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रामपुर के लोग, इस बात से सहमत होंगे कि कच्चे तेल का शोधन मानव जाति के सबसे बड़े आविष्कारों में से एक है। कच्चे तेल के शोधन की शुरुआत तब हुई जब पहली बार तेल के कुओं की ड्रिलिंग सफल हुई। यह सफलता, 1858 में कनाडा के ओंटारियो और 1859 में अमेरिका के पेंसिल्वेनिया के टाइटसविल में हासिल हुई। आज के इस लेख में, हम तेल शोधन के इतिहास को विस्तार से जानेंगे। सबसे पहले, हम दुनिया के पहले तेल कुएं पर चर्चा करेंगे। इसके बाद, हम देखेंगे कि बीते वर्षों में तेल शोधन उद्योग कैसे विकसित हुआ। अंत में, हम दुनिया की कुछ सबसे पुरानी तेल रिफाइनरियों के बारे में भी जानेंगे।
आइए, शुरुआत पहले तेल कुएँ के इतिहास को जानने के साथ करते हैं:
पहला तेल का कुआँ, (जहाँ ड्रिलिंग तकनीक का उपयोग करके तेल निकाला गया!) पेंसिल्वेनिया रॉक ऑइल कंपनी द्वारा टाइटसविले, पेंसिल्वेनिया में बनाया गया था। इस काम को सफल बनाने की ज़िम्मेदारी एडविन ड्रेक (Edwin Drake) को दी गई। उन्होंने ड्रिलिंग प्रक्रिया की निगरानी के लिए प्रसिद्ध नमक ड्रिलर, विलियम स्मिथ (William Smith) को नियुक्त किया।
इस कुए को 27 अगस्त 1859 को सफलतापूर्वक ड्रिल किया गया। इस सफलता ने कई ऐतिहासिक घटनाओं की शुरुआत की। इनमें स्टैंडर्ड ऑइल कंपनी (Standard Oil Company) की स्थापना भी शामिल थी, जिसने तेल उद्योग को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। सऊदी अरब में पहला तेल कुआँ 1938 में ड्रिल किया गया।
आइए, अब तेल शोधन उद्योग के विकास के ऐतिहासिक सफ़र पर चलते हैं:
1900 - 1930: 1900 से 1930 के बीच, परिवहन के नए तरीकों के साथ, रिफ़ाइनरियों ने विभिन्न प्रकार के ईंधन तैयार करना शुरू किया। इनमें गैसोलीन, डीज़ल और जेट ईंधन शामिल थे। इन ईंधनों ने अलग-अलग प्रकार के इंजनों को बेहतर ढंग से काम करने में मदद की। इस समय, पेट्रोलियम का उपयोग स्नेहक और मोम बनाने के लिए भी किया गया। इन उत्पादों ने मशीनों को अधिक कुशलता से काम करने में मदद की।
इसी अवधि में, रिफ़ाइनरियों ने थर्मल क्रैकिंग का उपयोग शुरू किया। यह तकनीक स्टैंडर्ड ऑइल के एक इंजीनियर ने खोजी थी। थर्मल क्रैकिंग से अधिक मात्रा में गैसोलीन का उत्पादन संभव हुआ। 1920 के दशक में उत्प्रेरक क्रैकिंग का आविष्कार हुआ। इस तकनीक से उच्च-ऑक्टेन उत्पाद बनाए गए, जो अधिक प्रभावी और शक्तिशाली थे।
1940 का दशक: 1940 के दशक में पेट्रोकेमिकल और रिफ़ाइनिंग तकनीकों में तेजी आई। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, इन तकनीकों ने मित्र देशों की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस समय भारी तेलों के क्रैकिंग, एल्काइलेशन, पोलीमराइज़ेशन, और आइसोमेराइज़ेशन तकनीकों का इस्तेमाल बढ़ा। इन तकनीकों से उच्च प्रदर्शन वाले ईंधन बनाना संभव हुआ, जिनका इस्तेमाल विमानों, ट्रकों, जीपों और टैंकों के लिए किया जाने लगा। साथ ही, इनसे हथियारों और मशीनरी के लिए स्नेहक भी तैयार किए गए।
1950 और 1960 का दशक: 1950 और 1960 के दशक में, उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उद्योग और जटिल हो गया। इस दौरान कई रिफ़ाइनरियों ने हाइड्रोक्रैकिंग तकनीक अपनाई। इससे अधिक प्रकार के उत्पाद बनाए जा सके। इसी समय, फ़ीडस्टॉक और तैयार उत्पादों के परिवहन के लिए नई प्रणाली बनाई गई। इस प्रणाली को आज "मिडस्ट्रीम इंफ्रास्ट्रक्चर " कहा जाता है। इसमें पाइपलाइन, बंदरगाह, रेलमार्ग, सड़क मार्ग और भंडारण सुविधाएँ शामिल थीं। इसने उत्पादकों से उपभोक्ताओं तक ऊर्जा पहुँचाने में मदद की।
1970, 1980 और 1990 का दशक: 1970 से 1990 के बीच, वाहनों की ईंधन दक्षता बढ़ने से तेल की मांग कम हुई। इसी समय, साइबेरिया, उत्तरी सागर, अलास्का और खाड़ी तट में नई परियोजनाओं से बड़ी मात्रा में तेल का उत्पादन शुरू हुआ। इन बदलावों ने अमेरिकी रिफ़ाइनिंग उद्योग को काफी प्रभावित किया। उद्योग में समेकन के चलते रिफ़ाइनरियों की संख्या, 1980 में 319 से घटकर 1990 में 205 हो गई।
आइए, अब दुनिया की कुछ सबसे पुरानी तेल रिफ़ाइनरियों के बारे में जानते हैं:
1. प्लोएस्टी रिफ़ाइनरी (रोमानिया) (Ploiesti Refinery (Romania)): प्लोएस्टी रिफ़ाइनरी , यूरोप की सबसे पुरानी रिफ़ाइनरियों में से एक है। यह 1856 में शुरू हुई। तेल की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए समय-समय पर इसका विस्तार किया गया और इसे आधुनिक बनाया गया। आज भी यह रोमानिया की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाती है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, मित्र देशों की सेनाओं ने इसे बमबारी से क्षतिग्रस्त कर दिया। लेकिन इसके बावजूद, रिफ़ाइनरी का पुनर्निर्माण किया गया और आज भी इसका संचालन जारी है। यह रिफ़ाइनरी रोमानियाई तेल उद्योग की मज़बूती का प्रतीक है।
2. नोबल रिफ़ाइनरी ( फ़्रांस) (Noble Refinery (France)) : फ़्रांस की नोबल रिफ़ाइनरी की स्थापना 1858 में हुई। इसे यूरोप की प्रमुख रिफ़ाइनरियों में गिना जाता है। शुरुआत में, यह रूस से आयातित कच्चे तेल का प्रसंस्करण करती थी। वर्षों में, बदलते तेल उद्योग के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए इसका भी कई बार विस्तार और आधुनिकीकरण किया गया।
3. बाकू तेल रिफ़ाइनरी (अज़रबैजान) (Baku Oil Refinery (Azerbaijan)) : बाकू तेल रिफ़ाइनरी दुनिया की सबसे पुरानी रिफ़ाइनरियों में से एक है। इसे 1859 में अज़रबैजान में स्थापित किया गया। इस रिफ़ाइनरी ने बाकू तेल क्षेत्रों से निकाले गए कच्चे तेल को संसाधित किया। बाकू क्षेत्र दुनिया के शुरुआती तेल उत्पादक क्षेत्रों में से एक था। इस रिफ़ाइनरी की स्थापना ने अज़रबैजान और काकेशस क्षेत्र के औद्योगिक विकास को एक नई दिशा दी।
4. बर्गहॉसन रिफ़ाइनरी (जर्मनी) (Burghausen Refinery (Germany)) : जर्मनी की बर्गहॉसन रिफ़ाइनरी , 1866 में स्थापित हुई। यह यूरोप की सबसे पुरानी रिफ़ाइनरियों में से एक है। शुरुआत में, यह केरोसिन के उत्पादन के लिए बनाई गई थी, जो 19वीं सदी में प्रकाश के लिए ज़रूरी ईंधन था। वर्षों में, बढ़ती मांग और नई तकनीकों के साथ, इसमें कई बार विस्तार और आधुनिकीकरण किया गया।
5. पर्निस रिफ़ाइनरी (नीदरलैंड): पर्निस रिफ़ाइनरी , नीदरलैंड के रॉटरडैम में स्थित है। इसकी स्थापना 1883 में हुई। यह यूरोप की सबसे बड़ी और दुनिया की प्रमुख रिफ़ाइनरियों में से एक है। इसे रॉयल डच शेल संचालित करता है। यह रिफ़ाइनरी , कच्चे तेल को कई प्रकार के पेट्रोलियम उत्पादों में बदलने की क्षमता रखती है। नीदरलैंड और यूरोप की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने में इसका अहम योगदान है। ये , न केवल तेल उद्योग के विकास को दिखाती हैं, बल्कि इतिहास के महत्वपूर्ण चरणों को भी उजागर करती हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/28fmb794
https://tinyurl.com/2yx8fzke
https://tinyurl.com/2o77xhya
चित्र संदर्भ
1. यू एस ए में स्थित एनाकोर्टेस रिफ़ाइनरी (Anacortes Refinery), को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. पेंसिल्वेनिया में यू एस ए की पहली तेल रिफ़ाइनरी के साथ ड्रेक, टाइटसविले को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. बैटन रूज रिफ़ाइनरी (Baton Rouge Refinery) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. रोमानिया के प्लोइस्टि (Ploiești) में स्थित, ट्रोटेल रिफ़ाइनरी के हवाई दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. पर्निस रिफ़ाइनरी, (Pernis refinery), नीदरलैंड्स को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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