पाकिस्तान में, आध्यात्मिक सद्भाव व समृद्ध हिंदू विरासत को बांधता है, उमरकोट शिव मंदिर

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
05-02-2025 09:13 AM
पाकिस्तान में, आध्यात्मिक सद्भाव व समृद्ध हिंदू विरासत को बांधता है, उमरकोट शिव मंदिर

रामपुर के नागरिक जानते है कि, पाकिस्तान चार प्रांतों - पंजाब, सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में विभाजित है। इनमें से, सिंध प्रांत के उमरकोट में स्थित शिव मंदिर विशेष महत्व रखता है। उमरकोट शिव मंदिर, सिंध, पाकिस्तान में स्थित, भगवान शिव को समर्पित एक प्रतिष्ठित हिंदू मंदिर है। यह प्राचीन मंदिर, विशेष रूप से, इस क्षेत्र के हिंदुओं के लिए बहुत धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। माना जाता है कि, इसका सदियों पुराना ऐतिहासिक महत्व है और यह अपनी सुंदर वास्तुकला तथा शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। यह मंदिर विशेष रूप से वार्षिक महा शिवरात्रि उत्सव के दौरान कई भक्तों को आकर्षित करता है, जहां लोग प्रार्थना करने और आशीर्वाद लेने के लिए इकट्ठा होते हैं। उमरकोट शिव मंदिर पाकिस्तान में आध्यात्मिक सद्भाव और समृद्ध हिंदू विरासत का प्रतीक बना हुआ है।

आज हम, सिंध प्रांत के एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल – उमरकोट शिव मंदिर के बारे में चर्चा करेंगे, जो अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। हम यह पता लगाएंगे कि, यह मंदिर, पूजा और स्थानीय रीति- रिवाजों का केंद्र बनकर सांस्कृतिक परंपराओं को कैसे संरक्षित करता है। हम यह भी देखेंगे कि, मंदिर कैसे अंतर-धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देता है, क्योंकि विभिन्न धर्मों के लोग इसका सम्मान करते हैं। अंत में, हम आसपास के ऐतिहासिक स्थानों की जांच करेंगे, जो क्षेत्र की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक समृद्धि में योगदान करते हैं।

Source : Wikimedia

उमरकोट शिव मंदिर: 

पाकिस्तान के उमरकोट में स्थित शिव मंदिर में, एक पूजनीय शिवलिंग है, जिसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 2,000 साल पहले किया गया था, लेकिन वर्तमान संरचना का विस्तार, एक शताब्दी पहले एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा किया गया था। यह मंदिर महा शिवरात्रि के दौरान एक जीवंत वार्षिक उत्सव का आयोजन करता है, जिसमें हज़ारों हिंदू भक्त आते हैं।

उमरकोट, पाकिस्तान के सिंध प्रांत का एक शहर है। जो बात, इस मंदिर को अद्वितीय बनाती है, वह न केवल क्षेत्र के सबसे पुराने मंदिर के रूप में इसकी स्थिति है, बल्कि, इसका भव्य शिवलिंग भी है। कहा जाता है कि, शिवलिंग का आकार तब तक बढ़ता रहा, जब तक कि वह एक निश्चित ऊंचाई तक नहीं पहुंच गया, जिससे यह दुनिया में सबसे बेहतरीन शिवलिंगों में से एक बन गया।

माना जाता है कि यह मंदिर, 2,000 साल पुराना है। इस मंदिर से कई कहानियां भी जुड़ी हुई हैं। ऐसी ही एक कहानी बताती है कि, एक बूढ़ा आदमी अपनी गायों को चराने के लिए ले जाता था, और जब सभी गायें एक ही स्थान पर चरती थीं, तो एक विशेष गाय थी, जो कहीं और चली जाती थी। वह अपना दूध उसी स्थान पर खाली कर देती थी। उस व्यक्ति को उस स्थान पर एक शिवलिंग मिला, और इस तरह मंदिर का निर्माण किया गया।

इस मंदिर में हर साल, महा शिवरात्रि के दौरान, तीन दिवसीय उत्सव आयोजित किया जाता है, जिसमें हज़ारों हिंदू भक्त आते हैं। बताया गया है कि, इस मंदिर में हर साल करीब 2,50,000 लोग आते हैं। उमरकोट की ‘अखिल हिंदू पंचायत’, इस मंदिर का प्रबंधन तथा रखरखाव करती है। तीर्थयात्रियों को ठहरने के लिए, यहां एक गेस्टहाउस व सामुदायिक हॉल भी बनाया गया है, और यहां तक कि तीन दिवसीय उत्सव के दौरान, भोजन भी तैयार किया जाता है।

सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण एवं सर्वधर्म सद्भाव और विरासत के रूप में उमरकोट शिव मंदिर की भूमिका-

समय बीतने और बदलती सामाजिक गतिशीलता के बावजूद, इस मंदिर में पारंपरिक अनुष्ठानों का आयोजन जारी है। जैसे ही तीर्थयात्री, मंदिर के रास्ते में मुस्लिम गांवों से गुज़रते हैं, उन्हें एक पेय परोसा जाता है। यह मंदिर, सिंध प्रांत में अंतर-धार्मिक सद्भाव का एक प्रमाण है। ओम(ॐ) प्रतीकों से सजी मंदिर की दीवारें, यात्रियों का स्वागत करती हैं, जो प्राचीन परंपराओं को आधुनिक संवेदनाओं से जोड़ती हैं। 

हाल के वर्षों में सिंध में, हिंदुओं ने कस्बों और शहरों में भव्य मंदिरों का निर्माण किया है। मीठी में, हनुमान और कृष्ण को समर्पित भव्य मंदिर हैं। परब्रम्ह और संत नेनुराम जैसे अन्य मंदिर, नियमित रूप से धार्मिक उत्सव आयोजित करते हैं। जबकि सिंध अपनी हिंदू विरासत के लिए प्रसिद्ध है, इसका एक सिख इतिहास भी है। उमरकोट और मीठी में नए गुरुद्वारे बनाए गए हैं और यहां के गुरु नानक गुरुद्वारे का हाल ही में नवीनीकरण किया गया था।

धार्मिक मतभेदों के बावजूद, यहां अंतर-धार्मिक सद्भाव कायम है। ओम प्रतीकों से सजे मंदिर के द्वार, प्राचीन परंपराओं और आधुनिक संवेदनाओं के सह-अस्तित्व का प्रतीक हैं। 

मंदिर के आस-पास स्थित ऐतिहासिक स्थान-

उमरकोट की एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है, और यह अपने ऐतिहासिक स्थलों तथा आकर्षणों के लिए प्रसिद्ध है। उमरकोट में घूमने लायक कुछ बेहतरीन जगहें, यहां नीचे दी गई हैं:

उमरकोट किला | Source : Wikimedia

1.उमरकोट किला

उमरकोट किला, एक शानदार ऐतिहासिक किला है, जो 17वीं शताब्दी में निर्मित है। इसे सोढ़ा राजपूत शासक – राणा प्रसाद ने बनवाया था, और कुछ समय तक, यह मुगल सम्राट अकबर के निवास के रूप में काम करता था। यह किला, प्रभावशाली वास्तुकला का दावा करता है, जिसमें जटिल नक्काशी, छज्जे और आंगन शामिल हैं। इस किले  के दर्शन से, आपको इस क्षेत्र के समृद्ध इतिहास की झलक मिलेगी।

2.पुरातत्व संग्रहालय, उमरकोट

उमरकोट में बना पुरातत्व संग्रहालय, एक सांस्कृतिक संस्थान है, जो पुरातात्विक कलाकृतियों और वस्तुओं के विविध संग्रह को प्रदर्शित करता है। यह सिंधु घाटी सभ्यता, हिंदू और जैन युग और मुगल काल सहित, क्षेत्र के समृद्ध इतिहास के माध्यम से एक आकर्षक यात्रा प्रदान करता है। यह संग्रहालय, मूर्तियों, मिट्टी के बर्तनों, सिक्कों, पांडुलिपियों और प्राचीन अवशेषों को संरक्षित और प्रदर्शित करता है। इससे आगंतुकों को उमरकोट और उसके आसपास की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के बारे में बहुमूल्य जानकारी मिलती है।

सम्राट अकबर का जन्म स्थान स्मारक | Source : Wikimedia

3.सम्राट अकबर का जन्म स्थान

भारत में मुगल साम्राज्य के सबसे प्रमुख शासकों में से एक – सम्राट अकबर का जन्म, वर्तमान सिंध के एक ऐतिहासिक शहर उमरकोट में हुआ था। उमरकोट, पाकिस्तान के सिंध प्रांत के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित है। यह शहर, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। अकबर का जन्म उमरकोट किले में हुआ था, जो 17वीं शताब्दी का एक शानदार किला है। यह किला, अकबर के माता-पिता, हुमायूं और हमीदा बानो बेगम के निर्वासन के दौरान, उनके निवास के रूप में काम करता था। उमरकोट में अकबर का जन्मस्थान महत्वपूर्ण महत्व रखता है, क्योंकि यह भारतीय इतिहास के सबसे महान शासकों में से एक शासक के जीवन की शुरुआत का प्रतीक है।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/2s445kbd

https://tinyurl.com/4wc7nj3y

https://tinyurl.com/4wc7nj3y

https://tinyurl.com/yck88r3r

मुख्य चित्र : उमरकोट शिव मंदिर (Wikimedia)

पिछला / Previous

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.