रामपुर में महिंद्रा एंड महिंद्रा, खासकर ऑटोमोटिव और कृषि क्षेत्रों में, नवाचार और विश्वसनीयता के प्रतीक के रूप में खड़ा है। महिंद्रा थार और बोलेरो जैसे मज़बूत वाहनों के लिए प्रख्यात, इस कंपनी ने कई रामपुर वासियों का विश्वास अर्जित किया है, जो व्यक्तिगत और व्यावसायिक उपयोग दोनों के लिए इन वाहनों पर भरोसा करते हैं। इसके अतिरिक्त, ट्रैक्टर और कृषि उपकरण उद्योग में, महिंद्रा की उपस्थिति ने स्थानीय किसानों को उत्पादकता में सुधार करने और संचालन को सुव्यवस्थित करने में मदद की है। गुणवत्ता और प्रदर्शन प्रदान करने की प्रतिबद्धता के साथ, महिंद्रा, रामपुर की अर्थव्यवस्था और जीवनशैली की वृद्धि और विकास में योगदान देना जारी रखता है। आज, हम महिंद्रा समूह के इतिहास के बारे में जानेंगे, तथा इसकी स्थापना से लेकर विभिन्न उद्योगों में, वैश्विक खिलाड़ी बनने की, इसकी यात्रा का पता लगाएंगे। इसके बाद, हम महिंद्रा समूह की धारणीय नीति पर ध्यान देंगे और स्थायी भविष्य के लिए कंपनी की हरित दृष्टि पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे। फिर, हम भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन (ई वी) क्रांति को आगे बढ़ाने में महिंद्रा की महत्वपूर्ण भूमिका की जांच करेंगे, एवं पर्यावरण के अनुकूल परिवहन और नवाचार में इसके योगदान पर प्रकाश डालेंगे।
महिंद्रा समूह का इतिहास-
महिंद्रा समूह ने 1945 में, एक स्टील ट्रेडिंग कंपनी के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी। जगदीश चंद्र महिंद्रा, कैलाश चंद्र महिंद्रा और मलिक गुलाम मुहम्मद ने, इसकी स्थापना की थी। तब से, महिंद्रा समूह ने एक लंबा सफ़र तय किया है और विभिन्न उद्योगों में विविधता लायी है और एक प्रमुख व्यापारिक समूह बन गया है। समूह की वैश्वीकरण की शुरुआती वकालत के कारण, शिपिंग, टेलीकॉम, ट्रैक्टर और अन्य क्षेत्रों में इसकी साझेदारी हुई।
आनंद महिंद्रा, महिंद्रा एंड महिंद्रा के वर्तमान अध्यक्ष हैं। उन्होंने वाहन, कृषि व्यवसाय, सूचना प्रौद्योगिकी और विमानन जैसे क्षेत्रों में उद्यम करके कंपनी को विश्व स्तर पर विस्तारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आनंद महिंद्रा के नेतृत्व ने, उन्हें बैरन(Barron) की शीर्ष 30 सी ई ओ वैश्विक सूची (2016) और फ़ॉर्च्यून पत्रिका(Fortune Magazine) की दुनिया के 50 महानतम नेताओं (2014) में पहचान दिलाई। उन्हें 2016 में, फ़्रांसीसी गणराज्य के राष्ट्रपति द्वारा, नेशनल ऑर्डर ऑफ़ द लीजन ऑफ़ ऑनर(National Order of the Legion of Honour) में नाइट(Knight) के रूप में भी सम्मानित किया गया था।
1945 से, महिंद्रा समूह की यात्रा का अवलोकन:
1945 में एक स्टील ट्रेडिंग कंपनी के रूप में, अपनी मामूली शुरुआत से, महिंद्रा समूह तेज़ी से अरबों रुपये के समूह में विकसित हुआ। इस समूह का लक्ष्य ग्रामीण परिवर्तन, शहरीकरण, परिवहन, पर्यटन, डिजिटल परिवर्तन और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में अधिक अवसर तलाशना है।
महिंद्रा समूह की धारणीय नीति:
भविष्य के लिए एक हरित दृष्टिकोण-
महिंद्रा और महिंद्रा की हरित ऊर्जा शाखा – महिंद्रा सस्टेन(Mahindra Susten) लगभग 1,200 करोड़ रुपए की लागत से, 150 मेगावाट की हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा (सौर + पवन) परियोजना विकसित करेगी।
महिंद्रा सस्टेन, एक स्वतंत्र बिजली उत्पादक है, तथा प्रमुख वैश्विक निवेशक – ओंटारियो टीचर्स पेंशन प्लान बोर्ड(Ontario Teachers’ Pension Plan Board) के साथ 101 मेगावाट पवन क्षमता और 52 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करेगा। इससे 460 मिलियन किलोवाट ऊर्जा उत्पन्न होने की उम्मीद है, जिससे अनुमानित 420,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी।
कंपनी के अनुसार, यह परियोजना वाणिज्यिक और औद्योगिक ग्राहकों को, स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने के लिए महाराष्ट्र में सबसे बड़ी सह-स्थित सौर व पवन हाइब्रिड परियोजनाओं में से एक होगी। यह परियोजना 80% से अधिक स्थानीय रूप से निर्मित घटकों को एकीकृत करेगी। महिंद्रा सस्टेन, वाणिज्यिक और औद्योगिक ग्राहकों को प्रतिस्पर्धी दरों पर स्वच्छ तथा हरित बिजली प्रदान करने के लिए, हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में, कंपनी के प्रवेश का प्रतीक है।
महिंद्रा के ऑटो और फ़ार्म व्यवसायों ने, इस परियोजना के भीतर 41.20 मेगावाट पवन और 25.90 मेगावाट सौर ऊर्जा की क्षमता का अनुबंध किया है, जो सालाना 197 मिलियन किलोवाट ऊर्जा उत्पन्न करेगी। इससे 184,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आने की उम्मीद है। इस परियोजना से कंपनी की नवीकरणीय ऊर्जा हिस्सेदारी, वित्त वर्ष 2026 में 60% होने की उम्मीद है।
भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन (ई वी) क्रांति में महिंद्रा की भूमिका-
भारत की इलेक्ट्रिक वाहनों की यात्रा की शुरुआत 1999 में महिंद्रा एंड महिंद्रा द्वारा बनाई गई, ‘बिजली’ नामक गाड़ी से हुई थी। यह पहल हालांकि, महिंद्रा समूह को अपनी ई वी यात्रा में बहुत आगे नहीं ले गई। लेकिन, इसने महिंद्रा एंड महिंद्रा के लिए, दो दशक बाद ई वी में अग्रणी के रूप में उभरने की दिशा तय की।
आज महिंद्रा, 2025 तक भारतीय सड़कों पर पांच लाख इलेक्ट्रिक वाहन चलाने के लक्ष्य के साथ, भारत के ई वी अभियान का नेतृत्व कर रहा है। भारत में इस व्यवसाय में, लगभग 1,700 करोड़ रुपये का निवेश पहले ही किया जा चुका है और एक नए अनुसंधान और विकास केंद्र के लिए अन्य 500 करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं। महिंद्रा अंतरराष्ट्रीय इलेक्ट्रिक वाहन रेस कार सर्किट – फ़ॉर्मूला ई(Formula E) का संस्थापक सदस्य है और उन्होंने यूरोप में बैटिस्टा(Battista) नामक एक सुपर-प्रीमियम लग्ज़री इलेक्ट्रिक वाहन का भी अनावरण किया है।
भारत में ई वी क्षेत्र की वृद्धि पिछले कई दशकों से धीमी रही है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसमें तेज़ी आई है। महिंद्रा समूह ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में, 14,000 से अधिक ई वी बेचीं, जो 2018-19 की तुलना में 40% अधिक थी। महिंद्रा का पहला लक्ष्य स्थानीय परिवहन की लागत में, 25% की कटौती करने के लिए ई वी का उपयोग करना है। यह मुख्य रूप से टैक्सियों और तिपहिया वाहनों जैसा “कनेक्टिंग ट्रांसपोर्ट(Connecting transport)” होगा, जिसका उद्देश्य अंतिम मील और पहले मील को बड़े पैमाने पर, तीव्र परिवहन प्रणालियों से जोड़ना होगा। नई महिंद्रा ट्रेओ(Mahindra Treo) द्वारा ड्राइविंग में दी गई आसानी के साथ, समूह ने देश भर में महिला ड्राइवरों के एक नए ग्राहक आधार का समर्थन किया है, जिससे उन्हें घरेलू आय बढ़ाने में मदद मिली है।
पारिस्थितिकी तंत्र में अग्रणी बनना-
महिंद्रा समूह, पूरे इलेक्ट्रिक पारिस्थितिकी तंत्र पर केंद्रित है, और ई वी में सबसे बड़ा भारतीय निवेशक है। महिंद्रा इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड, 48 वोल्ट और 650 वोल्ट के बीच बैटरी रेंज के वाहनों पर काम कर रही है। अब लॉन्च किया गया – एम ई एस एम ए 48 थ्री-व्हीलर ई वी प्लेटफ़ॉर्म(MESMA 48 three-wheeler EV platform) विभिन्न खंडों में वाहनों की एक बड़ी श्रृंखला का समर्थन कर सकता है।
ई वी प्लेटफ़ॉर्म, मौजूदा ऑटोमोटिव प्लेटफ़ॉर्म से अलग होगा। हाल के दिनों में, वाहन विकास में सभी नवाचारों का लगभग 70% हिस्सा, एम्बेडेड सिस्टम और सॉफ़्टवेयर विकास पर केंद्रित रहा है। आगे चलकर, सॉफ़्टवेयर और एम्बेडेड सिस्टम, ई वी की कुल लागत का 32% योगदान देंगे। जबकि, आंतरिक दहन इंजन (Internal Combustion Engine) वाहन में केवल 18% का योगदान होगा। इससे बेंगलुरु में महिंद्रा इलेक्ट्रिक के आगामी अनुसंधान केंद्र – जी ई वी टेक (GEVtec) को ऐसे महत्वपूर्ण ई वी घटकों के विकास और विनिर्माण के लिए, वैश्विक ई वी केंद्र बनने में मदद मिलेगी।
महिंद्रा की ई वी यात्रा हमेशा से ही, इसके ग्राहकों के इर्द-गिर्द घूमती रही है, और उनका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों को विद्युतीकृत करना है, जो बड़े पैमाने पर ई-मोबिलिटी को लोकप्रिय बनाएगा। प्यूज़ो इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों(Peugeot electric two–wheeler) के साथ, फ़्रांसीसी राष्ट्रपति के बेड़े में शामिल होने से लेकर, महिंद्रा ट्रेओ के साथ महिला उद्यमियों का एक नया ग्राहक आधार खोलने तक; फ़ॉर्मूला ई रेस में जीत से लेकर वैश्विक ओ ईए म(OEM) को ई वी घटक प्रदान करने तक, महिंद्रा ने अद्वितीय ई वी की एक श्रृंखला की पेशकश की है। इलेक्ट्रिक शेयर्ड मोबिलिटी सेगमेंट में लाखों किलोमीटर के साथ, महिंद्रा ने ई वी के अर्थशास्त्र को बेहतर ढंग से समझा है, जिसके परिणामस्वरूप, महिंद्रा के ग्राहकों की कमाई बढ़ी है।
ई वी के लिए, चाकन, महाराष्ट्र में महिंद्रा समूह के आगामी संयंत्र का लक्ष्य, वैश्विक वाहन निर्माताओं के लिए घटकों की आपूर्ति करना होगा और भारतीय और वैश्विक दोनों बाज़ारों के लिए 350+ किलोमीटर की रेंज के साथ, एम ई एस एम ए 350 पावरट्रेन(MESMA 350 powertrain) का उत्पादन करेगा। अब उनका ध्यान, स्वच्छ और सुविधाजनक कनेक्टिविटी समाधान बनाने पर है, जो बड़े पैमाने पर परिवहन को पूरक करता है और देश की मल्टी-मॉडल परिवहन, साझा गतिशीलता, कर्मचारी आवागमन और व्यक्तिगत गतिशीलता खंड की आवश्यकता को पूरा करता है।
संदर्भ
चित्र संदर्भ
1. थार नामक महिंद्रा की एक प्रसिद्ध गाड़ी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. कांदीवली, मुंबई में स्थित महिंद्रा एंड महिंद्रा (Mahindra & Mahindra) के यूनिट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. महिंद्रा के नवीन वाहन को संदर्भित करता एक चित्रण (pixahive)
4. 2023 महिंद्रा XUV 400 EL EV को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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