश्य | Source : Wikimedia

मध्य प्रदेश से सटे बुंदेलखंड क्षेत्र को भी गरीबी का सामना करना पड़ता है। हालांकि यहां की जनसंख्या अपेक्षाकृत कम होने के कारण प्रति व्यक्ति आय ₹12,878 है। झांसी, बुंदेलखंड का एकमात्र ऐसा ज़िला है, जो कुछ हद तक समृद्ध है। अवध क्षेत्र, जिसमें लखनऊ और कानपुर जैसे प्रमुख शहर आते हैं, की प्रति व्यक्ति आय ₹13,150 है। पूरे राज्य की औसत प्रति व्यक्ति आय ₹12,136 है।
कौन से  ज़िले, सबसे आर्थिक रूप से मज़बूत हैं?
अगर हम यूपी के टॉप 10 सबसे समृद्ध ज़िलों को देखें, तो पश्चिमी यूपी के जिले सबसे ऊपर आते हैं। मध्य यूपी और बुंदेलखंड के  ज़िले, दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं, लेकिन पूर्वी यूपी का कोई भी ज़िला इस सूची में नहीं है।
गौतम बुद्ध नगर, मेरठ, एटा, आगरा, अमरोहा, गाजियाबाद और हापुड़ जैसे जिले पश्चिमी यूपी से हैं और ये सभी टॉप 10 में शामिल हैं। लखनऊ, कानपुर और हमीरपुर जैसे जिले मध्य यूपी और बुंदेलखंड से टॉप 10 में हैं।
कौन से  ज़िले, सबसे कमज़ोर हैं आर्थिक रूप से?
दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश के सबसे गरीब 10 ज़िलों में, अधिकांश जिले पूर्वी यूपी से आते हैं। इनमें आज़मगढ़, चंदौली, सिद्धार्थनगर, देवरिया, बलिया, प्रतापगढ़, जौनपुर, संत कबीर नगर, बहराइच और बलरामपुर शामिल हैं। इन ज़िलों की गरीबी  के मुख्य कारण  हैं कृषि पर अत्यधिक निर्भरता, छोटे खेत, और औद्योगिक और बुनियादी ढांचे का अभाव।
गौतम बुद्ध नगर, जो पहले स्थान पर है, का प्रति व्यक्ति विकास उत्पाद बलरामपुर से 20 गुना  ज़्यादा है, जो सबसे निचले स्थान पर है। यह अंतर राज्य में आय और संसाधनों के असमान वितरण को उजागर करता है।

यू पी में खेती करती एक महिला किसान | Source : Wikimedia

पूर्वी और पश्चिमी यूपी के बीच, आय का अंतर क्यों है?
उत्तर प्रदेश में आय का यह बड़ा अंतर, कई कारणों से है। पश्चिमी यूपी राज्य के राजस्व का 50% से अधिक योगदान देता है। यहां की प्रति व्यक्ति आय भी अधिक है। इसका मुख्य कारण है:
⦁    उपजाऊ  ज़मीन: पश्चिमी यूपी की  ज़मीन, गंगा-यमुना के दोआब क्षेत्र में स्थित है, जो इसे अत्यधिक उपजाऊ बनाती है।
⦁    अच्छा  इंफ़्रास्ट्रक्चर: यहां सड़कें, बिजली, और सिंचाई की बेहतर सुविधाएं मौजूद हैं।
⦁    औद्योगिक विकास: मेरठ, आगरा और नोएडा जैसे  ज़िले, औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित हो चुके हैं।
⦁    दिल्ली के पास होना: दिल्ली और एन सी आर (NCR) क्षेत्र  के पास होने के कारण, इन ज़िलों को बाज़ार और रोज़गार  से संबंधित अधिक अवसर मिलते हैं।
जैसे नोएडा आई टी (IT) हब बन चुका है और मेरठ और आगरा जैसे ज़िलों में उद्योगों का तेज़ी से विकास हुआ है, जिससे इनकी प्रति व्यक्ति आय सबसे ज़्यादा है।
पूर्वी यूपी में छोटे खेतों की वजह से आर्थिक कमज़ोरी  क्यों होती है ?
पुरवांचल में, 84% कृषि भूमि, एक हेक्टेयर से भी कम है, यानी यहाँ छोटे खेत हैं। जबकि पश्चिमी यूपी में यह आंकड़ा, 70% है। छोटे खेतों के कारण, किसान बड़े पैमाने पर खेती  और कृषि में आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल भी नहीं कर पाते, जिससे वे पूरी क्षमता से उत्पादन  असमर्थ रहते हैं | भारत में औसतन, 65% कृषि भूमि छोटे किसानों के पास है।
इसलिए, छोटे खेतों की वजह से पूर्वांचल की अर्थव्यवस्था कमज़ोर है और इसका असर, पूरे क्षेत्र की समृद्धि पर दिखता है।

घास फूस की छत से बनी एक झोंपड़ी | Source : Wikimedia

पूर्वी यूपी की आर्थिक स्थिति सुधारने के उपाय
पूर्वी यूपी की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए, कई कदम उठाए जा सकते हैं:
⦁    कृषि का आधुनिकीकरण: छोटे किसानों को आधुनिक उपकरण और तकनीक मुहैया कराना।
⦁    सिंचाई और जल प्रबंधन: सिंचाई की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना।
⦁    उद्योगों का विकास: क्षेत्र में छोटे और मझोले उद्योगों को बढ़ावा देना।
⦁    शिक्षा और कौशल विकास: युवाओं को शिक्षा और प्रशिक्षण देकर उन्हें रोज़गार के लिए तैयार करना।
⦁    बुनियादी ढांचे का सुधार: सड़कों, बिजली, और अन्य सुविधाओं को बेहतर बनाना।
सरकार की योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री  फ़सल बीमा योजना और राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGA) के प्रभावी कार्यान्वयन से भी आर्थिक स्थिति को बेहतर किया जा सकता है।

संदर्भ 
https://tinyurl.com/3ep4sx5u 
https://tinyurl.com/ym37muhb 
https://tinyurl.com/5xbn3skf 
https://tinyurl.com/yhwcahhe 

मुख्य चित्र:  गरीब बच्चों को भोजन परोसती एक महिला (Wikimedia)

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