रामपुर में ज़रदोज़ी- कढ़ाई एवं तकनीक

स्पर्शः रचना व कपड़े
03-07-2017 12:00 PM
रामपुर में ज़रदोज़ी- कढ़ाई एवं तकनीक
सोने की तार को ज़री कहते है, जो की एक फ़ारसी शब्द ज़र से उत्पन्न हुआ है और जिसका मतलब सोना होता है| ज़रदोज़ी काम कि दो तकनीक होती हैं– क. करचोबी ख. कामदानी करचोबी पुर्तगालों के अधीन विकसित हुआ और यह मलमल, सिल्क इत्यादि पर बनाया जाता था| यह ज़्यादातर बिस्तरबंद, चादर, छाता इत्यादि बनाने में इस्तेमाल होता था| कामदानी पतले मुलायम कपड़े जैसे सिल्क, जॉर्जेट, शिफॉन इत्यादि पर की जाती है| लकड़ी के बने ढांचे पर कपड़े को तान कर जमा देते हैं, इस ढांचे को अदा बोलते हैं| रचनाओं (बनावट) को एक खाखा पर बनाते हैं, फिर इसको कपड़े पर उतारते हैं| फिर सुई में तार को पिरो कर अलग-अलग तरह की कढ़ाई की जाती है| ज़री के काम मे सोने के अलावा चाँदी और तांबे के तारों का भी इस्तेमाल किया जाता है| तार के उत्पादन में सबसे पहले सोने की पट्टी बनाई जाती है जिसको पासा कहते है, इस प्रक्रिया को पवथन कहते हैं| इसके बाद तरकशी की जाती है जिसमे तार को अलग अलग श्रृंखलाओं में से पिरोते हुए (चौरस) एक पतली तार बनाई जाती है जिसको पीट कर समतल और पतला बनाते हैं, इस पतले तार को बदला कहते हैं| इन तारों से किये गए काम को निम्नलिखित वर्गों में देखा जा सकता है - सच्चा काम – सोने की तार से ज़री कढ़ाई नकली काम – तांबे के तार से ज़री कढ़ाई रंगीन काम – अलग-अलग तारों को मिलाकर की गयी कढ़ाई ज़री कारीगरी के साथ दुसरे तरह की कढ़ाई को मिला कर बीते कुछ सालों में काफी नयापन आया है जैसे ज़री गोटा-पत्ती काम, ज़री ठप्पा काम इत्यादि| लेकिन पहले जहाँ ज़री की कढ़ाई में कीमती पत्थर और मनका का इस्तेमाल होता था वहीं आज इनके जगह कांच मनकाओं का इस्तेमाल होता है| पूरे उत्तर प्रदेश की बात करे तो बरेली से ले कर बाराबंकी, हरदोई, खेरी लखीमपुर, वाराणसी और रामपुर में ज़रदोज़ी की कढ़ाई के विभिन्न प्रकार देख सकते हैं| रामपुर भी ज़री कारीगरी में पीछे नहीं रहा और यहाँ की कट-दानाकाँच मनके से की गयी कई कढ़ाई भी काफी प्रसिद्ध है| 1. ज़रदोज़ी- ग्लिटरिंग गोल्ड एम्ब्रायडरी – चारू स्मिता गुप्ता 2. तानाबाना- टेक्सटाइल्स ऑफ़ इंडिया, मिनिस्ट्री ऑफ़ टेक्सटाइल्स, भारत सरकार 3. हेंडीक्राफ्ट ऑफ़ इंडिया – कमलादेवी चट्टोपाध्याय 4. टेक्सटाइल ट्रेल इन उत्तर प्रदेश (ट्रेवल गाइड) – उत्तर प्रदेश टूरिज्म
अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.