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आज के समय में, तेल हमारी बुनियादी ज़रूरत बन चुका है। लेकिन इंसानों को इसका महत्व, आज से सदियों पहले ही समझ आ गया था। सबसे पहले चीनी लेखन, आई चिंग (I Ching), में उल्लेख मिलता है कि ‘पहली शताब्दी ईसा पूर्व में चीन ने कच्चे तेल की खोज, निष्कर्षण, और उपयोग किया।’ हालांकि, कुछ अन्य स्रोत बताते हैं कि चीनियों ने यह खोज 600 ईसा पूर्व में ही कर ली थी।
तेल के वैश्विक इतिहास को समझने के लिए, हमें अलग-अलग देशों में इसके उपयोग की कहानी जाननी होगी। जापान और अज़रबैजान जैसे देशों में तेल उनकी आर्थिक और औद्योगिक विकास का अहम् हिस्सा बन गया है। इराक जैसे मध्य पूर्वी देशो में भी तेल का उपयोग प्राचीन समय से होता आ रहा है। इसलिए, आज के इस लेख में, हम तेल की खोज के इतिहास को जानेंगे। साथ ही, हम उन ऐतिहासिक क्षणों पर भी चर्चा करेंगे जो वैश्विक तेल उद्योग के लिए मील का पत्थर साबित हुए।
कच्चे तेल का उपयोग, हज़ारों साल पहले शुरू हो गया था। चीन में 2,000 साल पहले पेट्रोलियम का उपयोग किया जाता था। चीनी ग्रंथ आई चिंग में उल्लेख मिलता है कि पहली शताब्दी ईसा पूर्व में कच्चे तेल की खोज, निष्कर्षण, और उपयोग किया गया। चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में, चीनी लोग, पेट्रोलियम को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने वाले पहले लोग बने।
347 ईस्वी में या उससे भी पहले, चीन में पहले गैस कुएँ खोदे गए थे। इन कुओं की गहराई लगभग 800 फ़ीट (240 मीटर) तक थी। इन्हें खोदने के लिए बांस के खंभों और बिट्स का उपयोग किया गया था।
जापान में सातवीं शताब्दी में पेट्रोलियम को "जलता हुआ पानी" कहा जाता था। 1088 में, सोंग राजवंश के वैज्ञानिक शेन कुओ ने अपनी पुस्तक ड्रीम पूल एसेज में "शियू" (石油) शब्द का इस्तेमाल किया। इस शब्द का अर्थ "रॉक ऑइल" होता है। चीन और जापान में इस शब्द का प्रयोग आज भी होता है।
बगदाद की शुरुआती सड़कों को टार से बनाया गया था। इस टार को पेट्रोलियम से प्राप्त किया गया था, जो इस क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध था। नौवीं शताब्दी में, आधुनिक बाकू (अज़रबैजान) के आसपास के क्षेत्रों में तेल का उत्पादन शुरू हुआ। दसवीं शताब्दी में, अरब भूगोलवेत्ता अबू अल-हसन 'अली अल-मसूदी (Abu al-Hasan 'Alī al-Mas'ūdī) ने इन तेल क्षेत्रों का वर्णन किया।
तेरहवीं शताब्दी में, यात्री मार्को पोलो (Marco Polo) ने बाकू के तेल कुओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ये कुएँ सैकड़ों जहाजों के बराबर तेल उत्पादन करते थे। इस्लामी स्पेन के माध्यम से, बारहवीं शताब्दी तक आसवन तकनीक पश्चिमी यूरोप में भी पहुंची। तेल का उल्लेख तेरहवीं शताब्दी में रोमानिया में भी मिलता है। वहाँ इसे "पाकुरा" के नाम से जाना जाता था।
आइए, अब मध्य पूर्व में कच्चे तेल के इतिहास पर एक नज़र डालते हैं:
1908 में, फ़ारस (जो अब ईरान कहलाता है।) में पहला बड़ा तेल भंडार खोजा गया। उस समय, मोटर वाहन अपने शुरुआती दौर में थे। सड़कों पर बहुत कम कारें थीं। बिजलीघर और जहाज़ ईंधन के लिए कोयले पर निर्भर करते थे।
तेल उत्पादन का काम, 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद ही बड़े पैमाने पर शुरू हुआ। उस समय मध्य पूर्व में परिवहन, पानी और सीवेज सिस्टम बहुत खराब स्थिति में थे। गहरे पानी के बंदरगाह नहीं थे, और सड़कें भी सिर्फ़ मिट्टी की पगडंडियों जैसी ही थीं।
कुवैत में पानी शट्ट अल-अरब नदी से लाया जाता था। यह पानी गधों पर बकरियों की खाल में भरकर पूरे देश में पहुंचाया जाता था। ओमान में केवल 10 किलोमीटर पक्की सड़कें थीं। अबू धाबी के अधिकतर घर मिट्टी और ताड़ के पत्तों से बनाए गए थे। मिस्र की राजधानी काहिरा, इस क्षेत्र का एकमात्र प्रमुख शहर था जहां सीवेज प्रणाली काम कर रही थी।
तेल से जुड़ी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तिथियाँ निम्नवत दी गई हैं:
1. 1885 - मोटर कारों के लिए तेल का इस्तेमाल: 1885 में जर्मन इंजीनियर कार्ल बेंज़ (Karl Benz) ने पहली मोटर कार बनाई। यह कार, गैसोलीन से चलती थी, जो मिट्टी का तेल बनाने की प्रक्रिया का एक सस्ता उत्पाद था। मोटर कार के आविष्कार के बाद तेल की मांग में तेज़ वृद्धि देखी गई। 1908 में हेनरी फ़ोर्ड (Henry Ford) ने मॉडल टी (Model T) पेश किया। फ़ोर्ड ने सस्ती और सभी के लिए खरीदने योग्य कार बनाने का वादा पूरा किया। इसके बाद गैसोलीन की मांग और बढ़ गई।
2. 1914-1918 - प्रथम विश्व युद्ध और तेल की अहमियत: प्रथम विश्व युद्ध ने यह दिखाया कि तेल राष्ट्रीय रक्षा के लिए कितना ज़रूरी है। युद्धपोत, टैंक और ट्रक तेल से ही चलते थे। युद्ध के दौरान, बड़ी ताकतों ने अपनी नौसेनाओं को तेल-ईंधन वाले जहाजों में बदल दिया। यह बदलाव, उन्हें तेज़ी से चलने और लंबे समय तक समुद्र में टिकने में मदद करता था।
3. 1944 - मध्य पूर्व के तेल का विभाजन: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, तेल को एक महत्वपूर्ण वस्तु माना गया। युद्ध के दौरान ही, रूज़वेल्ट (Roosevelt) और चर्चिल (Churchill) ने मध्य पूर्व के तेल भंडार पर ध्यान दिया। 8 अगस्त 1944 को एंग्लो-अमेरिकन पेट्रोलियम समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इस समझौते के तहत, अमेरिका और ब्रिटेन ने मध्य पूर्व के तेल भंडार को आपस में बांट लिया।
4. 1973 - पहला तेल संकट: 1973 में, अरब तेल उत्पादकों ने तेल को एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। अरब देशों ने पश्चिमी देशों पर तेल प्रतिबंध लगाया। जब मिस्र और सीरिया ने योम किप्पुर युद्ध छेड़ा उस समय यह प्रतिबंध इज़रायल को अमेरिका के समर्थन के जवाब में लगाया गया था।
5. 1990 - खाड़ी युद्ध: मध्य पूर्व के तेल पर पश्चिम की निर्भरता तब साफ़ हुई, जब इराक ने कुवेत पर हमला किया। इराक ने कुवेत के तेल क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया। यह हमला, लंबे समय से चल रहे क्षेत्रीय और तेल स्वामित्व विवाद के नतीजतन हुआ।
6. 1998 - अमेरिकी फ़्रैकिंग क्रांति: पश्चिम ने तेल निकालने के नए तरीकों पर काम किया। इस दौरान, फ़्रैकिंग एक प्रमुख तकनीक बनी। इस विधि में उच्च दबाव वाले तरल पदार्थ से चट्टानों को तोड़ा जाता है, जिससे तेल निकाला जाता है। सरकारी मदद और बढ़ी हुई तेल कीमतों ने फ़्रैकिंग को सफल और लाभदायक बनाया।
7. 2015 - तेल की कीमतों में गिरावट: हाल के वर्षों में, तेल की कीमतों में भारी गिरावट देखी गई। अरब देशों ने उत्पादन जारी रखा और कीमतों को गिरने दिया। इसका उद्देश्य, अमेरिकी फ़्रैकर्स, रूस और अन्य देशों के तेल उत्पादकों को नुकसान पहुंचाना था। फ़्रैकिंग, भूमिगत से तेल, गैस और अन्य संसाधनों को निकालने की एक तकनीक है। वैश्विक मंदी ने भी तेल की मांग को कम कर दिया।
संदर्भ
https://tinyurl.com/jmpa57f
https://tinyurl.com/2b9qcpst
https://tinyurl.com/29ydt5qp
चित्र संदर्भ
1. रेल द्वारा टैंकों में भरकर भेजे जा रहे कच्चे तेल को को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. एक फ़्लास्क और एक छोटे बीकर में कच्चे तेल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. 1922 में, ओक्लाहोमा, यू एस ए में एक तेल डेरिक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. रूस में एक पेट्रोलियम ड्रिल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. मिस्र में स्थित, अबू रुदेइस ऑयल टाउन (Abu Rudeis Oil Town) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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