आइए जानें, ब्लैक एंड वाइट से शुरू हुई फ़ोटोग्राफ़ी ने कैसे जन्म दिया, एक रंगीन दुनिया को

द्रिश्य 1 लेंस/तस्वीर उतारना
30-01-2025 09:27 AM
आइए जानें, ब्लैक एंड वाइट से शुरू हुई फ़ोटोग्राफ़ी ने कैसे जन्म दिया, एक रंगीन दुनिया को

हमारा शहर रामपुर, अपने कुछ ऐतिहासिक स्मारकों जैसे जामा मस्जिद, रज़ा लाइब्रेरी, गांधी समाधि आदि के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां इन स्मारकों पर अक्सर आप उत्साही स्थानीय लोगों और पर्यटकों को फ़ोटोग्राफ़ी करते देख सकते हैं। फ़ोटोग्राफ़ी के बारे में बात करते हुए, फ़ोटोग्राफ़ी जो आज अत्यधिक उन्नत हो गई है, और आप इसे अपने अनुरूप कैसे भी एडिट कर सकते हैं, पहले ब्लैक एंड वाइट होती थी। क्या आप जानते हैं कि ब्लैक एंड वाइट फ़ोटोग्राफ़ी एक ऐसी कला है, जिसमें सम्मोहक चित्र बनाने के लिए सफ़ेद से लेकर गहरे भूरे रंग के विभिन्न रंगों का उपयोग किया जाता है। वास्तव में फ़ोटोग्राफ़ी का इतिहास बहुत लंबा है। क्या आप जानते हैं कि दुनिया की पहली रंगीन तस्वीर, 1861 में थॉमस सटन (Thomas Sutton) ने एक प्रयोग के दौरान रंगीन धारियों वाले रिबन से बने धनुष की ली थी। तो आइए, आज, ब्लैक एंड वाइट फ़ोटोग्राफ़ी के महत्व और इस फ़ोटोग्राफ़ी के कुछ महत्वपूर्ण तत्वों को समझने का प्रयास करते हैं। इसके साथ ही, हम रंगीन फ़ोटोग्राफ़ी के इतिहास और पिछले कुछ वर्षों में रंगीन फ़ोटोग्राफ़ी के विकास के बारे में भी जानेंगे। इस संदर्भ में, हम लुमियर बंधुओं द्वारा विकसित और 1907 में शुरू की गई ऑटोक्रोम प्रक्रिया के बारे में भी जानेंगे।
ब्लैक एंड वाइट फ़ोटोग्राफी का महत्व:
प्रारंभ में अविष्कार के समय, फ़ोटोग्राफ़ी में सभी तस्वीरें उपलब्ध सामग्रियों का उपयोग करके मोनोक्रोम (काले और सफेद, नीले और सफेद एवं भूरे और सफेद) होती थीं। हालांकि आज आपके कैमरे या स्मार्टफ़ोन पर रंगीन फ़ोटोग्राफ़ी कई विकल्पों में उपलब्ध है लेकिन फिर भी लोगों में ब्लैक एंड वाइट फ़ोटोग्राफ़ी के प्रति आकर्षण देखा जा सकता है। ब्लैक एंड वाइट फ़ोटोग्राफ़ी का उपयोग ललित कलाओं में या व्रत चित्र अथवा वैज्ञानिक प्रकृति के चित्र बनाने के लिए किया जा सकता है। वास्तव में, ब्लैक एंड वाइट फ़ोटोग्राफ़ी करना कला के रूप का पता लगाने का एक शानदार तरीका है। फ़ोटोग्राफ़ी सीखने वाले लोगों के लिए शुरुआत में ब्लैक एंड वाइट फ़ोटोग्राफ़ी (black and white photography) की कला एक सहायक तरीका हो सकती है। क्योंकि इसमें रंग की जटिलता को समाप्त करके, आप अपने कैमरा टूल्स को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं और पता लगा सकते हैं कि प्रकाश, एपर्चर ((aperture) कैमरा के लेंस का छिद्र), आई एस ओ (ISO) और शटर गति (shutter speed) एक दूसरे को कैसे प्रभावित करते हैं। ब्लैक एंड वाइट छवियां बनाने से आप फ़ोटोग्राफ़ी को एक कला के रूप में, प्रकाश और संरचना में एक अध्ययन के रूप में देख सकते हैं।
ब्लैक एंड वाइट वाइट फ़ोटोग्राफ़ी में महत्वपूर्ण तत्व:
सर्वोत्तम ब्लैक एंड वाइट तस्वीरें खींचने के लिए आपको नीचे दिए गए फ़ोटोग्राफ़ी के सात तत्वों के बारे में जानकारी होनी चाहिए:
छाया (Shadow): ब्लैक एंड वाइट फ़ोटोग्राफ़ी करते समय सबसे महत्वपूर्ण तथ्य, जिसे हमेशा ध्यान में रखा जाना चाहिए, यह है कि फ़ोटोग्राफ़ी में छाया अत्यंत महत्वपूर्ण है। छाया केवल किसी तस्वीर के गहरे क्षेत्र नहीं हैं, वे रचना के प्रमुख तत्व ही हो सकते हैं। यदि आपकी छायाएँ सूक्ष्म और विस्तृत हैं, तो यह समग्र रूप से अधिक जटिल तस्वीर बना सकती है। ध्यान दें कि ब्लैक एंड वाइट फ़ोटोग्राफ़ी के बारे में किसी भी चीज़ को अच्छा दिखाने के लिए आपको गहरी छाया से लेकर स्पष्ट हाइलाइट्स तक की पूरी श्रृंखला की जानकारी होनी चाहिए।
भेदक (Contrast): बहुत से लोग सोचते हैं कि कंट्रास्ट किसी तस्वीर के सबसे चमकीले और सबसे गहरे हिस्से के बीच का अंतर मात्र है। हालाँकि, इसके बजाय, कंट्रास्ट में निकटता का एक घटक भी शामिल होता है। जब दो वस्तुएँ अगल-बगल दिखाई देती हैं तो उनके बीच चमक का अंतर अतिरंजित हो जाता है। ब्लैक एंड वाइट फ़ोटोग्राफ़ी में कंट्रास्ट मायने रखता है क्योंकि यह छवियों को अलग दिखने में मदद करता है। कम कंट्रास्ट वाली तस्वीरें उतना ध्यान आकर्षित नहीं करती हैं। यदि आप एक परिदृश्य की मोनोक्रोम तस्वीरें लेना चाहते हैं, तो विषय को अलग दिखाने के लिए उच्च कंट्रास्ट एक स्वाभाविक विकल्प है।
टोन (Tone): टोन शब्द का उपयोग किसी छवि में दिखाई देने वाली अंतर्निहित चमक, गहरे और हल्के रंगों के अर्थ में किया जा सकता है। टोन प्रत्येक ब्लैक एंड वाइट छवि की आधारशिला हैं। यदि आपने कभी फ़ोटोग्राफ़ी में "हाई-की" या "लो-की" वाक्यांश सुना है, तो आपने संभवतः चरम सीमा तक ले जाने वाले टोन के उदाहरण देखे होंगे। यदि कोई तस्वीर न तो विशेष रूप से उज्ज्वल है और न ही विशेष रूप से गहरे रंग की है - वह कहीं बीच में है - फिर भी आपको फ़ोटो फ़ोटो लेते समय टोन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। कंट्रास्ट की तरह, टोन भी तस्वीर के मूड के बारे में एक शक्तिशाली संदेश भेज सकते हैं। याद रखने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह है: आपकी छवि की टोन विषय के चरित्र के अनुरूप होने चाहिए। आपके मन में जो कहानी है उसे बताने के लिए आप उनका उपयोग कर सकते हैं।
आकृतियां (Shapes): प्रत्येक तस्वीर सरल या जटिल, आकृतियों का एक संग्रह है। जब आप अपने टूलबॉक्स से रंग हटाते हैं, तो आपके द्वारा बताई गई कहानी के हिस्से के रूप में आकृतियां और भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं। वास्तव में, कोई भी तस्वीर, अधिक अमूर्त स्तर पर, एक कैनवास पर एक साथ रखी गई आकृतियों की एक श्रृंखला होती है। लोग स्वाभाविक रूप से किसी भी तस्वीर की आकृतियों की ओर आकर्षित होते हैं। यदि किसी वस्तु में कोई रंग नहीं है, तो हम उसे केवल उसके आकार से ही पहचान सकते हैं। बनावट (Texture): जबकि आकृतियां एक छवि की "मुख्य तस्वीर" बनाती हैं, बनावट बाकी हिस्से को भर देती है। ब्लैक एंड वाइट फ़ोटोग्राफ़ी के सभी तत्वों की तरह, खींची गई किसी भी तस्वीर की बनावट मूड और भावनाओं को प्रभावित करने की शक्ति रखती है। 
संयोजन (Composition): सबसे अच्छी तस्वीरों में संयोजन की अंतर्निहित भावना होती है - यह एक संकेत है कि फ़ोटोग्राफ़र ने जानबूझकर दृश्य को किसी अन्य तरीके के बजाय इस विशेष तरीके से कैद किया है, छवि में संरचना और व्यवस्था है, यह सिर्फ़ एक स्नैपशॉट नहीं है, दूसरे शब्दों में, यह एक सशक्त रचना है। किसी भी लैंडस्केप की रंगीन फ़ोटोग्राफ़ी में एक सुनहरा आकाश पूरी छवि को ऊपर की ओर खींच सकता है। लेकिन, यदि आप इसकी ब्लैक एंड वाइट फ़ोटोग्राफ़ी करना चाहते हैं, तो आपको अपनी तस्वीर अलग तरह से बनाने की आवश्यकता होगी, यहां कंपोजीशन एक अहम तत्व बन जाता है। बेशक, अपनी तस्वीरों को अच्छी तरह से बनाना महत्वपूर्ण है, चाहे वे कैसी भी हों, रंगीन या ब्लैक एंड वाइट। लेकिन, जब आप ब्लैक एंड वाइट तस्वीरें लेते हैं, तो यह एक मोनोक्रोम मानसिकता से दृश्य के बारे में सोचने में मदद करता है। जब आप ऐसा करते हैं, तो आप अक्सर अपनी रचना के बारे में अलग ढंग से निर्णय ले पाते हैं जिससे आप एक अच्छी तस्वीर खींच सकते हैं।
भावना (Emotion): भावना फ़ोटोग्राफ़ी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। अब तक हमने जिन तत्वों पर चर्चा की है वे मुख्य रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे भावना के उपकरण हैं; वे आपकी ब्लैक एंड वाइट तस्वीरों के मूड और संदेश को निर्धारित करने में आपकी सहायता करते हैं।
पहला रंगीन फ़ोटो कब और किसके द्वारा लिया गया था?
पहली रंगीन तस्वीर 1861 में थॉमस सुटन द्वारा मैक्सवेल द्वारा रंग पर दिए गए एक व्याख्यान को दर्शाने के लिए ली गई थी, जहां इसे ट्रिपल प्रक्षेपण विधि द्वारा रंग में दिखाया गया था। तस्वीर का विषय रिबन से बना एक धनुष था, जिस पर विभिन्न रंगों की धारियां थीं, जिनमें मुख्य रूप से लाल और हरा रंग शामिल था। व्याख्यान के दौरान, मैक्सवेल ने ऐसी फ़ोटोग्राफ़िक सामग्री की आवश्यकता पर जोर दिया जो लाल और हरे प्रकाश के प्रति अधिक संवेदनशील हो। 1961 में, शोधकर्ताओं ने पाया कि सटन द्वारा अपनी फ़ोटोग्राफ़ी में ऐसी फ़ोटोग्राफ़िक सामग्री का इस्तेमाल किया गया था जो सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए लाल रंग के प्रति पूरी तरह से असंवेदनशील थी और हरे रंग के प्रति केवल मामूली रूप से संवेदनशील थी। 
पिछले कुछ वर्षों में रंगीन फ़ोटोग्राफ़ी का विकास:
ऑटोक्रोम (autochromes): ऑटोक्रोम का आविष्कार 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में दो फ़्रांसीसी भाइयों, ऑगस्टे (Auguste) और लुई लुमियर (Louis Lumière) द्वारा किया गया था। इसे पहली उचित रूप से प्रयोग करने योग्य और व्यावसायिक रूप से सफल स्क्रीन प्रक्रिया माना जाता है। ये दोनों भाई 1890 के दशक से रंगीन फ़ोटोग्राफ़ी के साथ प्रयोग कर रहे थे, और इस विषय पर इन्होंने अपना पहला लेख 1895 में प्रकाशित किया था।1904 में उन्होंने अपनी प्रक्रिया की पहली प्रस्तुति 'फ्रेंच एकेडमी ऑफ़ साइंस' (French Academy of Science) को दी और 1907 तक उन्होंने व्यावसायिक रूप से ऑटोक्रोम प्लेटों का उत्पादन शुरू कर दिया था।
ऑटोक्रोम प्लेटों का निर्माण, एक जटिल प्रक्रिया थी। सबसे पहले, 10-15 माइक्रोन व्यास वाले दानों को अलग करने के लिए चूर्णित स्टार्च के दानों को एक छलनी से छाना गया। इस प्रक्रिया के लिए कई अलग-अलग प्रकार के स्टार्च आज़माए गए, लेकिन आलू से बने स्टार्च के परिणाम सबसे अच्छे साबित हुए। फिर इन सूक्ष्म कणों को लाल, हरे और नीले-बैंगनी रंग में रंगा गया, मिश्रित किया गया और एक कांच की प्लेट पर फैलाया गया, और एक चिपचिपे वार्निश के साथ लेपित किया गया। इसके बाद, रंगीन स्टार्च के दानों के बीच किसी भी खाली जगह को भरने के लिए प्लेट पर चारकोल पाउडर फैलाया गया। दानों को समतल करने और फैलाने के लिए एक रोलर का उपयोग किया गया जिससे पांच टन प्रति वर्ग सेंटीमीटर का दबाव डाला गया। इसके बाद प्लेट को जलरोधक (waterproof) बनाने के लिए इस पर वार्निश की गई। अंतिम प्लेट एक तीन-रंगीन फ़िल्टर स्क्रीन थी: इसके प्रत्येक वर्ग इंच पर लगभग चार मिलियन पारदर्शी स्टार्च के दाने थे, प्रत्येक दाना प्रभावी रूप से एक रंगीन फिल्टर के रूप में कार्य करता था। अंतिम चरण प्लेट को पैनक्रोमटिक इमल्शन से कोट किया गया। 20 वीं सदी के प्रारंभ में:
20 वीं सदी के प्रारंभ में रंगीन फ़ोटोग्राफ़ी में लगातार सुधार होता जा रहा था। अब तीन अलग-अलग फ़िल्टर के साथ एक ही तस्वीर को तीन अलग-अलग बार लेने में फ़ोटोग्राफ़रों को परेशानी होने लगी थी, कैमरा गलती से हिल सकता था, या दृश्य ही बदल सकता था। परिणामस्वरूप, फ़ोटोग्राफ़रों को सहायता के लिए दो प्रकार के रंगीन कैमरे बनाए गए। पहले प्रकार के कैमरे में एक लेंस का उपयोग किया जाता था जो आने वाली रोशनी को तीन अलग-अलग फ़िल्टर के माध्यम से अलग कर सकता था और इस प्रकार एक ही समय में तीन तस्वीरें ले सकता था। दूसरे प्रकार के कैमरे में फ़ोटोग्राफ़रों को फिल्टर और इमल्शन प्रकारों को जल्दी से बदलना पड़ता था। यह प्रक्रिया अभी भी आसान नहीं थी।
लुई डुकोस डू हॉरोन (Louis Arthur Ducos du Hauron) ने इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए दूसरे लेंस के ऊपर तीन अलग-अलग रंग रिकॉर्डिंग इमल्शन रखे, ताकि प्रक्रिया को किसी भी सामान्य कैमरा सिस्टम में एक ही बार में उजागर किया जा सके। नीले रंग को तीन-इमल्शन के बीच में रखा गया और इसके पीछे एक नीला अवरोधक फ़िल्टर था, क्योंकि नीली रोशनी सभी सिल्वर हैलाइड इमल्शन को प्रभावित करती है। नीले फ़िल्टर अवरोधक के पीछे हरी और लाल-संवेदनशील परतें थीं। हॉरोन का विचार उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था। 
हालाँकि यह समस्या का एक सही समाधान नहीं था। 1930 के दशक की शुरुआत में, एक अमेरिकी कंपनी एग्फ़ा -एंस्को (Agfa-Ansco) ने "कोलोरोल" (Colorol) नाम से स्नैपशॉट कैमरों के लिए एक रोल-प्रकार की फ़िल्म का उत्पादन किया। हालाँकि, इस फ़िल्म की परतों में प्रकाश फैल जाने के कारण इससे छवियां तेज़ गति से नहीं बनती थी, लेकिन ये गैर-पेशेवर के लिए पर्याप्त थीं।
कोडक (Kodak): रंगीन फ़ोटोग्राफ़ी को मुख्यधारा में लाने वाला सूत्रधार:
बेशक, रंगीन फ़ोटोग्राफ़ी में क्रांति लाने वाला नायक कोडक था। 1935 में, कोडक ने अपनी पहली 'ट्रिपैक' फ़िल्म पेश की और इसे 'कोडाक्रोम' (Kodachrome) का नाम दिया। वास्तव में, इसके पीछे दो संगीतकारों, लियोपोल्ड मैन्स और लियोपोल्ड गोडोस्की, जूनियर का हाथ था, जिन्होंने रंग प्रक्रिया के साथ प्रयोग करना शुरू किया। इस जोड़ी को अंततः 'कोडक रिसर्च लेबोरेटरीज़' द्वारा काम पर रखा गया और जिसके परिणामस्वरूप, आज तक की सबसे पसंदीदा फिल्मों में से एक बनी।
परिष्कृत कोडक रंजक प्रक्रिया में एक ही आधार पर इमल्शन की तीन परतों का उपयोग किया गया जो लाल, हरे और नीले तरंग दैर्ध्य को कैप्चर करती थी। फिल्म की प्रक्रिया काफ़ी जटिल थी। अंततः, 1936 में, अग्फा ने एक ही समय में सभी तीन परतों को विकसित करके कोडक की प्रक्रिया को और भी अधिक परिष्कृत बना दिया। 1960 के दशक की शुरुआत में, कोडक के कोडाक्रोम और अन्य फ़िल्म ब्रांडों ने बाज़ार में उपस्थिति स्थापित करना शुरू कर दिया था, लेकिन वे अभी भी मानक ब्लैक एंड वाइट फ़िल्मों की तुलना में बहुत अधिक महंगे थे। 1970 के दशक तक, रंगीन फ़ोटोग्राफ़ी को आम जनता के लिए सुलभ बनाने के लिए कीमतें काफ़ी कम कर दी गईं। और अंततः, 1980 के दशक तक, रंगीन फ़ोटोग्राफ़ी ने ब्लैक एंड वाइट फ़िल्मों की जगह ले ली।

संदर्भ
https://tinyurl.com/4h59ftf8
https://tinyurl.com/bdf8v3av
https://tinyurl.com/bddsuywn
https://tinyurl.com/3r6rms3v
https://tinyurl.com/ystfvfez

चित्र संदर्भ

1. ब्लैक एंड वाइट और रंगीन फ़ोटो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikipedia) 
2. कैमरा ऑब्स्क्युरा (camera obscura) के सिद्धांत को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. लुई डागुएरे (Louis Daguerre) द्वारा 1838 में बनाया गया बुलेवार्ड डू टेम्पल (Boulevard du Temple) एक डग्युरियोटाइप (Daguerreotype) है, जिसे आम तौर पर लोगों को शामिल करने वाली सबसे प्रारंभिक तस्वीर के रूप में स्वीकार किया जाता है। इसको संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. पहली रंगीन तस्वीर, 1861 में थॉमस सुटन (Thomas Sutton) ने मैक्सवेल द्वारा रंग पर दिए गए एक व्याख्यान को दर्शाने के लिए खींची थी, जहां इसे ट्रिपल प्रक्षेपण विधि द्वारा रंग में दिखाया गया था। इसको संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. रंगीन फ़ोटोग्राफ़ी के अग्रणी फ़्रांसीसी अग्रदूत लुई डुकोस डु हौरोन (Louis Ducos du Hauron) द्वारा 1877 में कागज़ पर रंगीन फ़ोटोग्राफ़िक प्रिंट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. फ़िल्म के साथ, कोडक के एक कैमरे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)


 

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