इन प्राचीन शीतलन विधियों को जानकार, गर्मियों में अपने घरों को ठंडा रख सकते हैं रामपुरवासी

जलवायु व ऋतु
22-04-2025 09:23 AM
इन प्राचीन शीतलन विधियों को जानकार, गर्मियों में अपने घरों को ठंडा रख सकते हैं रामपुरवासी

रामपुर के नागरिकों, आप इस बात से सहमत होंगे कि बढ़ती ऊर्जा लागत, पर्यावरणीय चिंताओं और स्वस्थ इनडोर वातावरण की क्षमता के कारण, घर को ठंडा करने के प्राकृतिक तरीके एयर कंडीशनिंग के लिए टिकाऊ और लागत प्रभावी विकल्प के रूप में तेज़ी से महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। क्या आप जानते हैं कि प्राचीन सभ्यताओं में अत्यधिक गर्मी से निपटने के लिए जल वाष्पीकरण, रणनीतिक वास्तुशिल्प डिज़ाइन और भूमिगत आवास जैसी नवीन शीतलन तकनीकों का उपयोग किया जाता था। इसके अलावा, भारत में सदियों से प्राकृतिक शीतलन प्रणाली के रूप में खस का उपयोग भी किया जाता रहा है, जो तापमान नियंत्रण और ताज़ा खुशबू दोनों प्रदान करता है। तो आइए आज, इन प्राचीन शीतलन विधियों पर प्रकाश डालते हैं और गर्मियों के दौरान अपने घरों को ठंडा रखने के कुछ सरल और प्राकृतिक तरीकों के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

जल वाष्पीकरण का आरेख  | चित्र स्रोत : Wikimedia  

प्राचीन सभ्यताओं में प्रयोग की जाने वाली शीतलन विधियां:

जल वाष्पीकरण : जल वाष्पीकरण (Water Evaporation) एक सरल लेकिन प्रभावी शीतलन तकनीक है जिसे विभिन्न प्राचीन सभ्यताओं में पूरे इतिहास में नियोजित किया गया है। इस तकनीक  की सहायता से, पानी के शीतलन गुणों का उपयोग करके, सरल शीतलन प्रणालियाँ बनाई गईं। उदाहरण के लिए, प्राचीन मिस्र में लोग, चटाई या पर्दों को पानी से गीला कर, उन्हें  दरवाज़े या खिड़कियों पर लटका देते थे। जैसे ही हवा इन गीली सतहों से गुजरती थी, यह  काफ़ी  हद तक ठंडी हो जाती थी, जिससे गर्मी से राहत मिलती थी। इसी तरह, प्राचीन फ़ारसियों ने "क़नात" नामक भूमिगत चैनल विकसित किए, जिनमें वाष्पीकरण के माध्यम से घरों को ठंडा करने के लिए दूरस्थ स्रोतों से पानी का उपयोग किया जाता था।

वायु प्रवाह | चित्र स्रोत : Wikimedia 

वायु प्रवाह को अधिकतम करने वाली वास्तुकला: प्राचीन  काल में प्राकृतिक वेंटिलेशन को अधिकतम करने वाली संरचनाओं को डिज़ाइन किया  जाता। ग्रीको-रोमन काल में, जो अपने वास्तुशिल्प नवाचारों के लिए प्रसिद्ध है, खुली स्तंभावली के साथ आंगन और अलिंद बनाए गए, जिनमें क्रॉस-वेंटिलेशन (Cross Ventilation) के साथ ठंडी हवा खींचते समय गर्म हवा को बाहर निकलने की सुविधा थी। इसके अतिरिक्त, पारंपरिक भारतीय वास्तुकला में, जैसा कि जयपुर में हवा महल जैसी इमारतों में देखा जाता है, वायु प्रवाह को बढ़ाने के लिए जटिल जाली और छिद्रित स्क्रीन का उपयोग किया गया है, जिससे प्राकृतिक शीतलन प्रभाव उत्पन्न होता है।

भूमिगत आवास | चित्र स्रोत : Wikimedia 

भूमिगत आवास: मध्य तुर्की में कप्पाडोसिया (Cappadocia) जैसे शुष्क क्षेत्रों में, प्राचीन सभ्यताओं में भूमिगत आवासों (Underground Dwellings) का निर्माण करके पृथ्वी की प्राकृतिक शीतलन क्षमता का उपयोग किया गया था। ये भूमिगत स्थान चिलचिलाती धूप से प्रतिरोध प्रदान करते थे और पूरे वर्ष अधिक स्थिर और आरामदायक तापमान बनाए रखते थे। 

खस रीड: एक प्राचीन प्राकृतिक शीतलन प्रणाली

खस एक प्राकृतिक शीतलक है और इसका उपयोग भारत में सदियों से घरों के अंदरूनी हिस्सों को ठंडा करने के लिए किया जाता रहा है। खस  की चटाई का उपयोग अक्सर छत, दरवाज़े और खिड़कियों को धूप से बचाने और हवा को ठंडा करने के लिए किया जाता है। खस  के पत्तों से बने परदे, अपने विशेष प्राकृतिक इत्र के साथ हवा को सुगंधित और ठंडा बनाते हैं। पानी से भीगने पर, खस से ठंडी मीठी सुगंध निकलती है, जो वायु के साथ पूरे वातावरण में फैल जाती है और एक आनंददायक वातावरण बनाती है। 

राजस्थान में घरों को सूर्य की रोशनी को परावर्तित करने, दीमकों को दूर रखने, सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक के रूप में तथा शहर के सौंदर्य आकर्षण को बढ़ाने के लिए नीले रंग से रंगा जाता है। | चित्र स्रोत : Wikimedia 

गर्मियों के दौरान घर को ठंडा रखने के प्राकृतिक तरीके:

  • वायु संचार बनाए रखें: वायु संचार बनाए रखने के लिए खिड़कियां खुली रखें। खिड़कियां खुली रखने का सबसे अच्छा समय, सुबह 5 बजे से 8 बजे तक और शाम 8 बजे से 10 बजे तक है। इन समयों के दौरान, हवा सुखद होती है, जिससे उचित वायु संचार के साथ, घर के भीतर फंसी ऊष्मा बाहर निकल सकती है। गर्मियों में रात में तापमान काफी गिर जाता है इसलिए ठंडी हवा का अधिकतम लाभ उठाने के लिए, खिड़कियाँ खुली रखें। मच्छरों और कीड़ों को दूर रखने के लिए  दरवाज़ों और खिड़कियों पर कीट जाल लगाएं।
  • पर्दे लगाएं: खिड़कियाँ बाहर से गर्मी को अवशोषित कर, अंदरूनी हिस्से को अत्यधिक गर्म बना सकती हैं। अवांछित गर्मी को दूर रखने के लिए, परदे लगाकर सूर्य की किरणों को रोकना महत्वपूर्ण है। सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक पर्दे बंद रखें। 
  • प्राकृतिक कपड़ों का उपयोग करें: गर्मी के दौरान चमड़े, रेशम, साटन, और पॉलिएस्टर   वाले फ़र्नीचर उत्पाद, ऊष्मा को आसानी से अवशोषित कर लेते हैं। इसलिए, इस मौसम में विशेष रूप से  फ़र्नीचर के लिए लिनन और सूती कपड़े का चयन करें। सूती कपड़ा हल्का होता है जो वायु प्रवाह को बढ़ावा देता है। 
  • हल्के रंगों को शामिल करें: शुष्क गर्मी के मौसम में हल्के रंग जैसे पेस्टल पीला, आसमानी, मिलेनियल गुलाबी और सफ़ेद रंग अच्छे लगते हैं। 
बोस्को वर्टिकल मिलानो | चित्र स्रोत : Wikimedia 
  • हरित वातावरण बनाएं: एरेका पाम (Areca palm), एलोवेरा (Aloevera) और फ़र्न (Fern) जैसे पौधे,  न केवल देखने में मनभावन लगते हैं,  बल्कि ये  घर के अंदर के वातावरण को ठंडा रख सकते हैं क्योंकि उनमें हवा में विषाक्त पदार्थों को अवशोषित करने की क्षमता होती है। इसके साथ ही, घर के पूर्व और पश्चिम दिशा में रणनीतिक रूप से लगाए गए छायादार पेड़ और पौधे सूर्य की किरणों को रोक देंगे। बालकनी की ग्रिल पर लताएं और बेलें उगाने से भी घर को ठंडा रखने में मदद मिल सकती है।
  • जल वाष्पीकरण का प्रयोग करें: प्राचीन सभ्यताओं के समान,  घरों को ठंडा रखने के लिए जल वाष्पीकरण एक महत्वपूर्ण विकल्प है। अपने पर्दों के निचले किनारों को एक बाल्टी  पानी में डुबोएं और पंखा चालू रखें। पानी धीरे-धीरे कपड़े के माध्यम से ऊपर की ओर रिसता है और हवा के माध्यम से कमरे में ठंडक हो जाएगी।
  • बाथरूम का दरवाज़ा खुला रखें: अपने बाथरूम का दरवाज़ा थोड़ा खुला रखें,  फ़र्श पर कुछ लीटर पानी डालें और हवा को अपना काम करने दें।
  • फ्रिज़ को बार-बार न खोलें: बार-बार ठंडा पानी और  बर्फ़ के टुकड़े लेने के लिए रेफ्रिज़रेटर को कई बार खोलने और बंद करने से इसकी मोटर पर भार  पढ़ने के साथ उसका  तापमान बढ़ जाता है। और  इसके बदले में घर में परिवेश का तापमान बढ़ जाता है।
  • अच्छे प्रकाश विकल्पों का उपयोग करें: जैसा कि अब एल ई डी (LED) लाइटों से लेकर  फ़्लोरोसेंट (Fluorescent) रोशनी तक, कई शानदार प्रकाश विकल्प उपलब्ध हैं, इसलिए गर्म तापदीप्त बल्बों का उपयोग न करें। इसी तरह, जब उपयोग में न हो, तो सभी विद्युत उपकरण, विशेषकर टीवी, बंद कर दें। यहां तक कि मोबाइल चार्जर से भी ऊष्मा निकलती है।

संदर्भ 

https://tinyurl.com/ywzrparu

https://tinyurl.com/mr4xvzp4

https://tinyurl.com/k973usxt

https://tinyurl.com/48zhsyc6

मुख्य चित्र में दिखाई गई मध्यकालीन समय में अर्मेनिया के गोरिस के निवासी पिरामिड के आकार की चट्टानों के नीचे गुफाओं में रहते थे। आज कई गुफाओं का उपयोग जानवरों को रखने या भंडारण के लिए किया जाता है। का स्रोत : Wikimedia 

पिछला / Previous अगला / Next


Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.