चलिए जानते हैं, वैश्विक विनिर्माण उत्पादन में कहाँ खड़ा है हमारा भारत

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चलिए जानते हैं, वैश्विक विनिर्माण उत्पादन में कहाँ खड़ा है हमारा भारत

रामपुर के कई लोगों ने 'आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन' (Supply Chain Management) शब्द सुना होगा। भारत में, यह प्रबंधन, उस प्रक्रिया को दर्शाता है, जिसमें कच्चे माल से लेकर अंतिम उपभोक्ता तक माल और सेवाओं का प्रवाह नियंत्रित किया जाता है। इसमें खरीद, उत्पादन, भंडारण, परिवहन और वितरण जैसी गतिविधियाँ शामिल होती हैं। आज के इस लेख में, हम उन देशों के बारे में चर्चा करेंगे, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इसके तहत, हम यह जानेंगे कि वैश्विक विनिर्माण उत्पादन में उनका कितना योगदान है। उदाहरण के लिए, चीन दुनिया के 31.6% सामान का उत्पादन करता है, जबकि अमेरिका का योगदान 15.9% है। इसके बाद, हम उन देशों पर नज़र डालेंगे, जहाँ विनिर्माण क्षेत्र में सबसे अधिक लोग कार्यरत हैं। फिर, हम यह समझेंगे कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव के दौरान भारत को कौन-कौन से भू-राजनीतिक लाभ मिल सकते हैं। इसके अतिरिक्त, हम भारत में आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा करेंगे। अंत में, इन समस्याओं को दूर करने के कुछ समाधान प्रस्तुत किए जाएंगे।

एक फ़ैक्ट्री में औद्योगिक मशीनरी | चित्र स्रोत : Wikimedia

चलिए, शुरुआत दुनिया के शीर्ष विनिर्माण उत्पादन वाले देशों के साथ करते हैं:

1. चीन (China) – 31.6% : चीन, दुनिया का सबसे बड़ा विनिर्माण केंद्र है, जिसकी वैश्विक विनिर्माण उत्पादन में हिस्सेदारी 31.6%  है। 2023 में इसका आर्थिक उत्पादन, लगभग $5 ट्रिलियन तक पहुंच गया। कम लागत, विशाल कार्यबल और उच्च उत्पादन गुणवत्ता इसे दुनिया का प्रमुख विनिर्माण देश बनाती है। चीन का उत्पादन मूल्य अद्वितीय माना जाता है और यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अहम भूमिका निभाता है। इसके प्रमुख विनिर्माण क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और वस्त्र शामिल हैं। ये कारक चीन को दुनिया के शीर्ष विनिर्माण देशों में बनाए रखते हैं।

2. संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) – 15.9% : अमेरिका का विनिर्माण उद्योग, उसकी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 2023 में इस क्षेत्र ने, $2.5 ट्रिलियन से अधिक का योगदान दिया। यह अमेरिका की कुल आर्थिक गतिविधियों का 12% और निर्यात का एक बड़ा हिस्सा बनाता है।

उन्नत विनिर्माण तकनीक और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद अमेरिका की पहचान माने जाते हैं। आपूर्ति श्रृंखला में आ रहे बदलावों के बावजूद, अमेरिका, आज भी वैश्विक विनिर्माण का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। विश्व बैंक (World Bank) इसे नवाचार और तकनीक में अग्रणी मानता है, जिससे इसका विनिर्माण उद्योग लगातार आगे बढ़ रहा है।

चित्र स्रोत : Wikimedia

3. जापान (Japan) – 6.5% : जापान को अपनी उन्नत तकनीक और समृद्ध संस्कृति के लिए जाना जाता है। यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा विनिर्माण देश है! 2023 में इसने $1.2 ट्रिलियन का उत्पादन किया। इसके प्रमुख निर्यातों में उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, कंप्यूटर और अर्धचालक शामिल हैं। जापान अपने उच्च गुणवत्ता मानकों और सटीकता के लिए प्रसिद्ध है। यह विनिर्माण क्षेत्र में एक विश्वसनीय भागीदार है और विकसित देशों में शीर्ष स्थान पर आता है। इसकी तकनीकी दक्षता इसे उच्च-स्तरीय विनिर्माण के लिए आदर्श बनाती है।

4. जर्मनी (Germany) – 4.8% : यूरोप में जर्मनी सबसे बड़ा विनिर्माण देश है। 2023 में इसने $930 बिलियन का उत्पादन किया। जर्मनी की अर्थव्यवस्था मज़बूत औद्योगिक बुनियादी ढांचे और इंजीनियरिंग कौशल के कारण विकसित हुई है।

यह ऑटोमोबाइल, मशीनरी और रसायन उद्योगों में अग्रणी है। दक्षता और नवाचार इसकी विशेषता हैं। विश्व बैंक के अनुसार, जर्मनी की आर्थिक नीतियां औद्योगिक विकास को मज़बूत करती हैं, जिससे यह वैश्विक विनिर्माण में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना रहता है।

5. भारत (India) – 2.9% : धीरे-धीरे ही सही, लेकिन भारत भी विश्व पटल में एक उभरता हुआ विनिर्माण केंद्र बन रहा है।  यहाँ की आबादी, 1.4 बिलियन से अधिक है और 2023 में इसका विनिर्माण उत्पादन $560 बिलियन तक पहुंचा। भारत अपने आईटी क्षेत्र और ग्राहक सेवा उद्योग के लिए जाना जाता है, लेकिन अब यह विनिर्माण में भी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।

सरकारी नीतियों और कुशल कार्यबल की वजह से भारत का विनिर्माण मूल्य लगातार बढ़ रहा है। इसके प्रमुख उद्योगों में कपड़ा, ऑटोमोबाइल और फ़ार्मास्यूटिकल्स शामिल हैं। यह विविधता भारत को वैश्विक स्तर पर एक प्रतिस्पर्धी विनिर्माण गंतव्य बनाती है।

6. दक्षिण कोरिया (South Korea)– 2.7% : दक्षिण कोरिया, एक उन्नत औद्योगिक राष्ट्र है, जिसका  लक्ष्य, हाई-टेक  उद्द्योगों (high tech industries) पर है। 2023 में इसने, $530 बिलियन का विनिर्माण उत्पादन किया। इसके प्रमुख निर्यातों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, ऑटोमोबाइल और पेट्रोलियम उत्पाद शामिल हैं। तकनीकी प्रगति और उच्च शिक्षित कार्यबल इसे एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र बनाते हैं। नवाचार और गुणवत्ता के प्रति इसकी प्रतिबद्धता इसे वैश्विक विनिर्माण में मज़बूत स्थिति में बनाए रखती है।

गाड़ियों के विनिर्माण में आया ऐतिहासिक परिवर्तन। मैनुअल असेंबली लाइन (बाएं) और स्वचालित असेंबली लाइन (दाएं) | चित्र स्रोत : Wikimedia

विनिर्माण क्षेत्र से संबंधित इस रोचक तालिका को देखिए:

देशविनिर्माण क्षेत्र में कुल रोज़गारविनिर्माण क्षेत्र में जनसंख्या
पोलैंड3,540,00020.20%
जर्मनी7,911,00019%
इटली4,090,00018.50%
तुर्की5,012,00018.10%
दक्षिण कोरिया4,499,00016.90%
चीन128,869,00016.90%
जापान10,958,00016.90%
मेक्सिको9,154,00016.30%
रूसी संघ10,260,00014.40%
इंडोनेशिया16,363,00013.50%
स्विट्ज़रलैंड612,00013%
फ़्रांस3,396,00012.40%
स्पेन3,396,00012.30%
ब्राज़ील10,388,00011.40%
भारत57,244,00011.40%
संयुक्त राज्य अमेरिका16,381,00010.50%
नीदरलैंड898,00010.40%
यूनाइटेड किंगडम3,069,0009.5

वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला तेज़ी से बदल रही है। इसके साथ ही, भू-राजनीतिक और आर्थिक माहौल के अनुरूप भारत की भूमिका भी लगातार मज़बूत हो रही है। भारत का लोकतांत्रिक ढाँचा, अंतरराष्ट्रीय व्यापार के प्रति उसकी प्रतिबद्धता और पूर्व तथा पश्चिम को जोड़ने की उसकी भौगोलिक स्थिति उसे एक विश्वसनीय साझेदार बनाती है। ये कारक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हैं और भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क में एक प्रतिस्पर्धी विकल्प के रूप में खड़ा करते हैं।

हाल ही में हुए भू-राजनीतिक बदलाव भारत की स्थिति को और भी मज़बूत कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच बने चौगुट गठबंधन (Quad Alliance) और इंडो- पैसिफ़िक इकोनॉमिक  फ़्रेमवर्क (IPEF) में भारत की भागीदारी यह दिखाती है कि भारत एक स्वतंत्र और लचीली अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली के पक्ष में है।

इसके अलावा, भारत एशियाई देशों के साथ अपने संबंधों को भी मज़बूत कर रहा है। इससे क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क में भारत की स्थिति और मज़बूत हो रही है। यह सहयोग केवल आर्थिक विकास को गति नहीं देता, बल्कि आपसी विश्वास को भी बढ़ाता है। इसके साथ ही, यह भू-राजनीतिक गठबंधनों को सुदृढ़ करता है और एक लचीली तथा सहयोगी व्यापारिक व्यवस्था को प्रोत्साहित करता है।

चित्र स्रोत : Wikimedia

आइए, अब जानते हैं कि भारत में आपूर्ति शृंखला प्रबंधन से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं ?

  • सामग्री की कमी : जब ग्राहकों के बीच उत्पाद की मांग अचानक बढ़ती है, तो कई बार आवश्यक सामग्री की कमी हो जाती है। इसके अलावा, कुछ आपूर्तिकर्ताओं पर अत्यधिक निर्भरता समस्या को और गंभीर बना देती है।
  • बढ़ती लागत: श्रम, कच्चा माल और परिवहन किसी भी आपूर्ति शृंखला के आवश्यक घटक हैं। लेकिन इनसे जुड़ी लागत लगातार बढ़ रही है, जिससे संचालन को सुचारू रूप से बनाए रखना कठिन हो गया है।
  • लंबी डिलीवरी समय-सीमा: ग्राहक संतुष्टि और प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने के लिए, कंपनियों को शीघ्र डिलीवरी सुनिश्चित करनी चाहिए। लेकिन लीड टाइम (lead time) अधिक होने से मांग और आपूर्ति का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे समय पर ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करना मुश्किल हो जाता है।
  • डेटा प्रबंधन: आधुनिक कारोबारी दुनिया में डेटा बहुत महत्वपूर्ण है। हालांकि, इसे एकत्रित , व्यवस्थित करना और सही तरीके से उपयोग करना आसान नहीं है। यही कारण है कि. यह आपूर्ति शृंखला प्रबंधन में एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
  • योग्य कर्मचारियों की नियुक्ति: कुशल पेशेवरों की कमी. आपूर्ति शृंखला उद्योग की एक गंभीर समस्या है। आवश्यक कौशल और अनुभव वाले कर्मचारियों को ढूंढना कठिन होता जा रहा है, जिससे कंपनियों को संचालन में परेशानी होती है।
  • गुणवत्तापूर्ण ग्राहक सेवा: ग्राहकों की पसंद और प्राथमिकताएँ. तेज़ी से बदल रही हैं। इसलिए, देश की आपूर्ति शृंखला रणनीतियों को भी लचीला और अनुकूलनशील होना चाहिए। बदलती मांगों को पूरा करते हुए कम लागत पर बेहतरीन सेवा प्रदान करना, एक निरंतर चुनौती बनी हुई है।
  • इन समस्याओं के समाधान क्या है ?
  • स्वचालन का उपयोग: आपूर्ति शृंखला में स्वचालन से इन्वेंट्री प्रबंधन में सुधार होगा और वेयरहाउसिंग लागत भी कम होगी। इससे व्यवसाय तेज़ी से ग्राहकों की ज़रूरतों को पूरा कर सकेंगे।
  • मज़बूत साझेदारी बनाना: निर्माताओं, आपूर्तिकर्ताओं और उद्योग नियामकों के साथ मज़बूत संबंध बनाना आवश्यक है। इसके लिए व्यवसाय आधुनिक सॉफ़्टवेयर समाधानों का उपयोग कर सकते हैं, जो वास्तविक समय में अपडेट और स्वचालित अनुमतियाँ प्रदान करते हैं।
  • आपूर्ति शृंखला की स्पष्टता बढ़ाना: संपूर्ण आपूर्ति शृंखला, यानी खरीद से लेकर अंतिम उपभोक्ता तक, पारदर्शी होनी चाहिए। ट्रैकिंग प्रणालियाँ, व्यवसायों को अनियमितताओं और अक्षमताओं की पहचान करने में मदद कर सकती हैं, जिससे समग्र प्रबंधन बेहतर होता है। इन उपायों को अपनाकर, भारत में आपूर्ति शृंखला प्रबंधन की समस्याओं को  काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है।

संदर्भ 

https://tinyurl.com/2a7onbnq

https://tinyurl.com/28rwhy6y

https://tinyurl.com/2y4pbhhh

https://tinyurl.com/2cytmy92

मुख्य चित्र:  फ़िलीपींस (Philippines) की एक फ़ैक्ट्री में के टी एम (KTM) नामक एक मोटरसाइकिल का विनिर्माण : (Wikimedia)

 

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