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आज 12 नवंबर के दिन पूरे भारत वर्ष में गुरु पर्व मनाया जा रहा है। गुरू पर्व वास्तव में सिख धर्म के प्रथम गुरू, गुरू नानक देव जी की जयंती है। इस वर्ष गुरूनानक देव जी की 550 वीं जयंती मनायी जा रही है। गुरू पर्व के अवसर पर हर गुरूद्वारे में शबदों का उच्चारण तथा लंगर का आयोजन किया जाता है। श्रद्धालुओं की भीड को देश और विदेश के कई गुरूद्वारों में देखा जा सकता है। गुरू नानक देव जी ने संसार में फैले हुए अंधविश्वास, कट्टरवाद, असत्य, पाखंड, घृणा आदि को खत्म करने के लिए इनसे प्रभावित लोगों को वास्तविक परमेश्वर से अवगत कराने और सत्मार्ग में चलाने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्हें प्रत्येक स्थान में निवास कर रहे लोगों को समझने की आवश्यकता थी। अतः उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण किया तथा शांति, करुणा, धर्म और सत्वता के उपदेश दिए। बाद में उनके द्वारा विश्व के विभिन्न हिस्सों जैसे बंगलादेश, पाकिस्तान, तिब्बत, नेपाल, भूटान, दक्षिण पश्चिम चीन, अफगानिस्तान, ईरान, सऊदी अरब, मिस्र, इज़राइल, सीरिया, कज़ाखिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज़बेकिस्तान, ताज़िकिस्तान इत्यादि का भी भ्रमण किया गया तथा उपदेश दिए गये।
इनकी यात्रा को उदासियाँ कहा गया। इनकी पहली उदासी 6 वर्षों की थी जिसमें उन्होंने पूर्वी भारत का भ्रमण किया। गुरूनानक जी को दुनिया में सबसे अधिक भ्रमण करने वाले संत के रूप में जाना जाता है। अपनी तीसरी उदासी के दौरान 1514 में नानक जी रोहिलखंड भी आये जिस कारण यह क्षेत्र सिख धर्म के अनुयायियों के लिए एक तीर्थस्थल बन गया है। रामपुर के आस-पास आज भी कई शिक्षा तीर्थ स्थापित हैं। ऐसा नहीं है कि नानक जी का संदेश केवल भारत के क्षेत्रों तक ही सीमित था। उनका ये संदेश पूरे विश्व के कल्याण के लिए था और इसलिए आज विभिन्न प्रदेशों और विदेशों में इस पर्व को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है तो चलिए जानते हैं कि विभिन्न क्षेत्रों में यह पर्व कैसे मनाया जाता है।
पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़
गुरु नानक देव जी की जयंती के अवसर पर पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में सुबह से ही गुरुद्वारे पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है। अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर को रोशनियों से सजाया जाता है जहां रात से ही भक्तों का तांता लगा रहता है।
चंडीगढ़ सहित अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, सिरसा, फरीदाबाद, गुड़गांव और फतेहाबाद, हरियाणा में गुरुपर्व के दिन गुरुद्वारों पर लोग श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। यहां सामुदायिक रसोई और लंगर का भी आयोजिन किया जाता है। क्षेत्र के अधिकांश स्थानों पर सिख समुदाय द्वारा नगर कीर्तन या धार्मिक जुलूस निकाले जाते हैं। इस अवसर पर गुरुद्वारे में भक्तों की लंबी कतार देखी जा सकती है। भक्त बेर साहिब और पवित्र बीन के पास एक सरोवर में पवित्र डुबकी लगाते हैं और गुरबानी सुनते हैं।
अमृतसर
गुरु नानक देव जी की जयंती की पूर्व संध्या में सिख समुदाय के सदस्यों द्वारा एक विशाल जुलूस निकाला जाता है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति द्वारा आयोजित नगर कीर्तन या धार्मिक जुलूस प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर में संपन्न होने से पहले शहर के विभिन्न मार्गों से होकर गुजरता हैं जहां अरदास (प्रार्थना) की जाती है। मार्च के दौरान 'गतका' या सिख मार्शल आर्ट (martial arts) का प्रदर्शन भी किया जाता है। गुरूद्वारे में लगने वाले लंगर के लिए चार लाख से भी अधिक भक्तों के लंगर की व्यवस्था की जाती है। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए स्वर्ण मंदिर की परिधि पर भारी सुरक्षा की व्यवस्था की जाती है।
हैदराबाद
इस अवसर को मनाने के लिए गुरुद्वारा साहेब सिकंदराबाद की प्रबंधक समिति, गुरूद्वारा श्री गुरु सिंह सभा, गुरु नानक मार्ग, अशोक बाजार, अफजलगंज के सहयोग से समारोहों और निरंतर चलने वाले कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं। इस समारोह में प्रतिष्ठित रागी जत्थों (धार्मिक उपदेशकों) द्वारा गुरबानी कीर्तन का पाठ किया जाता है।
नई दिल्ली
नई दिल्ली में भी श्रद्धालुओं द्वारा गुरु नानक देव जी के जन्मदिवस पर उनके न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण समाज की सराहना की जाती है तथा उनके जीवन और कार्यों से प्रेरणा प्राप्त की जाती है। गुरु नानक देव जी की धार्मिक सद्भाव और शांति की शिक्षाएं अभी भी सभी को प्रेरित करती हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका
संयुक्त राज्य अमेरिका में इस दिन हजारों लोग गुरु नानक गुरुद्वारा व अन्य गुरूद्वारे में आकर्षक झांकियों का आयोजन करते हैं तथा मार्च (March) निकालते हैं। इस आयोजन में लगभग 15,000 से भी अधिक उपासक भाग लेते हैं।
आजकल इंटरनेट (Internet) पर भी एक वीडियो (Video) वायरल हो रहा है जिसमें सिख धर्म के अनुयायी चीन की महान दीवार पर शबद गाते सुनाई दे रहे हैं। वीडियो में सिखों का एक समूह चीन की दीवार के फर्श पर हारमोनियम और तबला लिए बैठा है जो कि पवित्र गुरबानी के शबद का उच्चारण कर रहा है। ट्विटर (Twitter) उपयोगकर्ताओं के अनुसार यह शबद-कीर्तन गुरु नानक देव जी की 550 वीं जयंती के उपलक्ष्य में किया जा रहा था।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2X3aZM9
2. http://sikhsangat.org/2012/sikhs-celebrate-guru-nanak-dev-jis-gurpurab-around-the-world/
3. https://rampur.prarang.in/posts/2115/when-guru-nanak-visited-rohilkhand
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