आइए जानें कैसे, खेतों के साथ-साथ, अपने घर में भी भरपूर मात्रा में उगा सकते हैं आप बैंगन

साग-सब्जियाँ
10-02-2025 09:14 AM
आइए जानें कैसे, खेतों के साथ-साथ, अपने घर में भी भरपूर मात्रा में उगा सकते हैं आप बैंगन

क्या आप जानते हैं कि, भारत में बैंगन की फ़सल, कुल सब्ज़ी  उगाने वाले क्षेत्रों के 8.14% से अधिक हिस्से में उगाई जाती है और यह कुल  सब्ज़ियों के उत्पादन में, 9% का योगदान करती है। बैंगन ‘सोलानेसी’ (Solanaceae) प्रजाति से संबंधित है और यह पूरे वर्ष उगाई जाने वाली एक विशिष्ट उष्णकटिबंधीय सब्ज़ी है। बैंगन की खेती के लिए, अधिक रखरखाव की आवश्यकता नहीं होती है और आमतौर पर इसके लिए दिन के दौरान 26° और रात में 18° तापमान की आवश्यकता होती है। बैंगन को वाराणसी क्षेत्र, बुलंदशहर और उप-हिमालयी तराई बेल्ट सहित उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में उगाया जाता है। चूंकि यह गर्म मौसम की फ़सल है, इसलिए फ़रवरी में बुआई करने से, बाद में तापमान बढ़ने पर फ़सल की अच्छी पैदावार होती है। तो आइए, आज बैंगन की खेती करने के लिए उपयुक्त जलवायु, मिट्टी, सिंचाई आवश्यकताओं और उनके प्रत्यारोपण आदि के बारे में समझते हुए इसकी खेती करने के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही, हम भारत में बैंगन बीज दर, बीज उपचार, खरपतवार नियंत्रण, कटाई के तरीके आदि के बारे में भी जानेंगे। अंत में, हम बैंगन के पौधों की सर्वोत्तम वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए कुछ युक्तियों का पता लगाएंगे।

बैंगन इकट्ठा करती महिला किसानें | Source: Pexels


Pexels

जलवायु एवं मिट्टी:

बैंगन की खेती के लिए, लंबे समय तक गर्म मौसम अच्छा माना जाता है।  साथ ही, अच्छी मात्रा में पानी और पूर्ण सूर्य की रोशनी सबसे अधिक आवश्यक हैं। इसके लिए, 13-21° के बीच तापमान सबसे उपयुक्त माना जाता है। मिट्टी कार्बनिक पदार्थों के साथ-साथ अच्छी जल निकासी वाली होनी चाहिए। कार्बनिक पदार्थ मिश्रित मिट्टी का पी एच (pH) (लगभग 6.5-7.5) होना चाहिए। बैंगन की फ़सल बोने का सबसे अच्छा समय बरसात-गर्मी के मौसम के बीच का है। रेतीली और चिकनी मिट्टी में बैंगन की जल्दी और अधिक पैदावार होती है। 

बैंगन की पौध के लिए मिट्टी की तैयारी और रोपण प्रक्रिया:: 

बैंगन  के  पौध लगाने के लिए, जल जमाव से बचने के लिए ऊंची मेढ़ बनानी चाहिए। बीजों को गोबर की खाद मिली हुई मिट्टी में अच्छी तरह दबाना चाहिए। बुआई के लिए हमेशा अच्छी किस्म के बीजों का ही प्रयोग करें।  फ़फ़ूंद जनित रोगों से बचाने के लिए, बीजों को प्रति किलोग्राम बीज में 3 ग्राम कार्बेन्डाज़िम (Carbendazim) और 3 ग्राम थाइरैम (thiram) से उपचारित करें। रासायनिक उपचार के बाद, बीजों को 4 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से ट्राइकोडर्मा विराइड (Trichoderma viride) से उपचारित करें, छांव में सुखाएं और तुरंत बोएं। एक हेक्टेयर भूमि पर, 30,000 से 45,000 अंकुर उगाने के लिए, लगभग 250-375  ग्राम बीज पर्याप्त हैं।  इन पौधों को लगभग 4-5 सप्ताह में प्रत्यारोपित किया जा सकता है। 

अंकुर 4-5 सप्ताह के भीतर रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इस समय, अंकुरों को सख्त करने के लिए सिंचाई नहीं करनी चाहिए। जड़ों को कोई नुकसान पहुंचाए बिना, अंकुरों को सावधानी से निकालकर, सिंचाई के बाद रोपाई की जानी चाहिए। सामान्यतः पौधों को दोहरी पंक्ति में 2-3 फ़ीट की दूरी पर लगाया जा सकता है। हर दो सप्ताह में कार्बनिक पदार्थ जमीन में मिला से अच्छी पैदावार होती है। नमी और तापमान बनाए रखने के लिए मिट्टी को सूखे भूसे और गन्ने की घास से ढक दें। 4-6 सप्ताह के अंदर रोपाई करने से अच्छी पैदावार होती है।

Source: Wikimedia

सिंचाई:

बैंगन की संकर किस्मों के पूर्ण विकास के लिए, बैंगन की खेती के लिए अधिकतम जल आपूर्ति की आवश्यकता होती है। गर्मियों में 3-4 दिन और सर्दियों में 7-12 दिन में सिंचाई की जानी चाहिए। हालांकि, प्रारंभिक अवस्था में अधिक सिंचाई न करें। अन्यथा, आद्र गलन रोग से पौधों के तने गलने लगते हैं और क्षति हो सकती है। इसके लिए, ड्रिप सिंचाई सबसे उपयुक्त रहती है। बहुत कम या अधिक पानी देने से बचें। मिट्टी को नम रखें, वास्तव में, बैंगन की अधिक उपज के लिए समय पर सिंचाई बहुत जरूरी है। 

पोषण संबंधी आवश्यकताएँ:

बेहतर उपज और फ़सल की गुणवत्ता के लिए, पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा किया जाना चाहिए, जो निम्न प्रकार है:

  • खाद- 25 टन/हेक्टेयर
  • नाइट्रोजन- 100 किलोग्राम/हेक्टेयर
  •  फ़ॉस्फ़ोरस - 60 किलोग्राम/हेक्टेयर 
  • पोटैशियम- 60 किलोग्राम/हेक्टेयर
  • नाइट्रोजन, फ़ॉस्फोरस और पोटैशियम का अनुपात- 5:3:3

खरपतवार नियंत्रण:

खरपतवार नियंत्रण, वायु संचार तथा पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए सामान्यतः दो से चार बार निराई-गुड़ाई आवश्यक होती है। काली पॉलिथीन फ़िल्म से पलवारन करने से खरपतवार की वृद्धि कम हो जाती है और मिट्टी का तापमान उचित बना रहता है।खरपतवारों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए, पौधे से पहले मिट्टी में प्रति एकड़ में 800-1000 मिलीलीटर फ़्लुक्लोरालिन (Fluchloralin) या 400 ग्राम ऑक्साडियाज़ोन (Oxadiazon) का छिड़काव करें और बेहतर परिणामों के लिए पौधे से पहले सतह पर प्रति एकड़ में 2 लीटर अलाक्लोर (Alachlor) का छिड़काव करें।

बैंगन के फूल | Source: Wikimedia

कटाई:

बैंगन की कटाई, तब की जाती है, जब फल उचित आकार, रंग और पकने की अवस्था में आ जाते हैं। बाज़ार में अच्छी कीमत पाने के लिए फल चमकदार दिखने वाला, आकर्षक चमकीला रंग वाला होना चाहिए।

कटाई के बाद:

उच्च वाष्पोत्सर्जन दर और पानी की कमी के कारण बैंगन के फलों को कमरे के तापमान पर लंबे समय तक संग्रहीत नहीं किया जा सकता है। बैंगन के फल को 10-11 डिग्री सेल्सियस तापमान और 92% सापेक्ष आर्द्रता पर 2-3 सप्ताह तक भंडारित किया जा सकता है। कटाई के बाद, बैंगन के फलों की सुपर (Super),  फ़ैंसी (Fancy) और कमर्शियल (Commercial) के आधार पर ग्रेडिंग की जाती है, और पैकिंग के लिए बोरे या टोकरियों का प्रयोग करें।

Source: Wikimedia

बैंगन के पौधों की सर्वोत्तम वृद्धि के लिए सुझाव:

  • बैंगन का पौधा, फलों से लदते ही गिर सकता है, इसलिए पौधों को सहारा देने और उन्हें सीधा रखने के लिए ऊंचे पौधों को डंडी का उपयोग करके सहारा दें या पौधे के चारों ओर घेरा बना दें।
  • यदि बैंगन को गमलों या कंटेनरों में उगा रहे हैं, तो फल बनने से पहले तनों को बांध दें।
  •  पौधों को अधिक घना बनाने के लिए,  उनके सिरों की छटाई करते रहें।
  • पर्याप्त मात्रा में पानी दें, जिससे मिट्टी कम से कम 6 इंच की गहराई तक मिट्टी गीली और नम रहे, लेकिन ध्यान रखें कि मिट्टी ज्यादा गीली न हो। लगातार पानी देना सर्वोत्तम है और  ज़मीन पर बड़ी मात्रा में खेती के लिए ड्रिप प्रणाली उत्तम है।
  • फल लगने और  उसके विकास के दौरान, नमी बनाए रखना आवश्यक है। पलवारने (mulching) से एक समान नमी बनाए रखने और खरपतवारों को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • पौधे के विकास के दौरान, दो बार अच्छी तरह से संतुलित खाद का उपयोग करें। पहली बार जब फल एक चौथाई के आकार का हो जाए, तो प्रति 10 फ़ुट पंक्ति में 3 मात्रा में कैल्शियम नाइट्रेट का उपयोग करें। फिर लगभग दो से तीन सप्ताह में।

 

संदर्भ

https://tinyurl.com/5ytzxk7p

https://tinyurl.com/55m4u52n

https://tinyurl.com/s2u8z6th

https://tinyurl.com/4bf2ndvv

मुख्य चित्र स्रोत: Pexels 

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.